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कर्नाटक को लेकर अमित शाह की चेतावनी कहीं नया 'इशारा' तो नहीं...

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 21 मई, 2018 03:16 PM
  • 21 मई, 2018 03:16 PM
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अमित शाह ने कहा है कि यह 'अपवित्र गठबंधन' की सरकार है, ऐसी सरकारें अधिक दिनों तक नहीं चलती हैं. अब इसे अमित शाह का महज एक बयान समझकर भूल जाना चाहिए या फिर इसमें कोई इशारा भी छुपा हो सकता है?

कर्नाटक चुनाव के नाटक में उस वक्त एक नया मोड़ आ गया जब ढाई दिन के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया. अब कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन की सरकार बनेगी और नए मुख्यमंत्री होंगे कुमारस्वामी. लेकिन इन सबके बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस गठबंधन पर जुबानी तीर चलाते हुए इसे 'अपवित्र गठबंधन' कह दिया है. उन्होंने कहा है कि यह 'अपवित्र गठबंधन' की सरकार है, ऐसी सरकारें अधिक दिनों तक नहीं चलती हैं. अब इसे अमित शाह का महज एक बयान समझकर भूल जाना चाहिए या फिर इसमें कोई इशारा भी छुपा हो सकता है?

कौन से इशारे की हो रही है बात?

इशारा ये कि कहीं कर्नाटक में भी बिहार जैसा तो नहीं होगा. बिहार में भी महागठबंधन बना था, लेकिन बीच में ही नीतीश के इस्तीफे के साथ सरकार गिर गई और फिर भाजपा के साथ मिलकर नीतीश ने दोबारा बिहार में सरकार बनाई. नीतीश ने तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा देने की बात कही थी, जिसके तुरंत बाद पीएम मोदी ने नीतीश को बधाई दी. बात तो यहीं साफ हो गई थी कि गठबंधन होगा और फिर हुआ भी वैसा ही. भाजपा के साथ गठबंधन करते हुए नीतीश कुमार ने दोबारा सरकार बना ली.

अमित शाह ने कहा है कि यह 'अपवित्र गठबंधन' की सरकार है, ऐसी सरकारें अधिक दिनों तक नहीं चलती हैं.

तो क्या कर्नाटक में हो सकता है ऐसा?

भाजपा को बहुमत पाने के लिए सिर्फ 7 सीटों की जरूरत है, जबकि अगर कांग्रेस और जेडीएस अलग-अलग बहुमत के आंकड़े से काफी दूर हैं. अभी तो सिर्फ कांग्रेस और जेडीएस के बीच गठबंधन की बात हुई है. भले ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को कुर्बान कर दिया है, लेकिन मंत्रालय में पद की लालसा तो सभी के मन में होगी. अगर मंत्रीपद पाने को लेकर कोई विवाद होता है तो इसमें कोई दोराय नहीं...

कर्नाटक चुनाव के नाटक में उस वक्त एक नया मोड़ आ गया जब ढाई दिन के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया. अब कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन की सरकार बनेगी और नए मुख्यमंत्री होंगे कुमारस्वामी. लेकिन इन सबके बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस गठबंधन पर जुबानी तीर चलाते हुए इसे 'अपवित्र गठबंधन' कह दिया है. उन्होंने कहा है कि यह 'अपवित्र गठबंधन' की सरकार है, ऐसी सरकारें अधिक दिनों तक नहीं चलती हैं. अब इसे अमित शाह का महज एक बयान समझकर भूल जाना चाहिए या फिर इसमें कोई इशारा भी छुपा हो सकता है?

कौन से इशारे की हो रही है बात?

इशारा ये कि कहीं कर्नाटक में भी बिहार जैसा तो नहीं होगा. बिहार में भी महागठबंधन बना था, लेकिन बीच में ही नीतीश के इस्तीफे के साथ सरकार गिर गई और फिर भाजपा के साथ मिलकर नीतीश ने दोबारा बिहार में सरकार बनाई. नीतीश ने तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा देने की बात कही थी, जिसके तुरंत बाद पीएम मोदी ने नीतीश को बधाई दी. बात तो यहीं साफ हो गई थी कि गठबंधन होगा और फिर हुआ भी वैसा ही. भाजपा के साथ गठबंधन करते हुए नीतीश कुमार ने दोबारा सरकार बना ली.

अमित शाह ने कहा है कि यह 'अपवित्र गठबंधन' की सरकार है, ऐसी सरकारें अधिक दिनों तक नहीं चलती हैं.

तो क्या कर्नाटक में हो सकता है ऐसा?

भाजपा को बहुमत पाने के लिए सिर्फ 7 सीटों की जरूरत है, जबकि अगर कांग्रेस और जेडीएस अलग-अलग बहुमत के आंकड़े से काफी दूर हैं. अभी तो सिर्फ कांग्रेस और जेडीएस के बीच गठबंधन की बात हुई है. भले ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को कुर्बान कर दिया है, लेकिन मंत्रालय में पद की लालसा तो सभी के मन में होगी. अगर मंत्रीपद पाने को लेकर कोई विवाद होता है तो इसमें कोई दोराय नहीं है कि कुछ विधायक नाराज हो सकते हैं. अगर 10 विधायकों ने भी गुस्सा जाहिर करते हुए इस्तीफा दिया तो सरकार गिर जाएगी. वहीं भारतीय जनता पार्टी ऐसे मौकों पर विशेष निगाह गड़ाए रहती है, जैसा कि बिहार में हम देख ही चुके हैं. इन नाराज विधायकों को मंत्री पद देना भाजपा के लिए कोई बड़ी बात नहीं होगी और वह कर्नाटक में अपनी सरकार बना लेगी.

कब तक चलेगा जेडीएस-कांग्रेस का गठबंधन?

चुनाव प्रचार के दौरान जेडीएस और कांग्रेस दोनों ने ही एक दूसरे को कोसा था, लेकिन वक्त की नजाकत को समझते हुए दोनों साथ मिल गए. कांग्रेस ने हाथ बढ़ाया क्योंकि वह धीरे-धीरे हर राज्य से बाहर होती जा रही है, वहीं जेडीएस भी पिछले 10 सालों से सत्ता में नहीं है, इसलिए उसने भी कांग्रेस को दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. दो दलों की मजबूरी से ये गठबंधन बन गया, जिसने देश के अलग-अलग राज्यों में तेजी से पांव पसार रही भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ के पहिए रोक दिए. कर्नाटक चुनाव के दौरान सट्टेबाजों ने राज्य में स्थिर सरकार देने के लिए भाजपा पर दाव लगाया था, जिसके बाद उन्हें नुकसान हुआ. अब खबर है कि सट्टेबाज इस बात पर दाव लगा रहे हैं कि जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार कितने दिन चलेगी. भाजपा की उस मौके का बेसब्री से इंतजार कर रही है जब या तो गठबंधन टूट जाए या फिर इस गठबंधन से कुछ विधायक टूट जाएं.

कांग्रेस ने सीखा सबक

गोवा और मणिपुर से कांग्रेस ने सबक सीखा और उसे कर्नाटक चुनाव में लागू किया. दो राज्यों में जीत के करीब पहुंचकर भी सरकार न बना पाने वाली कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव में हर कदम फूंक-फूंक कर रखा, लेकिन रफ्तार में कोई कमी नहीं आने दी. गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन भाजपा ने दूसरे दलों से बात की और अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल कर ली. कर्नाटक में भाजपा के साथ वैसा ही हुआ, जैसा उसने गोवा और मणिपुर में कांग्रेस के साथ किया. यहां कांग्रेस ने दूसरे दल से बात कर के मुख्यमंत्री पद तक उन्हें ऑफर कर दिया. यहां पर भाजपा ने सबसे बड़ी पार्टी का हवाला देते हुए सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया और राज्यपाल की मंजूरी भी पा ली, लेकिन कांग्रेस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर आई, जिसके बाद येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया.

भाजपा से अधिक वोट मिले कांग्रेस को

अमित शाह ने जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन को अपवित्र कहते हुए जनादेश के खिलाफ कहा है. उन्होंने कहा कि भाजपा को जनादेश मिला, लेकिन बहुमत से 7 कदम दूर रह गए. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि भले ही भाजपा ने सबसे अधिक सीटें (104) जीत ली हों, लेकिन उसका वोटशेयर कांग्रेस से कम ही है. जहां एक ओर भाजपा को 36.2 फीसदी वोट मिले हैं, वहीं कांग्रेस को भाजपा से 26 सीटें कम मिलने के बावजूद 38 फीसदी वोट मिले हैं.

भले ही भाजपा ने सबसे अधिक सीटें (104) जीत ली हों, लेकिन उसका वोटशेयर कांग्रेस से कम ही है.

बहुमत के इतना नजदीक होने के बावजूद सरकार न बना पाने के मलाल तो भाजपा को हमेशा रहेगा और साथ ही ये कोशिश भी रहेगी कि जैसे-तैसे कर्नाटक में भाजपा की सरकार बन सके. अमित शाह तो यह कह भी चुके हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला न आता और उन्हें 15 दिन का समय मिलता तो कर्नाटक में भाजपा की सरकार ही बनती. वह मानते हैं कि इतने दिनों में जब विधायक जनता के बीच जाते तो उनका मन जरूर बदलता. ये साफ इशारा है कि कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनाने की अमित शाह की कोशिश अभी रुकी नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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