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केजरीवाल के लिए 4 सीटें जीतने से बड़ा सवाल 5वीं सीट पर हार है

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 04 मार्च, 2021 02:02 PM
  • 04 मार्च, 2021 02:02 PM
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AAP का उपचुनाव में 5 में से 4 सीटें जीतना (MCD Bypoll Results) अगले साल के MCD चुनावों की राह में तेज रोशनी जैसा ही है, लेकिन पांचवीं सीट पर कांग्रेस (Congress) से हार ने अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पॉलिटिकल लाइन पर मंथन के लिए मजबूर भी किया है.

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को दिल्ली वालों ने करीब साल भर बाद एक बार फिर 'थैंक यू' और 'आई लव यू' बोलने का मौका दे दिया - और उपचुनाव के नतीजों से गदगद दिल्ली के मुख्यमंत्री अब AAP नेताओं को अगले साल होने जा रहे MCD चुनावों में जीत का नुस्खा भी बताने लगे हैं.

पंजाब और गुजरात के नतीजों से भी कहीं ज्यादा बेसब्री दिल्ली के मुख्यमंत्री को MCD रिजल्ट (MCD Bypoll Results) की रही होगी - दरअसल, ये तीनों ही नतीजे आम आदमी पार्टी की आगे की रणनीति निर्धारित करने में सबसे मजबूत आधार बनने वाले हैं. पंजाब और गुजरात के नतीजे अगले साल दोनों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के हिसाब से अहम हैं तो दिल्ली उपचुनावों के नतीजे 2021 के एमसीडी चुनावों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं.

दिल्ली दंगों से लेकर कोरोना वायरस और लॉकडाउन के दौरान सबके निशाने पर रहे अरविंद केजरीवाल के लिए पांच में से चार सीटें जीत लेना ये भी बता रहा है कि विधानसभा चुनाव के एक साल बाद भी बीजेपी की सियासी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ है - और उसमें भी पार्टी के लिए फिक्र करने वाली बात ये है कि नतीजे 15 साल से एमसीडी पर कब्जा जमाये बैठी बीजेपी को अगले चुनाव में बहुत बड़ी चुनौती मिलने वाली है, ऐसा इशारा कर रहे हैं.

दिल्ली के पांच वार्डों में हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने चार सीटें जीती हैं, जबकि एक सीट कांग्रेस (Congress) के खाते में गयी है. पांच में से एक भी सीट बीजेपी को न मिलना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की पांचवीं सीट पर हार है - क्योंकि पांचवीं सीट पर फैसला दिल्ली के दंगा प्रभावित लोगों ने सुनाया है.

दिल्ली उपचुनाव के नतीजे क्या कहते हैं

जैसे ओपिनियन पोल और सर्वे के जरिये लोगों का मूड समझने की कोशिश होती है, उपचुनावों के नतीजे भी कई बार वैसे ही साफ साफ इशारे करते हैं - और एमसीडी की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे तो तमाम संदेशों से भरे हुए हैं. दिल्ली में विधानसभा चुनाव...

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को दिल्ली वालों ने करीब साल भर बाद एक बार फिर 'थैंक यू' और 'आई लव यू' बोलने का मौका दे दिया - और उपचुनाव के नतीजों से गदगद दिल्ली के मुख्यमंत्री अब AAP नेताओं को अगले साल होने जा रहे MCD चुनावों में जीत का नुस्खा भी बताने लगे हैं.

पंजाब और गुजरात के नतीजों से भी कहीं ज्यादा बेसब्री दिल्ली के मुख्यमंत्री को MCD रिजल्ट (MCD Bypoll Results) की रही होगी - दरअसल, ये तीनों ही नतीजे आम आदमी पार्टी की आगे की रणनीति निर्धारित करने में सबसे मजबूत आधार बनने वाले हैं. पंजाब और गुजरात के नतीजे अगले साल दोनों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के हिसाब से अहम हैं तो दिल्ली उपचुनावों के नतीजे 2021 के एमसीडी चुनावों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं.

दिल्ली दंगों से लेकर कोरोना वायरस और लॉकडाउन के दौरान सबके निशाने पर रहे अरविंद केजरीवाल के लिए पांच में से चार सीटें जीत लेना ये भी बता रहा है कि विधानसभा चुनाव के एक साल बाद भी बीजेपी की सियासी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ है - और उसमें भी पार्टी के लिए फिक्र करने वाली बात ये है कि नतीजे 15 साल से एमसीडी पर कब्जा जमाये बैठी बीजेपी को अगले चुनाव में बहुत बड़ी चुनौती मिलने वाली है, ऐसा इशारा कर रहे हैं.

दिल्ली के पांच वार्डों में हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने चार सीटें जीती हैं, जबकि एक सीट कांग्रेस (Congress) के खाते में गयी है. पांच में से एक भी सीट बीजेपी को न मिलना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की पांचवीं सीट पर हार है - क्योंकि पांचवीं सीट पर फैसला दिल्ली के दंगा प्रभावित लोगों ने सुनाया है.

दिल्ली उपचुनाव के नतीजे क्या कहते हैं

जैसे ओपिनियन पोल और सर्वे के जरिये लोगों का मूड समझने की कोशिश होती है, उपचुनावों के नतीजे भी कई बार वैसे ही साफ साफ इशारे करते हैं - और एमसीडी की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे तो तमाम संदेशों से भरे हुए हैं. दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए एक साल से कुछ ही ज्यादा हुए हैं और इस दौरान दो बड़ी घटनाएं भी हुई हैं - दिल्ली में हुए दंगे और कोरोना वायरस के प्रकोप के दौरान लोगों को हुई कई तरह की मुश्किलें.

नतीजों का संदेश समझने की कोशिश करें तो मालूम होता है कि दिल्ली के लोगों ने एक बार फिर बीजेपी को खारिज किया है. कांग्रेस के हिस्से में एक सीट जाना ये बता रहा है कि लोग आप और बीजेपी दोनों ही को संदेश दे रहे हैं कि उनके पास कांग्रेस नाम का एक बड़ा विकल्प भी है - और दोनों में से कोई उनकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा तो वे वैकल्पिक इंतजामों पर फिर से और खुले मन से विचार कर सकते हैं.

कोई दो राय नहीं कि पांच में चार मार्क्स हासिल कर लेना कितना मायने रखता है, लेकिन सीटों की डेमोग्राफी के हिसाब से देखें तो पांचवीं सीट जो कांग्रेस के खाते में गयी है उस पर जनता का फैसला गंभीरता के साथ विचार करने वाला है.

एमसीडी उपचुनाव में आप के अमानतुल्लाह खान की मेहनत पर कांग्रेस की अलका लांबा ने कैसे पानी फेर दिया?

शालीमार बाग वार्ड पहले बीजेपी के हिस्से में रहा, लेकिन अब आप ने बीजेपी को बेदखल कर इसे अपने नाम कर लिया है. ठीक वैसे ही चौहान बांगर वार्ड आम आदमी पार्टी के कब्जे में रहा है, जिसे लोगों ने अब कांग्रेस के हवाले कर दिया है. चौहान बांगर से कांग्रेस के चौधरी जुबैर ने जीत हासिल की है जो कांग्रेस के लिए हाल के बरसों में मिली हार को देखते हुए संजीवनी बूटी से कम नहीं है. आम आदमी पार्टी ने जिन वार्डों में जीत दर्ज करायी है, वे हैं - त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी, रोहिणी सी और शालीमार बाग.

अरविंद केजरीवाल के उम्मीदवार को जहां शिकस्त मिली है वो इलाका सीलमपुर में आता है. उपचुनाव में सीलमपुर के चौहान बांगर वार्ड के लिए अरविंद केजरीवाल ने आप के पूर्व विधायक हाजी इशराक खान को ही मैदान में उतार दिया था - और चुनाव की जिम्मेदारी भी अपने सबसे भरोसेमंद नेता और विधायक अमानतुल्लाह खान को दे रखी थी. अमानतुल्लाह खान आम आदमी पार्टी के दिल्ली में चुनाव जीतने वाले पांच विधायकों में सबसे तेज तर्रार माने ही नहीं जाते, बल्कि शाहीन बाग से लेकर जगह जगह तमाम मामलों में साबित भी कर चुके हैं.

चौहान बांगर से कांग्रेस ही नहीं बीजेपी ने भी मुस्लिम उम्मीदवार ही मैदान में उतारे थे. कांग्रेस ने पूर्व विधायक चौधरी मतीन के बेटे जुबैर चौधरी को मैदान में उतारा था और कांग्रेस उम्मीदवार ने आप कैंडिडेट हाजी इशराक खान को 10,642 वोटों से हरा दिया. बीजेपी उम्मीदवार मोहम्मद नजीर अंसारी का नंबर तो आम उम्मीदवार के बाद ही आया.

सीलमपुर वही इलाका है जहां CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कड़ा विरोध देखने को मिला और ये इलाका विधानसभा चुनाव बाद हुए दंगों में भी प्रभावित इलाकों में से एक रहा.

सीलमपुर की विधानसभा सीट तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने जीत ली, लेकिन अब वहीं के चौहान बांगर इलाके के लोगों का आप से मोहभंग सामने आया है. हाल ही में सीलमपुर से आप विधायक अब्दुल रहमान के खिलाफ कांग्रेस की एक महिला कार्यकर्ता ने मारपीट और बदसलूकी का केस भी दर्ज कराया है.

विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी नेता अरविंद केजरीवाल पर भी कांग्रेस की ही तरह मुस्लिम तुष्टिकरण से लेकर पाकिस्तान परस्त होने जैसे भी इल्जाम लगाये - और आखिर में अरविंद केजरीवाल को बयान देना पड़ा कि दिल्ली के लोग अगर उनको अपना बेटा नहीं बल्कि आतंकवादी मानते हैं तो वे बीजेपी को वोट दे दें. अरविंद केजरीवाल का बीजेपी के खिलाफ ये दांव बेहद कारगर रहा. बीजेपी नेताओं ने भड़काऊ बयानों के साथ अरविंद केजरीवाल को लगातार शाहीन बाग पर सामने आने के लिए ललकारते रहे, लेकिन वे पूरी तरह खामोश रहे.

लेकिन फिर दिल्ली दंगों के दौरान जिस तरह अरविंद केजरीवाल जिस तरह हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे - और हनुमान चालीसा पढ़ने से लेकर जीत का क्रेडिट हनुमान जी को देने लगे, आप नेता की पॉलिटिकल लाइन को प्रो-हिंदू और सॉफ्ट हिंदुत्व से जोड़ कर देखा जाने लगा. बाद में अक्षरधाम मंदिर में दिवाली मनाकर अरविंद केजरीवाल ने योगी आदित्यनाथ के अयोध्या की दिवाली जैसे संदेश देने की भी कोशिश की.

चौहान बांगर का नतीजा भी ऐसे ही इशारे कर रहा है कि अरविंद केजरीवाल से भी अब मुस्लिम वोटर बीजेपी की ही तरह दूरी बनाने लगा है - और ये भी जताने की कोशिश कर रहा है कि उसके पास एक पुराना ऑप्शन कांग्रेस भी है.

दिल्ली उपचुनाव में चौहान बांगर का रिजल्ट ही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और बीजेपी के लिए अगले साल होने वाले एमसीडी चुनावों के लिए रणनीति तैयार करने में सबसे मजबूत आधार बनने वाला है.

AAP की आगे की राह

दिल्ली उपचुनाव में अरविंद केजरीवाल ने MCD का नया फुल फॉर्म गढ़ा था - मोस्ट करप्ट डिपार्टमेंट.

मतलब, ये कि जहां भी मौका मिलता है अरविंद केजरीवाल अपनी जड़ों की ओर लौटने की कोशिश करते हैं - भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर लोगों का ध्यान खींचना उनको अब भी सबसे कारगर सियासी हथियार लगता है.

उपचुनाव के नतीजे आने पर अरविंद केजरीवाल ने वैसे ही रिएक्ट किया है जैसे विधानसभा चुनाव के नतीजों पर किये थे. अरविंद केजरीवाल का कहना रहा, 'दिल्ली की जनता को बधाई... आपको बधाई. ये नतीजे बताते हैं कि एक बार फिर आप ने दिल्ली सरकार के कामों पर भरोसा जताया और अच्छे काम पर मुहर लगाई.'

अरविंद केजरीवाल ने एक बार भी काम की राजनीति पर जोर देते हुए बीजेपी को टारगेट किया है. अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं, बीजेपी की जीरो सीट दिखाती है कि एमसीडी में उसके 15 साल के काम से दिल्ली के लोग इतने दुखी हैं कि बीजेपी का बैलेंस ही गोल कर दिया.

लगे हाथ मौका देख, अरविंद केजरीवाल ने अगले साल के चुनाव मैनिफेस्टो का टीजर भी जारी कर दिया - 'MCD में आये तो दिल्ली को चमका देंगे.'

आप के जीते हुए उम्मीदवारों को भी अरविंद केजरीवाल ने उसी लहजे में जीत का फॉर्मूला भी बताया. बोले, पार्षद का काम बहुत मुश्किल होता है - और ये भी समझा दिया कि इसे आसान कैसे बनाया जा सकता है.

अरविंद केजरीवाल ने कहा, सबेरे उठ कर वे एक बार अपने एरिया में चक्कर लगा आयें... देख आयें कि सफाई हो गई कि नहीं... इससे लोग बहुत खुश हो जाते हैं.

अरविंद केजरीवाल ने पार्षदों को समझाया कि मेन काम सफाई का है - क्योंकि बाकी सारे काम तो होते ही रहते हैं.

अरविंद केजरीवाल ये भी अभी से समझा दे रहे हैं. पार्षदों को भी और दिल्ली वालों को भी. अरविंद केजरीवाल के अनुसार, दिल्ली सरकार की तरफ से शिक्षा, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर कर दी गई है. अब सिर्फ सफाई रह गई है. अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि दिल्ली में गंदगी देख कर उनको बहुत दुख होता है. और फिर वादा करते हैं कि एमसीडी के भीतर एक बार आप को बहुमत हासिल हो गया, फिर तो वो दिल्ली को चमका ही देंगे.

बीजेपी के केंद्र में सत्ता में आने के बाद चुनाव चाहें जहां भी हों, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ होते हैं. करीब करीब उसी पैटर्न पर बीजेपी भी सभी चुनावों में अपने राष्ट्रीय एजेंडे के साथ ही डटी रहती है. झारखंड और दिल्ली से लेकर फिलहाल पश्चिम बंगाल चुनाव में भी बीजेपी का एक जैसा ही स्टैंड है, लेकिन अरविंद केजरीवाल मुद्दों के मामले में काफी चूजी लगते हैं. हालांकि, चौहान बांगर इलाके में कांग्रेस नेता अलका लांबा ने लोगों को बार बार याद दिलाया कि जब उनको सबसे ज्यादा जरूरत थी तो अरविंद केजरीवाल या उनकी पार्टी के लोग कहीं नजर नहीं आये. नतीजे बता रहे हैं कि इलाके लोग भी अलका लांबा की बातों से इत्तेफाक रखते हैं.

पंजाब में भले ही अरविंद केजरीवाल गच्चा खा गये लेकिन सूरत के चुनाव हों या फिर एमसीडी उपचुनाव, सभी जगह AAP का फोकस स्थानीय मुद्दों पर ही दिखायी दे रहा है.

गुजरात में निकाय चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने 8 प्वाइंट वाला एक गारंटी कार्ड जारी किया था. गारंटी कार्ड के जरिये आप ने लोगों से चुनाव जीतने पर दिल्ली मॉडल के मुताबिक स्कूल, मुफ्त इलाज के लिए मोहल्ला क्लिनिक और पार्किंग के बेहतर इंतजाम का वादा किया था. पंजाब में बुरी शिकस्त के बावजूद दिल्ली उपचुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे अच्छी खबर सूरत से आयी थी.

सूरत के नतीजों ने अरविंद केजरीवाल में इतना जोश भर दिया कि वो रोड शो करने पहुंच गये. सूरत पहुंचते ही अरविंद केजरीवाल बोले, 'पहली बार बीजेपी को किसी पार्टी ने आंख दिखाई है... बीजेपी ने 25 साल से गुजरात में दूसरी पार्टियों को कंट्रोल कर रखा है.'

जाहिर है अरविंद केजरीवाल की राजनीति की आगे की राह इन चुनाव नतीजों से ही तय होने वाली है. पंजाब विधानसभा चुनाव में तो वो नैसर्गिक रूप से दावेदार मान कर चल रहे हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ साथ गुजरात के लोगों से भी अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के लिए एक मौका मांग रहे हैं और पिछले चुनाव में पंजाब से भी बुरा हाल होने के बावजूद गोवा पर भी नजरें टिकी हुई हैं - और अगले दिल्ली नगर निगम चुनाव तो AAP के कामकाज पर जनमत संग्रह जैसे ही साबित होने वाले हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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