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अखिलेश और भाजपा को लेकर सबसे गहरी बात AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने की है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 मार्च, 2022 06:02 PM
  • 03 मार्च, 2022 06:02 PM
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UP Assembly Elections 2022: अपने आतिशी बयानों के लिए मशहूर एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने बलिया में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर बड़ा हमला किया है. वहीं पीएम मोदी को लेकर भी जैसे तेवर ओवैसी के थे उन्होंने यही बताया कि यूपी में मोदी मैजिक चल नहीं पा रहा है.

एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी. एक ऐसा राजनेता जिसे लेकर ख़ुद देश के मुसलामानों में दो फाड़ है. एक वर्ग है जो ओवैसी को मुस्लिम समुदाय का रहनुमा बताता है और उन्हें मसीहा जैसी संज्ञा देता है. वहीं समुदाय में ऐसे लोगों की भी बड़ी तादाद है जो ओवैसी को भाजपा की बी विंग कहते हैं . ये लोग यही मानते हैं कि ओवैसी जान बूझकर बेतुकी बातें करते हैं जिससे मुसलमान भावनाओं में बहता है और फिर ऐसा बहुत कुछ कर जाता है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में भाजपा के लिए फायदेमंद होता है. यूपी में विधानसभा के चुनाव अपने अंतिम दौर में हैं. मैदान में ओवैसी की पार्टी भी है. यूपी में मुख्य मुकाबला भले ही भाजपा बनाम सपा हो लेकिन ओवैसी और उनकी पार्टी को लेकर भी सियासी सरगर्मियां तेज हैं.लोग यूपी चुनाव में ओवैसी की भूमिका पर अभी ढंग से बात कर भी नहीं पाए थे कि जो कुछ भी ओवैसी ने बलिया में समाजवादी पार्टी के लिए कहा है वो कहीं न कहीं भाजपा को फायदा पहुंचाता नजर आ रहा है.

बलिया की अपनी रैली में ओवैसी ने अखिलेश और पीएम मोदी को लेकर बहुत कुछ बोल दिया है

बताते चलें कि अपने आतिशी बयानों के लिए मशहूर एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने बलिया में समाजवादी पार्टी पर कड़ा प्रहार किया है. ओवैसी के मुताबिक सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव में ताकत नहीं कि वह भाजपा को यूपी की सत्ता में आने से रोक लें.

दरअसल ओवैसी बलिया के सिकंदरपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे. अपने भाषण में 2017 के विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए ओवैसी ने सिर्फ अखिलेश यादव की ही नहीं कांग्रेस की भी बखिया उधेड़ी. जैसे तेवर सभा में ओवैसी के थे. कई मौकों पर ऐसा महसूस हुआ जैसे वो यूपी आएं ही इसलिए हैं ताकि वो समाजवादी पार्टी और अखिलेश की जड़े काट सकें.

भारतीय राजनीति के मद्देनजर राजनीतिक...

एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी. एक ऐसा राजनेता जिसे लेकर ख़ुद देश के मुसलामानों में दो फाड़ है. एक वर्ग है जो ओवैसी को मुस्लिम समुदाय का रहनुमा बताता है और उन्हें मसीहा जैसी संज्ञा देता है. वहीं समुदाय में ऐसे लोगों की भी बड़ी तादाद है जो ओवैसी को भाजपा की बी विंग कहते हैं . ये लोग यही मानते हैं कि ओवैसी जान बूझकर बेतुकी बातें करते हैं जिससे मुसलमान भावनाओं में बहता है और फिर ऐसा बहुत कुछ कर जाता है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में भाजपा के लिए फायदेमंद होता है. यूपी में विधानसभा के चुनाव अपने अंतिम दौर में हैं. मैदान में ओवैसी की पार्टी भी है. यूपी में मुख्य मुकाबला भले ही भाजपा बनाम सपा हो लेकिन ओवैसी और उनकी पार्टी को लेकर भी सियासी सरगर्मियां तेज हैं.लोग यूपी चुनाव में ओवैसी की भूमिका पर अभी ढंग से बात कर भी नहीं पाए थे कि जो कुछ भी ओवैसी ने बलिया में समाजवादी पार्टी के लिए कहा है वो कहीं न कहीं भाजपा को फायदा पहुंचाता नजर आ रहा है.

बलिया की अपनी रैली में ओवैसी ने अखिलेश और पीएम मोदी को लेकर बहुत कुछ बोल दिया है

बताते चलें कि अपने आतिशी बयानों के लिए मशहूर एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने बलिया में समाजवादी पार्टी पर कड़ा प्रहार किया है. ओवैसी के मुताबिक सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव में ताकत नहीं कि वह भाजपा को यूपी की सत्ता में आने से रोक लें.

दरअसल ओवैसी बलिया के सिकंदरपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे. अपने भाषण में 2017 के विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए ओवैसी ने सिर्फ अखिलेश यादव की ही नहीं कांग्रेस की भी बखिया उधेड़ी. जैसे तेवर सभा में ओवैसी के थे. कई मौकों पर ऐसा महसूस हुआ जैसे वो यूपी आएं ही इसलिए हैं ताकि वो समाजवादी पार्टी और अखिलेश की जड़े काट सकें.

भारतीय राजनीति के मद्देनजर राजनीतिक विश्लेषकों के बीच ये बात आक है कि ओवैसी के स्वभाव को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. और ये चीज सभा में तब दिखी जब ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न केवल आड़े हाथों लिया बल्कि उनके लिए जबरदस्त कटाक्ष भी किया.

ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी को आज करीब 7 साल बाद यूपी में छुट्टा जानवरों का मुद्दा नजर आ रहा है. ओवैसी ने सरकार द्वारा दिए जा रहे मुफ्त राशन को भी बड़ा मुद्दा बनाया और कहा कि मुफ्त राशन बांटकर राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा गरीबों का अपमान कर रही है.

अपने भाषण में ओवैसी पीएम मोदी और उनकी नीतियों से खासे नाराज नजर आए. भाषण में ओवैसी ने इस बात का भी जिक्र किया कि खुद को चौकीदार कहने के बाद प्रधानमंत्री अब बादशाह बन गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी पिछले सात वर्षों से चाय पीने में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें चुनाव के समय ही राज्य में आवारा पशुओं की समस्या का पता चला.

शिक्षा और स्वास्थ्य के मद्देनजर भी ओवैसी ने मौजूदा राज्य सरकार पर करारा प्रहार किया. ओवैसी ने कहा कि डबल इंजन वाली सरकार ने किसानों या युवाओं के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ नहीं किया.

जिक्र यूपी चुनाव का हुआ है. एक मुस्लिम नेता के रूप में ओवैसी के यूपी आगमन का हुआ है. तो सूबे के मुसलमानों और उनके पॉलिटिकल माइलेज पर चर्चा करने से पहले हमें वो दौर भी याद कर लेना चाहिए जब चुनावों से पहले सपा, कांग्रेस जैसे दल मुसलमानों के करीब आ जाते थे और उनके प्रति हमदर्दी जताते थे. बात 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों की चल रही है तो ये इसलिए भी खास है क्योंकि चाहे वो सपा बसपा हों या भाजपा और कांग्रेस ओवैसी के अलावा शायद ही अपने भाषणों में और किसी ने सूबे के मुसलमानों और उनकी परेशानियों का जिक्र किया हो.

ओवैसी मौके पर चौका मारने के खेल के माहिर खिलाडी हैं इसलिए उन्होंने बलिया में आयोजित अपनी सभा में अपील करते हुए मुसलमानों से पूछा कि वे कब तक सपा और बसपा नेताओं के लिए फुटबॉल बने रहेंगे. सभा में आए हुए लोगों को ओवैसी ने बताया कि कमजोर को मजबूत बनाने और सामाजिक न्याय के लिए भागीदारी संकल्प मोर्चा अपनी लड़ाई मोर्चा लड़ रहा है.

ओवैसी का साफ़ और स्पष्ट लहजे में कहना है कि केवल भागीदारी संकल्प मोर्चा ही एक राज्य के रूप में उत्तर प्रदेश को भाजपा से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है.अपनी सभा में पूरे जोश में असदुद्दीन ओवैसी ने 10 मार्च का जिक्र किया और कहा कि 10 मार्च को उत्तर प्रदेश में भगवा पार्टी समाप्त हो जाएगी.

खैर ओवैसी की बातें कितनी सही साबित होती हैं? क्या यूपी का अगला सीएम बनने के सपने देश रहे अखिलेश पर ओवैसी की भविष्यवाणी सही और सटीक बैठती है? क्या यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक नहीं चल पाएगा ? सवालों की लंबी फेहरिस्त है जिनके जवाब वक़्त की गर्त में छिपे हैं. लेकिन बात क्योंकि ओवैसी की हुई है इतना तो तय है कि ओवैसी ने अपनी बातों से पूर्वांचल विशेषकर बलिया के मुसलमानों को सोचने पर विवश कर दिया है. वहीं जैसे आरोप उन्होंने अखिलेश पर लगाए हैं क्या ये मान लेना चाहिए कि ओवैसी की नजर में अखिलेश अभी राजनीति के कच्चे खिलाडी हैं?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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