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अशोक गहलोत सरकार अब कांग्रेस विधायकों के 'होटल क्वारंटीन' की कामयाबी के भरोसे

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 02 अगस्त, 2020 01:42 PM
  • 02 अगस्त, 2020 01:41 PM
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अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) गुट के कांग्रेस विधायकों (Congress MLA) को जयपुर के होटल से जैसलमेर शिफ्ट किया जाना एहतियाती इंतजाम तो है, लेकिन सत्र शुरू होने तक उनकी निष्ठा बनाये रखना बड़ी चुनौती है - फिर भी सरकार बचाने का आखिरी उपाय वही है.

अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की सरकार के लिए राजस्थान विधानसभा का सत्र फाइनल मैच की तरह है. अब तक जो भी कवायद चलती रही, 14 अगस्त से शुरू हो रहे सत्र में फैसला हो जाएगा. फैसले की घड़ी का इंतजार हर किसी के लिए काफी मुश्किल होता है. तारीख जब दूर हो तो तैयारियों में पेस बनाये रखना भी अलग चुनौती होती है.

गहलोत गुट के विधायकों का होटल क्वारंटीन 14 बढ़ जाने के बाद जोखिम भी बढ़ गया है. ये रिस्क फैक्टर कम करने के लिए ही कांग्रेस विधायकों (Congress MLA) को जयपुर के होटल (Hotel Quarantine) से जैसलमेर शिफ्ट किया गया है. इस एहतियाती उपाय से जोखिम कम भले हुआ हो, लेकिन खत्म नहीं ही हुआ है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए राहत भरी एक और खबर आयी है - SOG जिस वायरल ऑडियो क्लिप की जांच कर रहा है वो फर्जी नहीं है. लैब में जांच से पता चला है कि क्लिप के साथ छेड़छाड़ नहीं की गयी है.

ऑडियो क्लिप के सही होने की वजह से अशोक गहलोत बीजेपी से दो-दो हाथ के मुकाबले में तो मजबूत पड़ने वाले हैं, लेकिन अमित शाह को ललकारने के बाद सरकार बचाने की लड़ाई काफी मुश्किल होने वाली है.

विधायकों को शिफ्ट क्यों किया गया

मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि अशोक गहलोत कैंप को अंदेशा रहा कि जिस होटल में कांग्रेस विधायकों को रखा गया है, उसके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है. केंद्रीय जांच एंजेंसियों की जयपुर में सक्रियता पर गहलोत सरकार की नजर तो है ही. सीबीआई को लेकर राज्य सरकार ने सर्कुलर भले ही जारी किया हो, लेकिन वो कोई कानूनी नाकाबंदी जैसा तो है नहीं. विधानसभा सत्र की तारीख से पहले ही बकरीद के अलावा रक्षाबंधन और जन्माष्टमी जैसे त्योहार भी अशोक गहलोत कैंप की फिक्र बढ़ाने वाले फैक्टर बन गये. त्योहारों की वजह से विधायकों पर घर आने का दबाव बढ़ने लगा था. कई विधायकों की डिमांड रही कि अगर राखी पर उनको घर नहीं जाने दिया जाता तो बहनों को ही होटल आने की इजाजत दी जाये.

कहते हैं इसी दौरान स्थानीय खुफिया रिपोर्ट में आशंका जतायी गयी कि घरवालों के बहाने सचिन...

अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की सरकार के लिए राजस्थान विधानसभा का सत्र फाइनल मैच की तरह है. अब तक जो भी कवायद चलती रही, 14 अगस्त से शुरू हो रहे सत्र में फैसला हो जाएगा. फैसले की घड़ी का इंतजार हर किसी के लिए काफी मुश्किल होता है. तारीख जब दूर हो तो तैयारियों में पेस बनाये रखना भी अलग चुनौती होती है.

गहलोत गुट के विधायकों का होटल क्वारंटीन 14 बढ़ जाने के बाद जोखिम भी बढ़ गया है. ये रिस्क फैक्टर कम करने के लिए ही कांग्रेस विधायकों (Congress MLA) को जयपुर के होटल (Hotel Quarantine) से जैसलमेर शिफ्ट किया गया है. इस एहतियाती उपाय से जोखिम कम भले हुआ हो, लेकिन खत्म नहीं ही हुआ है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए राहत भरी एक और खबर आयी है - SOG जिस वायरल ऑडियो क्लिप की जांच कर रहा है वो फर्जी नहीं है. लैब में जांच से पता चला है कि क्लिप के साथ छेड़छाड़ नहीं की गयी है.

ऑडियो क्लिप के सही होने की वजह से अशोक गहलोत बीजेपी से दो-दो हाथ के मुकाबले में तो मजबूत पड़ने वाले हैं, लेकिन अमित शाह को ललकारने के बाद सरकार बचाने की लड़ाई काफी मुश्किल होने वाली है.

विधायकों को शिफ्ट क्यों किया गया

मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि अशोक गहलोत कैंप को अंदेशा रहा कि जिस होटल में कांग्रेस विधायकों को रखा गया है, उसके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है. केंद्रीय जांच एंजेंसियों की जयपुर में सक्रियता पर गहलोत सरकार की नजर तो है ही. सीबीआई को लेकर राज्य सरकार ने सर्कुलर भले ही जारी किया हो, लेकिन वो कोई कानूनी नाकाबंदी जैसा तो है नहीं. विधानसभा सत्र की तारीख से पहले ही बकरीद के अलावा रक्षाबंधन और जन्माष्टमी जैसे त्योहार भी अशोक गहलोत कैंप की फिक्र बढ़ाने वाले फैक्टर बन गये. त्योहारों की वजह से विधायकों पर घर आने का दबाव बढ़ने लगा था. कई विधायकों की डिमांड रही कि अगर राखी पर उनको घर नहीं जाने दिया जाता तो बहनों को ही होटल आने की इजाजत दी जाये.

कहते हैं इसी दौरान स्थानीय खुफिया रिपोर्ट में आशंका जतायी गयी कि घरवालों के बहाने सचिन पायलट गुट के लोग भी संपर्क के लिए होटल तक पहुंच बना सकते हैं. जिस होटल में विधायक रखे गये थे वो जयपुर-गुड़गांव हाईवे पर है और मानेसर तक फासला भी ज्यादा नहीं है और सीधी पहुंच भी है. मानेसर के ही होटल में सचिन पायलट गुट के विधायक ठहरे हुए हैं.

लिहाजा तय हुआ कि विधायकों को विधानसभा के सत्र शुरू होने से पहले जयपुर से कहीं दूर भेज दिया जाये. जैसलमेर जयपुर से 500 किलोमीटर दूर है - और सचिन पायलट गुट के विधायकों वाले मानेसर होटल से ये दूरी 700 किलोमीटर हो जा रही है. पूरी तरह न सही, लेकिन अपेक्षाकृत सेफ तो है ही.

अशोक गहलोत सरकार की जान विधायकों की बाड़बंदी में बसी हुई है

जैसलमेर मे भी जो होटल चुना गया है वो भी शहर से दूर है जहां किसी के लिए भी पहुंचना काफी मुश्किल है. जैसलमेर में राजस्व मंत्री सालेह मोहम्मद के परिवार का खासा दबदबा बताया जाता है. शहर के मुकाबले निर्जन रेगिस्तान में निगरानी रखना भी सुविधाजनक होगा.

कई मंत्रियों सहित 11 विधायकों के जैसलमेर न पहुंचने को लेकर भी हड़कंप मच गया था. इसे दोनों गुटों के कांग्रेस विधायकों को लेकर किये गये दावों से जोड़ कर देखा जाने लगा. असल में एक दिन होटल में ही कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दावा किया था कि 48 घंटे के भीतर सचिन पायलट गुट के तीन विधायक लौटने वाले हैं. कुछ ही देर बाद सचिन पायलट कैंप से एक विधायक ने वीडियो जारी कर दावा कर डाला कि अशोक गहलोत गुट के 10-15 विधायक उनके संपर्क में हैं और छूट मिलते ही वे पाला बदल लेंगे. हालांकि, बाद में दावा किया गया कि 6 मंत्री जानबूझ कर जयपुर ही रुके हैं - कुछ विधायक चार्टर्ड विमान में तकनीकि वजह से नहीं जा पाये और कुछ बीमारी के कारण.

ऑडियो क्लिप के सही होने से क्या होगा?

SOG यानी राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने 28 जुलाई को वायरल हुई ऑडियो क्लिप को जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैब भेजा था. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑडियो क्लिप से छेड़छाड़ नहीं हुई है.

दरअसल, इसी ऑडियो क्लिप के आधार पर ही एसओजी ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और संजय जैन के खिलाफ केस दर्ज किया है. एसओजी ने अब कोर्ट से दरख्वास्त की है कि आगे की जांच के लिए आवाज के सैंपल लेने की मंजूरी दी जाये.

एसओजी की तरफ से कोर्ट को बताया गया है कि भंवरलाल शर्मा और राजेंद्र सिंह नोटिस जारी होने के बावजूद सामने नहीं आ रहे हैं, लिहाजा कोर्ट इसके लिए आदेश जारी करे. अदालत में संजय जैन ने आवाज के सैंपल देने से ये कहते हुए मना कर दिया है कि राजनीतिक मामला होने के नाते उनको जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं है - क्योंकि ऐसा करके उनको फंसाया जा सकता है.

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने मीडिया से बातचीत में कहा था, 'पहले इस टेप की प्रामाणिकता तो बतायें. किसने रिकॉर्ड किये और एसओजी को कहां से मिली? पहले टेप रिकॉर्डिंग की सत्यता की जांच करनी चाहिए कि ऑडियो सही है या गलत?'

अब ये तो साफ हो गया कि ऑडियो तो सही है, लेकिन इससे ये अभी साबित नहीं हो जाता कि जो आवाज सुनाई दे रही है वो उसी व्यक्ति की है जिस पर आरोप लग रहे हैं. गजेंद्र सिंह शेखावत ने बातचीत के लहजे को आधार बनाते हुए कहा है कि क्लिप में उनकी आवाज नहीं है. फिर भी केस दर्ज हुआ है तो जांच तो बनती ही है और जांच के लिए बात पूछताछ से ही शुरू आगे बढ़ेगी. ये तो साफ है कि ऑडियो क्लिप के सही पाये जाने के बाद केस मजबूत हो गया है. लिहाजा आरोपी जो कोई भी है, उनकी मुश्किलें तो बढ़ने वाली है ही.

कोर्ट ने एसओजी से पूरे मामले पर 4 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी है. वैसे जांच का दायरा बढ़ाते हुए इसके लिए एसआईटी भी बना दी गयी है और उसमें एसओजी के अफसरों को भी शामिल किया गया है.

कानूनी प्रक्रिया अपनी जगह है लेकिन मामला राजनीतिक होने की वजह से रास्ते में कई सारे दांव-पेंच हैं. क्लिप के वायरल होने के बाद नेताओं के फोन टैपिंग का भी मामला उछला है. केंद्रीय गृह मंत्रालय भी राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब कर चुका है. आयकर के छापे और केंद्रीय जांच एजेंसियों के नोटिस और समन भी राजस्थान की राजनीतिक लड़ाई में एक्सचेंज ऑफर की तरह ही लगते हैं.

राजस्थान की राजनीति को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने के बाद फोन पर बात भी कर चुके हैं. बीजेपी पर हमलावर तो रहे ही हैं, अब तो अमित शाह को भी मैदान में घसीट चुके हैं - जाहिर है अशोक गहलोत ये सब सोच समझ कर ही कर रहे हैं. निश्चित तौर पर अनुभवी राजनेता की तरह कोई भी कदम बढ़ाने से पहले अशोक गहलोत को रिएक्शन का भी अंदाजा तो होगा ही.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबियों के यहां छापेमारी के बाद उनके भाई और बेटे वैभव गहलोत को भी ईडी का नोटिस मिल ही चुका है - और जयपुर के होटल से विधायकों को हटाये जाने के पीछे की कई वजहों में से एक ये भी माना जा रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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