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लखीमपुर वाले अजय मिश्र टेनी को लेकर अमित शाह के मन में ये कैसा कन्फ्यूजन?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 02 नवम्बर, 2021 12:55 PM
  • 31 अक्टूबर, 2021 01:26 PM
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अमित शाह (Amit Shah) और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी (Ajay Mishra Teni) को देख कर विपक्ष आक्रामक हो गया है - लेकिन बड़ा सवाल ये है कि बाकी कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री कहीं नजर क्यों नहीं आ रहे हैं?

अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) को लेकर ऐसा लग रहा था जैसे बीजेपी नेतृत्व ने फाइनल फैसला ले लिया हो, लेकिन अमित शाह (Amit Shah) के लखनऊ दौरे में लगा ऐसी कोई बात नहीं हुई है. लगता है बीजेपी नेतृत्व बीच का कोई सेफ पैसेज खोज रहा हो, जो राजनीतिक तौर पर भी दुरूस्त हो.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मोदी कैबिनेट से हटाये जाने की मांग हो रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तो अजय मिश्रा टेनी के हटाये जाने तक न्याय की लड़ाई लड़ने का ऐलान तक कर डाली हैं - और कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को एक ज्ञापन भी सौंपा जा चुका है.

अमित शाह के यूपी दौरे में अजय मिश्रा टेनी की मंच पर मौजूदगी को लेकर विपक्ष ने नये सिरे से हमला बोल दिया है. अब तो सवाल ये उठाया जाने लगा है कि जो हाल है, उसमें लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय तो मिलने से रहा.

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में आठ लोगों की मौत हो गयी थी. मरने वालों में किसान, बीजेपी कार्यकर्ता और एक पत्रकार भी शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे अजय मिश्र मोनू हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिये गये हैं - और उसी को लेकर अजय मिश्रा टेनी को हटाये जाने की मांग हो रही है.

ध्यान देने वाली बात ये है कि अमित शाह के साथ अजय मिश्रा टेनी की मंच पर मौजूदगी की सिर्फ दो तस्वीरें सामने आयी हैं, लेकिन लखनऊ के डिफेंस एक्सपो ग्राउंड में केंद्रीय गृह मंत्री की रैली के दौरान अजय मिश्रा टेनी कहीं भी दिखायी नहीं दे रहे हैं - यहां तक कि खुद अमित शाह ने जो तस्वीरें शेयर की है या बीजेपी की तरफ से शेयर की गयी हैं - अजय मिश्रा टेनी कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं.

अजय मिश्रा टेनी को लेकर अब शक इसलिए भी...

अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) को लेकर ऐसा लग रहा था जैसे बीजेपी नेतृत्व ने फाइनल फैसला ले लिया हो, लेकिन अमित शाह (Amit Shah) के लखनऊ दौरे में लगा ऐसी कोई बात नहीं हुई है. लगता है बीजेपी नेतृत्व बीच का कोई सेफ पैसेज खोज रहा हो, जो राजनीतिक तौर पर भी दुरूस्त हो.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मोदी कैबिनेट से हटाये जाने की मांग हो रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तो अजय मिश्रा टेनी के हटाये जाने तक न्याय की लड़ाई लड़ने का ऐलान तक कर डाली हैं - और कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को एक ज्ञापन भी सौंपा जा चुका है.

अमित शाह के यूपी दौरे में अजय मिश्रा टेनी की मंच पर मौजूदगी को लेकर विपक्ष ने नये सिरे से हमला बोल दिया है. अब तो सवाल ये उठाया जाने लगा है कि जो हाल है, उसमें लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय तो मिलने से रहा.

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में आठ लोगों की मौत हो गयी थी. मरने वालों में किसान, बीजेपी कार्यकर्ता और एक पत्रकार भी शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे अजय मिश्र मोनू हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिये गये हैं - और उसी को लेकर अजय मिश्रा टेनी को हटाये जाने की मांग हो रही है.

ध्यान देने वाली बात ये है कि अमित शाह के साथ अजय मिश्रा टेनी की मंच पर मौजूदगी की सिर्फ दो तस्वीरें सामने आयी हैं, लेकिन लखनऊ के डिफेंस एक्सपो ग्राउंड में केंद्रीय गृह मंत्री की रैली के दौरान अजय मिश्रा टेनी कहीं भी दिखायी नहीं दे रहे हैं - यहां तक कि खुद अमित शाह ने जो तस्वीरें शेयर की है या बीजेपी की तरफ से शेयर की गयी हैं - अजय मिश्रा टेनी कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं.

अजय मिश्रा टेनी को लेकर अब शक इसलिए भी गहराता जा रहा है कि अगर वो अमित शाह और योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के साथ मंच पर मौजूद थे, तो वो बाकी कार्यक्रम में क्यों नहीं दिखायी पड़े - क्या अजय मिश्रा टेनी को सामने से हट जाने के लिए कहा गया होगा? और अगर ऐसा कहा गया तो आखिर क्यों?

लखीमपुर खीरी हिंसा पर कोई कन्फ्यूजन है क्या?

बीजेपी की लखनऊ रैली में अमित शाह ने यूपी की मौजूदा कानून-व्यवस्था की दिल खोल कर तारीफ की, 'आज 16 साल की बच्ची भी गहने लेकर रात 12 बजे भी स्कूटी से यूपी की सड़कों पर चल सकती है,' - और 2017 से पहले की हालत को लेकर कहा कि उनका खून खौल उठता था.

अजय मिश्रा पर अमित शाह ने यूपी के मुख्यमंत्री को मैसेज दे तो दिया, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने लिया भी क्या?

ऐसा दावा करके अमित शाह खुद ही घिरे नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग अमित शाह की बातों को फिल्मी करार देने लगे हैं. हाथरस में गैंग रेप की शिकार लड़की के जबरन अंतिम संस्कार कराये जाने की याद दिलाने के साथ लोग लिख रहे हैं, 'अभी दो दिन पहले तो इनकी ही पार्टी की एक महिला नेता कह रही थीं कि सूरज ढलने के बाद कोई महिला अगर थाने भी जाये तो किसी को साथ लेकर जाये या अगले दिन सुबह जाये.'

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के खिलाफ आक्रामक रुख दिखाने वाले रिटायर हो चुके आइएएस सूर्य प्रताप सिंह ने बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बेबी रानी मौर्या का वो बयान भी शेयर किया है जिसमें वो महिलाओं को शाम के 5 बजे के बाद थाने में न जाने की सलाह दे रही हैं.

कानून व्यवस्था को लेकर दावे के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने जूनियर मिनिस्टर अजय मिश्रा टेनी को लेकर भी विपक्षी नेताओं के निशाने पर हैं. सूर्य प्रताप सिंह के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी अमित शाह के मंच पर अजय मिश्रा टेनी की मौजूदगी की तस्वीर शेयर कर सवाल उठाये जा रहे हैं.

अजय मिश्रा टेनी की अमित शाह के मंच पर मौजूदगी की सिर्फ ये दो तस्वीरें ही सामने आ रही हैं. एक तस्वीर में अमित शाह और योगी आदित्यनाथ हाथ जोडे़ हुए मंच पर नजर आते हैं और अमित शाह के ठीक पीछे अजय मिश्रा टेनी खड़े नजर आ रहे हैं. अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ ने ये तस्वीर खबर के साथ प्रकाशित की है - और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भी यही वाली तस्वीर शेयर की है.

एक अन्य तस्वीर भी सामने आयी है. अजय मिश्रा टेनी की मौजूदगी दर्ज करा रही इस तस्वीर में अमित शाह के साथ यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी देखे जा सकते हैं. लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद जब केंद्रीय मंत्री के इस्तीफे की मांग हो रही थी और आईपीसी की धारी 302 के केस में नामजद उनके बेटे को यूपी पुलिस के नोटिस पर सवाल उठ रहे थे, तभी स्वतंत्र देव सिंह का एक बयान भी खासा चर्चित रहा, 'हम राजनीति में लूटने के लिए नहीं हैं - और न ही किसी को फार्च्यूनर से कुचलने के लिए आये हैं.'

जैसी की तब खबरें आ रही थीं, अजय मिश्रा टेनी उस वक्त बीजेपी दफ्तर में ही मौजूद थे जब लखीमपुर खीरी पुलिस के पास उनके बेटे अजय मिश्र मोनू को बीजेपी के ही एक विधायक अपने स्कूटर से छोड़ने गये थे. बीजेपी दफ्तर में कार्यकर्ताओं को शांत कराते हुए अजय मिश्रा टेनी ने कहा था कि वो कुछ ऐसा वैसा नहीं होने देंगे, लेकिन ऐसा लगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद पुलिस ने आशीष मिश्र मोनू को गिरफ्तार को जेल भेज दिया.

सवाल ये भी है कि योगी आदित्यनाथ और स्वतंत्रदेव सिंह की मौजूदगी में अजय मिश्रा टेनी को मंच पर जगह देकर अमित शाह ने दोनों बीजेपी नेताओं को कोई मैसेज देने की कोशिश की है - और उससे भी बड़ा सवाल ये है कि उसके पहले और बाद में मंच पर अजय मिश्रा टेनी कहीं नजर क्यों नहीं आ रहे हैं - क्या अमित शाह भी इस मुद्दे पर किसी तरह के उधेड़बुन में फंसे हैं?

'एनडीए सरकार में इस्तीफे...'

अजय मिश्रा टेनी को लेकर योगी आदित्यनाथ और स्वतंत्रदेव सिंह को अमित शाह का जो भी मैसेज समझ में आया हो, लेकिन विपक्ष को कोई स्पष्ट मैसेज नहीं मिला है. अगर पूरे कार्यक्रम के दौरान अजय मिश्र मंच पर नजर आते तो सब कुछ साफ साफ नजर आता - कम से कम ये तो समझ में आता ही कि मोदी सरकार अजय मिश्रा का इस्तीफा लेना तो दूर कदम कदम पर उनके साथ खड़ी रहेगी.

अजय मिश्रा टेनी के मामले में भी बीजेपी का स्टैंड केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की ही तरह लगता है - महाराष्ट्र पुलिस के एक्शन को लेकर बीजेपी नारायण राणे के साथ खंभे की तरह खड़ी नजर आयी, लेकिन उद्धव ठाकरे को लेकर उनके बयान का किसी ने खुल कर सपोर्ट नहीं किया था. ऐसा लगता है बीजेपी को जो डर महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता को लेकर रहा होगा, करीब करीब वैसे ही वो किसानों की नाराजगी से बचने की कोशिश कर रही होगी.

अजय मिश्रा टेनी की अमित शाह के मंच पर एक दो तस्वीरें ले लिये जाने के बाद उनको नेपथ्य में भेज दिया जाना बीजेपी नेतृत्व की राजनीतिक भूल लगती है - और जिस तरीके से विपक्षी नेताओं के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं, नेतृत्व को अपना स्टैंड सार्वजनिक तौर पर साफ करना ही होगा. जब अजय मिश्रा टेनी सरकारी बैठकों में हिस्सा ले ही रहे हैं, फिर दिक्कत क्या है? रिपोर्ट के मुताबिक, अमित शाह की रैली से ठीक एक दिन पहले ही 28 अक्टूबर को कंसल्टेटिव कमेटी की मीटिंग में एक और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के साथ अजय मिश्रा टेनी के अलावा गृह सचिव अजय कुमार भल्ला भी मौजूद थे - और बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी.

आखिर संकोच किस बात को लेकर है? सिर पर चुनाव होने के बावजूद जब अजय मिश्रा टेनी का इस्तीफा नहीं लेना है तो अमित शाह भी राजनाथ सिंह की तरह खुल कर बोल क्यों नहीं देते - तब राजनाथ सिंह भी गृह मंत्री थे, जब 24 जून, 2015 को उनका एक बयान बहुत ज्यादा चर्चित हुआ था. राजनाथ सिंह ने कहा था, 'नहीं नहीं... इस पर मंत्रियों के त्यागपत्र नहीं होते हैं भैया... ये यूपीए नहीं एनडीए गवर्नमेंट है.'

ये तब की बात है जब आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मदद और उनके साथ संबंधों को लेकर तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और तब राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत सिंह विपक्ष के लगातार निशाने पर रहे.

राजनाथ सिंह यूपीए सरकार में जिन इस्तीफों की तरफ इशारा कर रहे थे, उनमें सबसे ज्यादा चर्चित शिवराज पाटिल का इस्तीफा रहा - दरअसल, 2008 के मुंबई हमले के वक्त शिवराज पाटिल के बार बार सूट बदलने को लेकर काफी विवाद हो गया था.

वैसे एनडीए में इस्तीफे न देने की परंपरा तो तभी टूट गयी जब मीटू मुहिम के दौरान आरोप लगने पर विदेश राज्य मंत्री रहे एमजे अकबर को कुर्सी छोड़ देनी पड़ी थी - देखना है अजय मिश्रा टेनी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आखिरी फैसला क्या होता है?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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