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जम्मू-कश्मीर में BJP पहले तिरंगा फिर भगवा फहराने की तैयारी में

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 01 अगस्त, 2019 03:53 PM
  • 01 अगस्त, 2019 03:49 PM
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केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी जम्मू-कश्मीर में आर-पार की जंग के लिए उतर रही है. पहली कोशिश तो उसकी संगठन की मजबूती है, ताकि अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति बन पड़े. वैसे महबूबा मुफ्ती के साथ एक बार फिर कुछ समीकरण बनते लग रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार भले ही फेल हो गयी हो, लेकिन बीजेपी तो फायदे में ही रही. बेमेल गठबंधन बताये जाने के बावजूद बीजेपी ने बड़प्पन दिखाते हुए पीडीपी के साथ सरकार बनायी - और जब पीडीपी कहीं की नहीं रह गयी तो समर्थन वापस ले लिया.

समर्थन वापसी को लेकर भी बीजेपी ने सारी तोहमत पीडीपी के ऊपर जड़ दी. ये बताने के लिए भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर जम्मू पहुंचे - और वहीं से राष्ट्रवाद का अलख जगाया. 23 जून 2018 को जम्मू-कश्मीर से अमित शाह ने कोलकाता को ऐसा जोड़ा कि आम चुनाव में पश्चिम बंगाल में पांव जमाते हुए सत्ता में बीजेपी की दोबारा वापसी करा दी - अब बारी जम्मू-कश्मीर की है.लोक सभा के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव न कराने को लेकर विपक्षी राजनीतिक के निशाने पर रही बीजेपी तैयारियों में युद्ध स्तर पर जुट चुकी है.

अब तक जो संकेत मिल रहे हैं वे तो यही बता रहे हैं कि बीजेपी पहले सूबे में तिरंगा फहरा कर माहौल बनाना चाहती है और उसके बाद भगवा लहराने की कवायद शुरू करना चाहती है - ये मिशन कश्मीर कुछ अलग लग रहा है.

सवाल है कि बीजेपी आर पार की लड़ाई बीजेपी इस बार अकेले लड़ेगी या फिर महबूबा मुफ्ती के साथ कोई चुनावी समझौता होने वाला है?

अबकी बार जम्‍मू-कश्‍मीर में कैसी सरकार?

2019 के आम चुनाव में बीजेपी को जम्मू-कश्मीर से 17 लाख वोट मिले थे - और यही वजह है कि पार्टी ने जब सदस्यता अभियान शुरू किया तो राज्य में इतने ही सदस्य बनाने का लक्ष्य रख दिया. जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के पहले से 5 लाख सदस्य थे, इसलिए ताजा सदस्यता अभियान के दौरान 12 लाख ही नये सदस्य बनाने हैं.

बीजेपी का कहना है कि कश्मीर घाटी में 1 लाख सदस्य बनाने का रिकॉर्ड कायम हुआ है - और इसका जश्न 15 अगस्त को मनाये जाने की तैयारी चल रही है. जश्न के तहत बीजेपी के पंचायत प्रमुख अपने अपने इलाके में तिरंगा फहराएंगे और उन्हें इस दौरान पूरी सुरक्षा दी जाएगी.

कश्मीर घाटी के मुकाबले जम्मू क्षेत्र में...

जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार भले ही फेल हो गयी हो, लेकिन बीजेपी तो फायदे में ही रही. बेमेल गठबंधन बताये जाने के बावजूद बीजेपी ने बड़प्पन दिखाते हुए पीडीपी के साथ सरकार बनायी - और जब पीडीपी कहीं की नहीं रह गयी तो समर्थन वापस ले लिया.

समर्थन वापसी को लेकर भी बीजेपी ने सारी तोहमत पीडीपी के ऊपर जड़ दी. ये बताने के लिए भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर जम्मू पहुंचे - और वहीं से राष्ट्रवाद का अलख जगाया. 23 जून 2018 को जम्मू-कश्मीर से अमित शाह ने कोलकाता को ऐसा जोड़ा कि आम चुनाव में पश्चिम बंगाल में पांव जमाते हुए सत्ता में बीजेपी की दोबारा वापसी करा दी - अब बारी जम्मू-कश्मीर की है.लोक सभा के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव न कराने को लेकर विपक्षी राजनीतिक के निशाने पर रही बीजेपी तैयारियों में युद्ध स्तर पर जुट चुकी है.

अब तक जो संकेत मिल रहे हैं वे तो यही बता रहे हैं कि बीजेपी पहले सूबे में तिरंगा फहरा कर माहौल बनाना चाहती है और उसके बाद भगवा लहराने की कवायद शुरू करना चाहती है - ये मिशन कश्मीर कुछ अलग लग रहा है.

सवाल है कि बीजेपी आर पार की लड़ाई बीजेपी इस बार अकेले लड़ेगी या फिर महबूबा मुफ्ती के साथ कोई चुनावी समझौता होने वाला है?

अबकी बार जम्‍मू-कश्‍मीर में कैसी सरकार?

2019 के आम चुनाव में बीजेपी को जम्मू-कश्मीर से 17 लाख वोट मिले थे - और यही वजह है कि पार्टी ने जब सदस्यता अभियान शुरू किया तो राज्य में इतने ही सदस्य बनाने का लक्ष्य रख दिया. जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के पहले से 5 लाख सदस्य थे, इसलिए ताजा सदस्यता अभियान के दौरान 12 लाख ही नये सदस्य बनाने हैं.

बीजेपी का कहना है कि कश्मीर घाटी में 1 लाख सदस्य बनाने का रिकॉर्ड कायम हुआ है - और इसका जश्न 15 अगस्त को मनाये जाने की तैयारी चल रही है. जश्न के तहत बीजेपी के पंचायत प्रमुख अपने अपने इलाके में तिरंगा फहराएंगे और उन्हें इस दौरान पूरी सुरक्षा दी जाएगी.

कश्मीर घाटी के मुकाबले जम्मू क्षेत्र में बीजेपी हमेशा मजबूत रही है और सदस्यता अभियान में भी इस बात का सबूत मिल रहा है. घाटी में भले ही एक लाख सदस्यों के बनने से रिकॉर्ड कायम हुआ हो, लेकिन इसी अवधि में जम्मू में 3 लाख सदस्य बने हैं. कश्मीर घाटी से खास बात ये जानने को मिल रही है कि करनाह विधानसभा में 6 हजार से ज्यादा लोगों ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है जो कश्मीर में सबसे ज्यादा है. 6 जुलाई को शुरू हुआ बीजेपी का सदस्यता अभियान 11 अगस्त तक चलेगा.

चुनावी तैयारियों के तहत बीजेपी ने अविनाश राय खन्ना को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त कर दिया है. खन्ना को तत्काल प्रभाव से चुनावी तैयारियों में जुट जाने को कहा गया है.

तीन तलाक पर महबूबा के सपोर्ट के मायने कहां तक समजे जायें?

तारीख का अंदाजा तो किसी को नहीं है, लेकिन इतना तय जरूर लग रहा है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव जल्द ही होने जा रहे हैं. देखना होगा कि क्या ये महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा के साथ ही होने वाला है या आगे-पीछे?

अभी अभी मोदी कैबिनेट 2.0 ने जम्मू-कश्मीर में भी आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. इसे भी जम्मू-कश्मीर को लेकर बीजेपी सरकार की चुनावी तैयारियों का हिस्सा माना जा सकता है. कैबिनेट के फैसल की जानकारी दी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने, 'सामाजिक न्याय की जो बड़ी पहल की थी कि आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण नौकरी में और शिक्षा में मिलेगा. यही अब जम्मू-कश्मीर में भी लागू करने का निर्णय किया गया है.'

अबकी बार जम्मू-कश्मीर में सरकार किसकी बनती है ये तो नतीजे बताएंगे, लेकिन बीजेपी सूबे में भगवा लहराने से पहले तिरंगा फहराने की तैयारी कर रही है. साफ है कि बीजेपी राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को इस पार या उस पार खड़ा करना चाह रही है.

अमित शाह के गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद से मोदी सरकार की कश्मीर पॉलिसी कुछ ज्यादा ही आक्रामक नजर आ रही है. हाल ही में जब घाटी में 10 हजार सुरक्षा बलों को भेजे जाने की खबर आयी तब से हड़कंप मचा हुआ है. जम्मू-कश्मीर से धारा 35A खत्म करने की भी अफवाह शुरू हो गयी थी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी थीं, लेकिन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सलाह दी है कि लोग ऐसी बातों पर ध्यान न दिया करें.

सच साबित होने वाली है महबूबा की बात!

जम्मू-कश्मीर में धारा 35ए को लेकर राज्यपाल के बयान के बावजूद बीजेपी महासचिव राम माधव ने गुगली छोड़ दी है. राम माधव ही महबूबा मुफ्ती की पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनवाने और खत्म करने में लीड रोल में नजर आये. राम माधव ने मीडिया से बातचीत में जम्मू-कश्मीर को लेकर दो बातें कही हैं - और दोनों ही कई चीजों की ओर इशारा कर रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर में धारा 35ए खत्म करने की अफवाहों के बीच जब राम माधव से पूछा गया तो ऐसा द्विअर्थी जवाब दिया कि लोग अपने अपने तरीके से समझते रहें. राम माधव बोले - 'जम्मू और कश्मीर के कल्याण के लिए हर जरूरी काम करेंगे.' ध्यान देने वाली बात ये है कि बीजेपी 2019 के चुनाव में पूरे देश से वादा कर चुकी है कि वो सत्ता में वापसी होने पर धारा 35ए और 370 को खत्म करने के साथ ही, घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी सुनिश्चित करने की कोशिश करेगी. राम माधव के इस बयान के बाद तो लग रहा है कि सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद जो चर्चाएं गर्म हैं वे यूं ही नहीं हैं.

अपने राजनीतिक बयान में राम माधव ने वैसे तो महबूबा मुफ्ती के 'बारूदी' बातों को लेकर बड़ी ही सख्त टिप्पणी की और कहा कि पीडीपी नेता खुद को प्रासंगिक बनाये रखने के लिए कुछ भी बोलती जा रही हैं, लेकिन शुक्रिया कह कर और भी सस्पेंस बढ़ा दिया. तीन तलाक बिल को लेकर महबूबा मुफ्ती ने भी कड़ा विरोध जताया था, लेकिन राज्य सभा में इसे पास कराने में जो पार्टियां मोदी सरकार की मददगार बनीं उनमें पीडीपी भी शामिल रही. बीजेपी नेता राम माधव ने इस बात के लिए बगैर नाम लिये शुक्रिया कहा है.

राम माधव ने कहा, 'संसद में जिस तरह कुछ लोगों ने गैरहाजिर रहकर तीन तलाक बिल को समर्थन दिया उसके लिए हम धन्यवाद देते हैं.'

बीजेपी नेता ने ऐसे दलों को यूं ही मोदी सरकार का सपोर्ट करते रहने की सलाह दी. राम माधव ने कहा, 'इसी तरह जो अच्छे काम पीएम मोदी करते हैं उसका समर्थन करो, खुलकर नहीं कर सकते तो अनुपस्थित रहो.'

क्या ये पॉलिटिकल एक्सचेंज ऑफर फिर से बीजेपी और पीडीपी के बीच किसी तरह के गठबंधन की ओर इशारा करता है? जवाब के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. हालांकि, महबूबा मुफ्ती की एक बात तो सच साबित होने जा रही है, ऐसा लगता है. एक बार महबूबा मुफ्ती ने कहा था, 'कश्मीर समस्या को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही सुलझा सकते हैं' - लगता है वो अच्छा वक्त आने वाला है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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