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मोदी इस राज्यसभा में ताकतवर हुए और अगली लोकसभा के लिए भी

    • धीरेंद्र राय
    • Updated: 19 मई, 2016 03:38 PM
  • 19 मई, 2016 03:38 PM
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ममता बनर्जी और जयललिता बीजेपी या मोदी के लिए दोस्त नहीं तो दुश्‍मन भी नहीं हैं. यानी मोदी को राज्‍यसभा में इनका सहयोग अपेक्षित है और 2019 लोकसभा चुनाव में भी...

दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी और बिहार में जेडीयू-आरजेडी का उभरना मोदी के अगले चरण की लड़ाई को सूट करता है. क्योंकि, इससे कांग्रेस का एकमात्र विपक्षी पार्टी होने का दावा कमजोर हुआ है. 5 राज्‍यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे मोदी को राज्‍यसभा में तो ताकतवर करेंगे ही, 2019 की जंग को भी आसान बनाएंगे.

पहले राज्यसभा का फ्लोर टेस्ट:

- संसद के इस ऊपरी सदन में फिलहाल बीजेपी/एनडीए अल्‍पमत में है. लेकिन इस चुनाव के बाद उसके समर्थक न सही, दोस्‍तों की संख्‍या बढ़ेगी.

- पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के चुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी और जयललिता के खिलाफ कुछ भी बोलने में सावधानी बरती. और जीत के बाद सबसे पहले वहां की दोनों दिग्‍गज महिला मुख्‍यमंत्रियों को सबसे पहले बधाई नरेंद्र मोदी ने दी है. ये औपचारिकता ही सही, लेकिन दोनों मुख्‍यमंत्रियों ने उतने ही उत्‍साह से उसका जवाब दिया है.

- संदेश ये है कि केरल-तमिलनाडु में भले बीजेपी की ताकत न दिखे, लेकिन यहां के नेतृत्‍व का साथ बीजेपी को राज्‍यसभा में मिले, इसका प्रबंध बड़े रणनीतिक ढंग से किया गया है.

- नए समीकरण के साथ राज्‍यसभा में कांग्रेस की आवाज का समर्थन घटेगा. जो कि अभी ताकतवर है.

 

2019 के लोकसभा चुनाव:

- 2014 के लोकसभा चुनाव से अब तक मोदी ने हर हार और जीत को अपने फायदे की तरफ मोड़ने का प्रयास किया है.

- कांग्रेस के अलावा देश में आम आदमी पार्टी और नीतीश के नेतृत्‍व में जेडीयू ही है, जो बीजेपी विरोधी या कहें मोदी विरोधी राजनीति कर रही हैं.

- केजरीवाल और...

दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी और बिहार में जेडीयू-आरजेडी का उभरना मोदी के अगले चरण की लड़ाई को सूट करता है. क्योंकि, इससे कांग्रेस का एकमात्र विपक्षी पार्टी होने का दावा कमजोर हुआ है. 5 राज्‍यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे मोदी को राज्‍यसभा में तो ताकतवर करेंगे ही, 2019 की जंग को भी आसान बनाएंगे.

पहले राज्यसभा का फ्लोर टेस्ट:

- संसद के इस ऊपरी सदन में फिलहाल बीजेपी/एनडीए अल्‍पमत में है. लेकिन इस चुनाव के बाद उसके समर्थक न सही, दोस्‍तों की संख्‍या बढ़ेगी.

- पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के चुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी और जयललिता के खिलाफ कुछ भी बोलने में सावधानी बरती. और जीत के बाद सबसे पहले वहां की दोनों दिग्‍गज महिला मुख्‍यमंत्रियों को सबसे पहले बधाई नरेंद्र मोदी ने दी है. ये औपचारिकता ही सही, लेकिन दोनों मुख्‍यमंत्रियों ने उतने ही उत्‍साह से उसका जवाब दिया है.

- संदेश ये है कि केरल-तमिलनाडु में भले बीजेपी की ताकत न दिखे, लेकिन यहां के नेतृत्‍व का साथ बीजेपी को राज्‍यसभा में मिले, इसका प्रबंध बड़े रणनीतिक ढंग से किया गया है.

- नए समीकरण के साथ राज्‍यसभा में कांग्रेस की आवाज का समर्थन घटेगा. जो कि अभी ताकतवर है.

 

2019 के लोकसभा चुनाव:

- 2014 के लोकसभा चुनाव से अब तक मोदी ने हर हार और जीत को अपने फायदे की तरफ मोड़ने का प्रयास किया है.

- कांग्रेस के अलावा देश में आम आदमी पार्टी और नीतीश के नेतृत्‍व में जेडीयू ही है, जो बीजेपी विरोधी या कहें मोदी विरोधी राजनीति कर रही हैं.

- केजरीवाल और नीतीश दोनों को ही राष्‍ट्रीय राजनीति पर पकड़ बनाने के लिए जिस समर्थन की जरूरत है, फिलहाल वह मिसिंग है.

- कांग्रेस लगातार हार रही है, उसका जनाधार घट रहा है. लेकिन पार्टी का नेतृत्‍व अब भी राहुल गांधी को ही बीजेपी विरोधी खेमे का नेता मानता है. जो बाकियों को अब कम स्‍वीकार्य है. अब मोदी को और क्या चाहिए.

- विधानसभा चुनावों में कांग्रेस भले बिहार में नीतीश, बंगाल में लेफ्ट, तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्‍व में चुनाव लड़े, लेकिन लोकसभा में उसे किसी और का नेतृत्‍व कभी मंजूर नहीं होगा.

- क्षेत्रीय पार्टियों में दोस्‍त ढूंढने की रणनीति बीजेपी को एकमात्र ताकतवर राष्‍ट्रीय पार्टी बनाती जा रही है. वे एक सोची समझी रणनीति के साथ मुलायम सिंह और मायावती दोनों को साधकर रखते हैं. वैसे ही जैसे, ममता, जया और नवीन पटनायक के साथ उनके रिश्‍ते हैं.

- मोदी के लिए आदर्श स्थिति यही है कि विपक्ष में टकराव और एकजुट बीजेपी की क्षेत्रीय क्षत्रपों से मित्रता बनी रहे. ऐसा ही रहा तो 2019 में फिर मोदी सरकार.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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