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सचिन पायलट पर निजी हमला कर अशोक गहलोत ने राहुल गांधी की नाराजगी मोल ली है!

    • आईचौक
    • Updated: 16 जुलाई, 2020 10:02 AM
  • 16 जुलाई, 2020 10:02 AM
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सचिन पायलट (Sachin Pilot) पर अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का निजी हमला राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को जरा भी अच्छा नहीं लगा है. आलाकमान की तरफ से गहलोत को तो हिदायत मिली ही है, सचिन के प्रति रणदीप सुरजेवाले के सुर भी नरम पड़े लगते हैं.

सचिन पायलट (Sachin Pilot) शुरू से ही खुद को पीड़ित के तौर पर पेश करते आ रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दांव-पेंच में उलझा कर अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने उनको खलनायक के तौर पर पेश कर दिया - राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और सोनिया गांधी भी अशोक गहलोत की बातों में आसानी से आ गये, नतीजा ये हुआ कि सचिन पायलट के प्रति सारी सहानुभूति खत्म हो गयी. अशोक गहलोत ने इसके लिए बड़ी ही सटीक चाल चली और उसमें कामयाब हो गये.

राजनीति में किसी से भी दुश्मनी निकालनी हो तो सबसे आसान और कारगर हथियार उसके चरित्र पर उंगली उठा देना होता है. और कुछ तो नहीं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के सामने महज ये बता देना कि सचिन पायलट बीजेपी के संपर्क में हैं, काफी था. ज्योतिरादित्य सिंधिया जो दर्द दे गये थे, नमक-मिर्च के साथ नया जख्म पुराने को भी हरा कर दिया.

अशोक गहलोत को लगा कि लाइन ठीक पकड़ी है, इसलिए आगे बढ़ते गये. हड़बड़ी में कुछ ज्यादा ही तेजी से आगे बढ़ गये और सचिन पायलट को सरेआम हॉर्स ट्रेडिंग का हिस्सा बता डाला. अब तक की अशोक गहलोत की ये सबसे बड़ी चूक साबित हुई है - और सचिन पायलट पर बड़ा इल्जाम लगाकर अशोक गहलोत ने फिर से अपनी मुसीबत बढ़ा ली है.

खबर है कि राहुल गांधी को अशोक गहलोत की ये हरकत बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी है - और अब अशोक गहलोत को सार्वजनिक तौर पर ऐसे बयान देने से बाज आने को बोल दिया गया है.

पायलट पर निजी हमले कर फंस गये गहलोत

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व को सचिन पायलट को नोटिस भेजा जाना भी अच्छा नहीं लगा था - और इसके लिए उनकी खिंचाई की गयी थी. दरअसल, कांग्रेस की याचिका पर विधानसभा स्पीकर की तरफ से 19 विधायकों को नोटिस भेजा गया है. ऐसा ही नोटिस सचिन पायलट को भी भेजा गया है और सभी से दो दिन में जवाब दाखिल करने को भी कहा गया है. सचिन पायलट इस बारे में कानूनी सलाह भी ले रहे हैं.

राहुल गांधी और सोनिया गांधी के सामने तो सचिन पायलट पर अशोक गहलोत इल्जाम लगा ही चुके थे, ऊपर से मीडिया में आकर अपनी तरफ से जो कुछ भी...

सचिन पायलट (Sachin Pilot) शुरू से ही खुद को पीड़ित के तौर पर पेश करते आ रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दांव-पेंच में उलझा कर अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने उनको खलनायक के तौर पर पेश कर दिया - राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और सोनिया गांधी भी अशोक गहलोत की बातों में आसानी से आ गये, नतीजा ये हुआ कि सचिन पायलट के प्रति सारी सहानुभूति खत्म हो गयी. अशोक गहलोत ने इसके लिए बड़ी ही सटीक चाल चली और उसमें कामयाब हो गये.

राजनीति में किसी से भी दुश्मनी निकालनी हो तो सबसे आसान और कारगर हथियार उसके चरित्र पर उंगली उठा देना होता है. और कुछ तो नहीं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के सामने महज ये बता देना कि सचिन पायलट बीजेपी के संपर्क में हैं, काफी था. ज्योतिरादित्य सिंधिया जो दर्द दे गये थे, नमक-मिर्च के साथ नया जख्म पुराने को भी हरा कर दिया.

अशोक गहलोत को लगा कि लाइन ठीक पकड़ी है, इसलिए आगे बढ़ते गये. हड़बड़ी में कुछ ज्यादा ही तेजी से आगे बढ़ गये और सचिन पायलट को सरेआम हॉर्स ट्रेडिंग का हिस्सा बता डाला. अब तक की अशोक गहलोत की ये सबसे बड़ी चूक साबित हुई है - और सचिन पायलट पर बड़ा इल्जाम लगाकर अशोक गहलोत ने फिर से अपनी मुसीबत बढ़ा ली है.

खबर है कि राहुल गांधी को अशोक गहलोत की ये हरकत बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी है - और अब अशोक गहलोत को सार्वजनिक तौर पर ऐसे बयान देने से बाज आने को बोल दिया गया है.

पायलट पर निजी हमले कर फंस गये गहलोत

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व को सचिन पायलट को नोटिस भेजा जाना भी अच्छा नहीं लगा था - और इसके लिए उनकी खिंचाई की गयी थी. दरअसल, कांग्रेस की याचिका पर विधानसभा स्पीकर की तरफ से 19 विधायकों को नोटिस भेजा गया है. ऐसा ही नोटिस सचिन पायलट को भी भेजा गया है और सभी से दो दिन में जवाब दाखिल करने को भी कहा गया है. सचिन पायलट इस बारे में कानूनी सलाह भी ले रहे हैं.

राहुल गांधी और सोनिया गांधी के सामने तो सचिन पायलट पर अशोक गहलोत इल्जाम लगा ही चुके थे, ऊपर से मीडिया में आकर अपनी तरफ से जो कुछ भी बाकी था सारा का सारा सरेआम कह डाला. सूत्रों के हवाले से ये खबर भी आयी है कि कांग्रेस नेतृत्व सचिन पायलट पर निजी हमले को लेकर भी अशोक गहलोत से खासा नाराज है.

अब तो आलाकमान की तरफ से अशोक गहलोत को साफ साफ हिदायत दे दी गयी है कि वो सार्वजनिक बयान नहीं देंगे. यही वो बात है जो अब तक सचिन पायलट के पक्ष में पहली बार देखने को मिली है. वरना, ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही अशोक गहलोत सचिन पायलट को भी 'गद्दार' साबित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखे थे.

अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के प्रति मन की पूरी भड़ास निकलते हुए यहां तक कह डाला कि उनके डिप्टी सीएम खुद भी हॉर्स ट्रेडिंग का हिस्सा थे. सचिन पायलट ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस तो टाल दी लेकिन पहले इंडिया टुडे और फिर पीटीआई को इंटरव्यू देकर साफ कर दिया कि वो बीजेपी ज्वाइन करने नहीं जा रहे हैं. लगता है सचिन पायलट का ये कहना भी कांग्रेस के भीतर उनके पक्ष में गया है. वैसे भी कांग्रेस के भीतर से सचिन पायलट के पक्ष में आवाजें उठनी तो शुरू हो गयी थीं. इंटरव्यू देना सचिन पायलट के लिए काफी फायदेमंद रहा. ऐसा करके सचिन पायलट ने अपना आधिकारिक पक्ष मीडिया के जरिये लोगों के सामने रखा और ये भी कह दिया कि अशोक गहलोत से उनको कोई निजी शिकायत नहीं है.

सचिन पायलट पर अशोक गहलोत के निजी हमले के बाद राहुल गांधी ने उनके सार्वजनिक बयान पर पाबंदी लगा दी है

लेकिन अशोक गहलोत अपनी धुन में थे, एक बार बहे तो बहते ही चले गये. सचिन पायलट के साथ साथ मीडिया को भी जिम्मेदारियों के बारे में समझाने लगे. एक बार शुरू हुए तो सचिन पायलट की शिक्षा-दीक्षा और शक्ल सूरत से लेकर संस्कार तक का मजाक उड़ा डाले.

अशोक गहलोत ने कहा - "सफाई वो ही लोग दे रहे थे जो षडयंत्र में शामिल थे... हमारे यहां पीसीसी चीफ, उप मुख्यमंत्री मुझ से डील कर रहे थे... मोबाइल नंबर दीजिये... नाम दीजिये... " लगे हाथ अशोक गहलोत ने ये दावा भी कर डाला कि हॉर्स ट्रेडिंग के उनके पास सबूत भी हैं. अशोक गहलोत ने आरोप लगाया डाला कि जो हमारे साथ नहीं हैं वो पैसे ले चुके हैं.

अशोक गहलोत ये भूल गये कि सचिन के प्रति गुस्सा निकालने के चक्कर में वो क्या क्या बोले चले गये. सचिन पायलट का समर्थन करने वाले विधायकों में काफी सीनियर नेता हैं. ऐसे भी हैं जो सात बार से विधायक हैं - और अपने अपने समाज में उनका सम्मान और पैठ है. अशोक गहलोत ने सचिन के साथ साथ उनको भी पैसे ले चुका बता कर बहुत बड़ी गलती कर दी है. अब तो इस बात से इंकार करना भी मुश्किल है कि कांग्रेस को उन विधायकों और उनके समाज की निजी नाराजगी नहीं झेलनी पड़ेगी.

अशोक गहलोत बोले - "अच्छा इंग्लिश-हिंदी बोलना, अच्छी बाइट देना... वो सबकुछ नहीं होता... आपके दिल में क्या है देश कि लिए, आपका कमिटमेंट क्या है? आपकी पार्टी की विचारधारा आपका कमिटमेंट देख जाता है - सोने की छुरी पेट में खाने के लिए नहीं होती है. समझ जाओ!"

राहुल गांधी भले ही किसी को कुछ भी कहें, लेकिन दूसरों के दूसरों पर निजी हमले वो पसंद नहीं करते. लगता है ऐसा होने पर वो अपनी नेतृत्व क्षमता पर दाग जैसा समझते हैं. राहुल गांधी कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी हमले कर सकते हैं, कभी 'चौकीदार चोर है' नारे लगा सकते हैं, कभी जवानों की 'खून की दलाली' करने का आरोप लगा सकते हैं तो कभी 'डंडा मारने' जैसी बातें भी कर सकते हैं - और ऐसी बातों का शायद ही कभी उनको अफसोस भी होता हो क्योंकि मजा तो उनको गले मिल कर आंख मारने में भी उतना ही आता है.

बावजूद इन सबके, राहुल गांधी दूसरों को इतनी छूट नहीं देते कि वो प्रधानमंत्री मोदी के लिए कुछ ऐसा वैसा बोलते रहें - मणिशंकर अय्यर से लेकर सीपी जोशी तक सभी ऐसी ही बातों के लिए राहुल गांधी की नाराजगी के शिकार हो चुके हैं और कार्रवाई से लेकर माफी तक मांगनी पड़ी है. अशोक गहलोत का नाम अभी ऐसी सूची में तो नहीं शामिल है, लेकिन जबान पर लगाम रखने का फरमान तो सुना ही दिया गया है.

जाने वाला जाएगा और रास्ता खुलेगा

सचिन पायलट के प्रति राहुल गांधी और सोनिया गांधी के भाव बदले हैं, ऐसा कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की बातों से ही लगता है. रणदीप सुरजेवाला ने अपनी ताजा प्रेस कांफ्रेंस में सचिन पायलट को 'एक होनहार नेता' बताते हुए कहा कि आलाकमान ने उनके प्रति उदारता दिखायी है. साथ ही ये भी बताया कि विधायक दल की बैठक में दो बार नहीं आने पर सचिन पायलट पर फैसला लेना पड़ा है.

रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से कहा, 'पिछले पांच दिनों से सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ-साथ सारे कांग्रेस नेतृत्व ने सारे दरवाजे खोलकर उदार हृदय से कहा कि घर का व्यक्ति अगर घर से भूलकर बाहर चला जाए तो वो परिवार का सदस्य रहता है - आप वापस चले आइये.'

बहरहाल, ये सब तो जो हो रहा है, चल ही रहा है - सबसे महत्वपूर्ण है सचिन पायलट को लेकर राहुल गांधी का बयान. राहुल गांधी कांग्रेस के छात्र संगठन NSI की मीटिंग में शामिल थे और वहीं पर सचिन पायलट का जिक्र कर अपनी बात कही.

राहुल ने कहा, 'अगर कोई पार्टी छोड़ना चाहता है तो छोड़ेगा... इससे आप जैसे युवा नेताओं के लिए दरवाजा खुलता है.'

राजस्थान प्रकरण के समानांतर और सचिन पायलट के पक्ष में कांग्रेस के भीतर उठती आवाजों के बीच राहुल गांधी का ये बयान काफी महत्वपूर्ण है. हालांकि, सूत्रों के हवाले से ये खबर आने के बाद एनएसयूआई की तरफ से ट्विटर पर बताया गया है कि वो संगठन की आंतरिक मीटिंग थी और उसमें अन्य मुद्दों पर बात हुई.

राहुल गांधी के इस बयान में भी वही भाव है जो नीतीश कुमार के बिहार में महागठबंधन छोड़कर एनडीए ज्वाइन करने पर था. जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन करने पर रहा - और अब सचिन पायलट को लेकर जारी बवाल को लेकर. शब्द भले ही बदल जातें हों, भाव वही महसूस किया जा सकता है. ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि राहुल गांधी ने खुद भी सचिन पायलट को समझाने की कोशिश की है, लेकिन सचिन पायलट का तो यही कहना है कि उनकी कांग्रेस नेतृत्व से कोई बात ही नहीं हुई.

पूरे प्रकरण में एक बात समझ नहीं आ रही है - कांग्रेस प्रवक्ता की तरफ से भी कई बार बताया गया कि सीनियर नेताओं के साथ साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक ने सचिन पायलट तक पहुंचे और समझाने की कोशिश की. दूसरी तरफ, इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा से तो उनकी बात हुई है, लेकिन राहुल गांधी या सोनिया गांधी से कोई बात नहीं हुई है. आखिर इस मामले में कहां लोचा है - कैसे समझा जाये कि कौन सच बोल रहा है?

कुछ भी हो जाये, ऐसा भी नहीं लगता कि सचिन पायलट यूं ही कुछ भी बोल कर अपने रास्ते हमेशा के लिए बंद कर लेंगे. क्या ये मुमकिन है कि सचिन पायलट ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से फोन पर बात की हो और फिर इंटरव्यू में दावा करें कि कांग्रेस के दोनों ही नेताओं से उनकी कोई बात नहीं हुई? नामुमकिन है? बीजेपी नेताओं के बारे में भले कह सकते हैं, लेकिन नाम लेकर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के बारे में ऐसा कह सकते हैं, लगता नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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