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क्या यह बिहार में 'मंगलराज' की आहट है...

    • सरोज कुमार
    • Updated: 03 मार्च, 2016 04:02 PM
  • 03 मार्च, 2016 04:02 PM
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इन दिनों जब बिहार में 'जंगलराज' की वापसी का ढिंढोरा पिटा जा रहा है, क्या आप इस राज्य में अपराध के आंकड़ों पर एक नजर डालना चाहेंगे? क्योंकि अपराध दर की बात करें तो एनसीआरबी डाटा तो बिहार से ज्यादा दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान की ओर उंगली उठाता है.

इन दिनों जब बिहार में 'जंगलराज' की वापसी का ढिंढोरा पिटा जा रहा है, क्या आप इस राज्य में अपराध के आंकड़ों पर एक नजर डालना चाहेंगे? अगर आप विपक्ष का 'कौवा कान ले गया' वाली बात पर ही मुतमइन हैं तब तो रहने दें. लेकिन थोड़े तर्क के साथ इसे समझना चाहते हैं तो आपको राज्य में अपराध के आंकड़ो पर गौर करना चाहिए.

हाल ही में बिहार पुलिस ने बीते साल के आखिरी महीने यानी दिसंबर के अपराध आंकड़े भी जाहिर कर दिए हैं, इससे 2015 में कुल अपराध के आंकड़े सामने आ गए. 2014 में कुल 1,95,024 संज्ञेय अपराध हुए थे जो 2015 में 1,95,397 हो गए हैं, यानी 0.1 फीसदी (373 अपराध) की बेहद मामूली वृद्धि हुई है. वहीं 2014 में यह वृद्धि 5.44 फीसदी थी तो राज्य में बीजेपी-जेडी(यू) वाले गठजोड़ की सरकार वाले आखिरी साल यानी 2013 में यह वृद्धि 15.4 फीसदी थी.

यह तो रहे कुल अपराध के आंकड़े. अगर आप विभिन्न तरह के अपराधों की बात करें तो अपहरण और लूट को छोड़कर 2015 में हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, रोड डकैती और लूट से लेकर फिरौती के लिए अपहरण जैसे सभी तरह के संज्ञेय अपराधों में कमी आई. हत्या के मामलों में 6 फीसदी, रोड डकैती में 33 फीसदी और फिरौती के लिए अपहरण में 6 फीसदी की कमी आई. 2015 में सिर्फ अपहरण में 8.4 फीसदी और लूट में 2.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. गौरतलब कि अपहरण के 7,127 मामले दर्ज हुए, जिनमें करीब 3,000 शादी संबंधी और 1,233 प्रेम संबंध में भागने के थे, जिनमें से 26 फर्जी करार दिए गए.

लोकसभा चुनावी वर्ष यानी 2014 में दंगों में जहां 13.7 फीसदी की वृद्धि हुई थी, वहीं 2015 यानी विधानसभा चुनावी वर्ष में दंगों में 2 फीसदी की कमी हुई. 2015 में हत्या के कुल 3,178 मामले सामने आए हैं, जबकि इससे पहले बीजेपी-जेडी(यू) गठबंधन सरकार के दौरान 2011, 2012, 2013 में हत्या के मामले इससे ज्यादा थे. उन तीन वर्षों के दौरान जब सरकार में बीजेपी भी शामिल थी तब यकीनन राज्य में जंगल राज कतई नहीं था! बिहार में सरकार से बीजेपी के अलग होते ही अपराध दरों में कमी होने लगी....

इन दिनों जब बिहार में 'जंगलराज' की वापसी का ढिंढोरा पिटा जा रहा है, क्या आप इस राज्य में अपराध के आंकड़ों पर एक नजर डालना चाहेंगे? अगर आप विपक्ष का 'कौवा कान ले गया' वाली बात पर ही मुतमइन हैं तब तो रहने दें. लेकिन थोड़े तर्क के साथ इसे समझना चाहते हैं तो आपको राज्य में अपराध के आंकड़ो पर गौर करना चाहिए.

हाल ही में बिहार पुलिस ने बीते साल के आखिरी महीने यानी दिसंबर के अपराध आंकड़े भी जाहिर कर दिए हैं, इससे 2015 में कुल अपराध के आंकड़े सामने आ गए. 2014 में कुल 1,95,024 संज्ञेय अपराध हुए थे जो 2015 में 1,95,397 हो गए हैं, यानी 0.1 फीसदी (373 अपराध) की बेहद मामूली वृद्धि हुई है. वहीं 2014 में यह वृद्धि 5.44 फीसदी थी तो राज्य में बीजेपी-जेडी(यू) वाले गठजोड़ की सरकार वाले आखिरी साल यानी 2013 में यह वृद्धि 15.4 फीसदी थी.

यह तो रहे कुल अपराध के आंकड़े. अगर आप विभिन्न तरह के अपराधों की बात करें तो अपहरण और लूट को छोड़कर 2015 में हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, रोड डकैती और लूट से लेकर फिरौती के लिए अपहरण जैसे सभी तरह के संज्ञेय अपराधों में कमी आई. हत्या के मामलों में 6 फीसदी, रोड डकैती में 33 फीसदी और फिरौती के लिए अपहरण में 6 फीसदी की कमी आई. 2015 में सिर्फ अपहरण में 8.4 फीसदी और लूट में 2.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. गौरतलब कि अपहरण के 7,127 मामले दर्ज हुए, जिनमें करीब 3,000 शादी संबंधी और 1,233 प्रेम संबंध में भागने के थे, जिनमें से 26 फर्जी करार दिए गए.

लोकसभा चुनावी वर्ष यानी 2014 में दंगों में जहां 13.7 फीसदी की वृद्धि हुई थी, वहीं 2015 यानी विधानसभा चुनावी वर्ष में दंगों में 2 फीसदी की कमी हुई. 2015 में हत्या के कुल 3,178 मामले सामने आए हैं, जबकि इससे पहले बीजेपी-जेडी(यू) गठबंधन सरकार के दौरान 2011, 2012, 2013 में हत्या के मामले इससे ज्यादा थे. उन तीन वर्षों के दौरान जब सरकार में बीजेपी भी शामिल थी तब यकीनन राज्य में जंगल राज कतई नहीं था! बिहार में सरकार से बीजेपी के अलग होते ही अपराध दरों में कमी होने लगी. आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में जंगलराज तो खत्म हो रहा है.

वहीं अगर अपराध दर की बात करें तो एनसीआरबी डाटा तो बिहार से ज्यादा दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान की ओर उंगली उठाता है. इनमें से तीन राज्यों में बीजेपी की सरकार है और हाल में जाट आंदोलन के दौरान सबने देखा कि हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर की सरकार ने किस तरह के राज की झांकी पेश की. गौरतलब है कि दिल्ली में पुलिस केंद्र की बीजेपी अगुआई वाले सरकार के जिम्मे है. एनसीआरबी के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में अपराध दर जहां प्रति लाख आबादी में 174.2 थी, वहीं हरियाणा में 298.2 राजस्थान में 295, मध्य प्रदेश में 358.5 और दिल्ली में सबसे अधिक 767.4 थी. जाहिर है, बिहार में जंगलराज का शिगूफा फैला रही बीजेपी अगर राज्य सरकार की ओर उंगली उठा रही है तो उसकी बाकी उंगलियां उसकी ओर ही इशारा कर रही हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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