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राहुल गांधी को बीजेपी हमेशा हल्के में लेने की भूल क्यों करती है?

    • आईचौक
    • Updated: 16 अप्रिल, 2021 04:56 PM
  • 16 अप्रिल, 2021 04:56 PM
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कोरोना (Coronavirus) काल की पॉलिटिक्स में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नये सिरे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गये हैं - मजे की बात ये है कि इस बार तो बीजेपी के ही एक नेता ने मौका दे दिया है.

कोरोना वायरस (Coronavirus) की ताजा लहर ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को मोदी सरकार पर हमले का नये सिरे से मौका दे दिया है - और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद तो इस मामले में वैसे ही मददगार बने हैं जैसे बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में राहुल गांधी को मददगार बताया जाता है!

पिछले साल लॉकडाउन की हड़बड़ी को लेकर राहुल गांधी के साथ साथ कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अख्तियार किये हुए थे. क्या ये विपक्ष का ही दबाव रहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन जैसे फैसलों से पीछा छुड़ाते हुए ये जिम्मेदारी पूरी तरह राज्यों की सरकारों पर छोड़ दी है - और हाल फिलहाल केंद्र की तरफ से ऐसे किसी कदम के कोई संकेत भी नहीं हैं?

अभी तो नहीं लेकिन कोरोना के पिछले प्रकोप के दौरान कई बार तो राहुल गांधी ने खुद भी और अलग अलग समय पर उनके साथी याद दिलाते रहे कि सबसे पहले कांग्रेस नेता ने ही केंद्र की मोदी सरकार को कोरोना वायरस के खतरे को लेकर अलर्ट किया था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. दरअसल, 12 फरवरी, 2020 को 'द हॉर्वर्ड गजट' की एक रिपोर्ट को टैग करते हुए राहुल गांधी ने सबको आगाह करने की कोशिश की थी कि कोरोना वायरस कितना खतरनाक हो सकता है.

हाल ही में राहुल गांधी ने विदेश वैक्सीन को लेकर मोदी सरकार को सलाह दी थी. उसके बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस नेता पर लॉबिंग का इल्जाम लगा दिया, लेकिन फिर केंद्र सरकार ने वही फैसला ले लिया जिसकी राहुल गांधी सलाह दे रहे थे - फिर क्या था ट्विटर पर लोगों ने रविशंकर प्रसाद को ट्रोल कर दिया.

हमेशा किसी को हल्के में लेना भारी भी पड़ जाता है

कोरोना वायरस से लड़ाई में तेजी लाने के मकसद से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को सलाह दी थी कि विदेशी वैक्सीनों को अप्रूवल देने की प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिये.

जैसे राहुल गांधी या सोनिया गांधी का कोई बयान आते ही बीजेपी के सीनियर नेता मोर्चा खोल देते हैं, केंद्रीय...

कोरोना वायरस (Coronavirus) की ताजा लहर ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को मोदी सरकार पर हमले का नये सिरे से मौका दे दिया है - और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद तो इस मामले में वैसे ही मददगार बने हैं जैसे बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में राहुल गांधी को मददगार बताया जाता है!

पिछले साल लॉकडाउन की हड़बड़ी को लेकर राहुल गांधी के साथ साथ कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर रुख अख्तियार किये हुए थे. क्या ये विपक्ष का ही दबाव रहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन जैसे फैसलों से पीछा छुड़ाते हुए ये जिम्मेदारी पूरी तरह राज्यों की सरकारों पर छोड़ दी है - और हाल फिलहाल केंद्र की तरफ से ऐसे किसी कदम के कोई संकेत भी नहीं हैं?

अभी तो नहीं लेकिन कोरोना के पिछले प्रकोप के दौरान कई बार तो राहुल गांधी ने खुद भी और अलग अलग समय पर उनके साथी याद दिलाते रहे कि सबसे पहले कांग्रेस नेता ने ही केंद्र की मोदी सरकार को कोरोना वायरस के खतरे को लेकर अलर्ट किया था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. दरअसल, 12 फरवरी, 2020 को 'द हॉर्वर्ड गजट' की एक रिपोर्ट को टैग करते हुए राहुल गांधी ने सबको आगाह करने की कोशिश की थी कि कोरोना वायरस कितना खतरनाक हो सकता है.

हाल ही में राहुल गांधी ने विदेश वैक्सीन को लेकर मोदी सरकार को सलाह दी थी. उसके बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस नेता पर लॉबिंग का इल्जाम लगा दिया, लेकिन फिर केंद्र सरकार ने वही फैसला ले लिया जिसकी राहुल गांधी सलाह दे रहे थे - फिर क्या था ट्विटर पर लोगों ने रविशंकर प्रसाद को ट्रोल कर दिया.

हमेशा किसी को हल्के में लेना भारी भी पड़ जाता है

कोरोना वायरस से लड़ाई में तेजी लाने के मकसद से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को सलाह दी थी कि विदेशी वैक्सीनों को अप्रूवल देने की प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिये.

जैसे राहुल गांधी या सोनिया गांधी का कोई बयान आते ही बीजेपी के सीनियर नेता मोर्चा खोल देते हैं, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर विदेशी फार्मा कंपनियों का लॉबिस्ट होने का इल्जाम लगा दिया. राहुल गांधी के लिए ये कोई नयी बात तो रही नहीं, लिहाजा खामोश हो गये.

रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर पर सवाल किया कि क्या राहुल गांधी अब फुल टाइम लॉबिंग करने की सोच रहे हैं? राफेल मामले की याद दिलाते हुए रविशंकर प्रसाद ने लिखा कि पहले वो फाइटर प्लेन की खरीद में लॉबिंग करके रक्षा सौदे को डिरेल करने की कोशिश की. साथ ही, बड़ा आरोप लगाया, 'अब वो फार्मा कंपनियों के लिए लॉबिंग करते हुए विदेशी कंपनियों की वैक्सीन को अप्रूवल देने की बात कर रहे हैं.'

रविशंकर प्रसाद की ऐसी प्रतिक्रिया किसी को भी सरप्राइज करने वाली नहीं थी. राहुल गांधी को भी नहीं. अब तक तो ऐसा ही होता आया है. सोनिया गांधी 2020 के दिल्ली दंगों को लेकर सवाल उठाती हैं, तो बीजेपी नेता 1984 के दिल्ली दंगों का मुद्दा उछाल कर धावा बोल देते हैं. राहुल गांधी अगर चीन या किसी और मुद्दे पर सवाल खड़े करते हैं तो उनको पाकिस्तान परस्त या उनकी राजनीतिक मंशा को देशद्रोही साबित करने की कवायद चालू हो जाती है.

राहुल गांधी को हमेशा हल्के में लेना बीजेपी नेताओं के लिए ठीक नहीं है

मगर हुआ ये कि राहुल गांधी के बयान और उस पर रविशंकर प्रसाद के रिएक्शन के कुछ ही दिन बाद केंद्र सरकार ने विदेशों की कई कोविड वैक्सीनों को इमरजेंसी अप्रूवल देने का फैसला कर डाला - और उसके बाद तो ट्विटर पर लोग रविशंकर प्रसाद के पीछे ही पड़ गये.

लोग तो यहां तक पूछने लगे कि अब किसे लॉबिस्ट कहेंगे? लोगों का कहना रहा कि मोदी सरकार ने ही राहुल गांधी को सही और रविशंकर प्रसाद को गलत साबित कर दिया - और ऐसा करने में चार दिन भी नहीं लगे.

अब राहुल गांधी के बोलने की बारी थी, लेकिन राहुल गांधी ने बड़े ही शालीन तरीके से रिएक्ट किया. रविशंकर प्रसाद को जवाब देने के लिए राहुल गांधी ने महात्मा गांधी के एक कथन का हवाला दिया - बिलकुल दार्शनिक अंदाज में.

राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा, 'पहले वे आपको नजरअंदाज करेंगे... फिर आप पर हंसेंगे... फिर आपसे लड़ेंगे - और फिर आप जीत जाएंगे.'

कोरोना को लेकर बेकाबू हालात ने दिया राहुल गांधी को मौका

वैसे ये कोई पहला मौका भी नहीं है कि मोदी सरकार ने राहुल गांधी की सलाह को देर से ही सही गंभीरता से लिया है, लेकिन ऐसे कम ही मौके आते हैं. कांग्रेस की नीतियों को अपनाने के मामले में मनरेगा योजना सबसे बड़ी मिसाल है. दूसरे बीजेपी नेताओं की कौन कहे, एक दौर में तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही मनरेगा का मजाक उड़ाया करते रहे, लेकिन बाद में उनकी ही सरकार ने मनरेगा योजना को हाथों हाथ ले लिया. किसानों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम के पीछे भी राहुल गांधी की ही पहल और न्याय योजना का दबाव रहा.

पिछले साल की तरह कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से इस बार भी कोरोना संकट को देखते हुए मोदी सरकार को सुझाव दिये जाने लगे हैं. सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर अपने सुझाव दिये हैं. सोनिया गांधी ने ये सुझाव कांग्रेस शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों चर्चा करने के बाद लिखा है.

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खास तौर पर प्रधानमंत्री मोदी के सामने तीन मांगें रखी हैं. सोनिया गांधी की मांग है कि राज्यों के पास तीन से पांच दिन का वैक्सीन स्टॉक बचा है, इसलिए अर्जेंट लेवल पर सप्लाई किया जाये - और कोविड से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को जीएसटी से मुक्त किया जाये. साथ ही, महामारी से प्रभावित गरीबों को 6000 रुपये दिये जायें और बड़े शहरों से वापस लौट रहे लोगों के लिए घर पहुंचने के इंतजाम किये जायें.

विदेशी कोविड वैक्सीन के मामले की ही तरह कांग्रेस ने सीबीएसपी परीक्षा को लेकर मोदी सरकार के फैसले पर भी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस की तरफ से ट्विटर पर लिखा गया है, 'बहुत अच्छा किया मोदी जी कि आपने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सलाह को सुना... कांग्रेस पार्टी देश को बदलने में एक लंबा रास्ता तय करेगी... ये हमारा लोकतांत्रिक कर्तव्य है कि लोगों की भलाई के लिए साथ काम करें - ये देखना अच्छा है कि बीजेपी ने अहंकार से आगे राष्ट्र को रखा.'

अब तो मौका भी मिल गया है. राहुल गांधी कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में 11 से 14 अप्रैल के बीच वैक्सीनेशन को लेकर कोरोना उत्सव मनाने का सुझाव दिया था.

राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है - "ना टेस्ट हैं, ना हॉस्पिटल में बेड, ना वेंटिलेटर हैं, ना ऑक्सीजन, वैक्सीन भी नहीं है, बस एक उत्सव का ढोंग है.'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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