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अरुण जेटली: जब क्रश का पता नहीं था तब वे ही सुंदर लगते थे

    • अनु रॉय
    • Updated: 24 अगस्त, 2019 06:04 PM
  • 24 अगस्त, 2019 06:04 PM
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गहरी आंखें जिनमें सच्चाई, होंठों पर हर दिल को जीत ले ऐसी मुस्कान और करीने से कढे बाल. ऊपर से नेहरु कॉलर वाला जैकेट, सफेद कुर्ता और चूड़ीदार पजामी. कहां जीते हैं राजनेता लोग इतने परफेक्शन से ज़िंदगी.

जब क्रश का पता नहीं था तब भी अरुण जेटली ही खूबसूरत लगते थे. उनसे पहले उन जैसे खूबसूरत सिर्फ राजीव गांधी लगे थे.

राजनीति में ते ही पता नहीं क्यों राजनेताओं के चेहरे से सच्चाई और मासूमियत कहीं खो जाती है. नेताओं के होंठों की मुस्कान कुटिल दिखने लगती है. कम ही ऐसे नेता होते हैं जिनको देख कर मन सम्मान और प्रेम से भर पाता है. उन चंद नेताओं में से एक नेता अरुण जेटली थे.

गहरी आंखें जिनमें सच्चाई, होंठों पर हर दिल को जीत ले ऐसी मुस्कान और करीने से कढे बाल. ऊपर से नेहरु कॉलर वाला जैकेट, सफेद कुर्ता और चूड़ीदार पजामी. कहां जीते हैं राजनेता लोग इतने परफेक्शन से ज़िंदगी.

प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं

दिल्ली यूनिवर्सिटी से छात्र नेता और बाद में कद्दावर राजनेता बनने के बाद भी अरुण जेटली ने अपने अंदर के उस आम इंसान को मरने नहीं दिया, जिसे आम लोगों की दुःख और तकलीफ से फर्क पड़ता था. उन्होंने अपने अंदर के उस इंसान को बचाए रखा जिसने वक़ील बनने के बाद बिना फीस लिए कई लोगों का केस लड़ा. जो आपतकाल के दौरान बिना किसी से डरे गांधी मैदान में अपने अधिकारों के लिए डट कर खड़ा रहा. उनमें बगावत का जो तेवर था वो भी शालीनता से भरा हुआ था.

जब हाथों में लाल सूटकेस, चेहरे पर सौम्यता और आत्मविश्वास भरी प्यारी सी मुस्कान के साथ वो संसद में बजट प्रस्तुत करने जाते थे. उनको देखकर ही ऐसा लगता था न जाने कितना कुछ अच्छा निकलने वाला है उस लाल सूटकेस से.

बात अरुण जेटली की हो रही. आज वो हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़ कर चले गए. उनको इतनी जल्दी नहीं जाना चाहिए था. अभी उनका पार्थिव शरीर AIIMS से उनके निवास स्थान पर लाया गया. टीवी स्क्रीन पर उनके पार्थिव शरीर की एक झलक देखने को मिली. वो अब भी उतने ही...

जब क्रश का पता नहीं था तब भी अरुण जेटली ही खूबसूरत लगते थे. उनसे पहले उन जैसे खूबसूरत सिर्फ राजीव गांधी लगे थे.

राजनीति में ते ही पता नहीं क्यों राजनेताओं के चेहरे से सच्चाई और मासूमियत कहीं खो जाती है. नेताओं के होंठों की मुस्कान कुटिल दिखने लगती है. कम ही ऐसे नेता होते हैं जिनको देख कर मन सम्मान और प्रेम से भर पाता है. उन चंद नेताओं में से एक नेता अरुण जेटली थे.

गहरी आंखें जिनमें सच्चाई, होंठों पर हर दिल को जीत ले ऐसी मुस्कान और करीने से कढे बाल. ऊपर से नेहरु कॉलर वाला जैकेट, सफेद कुर्ता और चूड़ीदार पजामी. कहां जीते हैं राजनेता लोग इतने परफेक्शन से ज़िंदगी.

प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं

दिल्ली यूनिवर्सिटी से छात्र नेता और बाद में कद्दावर राजनेता बनने के बाद भी अरुण जेटली ने अपने अंदर के उस आम इंसान को मरने नहीं दिया, जिसे आम लोगों की दुःख और तकलीफ से फर्क पड़ता था. उन्होंने अपने अंदर के उस इंसान को बचाए रखा जिसने वक़ील बनने के बाद बिना फीस लिए कई लोगों का केस लड़ा. जो आपतकाल के दौरान बिना किसी से डरे गांधी मैदान में अपने अधिकारों के लिए डट कर खड़ा रहा. उनमें बगावत का जो तेवर था वो भी शालीनता से भरा हुआ था.

जब हाथों में लाल सूटकेस, चेहरे पर सौम्यता और आत्मविश्वास भरी प्यारी सी मुस्कान के साथ वो संसद में बजट प्रस्तुत करने जाते थे. उनको देखकर ही ऐसा लगता था न जाने कितना कुछ अच्छा निकलने वाला है उस लाल सूटकेस से.

बात अरुण जेटली की हो रही. आज वो हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़ कर चले गए. उनको इतनी जल्दी नहीं जाना चाहिए था. अभी उनका पार्थिव शरीर AIIMS से उनके निवास स्थान पर लाया गया. टीवी स्क्रीन पर उनके पार्थिव शरीर की एक झलक देखने को मिली. वो अब भी उतने ही खूबसूरत किसी देवदूत के जैसे दिख रहे थे. ऐसा लग रहा था मानो गहरी नींद में हों. थोड़ी देर में जग जाएंगे शायद.

कद्दावर राजनेता बनने के बाद भी अरुण जेटली ने अपने अंदर के उस आम इंसान को मरने नहीं दिया

वैसे जब भी किसी की मौत की खबर सुनती हूं तो मन रिक्तियों से भर जाता है. कुछ दिन पहले सुषमा स्वराज चली गयीं. इस वक़्त आंखों के सामने सुषमा जी के पति स्वराज चौधरी का चेहरा बार-बार सामने आ रहा. सोच रही हूं अभी इस पल संगीता जेटली के ऊपर क्या गुजर रही होगी. देश ने अपना नेता खोया है और उन्होंने अपना हमसफर, अपना साथी खो दिया है. आज के बाद उन्हें दुनिया में सब दिखाई देंगे बस वही नहीं दिखेंगे जो उनके लिए उनकी दुनिया थी.

अरुण जेटली का जाना न सिर्फ भाजपा के लिए दुखद है बल्कि ये देश की राजनीति के अहम स्थान को खाली कर देने वाली बात है. अरुण जेटली ने राजनीति में होते हुए भी राजनीतिक कट्टरता से खुद को बचाए रखा. ये जो दौर है जहां एक खास धर्म और जाति को टार्गेट किया जा रहा है, बोलने की आज़ादी पर सवाल उठाए जा रहे हैं, इस दौर में अरुण जेटली कई बार ये कहते नज़र आए कि- “Who lives if India doesn't survive?” अब इस बात को समझने वाला और समझाने वाला शख़्स गुज़र चुका है. अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- “We as a government are entitled to be criticised.”

देश को अभी ज़रूरत थी उनकी. उनके नेतृत्व की. उनका यूं चले जाना पीड़ादायी है. अब संसद के गलियारे में कभी भी न वो मुस्कान दिखेगी और न वो सकारात्मक ऊर्जा महसूस होगी. लेकिन देश सदा आपको याद करेगा. आपकी मुस्कान रहेगी सदा-सदा के लिए दिलों में.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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