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300 यूनिट बिजली फ्री के बाद भगवंत मान की शर्त की आलोचना क्यों होनी चाहिए?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 19 अप्रिल, 2022 02:03 PM
  • 19 अप्रिल, 2022 02:03 PM
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पंजाब में भगवंत मान सरकार ने भले ही बिजली के मद्देनजर लोगों को बड़ी राहत दी हो लेकिन कुछ शर्तें भी रखी हैं. उन शर्तों की आलोचना हो. इससे पहले हमें इस बात को समझना होगा कि जब बात फ्री की हो तो ये शर्तें ही हैं जो लोगों को बिजली बर्बाद करने से रोकेंगी.

पंजाब विधानसभा चुनावों को हुए अभी दिन ही कितने हुए हैं. भले ही आम आदमी पार्टी ने सरकार बना ली हो, लेकिन जीत दर्ज करना अरविंद केजरीवाल के लिए भी आसान नहीं था. कांग्रेस, अकाली की तरह केजरीवाल ने भी वादे खूब किये. केजरीवाल जनता की दुखती रग जानते थे. ध्यान रहे चुनाव पूर्व आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी 'फ्री बिजली' का वही कार्ड खेला जिसकी बदौलत उन्होंने दिल्ली की कुर्सी पर कब्ज़ा किया था. अब जबकि पार्टी जीत चुकी है और भगवंत मान के रूप में हम राज्य का नया मुख्यमंत्री देख रहे हैं आम आदमी पार्टी की तरफ से पंजाब में किये गए चुनावी वादे को सिर्फ जुमला न करके धरातल पर लाया गया है. पार्टी ने अपना वादा निभा दिया है. सरकार द्वारा 1 जुलाई से 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी. वहीं सरकार ने 31 दिसंबर तक के कुछ बिजली बिलों को माफ करने का भी बड़ा फैसला भी किया है. सरकार ने भले ही बिजली के मद्देनजर लोगों को बड़ी राहत दी हो लेकिन कुछ शर्तें भी रखी हैं. उन शर्तों की आलोचना हो इससे पहले हमें इस बात को समझना होगा कि जब बात फ्री की हो तो ये शर्तें ही हैं जो लोगों को बिजली बर्बाद करने से रोकेंगी. 

 पंजाब में बिजली के मद्देनजर जो आम आदमी पार्टी ने कहा कर के दिखाया

जिक्र शर्तों का हुआ है तो बताते चलें कि सीएम मान ने कहा कि अगर कोई घर दो महीने में 600 यूनिट से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करता है, तो उन्हें पूरे बिल का भुगतान करना होगा. वहीं, उन्होंने अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग बीपीएल परिवार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का भी जिक्र किया और बड़ी बात कही है.

मान ने कहा कि इन्हें भी मुफ्त बिजली मिलेगी लेकिन यदि ये दो महीनों में 600 यूनिट से ज्यादा बिजली उपयोग करते हैं तो केवल अतिरिक्त बिल ही चुकाना होगा. वहीं मुख्यमंत्री...

पंजाब विधानसभा चुनावों को हुए अभी दिन ही कितने हुए हैं. भले ही आम आदमी पार्टी ने सरकार बना ली हो, लेकिन जीत दर्ज करना अरविंद केजरीवाल के लिए भी आसान नहीं था. कांग्रेस, अकाली की तरह केजरीवाल ने भी वादे खूब किये. केजरीवाल जनता की दुखती रग जानते थे. ध्यान रहे चुनाव पूर्व आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी 'फ्री बिजली' का वही कार्ड खेला जिसकी बदौलत उन्होंने दिल्ली की कुर्सी पर कब्ज़ा किया था. अब जबकि पार्टी जीत चुकी है और भगवंत मान के रूप में हम राज्य का नया मुख्यमंत्री देख रहे हैं आम आदमी पार्टी की तरफ से पंजाब में किये गए चुनावी वादे को सिर्फ जुमला न करके धरातल पर लाया गया है. पार्टी ने अपना वादा निभा दिया है. सरकार द्वारा 1 जुलाई से 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी. वहीं सरकार ने 31 दिसंबर तक के कुछ बिजली बिलों को माफ करने का भी बड़ा फैसला भी किया है. सरकार ने भले ही बिजली के मद्देनजर लोगों को बड़ी राहत दी हो लेकिन कुछ शर्तें भी रखी हैं. उन शर्तों की आलोचना हो इससे पहले हमें इस बात को समझना होगा कि जब बात फ्री की हो तो ये शर्तें ही हैं जो लोगों को बिजली बर्बाद करने से रोकेंगी. 

 पंजाब में बिजली के मद्देनजर जो आम आदमी पार्टी ने कहा कर के दिखाया

जिक्र शर्तों का हुआ है तो बताते चलें कि सीएम मान ने कहा कि अगर कोई घर दो महीने में 600 यूनिट से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करता है, तो उन्हें पूरे बिल का भुगतान करना होगा. वहीं, उन्होंने अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग बीपीएल परिवार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का भी जिक्र किया और बड़ी बात कही है.

मान ने कहा कि इन्हें भी मुफ्त बिजली मिलेगी लेकिन यदि ये दो महीनों में 600 यूनिट से ज्यादा बिजली उपयोग करते हैं तो केवल अतिरिक्त बिल ही चुकाना होगा. वहीं मुख्यमंत्री ने अपनी घोषणा में ये भी बताया है कि उद्योगों और कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए टैरिफ नहीं बढ़ाए जाएंगे और कृषि क्षेत्र के लिए भी मुफ्त बिजली जारी रहेगी. मान का दावा है कि पंजाब में करीब 73 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं और जो सरकार की योजना है उससे करीब 80 फीसदी लोगों या ये कहें कि 61 लाख लोगों को फायदा होगा. 

बात शर्तों की हुई है. तो फ्री बिजली के बाद जो शर्त आम आदमी पार्टी या मान सरकार की तरफ से लगाई गयी है वो इसलिए भी जायज है क्योंकि कंसम्पशन के लिहाज से एक परिवार के लिए 300 यूनिट बहुत है. यदि कोई परिवार 300 यूनिट से ज्यादा खर्च कर रहा है तो ये अपने में साफ़ है कि कहीं न कहीं उस परिवार द्वारा बिजली की बर्बादी की जा रही है.

कह सकते हैं कि इस शर्त के बाद लोग अपना बिजली का उपभोग नियंत्रित करना सीख पाएंगे. फ्री के बाद शर्तों के मद्देनजर जो लोग भी भगवंत मान सरकार, आम आदमी पार्टी, अरविंद केजरीवाल की आलोचना कर रहे हैं उन्हें इस बात को भी समझना होगा कि बिजली अपने देश में बहुतायत में पैदा नहीं हो रही है. सरकार भले ही इसे मुफ्त दे रही हो लेकिन उसके द्वारा खुद इसे ख़रीदा जा रहा है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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