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TDP मोर्चे के बहाने तीसरे मोर्चे के लिए केजरीवाल का यू-टर्न

    • आईचौक
    • Updated: 08 अप्रिल, 2018 06:40 PM
  • 08 अप्रिल, 2018 06:39 PM
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भारतीय राजनीति के विपक्षी कुनबे से अब तक बाहर रहे अरविंद केजरीवाल को एक और यू टर्न मिल गया है. अब वो भी तीसरे मोर्चे का हिस्सा बनने की राह पर हैं जिसकी अगुवाई ममता बनर्जी कर रही हैं.

अरविंद केजरीवाल ने 2019 के लिए नये राजनीतिक समीकरण का संकेत दे दिया है. ये संकेत केजरीवाल ने एक आंदोलन का सपोर्ट कर दिया. आंदोलन केजरीवाल को खूब सूट करता है. वैसे केजरीवाल राजनीति में आये भी तो आंदोलन से ही हैं.

हाल ही में दिल्ली आये आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने आम आदमी पार्टी नेता केजरीवाल से मुलाकात की थी. घंटे भर चली मुलाकात से तब कुछ निकल कर सामने नहीं आया था, लेकिन हिरासत में लिए गये टीडीपी विधायकों से मिलने केजरीवाल जब तुगलक रोड थाने पहुंचे तो सियासी समीकरण धीरे धीरे सुलझते नजर आये - माना जा सकता है कि ममता बनर्जी के तीसरे मोर्चे को केजरीवाल की भी मंजूरी मिल गयी है.

तीसरे मोर्चे को केजरीवाल की हरी झंडी

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू ने अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट किया है - जिसमें केजरीवाल ने टीडीपी सांसदों के आंदोलन का सपोर्ट किया है. थाने पहुंच कर टीडीपी सांसदों ने मुलाकात के बाद केजरीवाल ने उन्हें हिरासत में लिये जाने की निंदा की.

केजरीवाल का टीडीपी को सपोर्ट

भारतीय राजनीति में अरविंद केजरीवाल की अब तक एक ही फिलॉसफी रही - 'एकला चलो रे'. ममता बनर्जी ने अब उनकी ये पॉलिसी बदल डाली है. विपक्षी खेमे में ममता बनर्जी लगातार केजरीवाल की पैरोकार बनी रहीं, लेकिन किसी ने नहीं सुनीं. जैसे ही विपक्षी खेमे में ममता ताकतवर हुईं केजरीवाल भी लोगों को पसंद आने लगे.

तीसरे मोर्चे की कोशिश भारतीय राजनीति की चुनाव पूर्व सतत प्रक्रिया का हिस्सा है. 2019 के लिए तीसरा मोर्चा भी डबल बन रहा है. एक गैर-बीजेपी मोर्चा और दूसरा गैर-कांग्रेस मोर्चा. कांग्रेस नेताओं ने गैर-बीजेपी मोर्चा को बीजेपी की 'बी' करार दिया है. वैसे कांग्रेस जो मोर्चा खड़ा करने की कोशिश कर रही है...

अरविंद केजरीवाल ने 2019 के लिए नये राजनीतिक समीकरण का संकेत दे दिया है. ये संकेत केजरीवाल ने एक आंदोलन का सपोर्ट कर दिया. आंदोलन केजरीवाल को खूब सूट करता है. वैसे केजरीवाल राजनीति में आये भी तो आंदोलन से ही हैं.

हाल ही में दिल्ली आये आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने आम आदमी पार्टी नेता केजरीवाल से मुलाकात की थी. घंटे भर चली मुलाकात से तब कुछ निकल कर सामने नहीं आया था, लेकिन हिरासत में लिए गये टीडीपी विधायकों से मिलने केजरीवाल जब तुगलक रोड थाने पहुंचे तो सियासी समीकरण धीरे धीरे सुलझते नजर आये - माना जा सकता है कि ममता बनर्जी के तीसरे मोर्चे को केजरीवाल की भी मंजूरी मिल गयी है.

तीसरे मोर्चे को केजरीवाल की हरी झंडी

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू ने अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट किया है - जिसमें केजरीवाल ने टीडीपी सांसदों के आंदोलन का सपोर्ट किया है. थाने पहुंच कर टीडीपी सांसदों ने मुलाकात के बाद केजरीवाल ने उन्हें हिरासत में लिये जाने की निंदा की.

केजरीवाल का टीडीपी को सपोर्ट

भारतीय राजनीति में अरविंद केजरीवाल की अब तक एक ही फिलॉसफी रही - 'एकला चलो रे'. ममता बनर्जी ने अब उनकी ये पॉलिसी बदल डाली है. विपक्षी खेमे में ममता बनर्जी लगातार केजरीवाल की पैरोकार बनी रहीं, लेकिन किसी ने नहीं सुनीं. जैसे ही विपक्षी खेमे में ममता ताकतवर हुईं केजरीवाल भी लोगों को पसंद आने लगे.

तीसरे मोर्चे की कोशिश भारतीय राजनीति की चुनाव पूर्व सतत प्रक्रिया का हिस्सा है. 2019 के लिए तीसरा मोर्चा भी डबल बन रहा है. एक गैर-बीजेपी मोर्चा और दूसरा गैर-कांग्रेस मोर्चा. कांग्रेस नेताओं ने गैर-बीजेपी मोर्चा को बीजेपी की 'बी' करार दिया है. वैसे कांग्रेस जो मोर्चा खड़ा करने की कोशिश कर रही है उसके मुकाबले विरोधी मोर्चा ज्यादा मजबूत नजर आने लगा है.

एक मोर्चे की अगुवाई सोनिया गांधी कर रही हैं तो दूसरे की ममता बनर्जी. ममता बनर्जी ने तो सोनिया को अपने मोर्चे में शामिल होने का ऑफर भी दे डाला है. अभी तक ममता को ही ऐसा ऑफर सोनिया गांधी की ओर से मिलता रहा.

ममता की अगुवाई में खड़े हो रहे मोर्चे में टीडीपी तो है ही, एनडीए से शिवसेना के भी छिटक कर आने की संभावना है. हालांकि, बीजेपी नये सिरे से शिवसेना को मनाने में जुट गयी है. मन तो नीतीश कुमार का भी एनडीए से भर चुका है और महागठबंधन से न्योता भी मिल चुका है, लेकिन उन्हें ज्यादा सूट ममता का मोर्चा ही करेगा. बात बस इतनी है कि पाला बदलने के कारण प्रधानमंत्री पद पर उनकी दावेदारी कमजोर हो चुकी है - और अब केजरीवाल के भी आने का सिग्नल हो गया है.

क्या होगा कांग्रेस की कवायद का अंजाम?

26 मई 2017 को सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों को लंच पर बुलाया था. इस भोज में बाकी सब तो आये, लेकिन चर्चा में वे दो नेता रहे जो इससे दूर रहे. एक थे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दूसरे बिहार के सीएम नीतीश कुमार. नीतीश कुमार तब महागठबंधन का हिस्सा थे - और उसे छोड़ कर एनडीए ज्वाइन करने का ये उनका पहला संकेत था. नीतीश कुमार को न्योता तो था लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया, लेकिन केजरीवाल को तो न्योता ही नहीं था. सोनिया गांधी ने ये दावत राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को एकजुट करने के लिए दी थी.

दलित मुद्दे पर हुए 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष ने केजरीवाल के साथ अछूत जैसा व्यवहार किया. हालांकि, केजरीवाल ने विपक्ष की ही उम्मीदवार मीरा कुमार के सपोर्ट का फैसला किया क्योंकि उन्हें एनडीए के विरोध में ही खड़ा रहना था.

और किसी को तो नहीं लेकिन ममता बनर्जी को केजरीवाल को विपक्षी खेमे से दूर रखा जाना बेहद नागवार गुजर रहा था. बाद में कांग्रेस नेतृत्व को ममता ने समझाने की कोशिश की कि केजरीवाल को भी विपक्षी एकता में शामिल किया जाये, पर कांग्रेस ने ममता की बात नहीं सुनी. ममता बनर्जी जब भी दिल्ली आतीं सोनिया गांधी से तो मिलतीं ही, केजरीवाल से भी उनकी मुलाकात जरूर होती. नोटबंदी के मुद्दे पर तो दोनों आजादपुर मंडी जाकर साथ में विरोध प्रदर्शन भी किया.

तीसरे मोर्चे में शामिल होने की राह पर केजरीवाल

गुजरते वक्त के साथ सियासी हालात भी बदलते गये. नीतीश के एनडीए में चले जाने के बाद ममता का कद बढ़ता गया. ममता के ताजा दौरे में इसकी पूरी झलक भी दिखी. ममता इस बार भी सोनिया से मिलीं और केजरीवाल से भी. सोनिया से मुलाकात में ममता ने तीसरे मोर्चे को लेकर जो प्रस्ताव रखा वो उनके कोलकाता पहुंचते ही कांग्रेस ने नामंजूर कर दिया.

राष्ट्रपति चुनाव से लेकर अभी तक कांग्रेस की विपक्षी एकता की कोशिश का जो हाल रहा वो तो सबने देखा ही - ताजातरीन शिकस्त तो चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश में दिख गया. डीएमके नेताओं और समाजवादी पार्टी के पीछे हट जाने और ममता बनर्जी के गच्चा दे देने से कांग्रेस बस अपना मुहं देखती रह गयी - थक हार कर महाभियोग चैप्टर क्लोज करना पड़ा.

देखा जाये तो कांग्रेस के साथ यूपीए के पुराने साथियों में एनसीपी भी अलग रास्ता अख्तियार करने वाली लगती है. एनसीपी नेता शरद पवार के बुलावे पर ही ममता बनर्जी दिल्ली आयी थीं. हां, खुल कर अभी तक सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के सपोर्ट में अब तक दो ही नेता सामने आये हैं. एक जेल में बंद लालू प्रसाद और दूसरे लालू के बेटे तेजस्वी यादव.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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