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विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केजरीवाल ने फिर लिया यू-टर्न

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 25 मई, 2019 10:17 AM
  • 25 मई, 2019 10:17 AM
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बात केजरीवाल की हो तो उन्हें अलग राजनीति करने वाला नेता माना जाता रहा है. ऐसे में उनका मुसलमानों पर आरोप लगाना ये बताता है कि वो भी वही राजनीति कर रहे हैं जो हमारे नेता बरसों से करते चले जा रहे हैं.

12 मई को दिल्ली की 7 सीटों पर चुनाव थे. एक मजबूत सरकार के लिए सुबह से ही लोगों ने अपने घर से निकल कर वोट डालना शुरू कर दिया था. बड़े बड़े राजनीतिक विशेषजज्ञों की नजर इस बात पर थी कि दिल्ली मोदी मय  होती है या फिर वो कांग्रेस या आम आदमी पार्टी का चयन करेगी. दिल्ली में पोलिंग शाम तक चली जिसमें लोगों ने अपने अपने घरों से निकलकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हुए  एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाया. वोटिंग के बाद  क्या खुद दिल्ली की जनता क्या कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी सब अपने नए सांसद के बारे में जानने को बेक़रार थे और 23 मई का इंतजार कर रहे थे.

17 मई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक बयान लोगों के बीच चर्चा की अहम वजह बना. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुसलमानों के रवैये पार्ट सवालिया निशान लगाए थे.केजरीवाल ने कहा था कि, अंत समय में सभी मुस्लिम वोट कांग्रेस के पाले में चले गए.

लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अभी बीते दिनों ही केजरीवाल ने दिल्ली के मुसलमानों पर गंभीर आरोप लगाए थे

दरअसल हुआ कुछ यूं था कि दिल्ली चुनाव के बाद केजरीवाल से पूछा गया कि वो दिल्ली में कितनी सीटों पर विजय दर्ज कर रहे हैं ? इस सवाल का जो जवाब केजरीवाल ने दिया था वो हैरान करने वाला था. केजरीवाल ने कहा था कि, देखते हैं कि क्या होता है. असल में चुनाव के 48 घंटे पहले तक सातों सीट लग रहा था आम आदमी पार्टी को आएंगी. अंतिम समय में सम्पूर्ण मुस्लिम वोट्स कांग्रेस के पाले में चले गए. साथ ही केजरीवाल ने ये भी कहा कि हम ये पता लगाने कि कोशिश कर रहे हैं कि हुआ क्या है ? पूरा का पूरा मुस्लिम वोट जो है वो कांग्रेस को शिफ्ट हो गया. जबकि दिल्ली में 12-13 परसेंट मुस्लिम वोटर्स हैं. अब इसे पूर्वानुमान कहें या केजरीवाल की राजनीतिक समझ उनके वोट कांग्रेस को कैसे गए इसका जवाब या तो खुद केजरीवाल के पास है या फिर इस बात को ईश्वर ही बेहतर समझता है. मगर जो आरोप उन्होंने मुसलमानों पर लगाए हैं वो किसी भी आम मुसलमान वोटर को आहत करने के लिए काफी...

12 मई को दिल्ली की 7 सीटों पर चुनाव थे. एक मजबूत सरकार के लिए सुबह से ही लोगों ने अपने घर से निकल कर वोट डालना शुरू कर दिया था. बड़े बड़े राजनीतिक विशेषजज्ञों की नजर इस बात पर थी कि दिल्ली मोदी मय  होती है या फिर वो कांग्रेस या आम आदमी पार्टी का चयन करेगी. दिल्ली में पोलिंग शाम तक चली जिसमें लोगों ने अपने अपने घरों से निकलकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हुए  एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाया. वोटिंग के बाद  क्या खुद दिल्ली की जनता क्या कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी सब अपने नए सांसद के बारे में जानने को बेक़रार थे और 23 मई का इंतजार कर रहे थे.

17 मई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक बयान लोगों के बीच चर्चा की अहम वजह बना. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुसलमानों के रवैये पार्ट सवालिया निशान लगाए थे.केजरीवाल ने कहा था कि, अंत समय में सभी मुस्लिम वोट कांग्रेस के पाले में चले गए.

लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अभी बीते दिनों ही केजरीवाल ने दिल्ली के मुसलमानों पर गंभीर आरोप लगाए थे

दरअसल हुआ कुछ यूं था कि दिल्ली चुनाव के बाद केजरीवाल से पूछा गया कि वो दिल्ली में कितनी सीटों पर विजय दर्ज कर रहे हैं ? इस सवाल का जो जवाब केजरीवाल ने दिया था वो हैरान करने वाला था. केजरीवाल ने कहा था कि, देखते हैं कि क्या होता है. असल में चुनाव के 48 घंटे पहले तक सातों सीट लग रहा था आम आदमी पार्टी को आएंगी. अंतिम समय में सम्पूर्ण मुस्लिम वोट्स कांग्रेस के पाले में चले गए. साथ ही केजरीवाल ने ये भी कहा कि हम ये पता लगाने कि कोशिश कर रहे हैं कि हुआ क्या है ? पूरा का पूरा मुस्लिम वोट जो है वो कांग्रेस को शिफ्ट हो गया. जबकि दिल्ली में 12-13 परसेंट मुस्लिम वोटर्स हैं. अब इसे पूर्वानुमान कहें या केजरीवाल की राजनीतिक समझ उनके वोट कांग्रेस को कैसे गए इसका जवाब या तो खुद केजरीवाल के पास है या फिर इस बात को ईश्वर ही बेहतर समझता है. मगर जो आरोप उन्होंने मुसलमानों पर लगाए हैं वो किसी भी आम मुसलमान वोटर को आहत करने के लिए काफी है.

बहरहाल अभी बीते दिन ही 17 वीं लोकसभा के चुनावों के परिणाम आए हैं. जैसा जनादेश मिला है साफ हो गया है कि इस देश की जनता ने भाजपा पर अपना भरोसा जताया है. आए हुए परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए केजरीवाल ने इसे जनता का फैसला कहा है और ये भी कहा है कि हम ऐसे ही दिल्ली की जनता के लिए काम करते रहेंगे.

पहले ये कहना कि मुस्लिम वोट कांग्रेस के पले में चले गए. फिर ये बताना कि आए हुए परिणाम जनता का फैसला है. सवाल होगा कि आखिर ऐसा कौन sa कारण था जिसके चलते एक बार फिर केजरीवाल को यूटर्न लेना पड़ा ? तो इसका जवाब है दिल्ली के विधानसभा चुनाव. ज्ञात हो कि दिल्ली में 2020 में 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव हैं और चूंकि केजरीवाल का एक बहुत बड़ा वोट बैंक मुस्लिम वोट है तो कहीं न कहीं केजरीवाल भी इस बात को समझते हैं कि लोकसभा के अंतर्गत कही ये बात पूरे समुदाय को आहत कर सकती है जिसका परिणाम उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.

केजरीवाल का ये बयान उन्हें फायदा देगा या नुकसान पहुंचाएगा इसका फैसला दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद हो जाएगा. मगर जिस आत्मविश्वास से केजरीवाल ने अपनी नाकामी का ठीकरा मुसलमानों पर फोड़ा है साफ हो गया है कि परिवर्तन की बात कहने वाले केजरीवाल का भी शुमार उन्हीं नेताओं में है जो हिंदू मुस्लिम की राजनीति कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं.

ध्यान रहे कि जब केजरीवाल राजनीति में आए थे तो उन्होंने अलग किस्म कि राजनीति की बात की थी. ऐसे में यदि उनकी बातों को आज के परिपेक्ष में रखकर देखें तो मिलता है कि उनकी राजनीति भी औरों की तरह है और उसमें अलग कुछ भी नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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