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गुजरात चुनाव 1995 से 2017 तक: ऐसे बदले भाजपा के नारे और फिर नतीजे

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 14 दिसम्बर, 2017 01:27 PM
  • 14 दिसम्बर, 2017 01:27 PM
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1995 से लगातार भाजपा आकर्षक नारों के साथ पांच बार तो गुजरात के सिंहासन पर अपना परचम लहरा चुकी है. लेकिन क्या इस बार भी इसमें वो कामयाब हो पाएगी या नहीं इसके लिए 18 दिसम्बर तक इंतज़ार करना पड़ेगा.

हर चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियां दिलचस्प व आकर्षक नारों का सहारा लेती हैं और समय के साथ ये नारे बदलते भी रहते हैं. अगर हम बात करें गुजरात की तो इस बार भी भाजपा ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए आकर्षक नारों का सहारा लिया गया.

जानते हैं कैसे गुजरात में भाजपा के नारे, हर चुनाव में बदलते गए और उसके क्या परिणाम हुए:

1995 का विधानसभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: केशुभाई पटेल और शंकरसिंह बघेला

भाजपा का नारा: "जब आप वोट करने जाओ, तो लतीफ को मत भूलना" (अब्दुल लतीफ़ गुजरात का माफिया डॉन था और पाकिस्तान भगा हुआ था)

परिणाम: भाजपा को 121 सीटें मिलीं और पहली बार इनकी सरकार बनी. कांग्रेस को मात्र 45 सीटें प्राप्त हुईं.

1998 का विधान सभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: केशुभाई पटेल

भाजपा का नारा: "भाजपा खजुरिया-हजुरिया'' 

परिणाम: भाजपा 117 सीटों के साथ भारी बहुमत से सरकार का गठन किया. कांग्रेस को 53 सीटें मिलीं.

इस साल भी मोदी ही स्टार हैं

2002 का विधानसभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: नरेंद्र मोदी

भाजपा का नारा: "आतंकवाद विरुद्ध राष्ट्रवाद, गुजरात अस्मिता और मियां मुशर्रफ"

परिणाम: भाजपा पिछले चुनाव के मुक़ाबले 10 सीटें ज़्यादा जीतकर 127 सीटों के साथ सत्ता में आई और कांग्रेस को कुल 51 सीटें हासिल हुईं. यहां गुजरात दंगों के कुछ महीने बाद ही ये चुनाव हुए थे.

2007 का विधानसभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: नरेंद्र मोदी

भाजपा का नारा: "जीतेगा गुजरात"

परिणाम: भाजपा को 117 सीटें मिली और कांग्रेस को मात्र 59. इस चुनाव में सोनिया गांधी के 'मौत के...

हर चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियां दिलचस्प व आकर्षक नारों का सहारा लेती हैं और समय के साथ ये नारे बदलते भी रहते हैं. अगर हम बात करें गुजरात की तो इस बार भी भाजपा ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए आकर्षक नारों का सहारा लिया गया.

जानते हैं कैसे गुजरात में भाजपा के नारे, हर चुनाव में बदलते गए और उसके क्या परिणाम हुए:

1995 का विधानसभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: केशुभाई पटेल और शंकरसिंह बघेला

भाजपा का नारा: "जब आप वोट करने जाओ, तो लतीफ को मत भूलना" (अब्दुल लतीफ़ गुजरात का माफिया डॉन था और पाकिस्तान भगा हुआ था)

परिणाम: भाजपा को 121 सीटें मिलीं और पहली बार इनकी सरकार बनी. कांग्रेस को मात्र 45 सीटें प्राप्त हुईं.

1998 का विधान सभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: केशुभाई पटेल

भाजपा का नारा: "भाजपा खजुरिया-हजुरिया'' 

परिणाम: भाजपा 117 सीटों के साथ भारी बहुमत से सरकार का गठन किया. कांग्रेस को 53 सीटें मिलीं.

इस साल भी मोदी ही स्टार हैं

2002 का विधानसभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: नरेंद्र मोदी

भाजपा का नारा: "आतंकवाद विरुद्ध राष्ट्रवाद, गुजरात अस्मिता और मियां मुशर्रफ"

परिणाम: भाजपा पिछले चुनाव के मुक़ाबले 10 सीटें ज़्यादा जीतकर 127 सीटों के साथ सत्ता में आई और कांग्रेस को कुल 51 सीटें हासिल हुईं. यहां गुजरात दंगों के कुछ महीने बाद ही ये चुनाव हुए थे.

2007 का विधानसभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: नरेंद्र मोदी

भाजपा का नारा: "जीतेगा गुजरात"

परिणाम: भाजपा को 117 सीटें मिली और कांग्रेस को मात्र 59. इस चुनाव में सोनिया गांधी के 'मौत के सौदागर' वाले बयान पर भी खूब विवाद हुआ था.

2012 विधानसभा चुनाव-

भाजपा नेतृत्व: नरेंद्र मोदी

भाजपा का नारा: "एकमत गुजरात, बना भाजपा सरकार"

परिणाम: भाजपा 115 सीटों के साथ पांचवी बार गुजरात के सिंहासन पर काबिज़ हुआ. इस बार कांग्रेस को 61 सीटों पर संतोष करना पड़ा.

2017 का विधानसभा चुनाव- 

भाजपा नेतृत्व: नरेंद्र मोदी

समय के साथ नारे भी बदले

भाजपा का नारा: हूं छू गुजरात, हूं छू विकास (मैं गुजरात हूं, मैं विकास हूं)

परिणाम: 18 दिसम्बर तक का इंतज़ार

कांग्रेस भी पीछे नहीं है

2017 गुजरात चुनाव की बात करें, तो इस बार बीजेपी के साथ कांग्रेस ने भी अपना नारा दिया है- विकास गांडो थयो छे (विकास पगला गया है) और "कांग्रेस आवे छे, नवसर्जन लावे छे" (कांग्रेस आएगी और नया युग लाएगी)

इस तरह साल 1995 से लगातार भाजपा आकर्षक नारों के साथ पांच बार तो गुजरात के सिंहासन पर अपना परचम लहरा चुकी है. लेकिन क्या इस बार भी इसमें वो कामयाब हो पाएगी या नहीं इसके लिए 18 दिसम्बर तक इंतज़ार करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें-

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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