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एक 'माफिया डॉन' बीजेपी में एंट्री लेकर संस्कारी कैसे हो गया!

    • आईचौक
    • Updated: 18 जून, 2019 10:20 AM
  • 04 मई, 2019 03:17 PM
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साध्वी प्रज्ञा को टिकट दिए जाने के बाद भाजपा एक बार फिर तीखी आलोचना झेल रही है, क्योंकि इस बार भाजपा में शामिल हुआ शख्स माफिया डॉन रह चुका है.

साध्वी प्रज्ञा को जब भाजपा ने भोपाल से टिकट दी तो भाजपा की बहुत आलोचना की गई कि कैसे भाजपा ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी रहीं प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बना दिया. साध्वी अभी भी मालेगांव मामले में निर्दोष साबित नहीं हुईं हैं और बेल पर बाहर हैं इसलिए लोगों को बोलने का मौका मिला. लेकिन बेल पर बाहर आया व्यक्ति अगर चुनाव लड़े तो ये कहीं न कहीं अजीब तो लगता है.

कानूनन साध्वी पज्ञा चुनाव लड़ सकती हैं तभी लड़ रही हैं. लेकिन कहीं न कहीं इससे भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचता है. लेकिन अगर कानून न तोड़ा जा रहा हो तो छवि भाजपा के लिए मायने नहीं रखती. और शायद इसीलिए भाजपा एक बार फिर आलोचनाओं का शिकार हो रही है. इस बार बिहार के माफिया डॉन राजन तिवारी को भाजपा में शामिल कर लिया गया है. भाजपा के वरिष्ठ नेता आशुतोष टण्डन ने राजन तिवारी को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई.

राजन तिवारी की उपलब्धि ये है कि वो बिहार के माफिया डॉन रह चुके हैं

कहा जा रहा है कि राजन को चुपके से भाजपा की सदस्यता दिलाई गई है. चुपके से क्यों, कारण हम बताते हैं-

राजन तिवारी का बायोडेटा ही कुछ ऐसा है

राजन तिवारी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला है, यहीं पढ़ा-लिखा लेकिन युवा अवस्था में अपराध की दुनिया में कदम रख लिया. राजन को कुख्यात माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला का साथी बताया जाता है. जिसका नाम कई आपराधिक घटनाओं में शामिल रह चुका है. और एक समय वो पुलिस की वॉन्टेड लिस्ट में भी था. लेकिन फिर वो यूपी से बिहार भाग गया. फिर बिहार के अपराध जगत में भी खूब नाम कमाया. 1998 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद जो अस्पताल में भर्ती ते वहां उनकी निर्मम हत्या कर दी गई. 2009 में सीबीआई की एक अदालत ने श्रीप्रकाश...

साध्वी प्रज्ञा को जब भाजपा ने भोपाल से टिकट दी तो भाजपा की बहुत आलोचना की गई कि कैसे भाजपा ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी रहीं प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बना दिया. साध्वी अभी भी मालेगांव मामले में निर्दोष साबित नहीं हुईं हैं और बेल पर बाहर हैं इसलिए लोगों को बोलने का मौका मिला. लेकिन बेल पर बाहर आया व्यक्ति अगर चुनाव लड़े तो ये कहीं न कहीं अजीब तो लगता है.

कानूनन साध्वी पज्ञा चुनाव लड़ सकती हैं तभी लड़ रही हैं. लेकिन कहीं न कहीं इससे भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचता है. लेकिन अगर कानून न तोड़ा जा रहा हो तो छवि भाजपा के लिए मायने नहीं रखती. और शायद इसीलिए भाजपा एक बार फिर आलोचनाओं का शिकार हो रही है. इस बार बिहार के माफिया डॉन राजन तिवारी को भाजपा में शामिल कर लिया गया है. भाजपा के वरिष्ठ नेता आशुतोष टण्डन ने राजन तिवारी को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई.

राजन तिवारी की उपलब्धि ये है कि वो बिहार के माफिया डॉन रह चुके हैं

कहा जा रहा है कि राजन को चुपके से भाजपा की सदस्यता दिलाई गई है. चुपके से क्यों, कारण हम बताते हैं-

राजन तिवारी का बायोडेटा ही कुछ ऐसा है

राजन तिवारी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का रहने वाला है, यहीं पढ़ा-लिखा लेकिन युवा अवस्था में अपराध की दुनिया में कदम रख लिया. राजन को कुख्यात माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला का साथी बताया जाता है. जिसका नाम कई आपराधिक घटनाओं में शामिल रह चुका है. और एक समय वो पुलिस की वॉन्टेड लिस्ट में भी था. लेकिन फिर वो यूपी से बिहार भाग गया. फिर बिहार के अपराध जगत में भी खूब नाम कमाया. 1998 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद जो अस्पताल में भर्ती ते वहां उनकी निर्मम हत्या कर दी गई. 2009 में सीबीआई की एक अदालत ने श्रीप्रकाश शुक्‍ला और राजन तिवारी समेत 5 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई. हालांकि 2014 में पटना हाई कोर्ट ने सभी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. लेकिन तभी से राजन तिवारी के नाम के आगे बाहुबली जुड़ गया.

सजा होने से पहले राजन तिवारी की दिलचस्पी राजनीति में होने लगी थी और बिहार से वो दो बार विधायक भी बने. जेल से बाहर आए तो आरजेडी में शामिल हुए. साल 2017 में यूपी में वापसी करने का मन हुआ तो बसपा के साथ हो लिए और अब बीजेपी में शरण मिली. वर्तमान में इनपर हत्या, लूट और अपहरण के 10 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.

राजन तिवारी को मिला भाजपा का साथ

तो ये हैं भाजपा में शामिल हुए इस नए राजन तिवारी का बायोडाटा जो लोगों को चुभ रहा है. चुभना स्वाभाविक भी तो है. लेकिन बताया जा रहा है कि तिवारी के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी को पूर्वांचल में फायदा मिल सकता है इसलिए भाजपा को कोई समस्य नहीं है.

सोशल मीडिया पर भाजपा की खूब आलोचनाएं हो रही हैं. भाजपा का party with a difference कहा जा रहा है.

कहा जा रहा है कि बिहार में जब किसी भी पार्टी ने उन्हें टिकिट देने से मना कर दिया तो वो भाजपा में शामिल हो गए.

 

लोगों का ये भी कहना था कि प्रज्ञा आ सकती हैं तो राजन क्या चीज हैं

लोगों ने बाकी अपराधियों का नाम भी गिनाए और कहा कि इन्हें भी भाजपा में शामिल कर लेना चाहिए.

हालांकि बहुत से लोग ऐसे भी थे जिन्होंने राजन तिवारी को 'शेर-ए-बिहार' की उपाधि भी दे डाली और भाजपा में शामिल होने के पीछे बड़े ही रोचक कारण दिए.

ऐसे में भला बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव को बुरा क्यों नहीं लगेगा

तो राजन तिवारी का भाजपा में शामिल होना भले ही लोगों को खटक रहा हो लेकिन राजन के भाजपा में आने के जो कारण हैं वो पार्टी को उनके हित में ही नजर आते हैं. हो सकता है कि भाजपा में शामिल होने पर राजन तिवारी के पाप धुल जाएं, लेकिन इस बात पर बहस हमेशा होती रहेगी क्योंकि आरोपी या अपराधी दोनों ही समाज को फूटी आंख नहीं सुहाते. एक बार को पब्लिक अभिनेता को नेता बनते देख सकती है, लेकिन एक माफिया डॉन को सत्ता में देखना भला कौन चाहेगा?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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