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विशाल डडलानी और उदित राज कंफ्यूज थे या कर दिए गए!

    • आईचौक
    • Updated: 29 अगस्त, 2016 02:54 PM
  • 29 अगस्त, 2016 02:54 PM
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हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज डेरा सच्चा सौदा को जाकर 50 लाख का चेक दे आए. इस, उम्मीद में कि 'तिरंगा रुमाल छू' से भारत में खेलों के प्रति जागरूकता आएगी. उदित साहब ने भी सुझाव दे दिया है. लेकिन, क्या दिया अब यही समझ नहीं आ रहा.

सोशल मीडिया की लीला अपरंपार है. कल 'आप' की बारी थी, आज बीजेपी की है. हरियाणा विधानसभा में जैन धर्मगुरु के प्रवचन कार्यक्रम पर विशाल डडलानी के ट्वीट को लेकर लोगों ने ऐसी खिंचाई की कि वे सफाई देते-देते थक गए. लेकिन तीर तो निकल चुका था. आखिरकार डडलानी साहब ने राजनीति और बयानबाजी दोनों से ही तौबा करने का फैसला कर लिया. अब आज के लिए मसाला बीजेपी के सांसद उदित राज ने मुहैया करा दिया है.

उदित राज का एक ट्वीट विवादों में है. उदित राज ने ट्वीट किया कि उसेन बोल्ट अगर नौ ओलंपिक गोल्ड जीतने में सफल हुए हैं तो इसलिए क्योंकि वो दिन में बार बीफ खाते थे.

अब विवाद तो होना था. मसला जो बीफ का था, ऊपर से ऐसी बातें वो कह रहा है जो बीजेपी का सांसद है! वैसे, बीजेपी कनेक्शन न भी होता तो हंगामे के लिए 'बीफ' शब्द तो काफी है ही. भारत ने रियो ओलंपिक में दो मेडल ही क्यों जीते. ये हमारे लिए ही नहीं दुनिया के लिए भी सिरदर्द है. चीन के लेकर न्यूजीलैंड के अखबारों में लंबे-लंबे लेख छपे. इंग्लैंड और यहां तक कि पड़ोसी पाकिस्तान के पेट में भी दर्द हुआ. लेकिन लगता है कि अब समस्या का हल मिल जाएगा.

हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज डेरा सच्चा सौदा को जाकर 50 लाख का चेक दे आए. इस, उम्मीद में कि 'तिरंगा रुमाल छू' खेल से भारत में खेलों के प्रति जागरूकता आएगी. उदित साहब ने भी सुझाव दे ही दिया है. लेकिन, क्या दिया अब यही समझ नहीं आ रहा.

 बोल्ट के गोल्ड पर अजीब दलील!

वैसे, दुनिया भर के बेहतरीन एथलीट क्या खाते हैं और हमारे वाले क्या खाते हैं. इसके बारे में...

सोशल मीडिया की लीला अपरंपार है. कल 'आप' की बारी थी, आज बीजेपी की है. हरियाणा विधानसभा में जैन धर्मगुरु के प्रवचन कार्यक्रम पर विशाल डडलानी के ट्वीट को लेकर लोगों ने ऐसी खिंचाई की कि वे सफाई देते-देते थक गए. लेकिन तीर तो निकल चुका था. आखिरकार डडलानी साहब ने राजनीति और बयानबाजी दोनों से ही तौबा करने का फैसला कर लिया. अब आज के लिए मसाला बीजेपी के सांसद उदित राज ने मुहैया करा दिया है.

उदित राज का एक ट्वीट विवादों में है. उदित राज ने ट्वीट किया कि उसेन बोल्ट अगर नौ ओलंपिक गोल्ड जीतने में सफल हुए हैं तो इसलिए क्योंकि वो दिन में बार बीफ खाते थे.

अब विवाद तो होना था. मसला जो बीफ का था, ऊपर से ऐसी बातें वो कह रहा है जो बीजेपी का सांसद है! वैसे, बीजेपी कनेक्शन न भी होता तो हंगामे के लिए 'बीफ' शब्द तो काफी है ही. भारत ने रियो ओलंपिक में दो मेडल ही क्यों जीते. ये हमारे लिए ही नहीं दुनिया के लिए भी सिरदर्द है. चीन के लेकर न्यूजीलैंड के अखबारों में लंबे-लंबे लेख छपे. इंग्लैंड और यहां तक कि पड़ोसी पाकिस्तान के पेट में भी दर्द हुआ. लेकिन लगता है कि अब समस्या का हल मिल जाएगा.

हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज डेरा सच्चा सौदा को जाकर 50 लाख का चेक दे आए. इस, उम्मीद में कि 'तिरंगा रुमाल छू' खेल से भारत में खेलों के प्रति जागरूकता आएगी. उदित साहब ने भी सुझाव दे ही दिया है. लेकिन, क्या दिया अब यही समझ नहीं आ रहा.

 बोल्ट के गोल्ड पर अजीब दलील!

वैसे, दुनिया भर के बेहतरीन एथलीट क्या खाते हैं और हमारे वाले क्या खाते हैं. इसके बारे में बात तो होनी ही चाहिए. कम से कम शर्म तो आएगी. फिर उदित राज को माइकल फेल्प्स का बायोडाटा भी तो शेयर करना चाहिए. बहरहाल, सोशल मीडिया पर हाय तौबा मची तो उदित राज ने सफाई देने का सिलसिला शुरू कर दिया. दूसरा ट्वीट करके कहा कि उन्होंने तो बस उदाहरण दिया, हमारे खिलाड़ियों को भी कुछ ऐसे रास्ते खोजने चाहिए. आप भी देखिए, हर ट्वीट में क्या-क्या कहते गए सांसद जी!

इतना कुछ कहने के बाद फिर ये भी कहते हैं कि मेरे ट्वीट को बीफ खाने की वकालत करने जैसा नहीं समझा जाए. वो तो बस बोल्ट के ट्रेनर की बात को दोहरा रहे हैं.

गौरतलब है कि उदित राज बीजेपी का दलित चेहरा हैं. हाल ही में उन्होंने गुजरात में दलितों के साथ हो रहे व्यवहार के लिए गोरक्षकों के खिलाफ भी आवाज बुलंद की थी. वैसे, इसी साल की शुरुआत में जब जेएनयू में महिषासुर इवेंट वाला मामला गर्माया था तब भी उदित राज चर्चा में आए थे. और सवालों के घेरे में थी बीजेपी. दरअसल, तब उदित राज ने कहा था कि 2013 में वे महिषासुर इवेंट में शामिल हुए थे. हालांकि, तब वो बीजेपी के सदस्य नहीं थे.

अब बीफ पर ऐसा ट्वीट और फिर सफाई. ये समझ नहीं आया कि उदित राज आखिर कहना क्या चाहते थे. क्या उदित राज ये कहना चाहते थे कि यहां के एथलीटों को बीफ परोसा जाए. और अगर नहीं तो इसका जिक्र ही क्यों किया. विशाल डडलानी ये तर्क देते रह गए कि वो बस राजनीति को धर्म से अलग रखने की बात कह रहे थे. अब वैसी ही बात उदित राज भी कर रहे हैं. खैर, इन सबसे इतर एक और बात! जो लोग ये समझते होंगे कि सोशल मीडिया आजाद है. यहां कुछ भी कहा जा सकता है, तो ये दो उदाहरण सामने हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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