• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

हाफिज पर राहुल के ट्वीट में राजनीति नहीं, आतंकी के मंसूबों पर गौर करना होगा

    • आईचौक
    • Updated: 25 नवम्बर, 2017 05:55 PM
  • 25 नवम्बर, 2017 05:55 PM
offline
ये सही है कि राहुल गांधी को तो मोदी सरकार को घेरने का बहाना चाहिये, लेकिन कहीं ऐसा न हो राजनीति के चक्कर में हाफिज के मंसूबों की ओर से ही ध्यान हट जाये.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार हमलावर हैं. तमाम सियासी मिसाइलों में से एक उन्होंने हाफिज के नाम पर भी छोड़ी है. बीजेपी ने पलटवार में अपनी लाइन पर रिएक्ट करने की रस्मअदायगी भी निभा दी है. क्या इतना ही काफी है.

हाफिज सईद पर अमेरिका अब भी डबल स्टैंडर्ड ही दिखा रहा है. पाकिस्तानी फौज हाफिज को मुख्यधारा की राजनीति में लाने की कोशिश में है. हाफिज अपने इरादे पहले भी जाहिर कर चुका है और लगातार वही तेवर दिखा रहा है. राहुल के ट्वीट में ध्यान तो इन्हीं बातों की ओर, मकसद राजनीतिक होना तो लाजिमी है.

राहुल गांधी का ट्वीट

इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी के ट्वीट में हाफिज सईद के बहाने टारगेट प्रधानमंत्री मोदी ही हैं. मगर, राहुल गांधी जिन बातों की ओर ध्यान दिला रहे हैं उन्हें क्या वैसे ही हवा में उड़ा दिया जाना चाहिये जैसे बीजेपी ने किया है?

हाफिज सईद की रिहाई पर राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में बड़ा तंज किया है. राहुल ने लिखा है - 'नरेंद्र भाई, बात नहीं बनी. आतंक का मास्टमांइड आजाद, ट्रंप ने पाक सेना को लश्कर फंडिंग में क्लीन चिट दी, गले लगाना काम नहीं आया. अब और ज्यादा गले लगाने की तत्काल जरूरत है.'

राहुल के ट्वीट पर बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने भी एक ट्वीट के जरिये ही जवाबी हमला किया है. राव का कहना है कि राहुल गांधी की आदतें नहीं बदली हैं और उनकी लश्कर से ही संवेदना झलक रही है.

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में पाकिस्तान में आतंकवाद के प्रति अमेरिकी रवैया पर भी सवाल उठाया है - और वो काफी हद तक सही भी है.

अमेरिका का दोहरा...

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार हमलावर हैं. तमाम सियासी मिसाइलों में से एक उन्होंने हाफिज के नाम पर भी छोड़ी है. बीजेपी ने पलटवार में अपनी लाइन पर रिएक्ट करने की रस्मअदायगी भी निभा दी है. क्या इतना ही काफी है.

हाफिज सईद पर अमेरिका अब भी डबल स्टैंडर्ड ही दिखा रहा है. पाकिस्तानी फौज हाफिज को मुख्यधारा की राजनीति में लाने की कोशिश में है. हाफिज अपने इरादे पहले भी जाहिर कर चुका है और लगातार वही तेवर दिखा रहा है. राहुल के ट्वीट में ध्यान तो इन्हीं बातों की ओर, मकसद राजनीतिक होना तो लाजिमी है.

राहुल गांधी का ट्वीट

इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी के ट्वीट में हाफिज सईद के बहाने टारगेट प्रधानमंत्री मोदी ही हैं. मगर, राहुल गांधी जिन बातों की ओर ध्यान दिला रहे हैं उन्हें क्या वैसे ही हवा में उड़ा दिया जाना चाहिये जैसे बीजेपी ने किया है?

हाफिज सईद की रिहाई पर राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में बड़ा तंज किया है. राहुल ने लिखा है - 'नरेंद्र भाई, बात नहीं बनी. आतंक का मास्टमांइड आजाद, ट्रंप ने पाक सेना को लश्कर फंडिंग में क्लीन चिट दी, गले लगाना काम नहीं आया. अब और ज्यादा गले लगाने की तत्काल जरूरत है.'

राहुल के ट्वीट पर बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने भी एक ट्वीट के जरिये ही जवाबी हमला किया है. राव का कहना है कि राहुल गांधी की आदतें नहीं बदली हैं और उनकी लश्कर से ही संवेदना झलक रही है.

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में पाकिस्तान में आतंकवाद के प्रति अमेरिकी रवैया पर भी सवाल उठाया है - और वो काफी हद तक सही भी है.

अमेरिका का दोहरा रवैया

वैसे तो हाफिज की रिहाई पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के चिंता जताने की खबरें हैं, लेकिन हकीकत और ही है. अमेरिका ने कहा तो ये भी है कि पाकिस्तान सरकार हाफिज सईद को गिरफ्तार कर उसके गुनाहों की सजा दे. इस क्रम में प्रवक्ता का कहना है कि लश्कर अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन है और सैकड़ों बेगुनाहों की जान ले चुका है जिसमें कई अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं. हाफिज सईद मुंबई हमले का मास्टर माइंड होने के साथ साथ लश्कर-ए-तैयबा का सरगना है जिसके ऊपर अमेरिका ने 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा है.

क्या हाफिज को लेकर अमेरिकी प्रवक्ता का बयान महज दिखावा है? अगर ऐसा नहीं है तो अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तान को 75 आतंकियों की जो सूची सौंपी उसमें हाफिज का नाम क्यों नहीं था? अमेरिकी विदेश मंत्री हाल ही में पाकिस्तान के दौरे पर गये हुए थे.

हाफिज पर पाक फौज का हाथ

10 महीने नजरबंद रहने के बाद जब हाफिज सईद रिहा हुआ तो लाहौर में अपने समर्थकों के साथ उसने केक काट कर जश्न मनाया. इस दौरान भारत विरोधी नारे भी लगे. रिहाई के बाद हाफिज ने कहा, "मुझे अमेरिका के दबाव में नजरबंद किया गया था. इसके लिए भारत सरकार ने अमेरिका से गुहार लगाई थी."

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अब्बासी भले ही आतंकियों को अमेरिका का अजीज बतायें, लेकिन ये तो साफ है कि फौज का हाथ हमेशा उसके ऊपर है. अब तो फौज भी चाहती है कि वो मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो जाये.

हाफिज के खतरनाक मंसूबे...

नवाज शरीफ के खिलाफ पनामा पेपर्स में आरोप जरूर थे, लेकिन उन्हें कुर्सी इसलिए भी गंवानी पड़ी क्योंकि पाक फौज को वो पसंद नहीं थे. नवाज शरीफ का भारत के प्रति रवैया पाक फौज को काफी अखर रहा था. हाफिज सईद भी नवाज के प्रति वैसे ही जहर उगल रहा है. हाफिज ने तो राजनीति करने के लिए राजनीतिक पार्टी भी बना ली है - मिल्ली मुस्लिम लीग. मगर, पाकिस्तानी चुनाव आयोग के अड़े होने के कारण अब तक उसे मान्यता नहीं मिल पायी है. चुनाव आयोग के चलते ही लाहौर उपचुनाव में हाफिज के उम्मीदवार पर भी लगाम कसी जा सकी और उसे शिकस्त खानी पड़ी.

ये तो अच्छा हुआ कि हाफिज की राह में आयोग आड़े आया और चुनाव प्रचार में हाफिज की तस्वीर के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी. नवाज की किस्मत अच्छी रही कि उनकी पत्नी चुनाव जीत गयीं. नवाज की पत्नी ने इमरान खान की के उम्मीदवार को 13 हजार वोटों से हराया और हाफिज के उम्मीदवार को पांच हजार से भी कम वोट मिल पाये. साल भर बाद पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं - और हाफिज भी तैयारी में पूरी शिद्दत से लगा है.

इन्हें भी पढ़ें :

26/11 के हमले का आतंकी धमकी देता है और भारत सिर्फ विचार करता है..

अरे बाबा सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक काफी नहीं, ये 'टेररिस्तान' मांगे मोर

पाकिस्तान को अचानक हाफिज सईद बोझ क्यों लगने लगा?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲