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7 दिनों के अंदर भाजपा पर लगने वाले तीन दाग

    • अशोक उपाध्याय
    • Updated: 18 अगस्त, 2017 10:06 PM
  • 18 अगस्त, 2017 10:06 PM
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यह भाजपा के शासन काल का एक ऐसा अध्याय है जिसको न केवल पार्टी भूलना चाहेगी. बल्कि यह भी प्रयास करेगी की लोग भी इसको यथाशीघ्र भूल जाएं.

11 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से 48 घंटे से भी कम समय में 36 बच्चों की मौत ने पुरे देश को झकझोर कर रख दिया. लोग आहत हैं. भाजपा के समर्थक भी खुलकर सरकार को कोस रहे हैं.

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने लोगों के भावनाओं के अनुकूल ही कहा कि बिना ऑक्सीजन के इन बच्चों की मौत हादसा नहीं, हत्या है. उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी कहा की मौत सिर्फ मौत नहीं बल्कि नरसंहार है. इन मौतों को लेकर विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर है. सभी पार्टियों ने इस मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने की कवायद शुरू कर दी है. हालांकि प्रदेश सरकार एवं भाजपा कह रही है की मौत ऑक्सीजन के कमी के चलते नहीं हुई. पर यह स्वीकार कर रही है की अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी थी.

बीजेपी बैकफुट पर आ गई है

ये सफाई पर सफाई दे रहे हैं. लेकिन अधिकतर लोग इनकी बात को मानने को तैयार नहीं दिख रहे है. बच्चों की मौत की ख़बर केवल भारत के ही नहीं बल्कि विदेशी मीडिया में भी छाई हुई थी. वैसे मीडिया हाउस भी जो की प्रायः मोदी एवं भाजपा के वंदना में लगे रहते हैं, खुलकर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते नजर आये. अमित शाह ने कहा की इतने बड़े देश में बहुत सारे हादसे हुए, पहली बार ऐसा हादसा नहीं हुआ है. उनके इस वक्तव्य को विपक्ष ने उनकी संवेदनहीनता बताया. इस खबर से भाजपा पूरी तरह बैक फुट पर आ गई है. यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं नरेंद्र मोदी के साख पर बहुत बड़ा बट्टा है.

यह भाजपा के शासन काल का एक ऐसा अध्याय है जिसको न केवल पार्टी भूलना चाहेगी. बल्कि यह भी प्रयास करेगी की लोग भी इसको यथाशीघ्र भूल जाएं. लेकिन ऐसा नहीं है की भाजपा को हाल फिलहाल में केवल यही एक झटका लगा है. बल्कि सात दिन में...

11 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से 48 घंटे से भी कम समय में 36 बच्चों की मौत ने पुरे देश को झकझोर कर रख दिया. लोग आहत हैं. भाजपा के समर्थक भी खुलकर सरकार को कोस रहे हैं.

नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने लोगों के भावनाओं के अनुकूल ही कहा कि बिना ऑक्सीजन के इन बच्चों की मौत हादसा नहीं, हत्या है. उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी कहा की मौत सिर्फ मौत नहीं बल्कि नरसंहार है. इन मौतों को लेकर विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर है. सभी पार्टियों ने इस मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने की कवायद शुरू कर दी है. हालांकि प्रदेश सरकार एवं भाजपा कह रही है की मौत ऑक्सीजन के कमी के चलते नहीं हुई. पर यह स्वीकार कर रही है की अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी थी.

बीजेपी बैकफुट पर आ गई है

ये सफाई पर सफाई दे रहे हैं. लेकिन अधिकतर लोग इनकी बात को मानने को तैयार नहीं दिख रहे है. बच्चों की मौत की ख़बर केवल भारत के ही नहीं बल्कि विदेशी मीडिया में भी छाई हुई थी. वैसे मीडिया हाउस भी जो की प्रायः मोदी एवं भाजपा के वंदना में लगे रहते हैं, खुलकर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते नजर आये. अमित शाह ने कहा की इतने बड़े देश में बहुत सारे हादसे हुए, पहली बार ऐसा हादसा नहीं हुआ है. उनके इस वक्तव्य को विपक्ष ने उनकी संवेदनहीनता बताया. इस खबर से भाजपा पूरी तरह बैक फुट पर आ गई है. यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं नरेंद्र मोदी के साख पर बहुत बड़ा बट्टा है.

यह भाजपा के शासन काल का एक ऐसा अध्याय है जिसको न केवल पार्टी भूलना चाहेगी. बल्कि यह भी प्रयास करेगी की लोग भी इसको यथाशीघ्र भूल जाएं. लेकिन ऐसा नहीं है की भाजपा को हाल फिलहाल में केवल यही एक झटका लगा है. बल्कि सात दिन में भाजपा को लगने वाला ये तीसरा झटका था, जिसको पार्टी भूलना चाहेगी. गोरखपुर हादसे से बस दो दिन पहले, 9 अगस्त को गुजरात राज्यसभा चुनाव में हाई-वोल्टेज ड्रामे में भाजपा के तमाम कोशिशों को धराशाई करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल ने जीत दर्ज की. भाजपा के चाणक्य एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, अहमद पटेल को हराने के लिए खुद अहमदाबाद में डेरा डाले हुए थे.

लेकिन कांग्रेस के चाणक्य अहमद पटेल ने बीजेपी की रणनीति को ध्वस्त करते हुए बाजी मार ली. भाजपा के उम्मीदवार बलवंत राजपूत चुनाव हार गए. वहीं बाकी दो सीटों पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को जीत मिली. कांग्रेस के चाणक्य अहमद पटेल से बीजेपी के चाणक्य अमित शाह के लड़ाई में अमित शाह पिछड़ गए. हाल के दिनों में अमित शाह की यह पहली हार थी. गुजरात के विधान सभा चुनाव से ठीक पहले, इस हार को, भाजपा जल्द से जल्द भूलना चाहेगी.

हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला पर एक आईएएस अधिकारी की बेटी वर्णिका कुंडू के साथ छेड़छाड़ भी पार्टी के लिया अच्छा खासा सिरदर्द बन गया. आरोप है की 4 अगस्त के रात में विकास बराला और उसके दोस्त ने वर्णिका कुंडू की कार का पीछा किया. कार का दरवाज़ा खोलने की कोशिश की गई. इसी दौरान लड़की के कई बार फोन करने पर पुलिस वहां पहुंची और दोनों को गिरफ़्तार कर लिया.

पुलिस स्टेशन से ही अभियुक्त को बेल दे दिया गया. पीड़िता के लिखित बयान के बावजूद आरोपियों पर अपहरण का आरोप नहीं लगाया. और तो और उन्हें हिरासत में कोल्ड कॉफी भी सर्व की गई. विपक्ष ने कहा कि सरकार हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष और उनके बेटे को बचाने की कोशिश कर रही है. काफी हंगामे के बाद, चंडीगढ़ पुलिस को FIR में अपहरण की धारा डालनी पड़ी एवं फिर से गिरफ्तार करना पड़ा.

विपक्ष के साथ ही साथ भाजपा के एक सांसद ने नैतिक आधार पर बराला को पद से इस्तीफा देने के लिए कहा. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोपियों को 'नशे में धुत गुंडे' बताते हुए कहा कि वह पीआईएल दाखिल करेंगे. इन तीनों ही मुद्दों पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है. गोरखपुर एवं चंडीगढ़ के मामले में जनमानस भी भाजपा के खिलाफ खड़ा नजर आया. 7 दिनों के अंदर भाजपा को इन तीन मुद्दों ने झकझोर कर रख दिया है. भाजपा के दामन पर लगने वाले ये ऐसे धब्बे हैं जिनको न केवल पार्टी जल्द से जल्द धोना चाहेगी पर हर संभव प्रयास करेगी की ये जनमानस के मनमस्तिष्क से भी जल्द से जल्द मिट जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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