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दिल्ली में भारत कौन और पाकिस्तान कौन, ये भी बता देते केजरीवाल

    • पीयूष द्विवेदी
    • Updated: 18 जुलाई, 2016 07:50 PM
  • 18 जुलाई, 2016 07:50 PM
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने टॉक टू एके कार्यक्रम में कहा कि दिल्ली और केन्द्र सरकार का रिश्ता भारत-पाक रिश्ते जैसा. क्या इस रिश्ते को थोड़ा और उजागर करेंगे केजरीवाल...

बीती 17 जुलाई की तारीख को दिल्ली के एकमेव जगतप्रसिद्ध मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी ने लोगों के सवालों का जवाब देने के लिए मुक़र्रर किया था. कार्यक्रम का नाम रखा था – टॉक टू एके. अब केजरीवाल जी की तो यह खासियत रही है कि वे अपने कामों के लिए बेहद कम और कारनामों के लिए सर्वाधिक चर्चा में रहते हैं. वे कुछ भी काम करें, उसमे कारनामा हो ही जाता है या यूँ कहें कि कारनामा करना उनकी पार्टी के प्रत्येक बन्दे के डीएनए में बसता है. फिर ये ‘टॉक टू एके’ जैसा जनसंवाद का कार्यक्रम अपवाद कैसे रहता. वो भी तब जब इसमे स्वयं केजरीवाल जी मौजूद थे. बहरहाल, इस कार्यक्रम में जनसंवाद तो इतना हुआ कि केजरीवाल जी ने पूछे गए 1, 17, 582 सवालों में से एक दो नहीं, पूरे के पूरे 22 सवालों के जवाब दिए. इन जवाबों में उन्होंने काम होने की बात कम की, काम नहीं होने की गाथा अधिक मार्मिक ढंग से गाई.

इसे भी पढ़ें: केजरीवाल भी मानते हैं, टीवी ऐड से जिंदगी सुधरती-बिखरती है

 टॉक टू एके कार्यक्रम करते अरविंद केजरीवाल

कार्यक्रम की शुरुआत केजरीवाल जी ने यूँ की कि वे अभी दिल्ली के लिए जितनी सफलताएं हासिल किए हैं, उससे चार गुना अधिक सफलताएं हासिल किए होते, बशर्ते कि संविधान में केंद्र सरकार का प्रावधान नहीं होता. अरे मतलब वही कि केंद्र सरकार नहीं होती. यह बात उस जनता को जरूर समझ आई होगी, जो केजरीवाल जी की अपनी जनता है, जिसके आदेश पर कभी उन्होंने अपने बच्चों की कसम तक तोड़कर कांग्रेस के साथ सरकार बनाई और फिर जब नहीं जमा तो 49 दिन बाद उसी जनता से पूछकर सरकार छोड़ बनारस लोकसभा लड़ने चले गए थे. तो मतलब कि केजरीवाल जी की अपनी जनता को तो उनके काम-काज में केंद्र नामक समस्या जरूर समझ आई होगी. लेकिन, दिल्ली की बेचारी आम जनता के...

बीती 17 जुलाई की तारीख को दिल्ली के एकमेव जगतप्रसिद्ध मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी ने लोगों के सवालों का जवाब देने के लिए मुक़र्रर किया था. कार्यक्रम का नाम रखा था – टॉक टू एके. अब केजरीवाल जी की तो यह खासियत रही है कि वे अपने कामों के लिए बेहद कम और कारनामों के लिए सर्वाधिक चर्चा में रहते हैं. वे कुछ भी काम करें, उसमे कारनामा हो ही जाता है या यूँ कहें कि कारनामा करना उनकी पार्टी के प्रत्येक बन्दे के डीएनए में बसता है. फिर ये ‘टॉक टू एके’ जैसा जनसंवाद का कार्यक्रम अपवाद कैसे रहता. वो भी तब जब इसमे स्वयं केजरीवाल जी मौजूद थे. बहरहाल, इस कार्यक्रम में जनसंवाद तो इतना हुआ कि केजरीवाल जी ने पूछे गए 1, 17, 582 सवालों में से एक दो नहीं, पूरे के पूरे 22 सवालों के जवाब दिए. इन जवाबों में उन्होंने काम होने की बात कम की, काम नहीं होने की गाथा अधिक मार्मिक ढंग से गाई.

इसे भी पढ़ें: केजरीवाल भी मानते हैं, टीवी ऐड से जिंदगी सुधरती-बिखरती है

 टॉक टू एके कार्यक्रम करते अरविंद केजरीवाल

कार्यक्रम की शुरुआत केजरीवाल जी ने यूँ की कि वे अभी दिल्ली के लिए जितनी सफलताएं हासिल किए हैं, उससे चार गुना अधिक सफलताएं हासिल किए होते, बशर्ते कि संविधान में केंद्र सरकार का प्रावधान नहीं होता. अरे मतलब वही कि केंद्र सरकार नहीं होती. यह बात उस जनता को जरूर समझ आई होगी, जो केजरीवाल जी की अपनी जनता है, जिसके आदेश पर कभी उन्होंने अपने बच्चों की कसम तक तोड़कर कांग्रेस के साथ सरकार बनाई और फिर जब नहीं जमा तो 49 दिन बाद उसी जनता से पूछकर सरकार छोड़ बनारस लोकसभा लड़ने चले गए थे. तो मतलब कि केजरीवाल जी की अपनी जनता को तो उनके काम-काज में केंद्र नामक समस्या जरूर समझ आई होगी. लेकिन, दिल्ली की बेचारी आम जनता के पल्ले कुछ नहीं पड़ा. वो तो पूछ बैठी कि अबसे पहले भी तो दिल्ली में सरकारें रही हैं और साथ ही केंद्र में भी, पर कभी किसी सीएम को इतनी खुजलाहट नहीं हुई, जितनी आप यानी हमारे पूर्ण बहुमत वाले एकमेव इमानदार सीएम को हो रही है. चक्कर क्या है? इसपर केजरीवाल जी ने समझाया कि पहले केंद्र और दिल्ली दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकारें थीं, इसलिए सब शान्ति थी. अब ऐसा नहीं है. इसपर जनता बोल पड़ी कि अजी अगर ऐसा है तो 1998 से 2004 तक केंद्र और दिल्ली में अलग-अलग पार्टी की सरकारें रहीं तब कोई बवाल क्यों नहीं हुआ? ये ब्रह्मास्त्र देख केजरीवाल जी ने अपने परमशान्तिदायक और सुरक्षा कवच प्रदान करने वाले मन्त्र का जाप किया कि ‘वो सब मिले हुए थे जी, अब भी सब मिले हुए हैं’.

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इस तरह करते-धरते कार्यक्रम ख़त्म होने को आ गया, पर कोई कारनामा नहीं दिखा. फिर क्या था, केजरीवाल जी के नाख़ून से लेकर शरीर की नस-नस तक खुजली शुरू हो गई. हिल गए ये सोचकर कि नहीं हुआ बवाल तो फिर काहे का केजरीवाल! आखिर बोल पड़े कि अजी केंद्र के मुखिया नरेंद्र मोदी ने केंद्र और दिल्ली के बीच भारत और पाकिस्तान जैसी स्थिति पैदा कर दी है. इसके बाद हल्ला मच गया तो आगे की ये बात वे पचा गए कि अब सिर्फ दिल्ली पुलिस से काम नहीं चलने वाला, आर्मी में भी उन्हें अधिकार दिया जाय जिससे उसे वे दिल्ली की सीमा पर तैनात कर सकें. खैर! कारनामा हो गया था और केजरीवाल जी शान्ति का आनंद ले रहे थे कि तभी किसी ने पूछ लिया – भारत कौन है और पाकिस्तान कौन है, ये भी बता दीजिये न केजरीवाल जी? इसके बाद से केजरीवाल जी अंतर्ध्यान हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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