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गुजरात में अमित शाह की फूट डालो और राज करो की नीति

    • गोपी मनियार
    • Updated: 08 सितम्बर, 2016 09:01 PM
  • 08 सितम्बर, 2016 09:01 PM
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गुजरात में पाटीदारों में अमित शाह की फूट डालो और राज करो की नीति कारगर साबित हो रही है. दरअसल बड़े उद्योगपति मुकेश पटेल और महेश सवानी के जरिए जारी किए गए स्टिंग ऑपरेशन के बाद जानकार तो यही मान रहे हैं.

हार्दिक के चचेरे भाई रवि पटेल का पैसा लेते दिखाए गए स्टिंग ऑपरेशन के बाद मुकेश पटेल का आरोप है कि हार्दिक समाज को गुमराह करते हुए आरक्षण आंदोलन के नाम पर समाज के लोगों से पैसे ऐंठने का काम कर रहा है. इस बात को लेकर अब पाटीदारों में दो गुट हो गये हैं. एक गुट वो है जो अमित शाह के स्वागत की तैयारी में जुटा है और सरकार के साथ खडा है. तो दूसरा गुट वो जो आरक्षण की मांग के साथ सरकार के सामने हार्दिक के साथ खडा है.

पिछले दिनों हार्दिक को चार बड़े साथ जो आरक्षण आंदोलन के पहले दिन से हार्दिक के साथ थे, उन्होंने भी हार्दिक पर पैसे ऐंठने और आंदोलन को राजनैतिक रुप देने का आरोप लगाया है. हार्दिक के पूर्व साथी निखिल सवानी का कहना है कि हार्दिक मनमानी करता है और आंदोलन को राजनैतिक बना रहा है.

  हार्दिक पटेल पर मनमानी करने और आंदोलन को राजनैतिक रूप देने का आरोप

तो वहीं मुकेश पटेल ओर महेश सवानी सूरत को दो बड़े पाटीदार उद्धोगपति, पाटीदार समाज में इन दोनों उद्धोगपतियों को सरकार और समाज दोनों के नजदीक माना जाता है. पाटीदार आरक्षण आंदोलन जब चल रहा था, उस वक्त ये मुकेश पटेल ही थे जिसने सरकार और पाटीदार के बीच मध्यस्थ कि भूमिका अदा की थी. हालांकि आज सूरत में जो पाटीदार अभिवादन समारोह होने जा रहा है उसे भी सरकार के साथ मिलकर इन्हीं दो पाटीदार उद्धोगपतियों ने आयोजित किया है. सरकार के साथ और हार्दिक के साथ इस तरह फिलहाल पाटीदार समाज दो हिस्सों में बंट चुका है.

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हार्दिक के चचेरे भाई रवि पटेल का पैसा लेते दिखाए गए स्टिंग ऑपरेशन के बाद मुकेश पटेल का आरोप है कि हार्दिक समाज को गुमराह करते हुए आरक्षण आंदोलन के नाम पर समाज के लोगों से पैसे ऐंठने का काम कर रहा है. इस बात को लेकर अब पाटीदारों में दो गुट हो गये हैं. एक गुट वो है जो अमित शाह के स्वागत की तैयारी में जुटा है और सरकार के साथ खडा है. तो दूसरा गुट वो जो आरक्षण की मांग के साथ सरकार के सामने हार्दिक के साथ खडा है.

पिछले दिनों हार्दिक को चार बड़े साथ जो आरक्षण आंदोलन के पहले दिन से हार्दिक के साथ थे, उन्होंने भी हार्दिक पर पैसे ऐंठने और आंदोलन को राजनैतिक रुप देने का आरोप लगाया है. हार्दिक के पूर्व साथी निखिल सवानी का कहना है कि हार्दिक मनमानी करता है और आंदोलन को राजनैतिक बना रहा है.

  हार्दिक पटेल पर मनमानी करने और आंदोलन को राजनैतिक रूप देने का आरोप

तो वहीं मुकेश पटेल ओर महेश सवानी सूरत को दो बड़े पाटीदार उद्धोगपति, पाटीदार समाज में इन दोनों उद्धोगपतियों को सरकार और समाज दोनों के नजदीक माना जाता है. पाटीदार आरक्षण आंदोलन जब चल रहा था, उस वक्त ये मुकेश पटेल ही थे जिसने सरकार और पाटीदार के बीच मध्यस्थ कि भूमिका अदा की थी. हालांकि आज सूरत में जो पाटीदार अभिवादन समारोह होने जा रहा है उसे भी सरकार के साथ मिलकर इन्हीं दो पाटीदार उद्धोगपतियों ने आयोजित किया है. सरकार के साथ और हार्दिक के साथ इस तरह फिलहाल पाटीदार समाज दो हिस्सों में बंट चुका है.

ये भी पढ़ें- गुजरात की बीजेपी पॉलिटिक्‍स का केंद्र बन गया है सौराष्ट्र !

मुकेश पटेल का कहना है कि हार्दिक आंदोलन को राजनैतिक रुप दे रहा था जिस वजह से ये वीडियो जारी करना पडा. तो वहीं जानकारों की मानें तो आनंदीबेन के इस्तीफे के बाद अमित शाह गुजरात की राजनीति में एक बार फिर एक्टिव हो गए हैं. और उसका नतीजा ये कि आज पाटीदार दो गुट में बंटे हुए हैं. वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत दयाल का कहना है कि अमित शाह आंनदीबेन के इस्तीफे के बाद एक बार फिर गुजरात में एक्टिव हुऐ हैं और इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये अमित शाह कि रणनीति हो सकती है.

पाटीदारों के बीच पड़ी इस फूट का पूरा फायदा बीजेपी इन दिनों लेने में लगी है. जिस तरह पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने 20 साल पुराने सत्ता पक्ष की नींव को ही हिला दिया था, उसी के तहत अब जब पाटीदारों में फूट पड़ी है तो उसका सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को मिल रहा है.

बीजेपी इन दिनों पाटीदारों के बीच पड़ी फूट का फायदा उठाने में लगी है

सरकार के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने हार्दिक का नाम लिए बिना हार्दिक पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कई लोग पाटीदार आंदोलन का फायदा उठाकर कांग्रेस को राजनैतिक फायदा दिलाने की कोशिश में लगे हुए हैं. पाटीदार समाज के लोगों को ये बात मालूम हो गई जिसके चलते उन्होंने हार्दिक का साथ छोड़ते हुए ये कदम उठाया है. तो वहीं हार्दिक पटेल ने भी मुकेश पटेल के जरिए लगाए गए आरोप के सामने उल्टा आरोप लगाया है कि आनंदीबेन पटेल को सत्ता से हटाने के लिए आमित शाह ने मुकेश पटेल और महेश सवानी के जरीए आंदोलन को आर्थिक तौर पर मदद करवाई थी.

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पाटीदार वोट बैंक गुजरात के लिए काफी अहम है और उनका वर्चस्व सौराष्ट्र में काफी ज्यादा है. गुजरात की राजनीति में किसी भी पार्टी के सत्ता के तख्त पर काबिज होने के लिए पाटीदार समुदाय का सहारा लेना ही पड़ता है. और सूरत हमेशा से पाटीदारों का ऐपी सेन्टर रहा है. यही वजह है कि जो पाटीदार अब तक आंदोलन के चलते नाराज चल रहे थे, उन्हीं पाटीदारों में अंदरुनी फूट बीजेपी के लिये एक उम्मीद की किरण जरूर साबित हो रही है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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