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हिंदुस्तान की इमेज को इंग्लैंड तार-तार करने की कोशिश में जुटा है!

    • आईचौक
    • Updated: 29 जनवरी, 2023 03:48 PM
  • 29 जनवरी, 2023 03:48 PM
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भारत अब G20 देशों के समूह में एक नेता के तौर पर उभर रहा है ये भी इंग्लैंड जैसे सामन्तवादी मानसिकता वाले देश को पच नहीं रहा है. ऊपर से बीबीसी की टीआरपी भी अब पहले जैसी रही नहीं तो बार-बार भारत से जुड़े उन मुद्दों को उछालता है जिन्हें भारत में ही रह रहे भारत विरोधी मानसिकता वाले समूह से समर्थन मिलता है.

बीबीसी की बनाई गई डॉक्युमेंट्री जो देश के प्रधानमंत्री मोदी जी के मुख्यमंत्री वाले कार्यकाल पर आधारित है, तो ज़ाहिर सी बात है कि उसमें गुजरात दंगों का ही ज़िक्र होगा. उसमें यही दिखाया गया होगा कि कैसे मोदी जी के उकसावे पर निर्दोष मुस्लिमों को हिंदुओं ने मार डाला. कोई हिंदू इसमें नहीं मरा. मोदी जी मुस्लिम विरोधी हैं. देश मिस्टर मुस्लिम डरा हुआ है. ठीक. अब जेएनयू से ले कर दिल्ली यूनिवर्सिटी में जो सो कॉल्ड बुद्धिजीवी पढ़ और पढ़ा रहे हैं उन्हें ये देखना है. इस डायक्यूमेंट्री की स्ट्रीमिंग करवानी है. सरकार ने जबकि इसे बैन कर दिया है फिर उन्हें ये करना है. ठीक.

अब ये जो ख़ुद को बुद्धिजीवी और ज्ञानवान साबित करने में लगे लोग हैं इनके मन में मोदी जी के प्रति नफ़रत इतनी हावी है कि इन्हें देश का सम्मान भी जाता नहीं दिखता. इनकी अक़्ल पर कुंठा का ताला यूं पड़ा है कि ये देख नहीं पा रहे कि यहां बीबीसी आख़िर क्या करने की कोशिश कर रहा है. सबसे पहले तो पिछले कुछ सालों में भारत की इमेज जो विश्वपटल पर उभरी है उस इमेज को इंग्लैंड तार-तार करने की कोशिश में जुटा है.

भारत अब G20 देशों के समूह में एक नेता के तौर पर उभर रहा है ये भी इंग्लैंड जैसे सामन्तवादी मानसिकता वाले देश को पच नहीं रहा है. ऊपर से बीबीसी की टीआरपी भी अब पहले जैसी रही नहीं तो बार-बार भारत से जुड़े उन मुद्दों को उछालता है जिन्हें भारत में ही रह रहे भारत विरोधी मानसिकता वाले समूह से समर्थन मिलता है. जैसी दिल्ली दंगों के दौरान भी बीबीसी ने जो रिपोर्टिंग की उसमें कहीं भी हिंदुओं की हत्याओं का कोई ज़िक्र नहीं था.

दुनिया की नज़रों में भारत को गिराने के लिए कोरोना के दौरान जो भी खबरें लिखीं गई और जो तस्वीरें दिखाई गई उसमें यही साबित करने की कोशिश की गई थी कि भारत कितना पिछड़ा और नकारा राष्ट्र है. और उन...

बीबीसी की बनाई गई डॉक्युमेंट्री जो देश के प्रधानमंत्री मोदी जी के मुख्यमंत्री वाले कार्यकाल पर आधारित है, तो ज़ाहिर सी बात है कि उसमें गुजरात दंगों का ही ज़िक्र होगा. उसमें यही दिखाया गया होगा कि कैसे मोदी जी के उकसावे पर निर्दोष मुस्लिमों को हिंदुओं ने मार डाला. कोई हिंदू इसमें नहीं मरा. मोदी जी मुस्लिम विरोधी हैं. देश मिस्टर मुस्लिम डरा हुआ है. ठीक. अब जेएनयू से ले कर दिल्ली यूनिवर्सिटी में जो सो कॉल्ड बुद्धिजीवी पढ़ और पढ़ा रहे हैं उन्हें ये देखना है. इस डायक्यूमेंट्री की स्ट्रीमिंग करवानी है. सरकार ने जबकि इसे बैन कर दिया है फिर उन्हें ये करना है. ठीक.

अब ये जो ख़ुद को बुद्धिजीवी और ज्ञानवान साबित करने में लगे लोग हैं इनके मन में मोदी जी के प्रति नफ़रत इतनी हावी है कि इन्हें देश का सम्मान भी जाता नहीं दिखता. इनकी अक़्ल पर कुंठा का ताला यूं पड़ा है कि ये देख नहीं पा रहे कि यहां बीबीसी आख़िर क्या करने की कोशिश कर रहा है. सबसे पहले तो पिछले कुछ सालों में भारत की इमेज जो विश्वपटल पर उभरी है उस इमेज को इंग्लैंड तार-तार करने की कोशिश में जुटा है.

भारत अब G20 देशों के समूह में एक नेता के तौर पर उभर रहा है ये भी इंग्लैंड जैसे सामन्तवादी मानसिकता वाले देश को पच नहीं रहा है. ऊपर से बीबीसी की टीआरपी भी अब पहले जैसी रही नहीं तो बार-बार भारत से जुड़े उन मुद्दों को उछालता है जिन्हें भारत में ही रह रहे भारत विरोधी मानसिकता वाले समूह से समर्थन मिलता है. जैसी दिल्ली दंगों के दौरान भी बीबीसी ने जो रिपोर्टिंग की उसमें कहीं भी हिंदुओं की हत्याओं का कोई ज़िक्र नहीं था.

दुनिया की नज़रों में भारत को गिराने के लिए कोरोना के दौरान जो भी खबरें लिखीं गई और जो तस्वीरें दिखाई गई उसमें यही साबित करने की कोशिश की गई थी कि भारत कितना पिछड़ा और नकारा राष्ट्र है. और उन सारी खबरों को ट्वीट और रीट्वीट करके भारत में रह रहे महान आत्माओं ने बीबीसी की घटिया सोच को ही बढ़ावा दिया है.

India: The Modi Question, के नाम से बनी इस डॉक्युमेंट्री को दिखाने के लिए दिल्ली में जो नौटंकी कर रहे हैं और उनको लग रहा है कि इससे मोदी जी का छीछालेदर होगा तो वो मासूम हैं. उनको पता ही नहीं है कि मोदी को जानते हैं मानते हैं उनको किसी विदेशी मीडिया हाउस कि दरकार नहीं है अपने देश के प्रधानमंत्री के साथ खड़े होने के लिए. देश जानता है और समझता भी है अंग्रेजों को और उनकी काली करतूतों को भी!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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