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अमर-आजम के 11 कड़वे बोल कैसे भूले मुलायम!

    • अनूप श्रीवास्तव
    • Updated: 18 मई, 2016 06:50 PM
  • 18 मई, 2016 06:50 PM
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अमर सिंह ने कभी कहा था कि मैं मर भी जाऊंगा तो भी सपा में वापस नहीं जाऊंगा, लेकिन अब उनकी सपा में वापसी होने जा रही है. अमर सिंह ने सपा के खिलाफ ऐसे-ऐसे बयान दिए हैं कि शायद ही पार्टी उन्हें कभी भूल पाए.

'मैं मर जाऊंगा लेकिन सपा में कभी वापस नहीं जाऊंगा', जैसे बयान देने वाले अमर सिंह अब फिर से सपा में वापसी के लिए तैयार हैं, सपा ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया है. अपने निर्वासन के छह सालों के दौरान अमर सिंह ने सपा और मुलायम सिंह के खिलाफ इतनी तल्ख बयानबयाजियां की हैं कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है इतना जहर उगलने के बाद कैसे अमर उसी पार्टी में वापस जा रहे हैं.

हालांकि आजम खान और राम गोपाल यादव जैसे पार्टी के बड़े नेता अमर सिंह की वापसी से खुश नहीं हैं.  लेकिन ये नेता पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह के फैसले से चुप हैं.

इन बयानबाजियां को भले ही मुलायम सिंह यादव भूल जाएं लेकिन शायद ही समाजवादी पार्टी उसे भुला पाए. लेकिन शायद राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होती, न दोस्ती न दुश्मनी. पढ़िए अमर सिंह के उन बयानों को जिन्हें भुला पाना सपा के लिए आसान नहीं होगा.

21 मार्च 2010 (अपने ब्लॉग में)

‘मुलायम सिंह या तो लोहियावादी नहीं हैं या फिर अपने स्वार्थी मुलायमवाद का सफेद झूठ लोहिया जी पर मढऩा चाहते हैं. ऐसा लगता है कि सारी नेतृत्व क्षमता, गुणवत्ता सिर्फ एक ही परिवार में है. मेरी गलती थी कि मैंने 14 साल से हो रही इस धांधली को नहीं देखा.’

11 मई 2010 (अपने ब्लॉग में)

‘मैं मुलायम सिंह का दर्जी और कूड़ेदान रहा हूं. उनकी गलत-सलत नीतियों को नैतिकता का कपड़ा सिलकर संवारने का मैं 14 साल का अपराधी हूं, लेकिन दल की गलतियों का श्रेय लेने वाला कूड़ेदान अब मैं नहीं रहा.’

23 अक्टूबर 2010 (लखनऊ)

‘मुलायम सिंह यादव ने लोहिया के सिद्धांतों की बलि चढ़ा दी है. लोहिया ने कभी भाई-भतीजावाद को बढ़ावा नहीं दिया. मुलायम इसी को बढ़ावा दे रहे हैं. समाजवादी पार्टी में सिर्फ दो अपवाद थे....

'मैं मर जाऊंगा लेकिन सपा में कभी वापस नहीं जाऊंगा', जैसे बयान देने वाले अमर सिंह अब फिर से सपा में वापसी के लिए तैयार हैं, सपा ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया है. अपने निर्वासन के छह सालों के दौरान अमर सिंह ने सपा और मुलायम सिंह के खिलाफ इतनी तल्ख बयानबयाजियां की हैं कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है इतना जहर उगलने के बाद कैसे अमर उसी पार्टी में वापस जा रहे हैं.

हालांकि आजम खान और राम गोपाल यादव जैसे पार्टी के बड़े नेता अमर सिंह की वापसी से खुश नहीं हैं.  लेकिन ये नेता पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह के फैसले से चुप हैं.

इन बयानबाजियां को भले ही मुलायम सिंह यादव भूल जाएं लेकिन शायद ही समाजवादी पार्टी उसे भुला पाए. लेकिन शायद राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होती, न दोस्ती न दुश्मनी. पढ़िए अमर सिंह के उन बयानों को जिन्हें भुला पाना सपा के लिए आसान नहीं होगा.

21 मार्च 2010 (अपने ब्लॉग में)

‘मुलायम सिंह या तो लोहियावादी नहीं हैं या फिर अपने स्वार्थी मुलायमवाद का सफेद झूठ लोहिया जी पर मढऩा चाहते हैं. ऐसा लगता है कि सारी नेतृत्व क्षमता, गुणवत्ता सिर्फ एक ही परिवार में है. मेरी गलती थी कि मैंने 14 साल से हो रही इस धांधली को नहीं देखा.’

11 मई 2010 (अपने ब्लॉग में)

‘मैं मुलायम सिंह का दर्जी और कूड़ेदान रहा हूं. उनकी गलत-सलत नीतियों को नैतिकता का कपड़ा सिलकर संवारने का मैं 14 साल का अपराधी हूं, लेकिन दल की गलतियों का श्रेय लेने वाला कूड़ेदान अब मैं नहीं रहा.’

23 अक्टूबर 2010 (लखनऊ)

‘मुलायम सिंह यादव ने लोहिया के सिद्धांतों की बलि चढ़ा दी है. लोहिया ने कभी भाई-भतीजावाद को बढ़ावा नहीं दिया. मुलायम इसी को बढ़ावा दे रहे हैं. समाजवादी पार्टी में सिर्फ दो अपवाद थे. एक जनेश्वर मिश्र और दूसरे अमर सिंह. एक को रामजी खा गए तो दूसरे को रामगोपाल.’

5 दिसंबर 2010 (भदोही)

‘मैं बोल दूंगा तो मुलायम सिंह मुश्किल में पड़ जाएंगे. मेरा मुंह खुला तो सपा के कई नेता जेल पहुंच जाएंगे और मुलायम सिंह को जेल की चक्की पीसनी पड़ेगी.’

15 जनवरी 2011 (आगरा)

‘मुलायम सिंह की सूरत देखने से पहले मैं पोटेशियम साइनाइड खाकर जान दे दूंगा. मैंने दलाली करके मुलायम की सरकार बनवाई, फिर भी उन्होंने अपने लोगों से मुझे बेशर्म कहलवाया.’

14 अप्रैल 2011 (नागपुर)

‘मर जाऊंगा पर समाजवादी पार्टी में वापस नहीं जाऊंगा. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं.’

अमर सिंह को मुलायम की नजदीकियों की वजह से ही तमाम विरोधों के बावजूद सपा में वापस आने का मौका मिल रहा है

25 जनवरी 2012 (लखनऊ)

‘मैं अब मुलायम सिंह यादव या समाजवादी पार्टी का नौकर नहीं हूं. मुझे उनके तमाम राज मालूम हैं, जिन्हें न तो मैंने उजागर किया है, न कभी करूंगा.’

21 फरवरी 2012 (लखनऊ)    

‘यूपी के भ्रष्टाचार में मुख्यमंत्री मायावती और मुलायम सिंह यादव दोनों साझीदार हैं. मुलायम सिंह एक पहिए की साइकिल चलाने वाले जोकर हैं.’

12 अप्रैल 2012 (आगरा)

‘मुलायम सिंह ने बलात्कार पर बयान दिया है कि लड़के हैं, मन मचल जाता है. ऐसा लगता है कि मुलायम सिंह का वश चले तो रेप को भी जायज कर दें.’

5 अगस्त 2013 (नई दिल्ली)

‘मुलायम सिंह यादव धृतराष्ट्र हो गए हैं. वे भूल जाते हैं कि वे राजा नहीं, जनता के नौकर हैं.’

14 अक्टूबर 2015

दादरी मामले को यूएन में ले जाने की बात कर रहे आजम खान पर अमर सिंह ने तंज कसा. अमर ने पूछा, ‘क्या आजम खान फिर से अपने कपड़े उतरवाना चाहते हैं? आजम एक बार अखिलेश के साथ अमेरि‍का गए थे, तब एयरपोर्ट पर उनके कपड़े उतरवा दि‍ए गए थे. अब वो क्‍यों यूएन जाना चाहते हैं? उन्‍हें फि‍र से कपड़े उतरवाने हैं.’

आजम भी देते रहे अमर के खिलाफ तल्ख बयानः

23 नवंबर 2015

‘अमर सिंह अपनी औकात को समझें. वह नेताजी (मुलायम) के प्यार का गलत फायदा ना उठाएं. वो राज्यसभा आने के चक्कर में हैं. अगर वह पार्टी टिकट पर राज्यसभा पहुंचे तो यह सपा की बड़ी बदनसीबी होगी.’-आजम खान

‘वह (अमर सिंह) जब खुद मुलायम के साथ हो जाते हैं, तो नेताजी भगा तो देंगे नहीं. गाड़ी में तो ड्राइवर और बॉडीगार्ड भी होता है’.-आजम खान

सैफई में मुलायम के बर्थडे पर अमर सिंह ने आजम को अपना दोस्त बताया था. इस पर आजम ने कहा, ‘हमने उनसे दलाली का कोई पैसा नहीं लिया है, तो हमसे कोई दोस्ती भी नहीं है.’-आजम खान

22 नवंबर 2015

सैफई में मुलायम के बर्थडे के मौके पर अमर सिंह मौजूद थे, लेकिन आजम काफी देर बाद पहुंचे थे.

आजम ने दावा किया था कि नेताजी के जन्मदिन पर उन्होंने ही असली केक कटवाया. जब उनसे अमर सिंह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा-‘तूफान में कूड़ा-करकट आ जाते हैं.गड़े मुर्दे मत उखाड़िए.’

18 अक्टूबर 2015

‘संगीत सोम और अमर सिंह मेरी हत्या की साजिश रच रहे हैं. दोनों एक ही समुदाय से आते हैं.’ -आजम खान

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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