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यूपी में ओवैसी सिर्फ हैडलाइन लेने आए हैं, वोट नहीं! मुख़्तार वाली बात ने सिद्ध किया

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 14 सितम्बर, 2021 12:09 PM
  • 14 सितम्बर, 2021 12:09 PM
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यूपी में हिंदू मुस्लिम की राजनीती और मुस्लिम तुष्टिकरण कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले ओवैसी की तरफ से माफिया विधायक मुख़्तार अंसारी को लेकर जो बातें कहीं गयीं हैं उनसे इतना तो साफ हो गया है कि यूपी में ओवैसी मीडिया की हेडलाइन लेने आएं हैं, वोट नहीं.

बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान आरजेडी के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा करने वाली ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन और पार्टी सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी बिहार में अपनी परफॉर्मेंस से उत्साहित थे और बंगाल का रुख किया. बंगाल में ओवैसी ने मेहनत तो खूब की मगर नतीजा सिफर निकला. ओवैसी बंगाल में एक भी सीट नहीं जीत पाए. ओवैसी का ऐसा ही कुछ हाल तमिलनाडु में भी हुआ. अब जबकि 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हैं उत्तर प्रदेश में भी ओवैसी ने राजनीतिक सरगर्मियां तेज कर दी हैं. सूबे में हिंदू मुस्लिम की राजनीती और मुस्लिम तुष्टिकरण कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले ओवैसी की तरफ से माफिया विधायक मुख़्तार अंसारी को लेकर जो बातें कहीं गयीं हैं उनसे इतना तो साफ हो गया है कि यूपी में ओवैसी मीडिया की हेडलाइन लेने आएं हैं, वोट नहीं.

जी हां चकित होने की कोई ज़रूरत नहीं है. आपने जो सुना बिल्कुल सही सुना है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि मुख्तार अंसारी अगर चाहें तो पार्टी उनका स्वागत करेगी. वहीं उन्होंने ये भी कहा है कि अगर मुख़्तार मऊ से निर्दल चुनाव भी लड़ते हैं तो पार्टी उनके समर्थन में रहेगी और एआईएमआईएम उनके खिलाफ मऊ से कोई भी उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी.

यूपी में असदुद्दीन ओवैसी को वोटों से कोई मतलब नहीं है उन्हें सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण करना है

हुआ कुछ यूं है कि शौकत अली आईएमएआईएम के जिला अध्यक्ष आसिफ चंदन से मिलने पहुंचे थे. जो कि 18 महीने के बाद जेल से रिहा हुए हैं. वहीं शौकत ने ओवैसी के हवाले से पत्रकारों से बात की है और बसपा और मायावती पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि मायावती ने मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के साथ धोखा किया है. वहीं वो पार्टियां...

बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान आरजेडी के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा करने वाली ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन और पार्टी सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी बिहार में अपनी परफॉर्मेंस से उत्साहित थे और बंगाल का रुख किया. बंगाल में ओवैसी ने मेहनत तो खूब की मगर नतीजा सिफर निकला. ओवैसी बंगाल में एक भी सीट नहीं जीत पाए. ओवैसी का ऐसा ही कुछ हाल तमिलनाडु में भी हुआ. अब जबकि 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हैं उत्तर प्रदेश में भी ओवैसी ने राजनीतिक सरगर्मियां तेज कर दी हैं. सूबे में हिंदू मुस्लिम की राजनीती और मुस्लिम तुष्टिकरण कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले ओवैसी की तरफ से माफिया विधायक मुख़्तार अंसारी को लेकर जो बातें कहीं गयीं हैं उनसे इतना तो साफ हो गया है कि यूपी में ओवैसी मीडिया की हेडलाइन लेने आएं हैं, वोट नहीं.

जी हां चकित होने की कोई ज़रूरत नहीं है. आपने जो सुना बिल्कुल सही सुना है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि मुख्तार अंसारी अगर चाहें तो पार्टी उनका स्वागत करेगी. वहीं उन्होंने ये भी कहा है कि अगर मुख़्तार मऊ से निर्दल चुनाव भी लड़ते हैं तो पार्टी उनके समर्थन में रहेगी और एआईएमआईएम उनके खिलाफ मऊ से कोई भी उम्मीदवार नहीं खड़ा करेगी.

यूपी में असदुद्दीन ओवैसी को वोटों से कोई मतलब नहीं है उन्हें सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण करना है

हुआ कुछ यूं है कि शौकत अली आईएमएआईएम के जिला अध्यक्ष आसिफ चंदन से मिलने पहुंचे थे. जो कि 18 महीने के बाद जेल से रिहा हुए हैं. वहीं शौकत ने ओवैसी के हवाले से पत्रकारों से बात की है और बसपा और मायावती पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि मायावती ने मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के साथ धोखा किया है. वहीं वो पार्टियां जी अपने को सेक्युलर कहती हैं उन्होंने भी मुख्तार का यही हाल किया है.

आसिफ ने कहा है कि मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश की किसी भी सीट से चुनाव लड़ना चाहेंगे तो उनकी पार्टी स्वागत करेगी. माना जा रहा है कि मुख्तार के बहाने एआईएमआईएम पूर्वांचल में दस्तक देगी और इसका उद्देश्य बस इतना है ओवैसी मुस्लिम मतों पर सेंध मार सकें.

गौरतलब है कि मुख्तार पर ओवैसी की सेंधमारी यूं ही नहीं है. इसका मौका खुद मायावती ने ही दिया था.असल में हुआ कुछ यूं था कि पिछले चुनाव में मायावती ने मुख्तार की जगह मऊ सदर विधानसभा से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दिया था और यही बात मुख्तार को पूरी लगी थी.

बताते चलें कि जेल में बंद मुख्तार अंसारी 1996 फिर 2002, 2007, 2012, 2017 से मऊ सदर विधानसभा से विधायक हैं.एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने मुख्तार को खुला निमंत्रण देते हुए कहा है कि मुख्तार अंसारी जिस विधानसभा से चाहें टिकट लेकर चुनाव लड़ सकते हैं.

मुख्तार और एआईएमआईएम के मद्देनजर सियासी जानकारों का भी यही मत है कि पूर्वांचल में दस्तक देकर ओवैसी तुष्टिकरण के अलावा और कुछ नहीं कर रहे हैं जिसका सीधा फायदा भाजपा और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को मिलेगा. कह सकते हैं कि ओवैसी का ये तुष्टिकरण भाजपा के वोट बैंक को संगठित करेगा.

ओवैसी, योगी आदित्यनाथ को कैसे फायदा पहुचाएंगे इसके तमाम उदहारण हम हालिया दिनों में देख चुके हैं. कहीं दूर क्या ही जाना. अभी बीते दिनों ही ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के सन्दर्भ में एक बयान दिया था. बाराबंकी में प्रशासन द्वारा गिराई गयी एक मस्जिद को शहीद का दर्जा देकर हिंदू मुस्लिम और बंटवारे की राजनीति का प्रयास किया था. जिसपर उनके खिलाफ एफआईआर हुई थी और उन्हें हिंदू मुस्लिम सौहार्द को ध्वस्त करने का दोषी माना गया था.  

चूंकि ओवैसी उत्तर प्रदेश में कदम जमाने के लिए बेताब हैं. इसलिए राजनीतिक पंडितों का एक वर्ग इस बात को लेकर भी एकमत है कि उत्तर प्रदेश में ओवैसी एक वोटकटवा से ज्यादा कुछ नहीं रहेंगे. ये सपा, बसपा और कांग्रेस के वोट काटेंगे और बढ़त भाजपा को मिलेगी. खैर क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजनीति में बयानबाजी और तुष्टिकरण का अपना महत्व है. असदुद्दीन ओवैसी इस बात को बखूबी समझते हैं.

भले ही चुनाव में अभी वक़्त हो मगर जो तेवर ओवैसी के हैं वो उन्हें मीडिया में खबर की हेडलाइन तो दिलवा सकते हैं मगर वोट मिल पाएं इसपर अभी कुछ कहना जल्दबाजी है.बाकी जैसे हाल हैं और जैसे हालात हैं ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि अगर 2022 के चुनाव में भाजपा सत्ता में आती है और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनते हैं तो इसके पीछे ओवैसी का 'मुस्लिम तुष्टिकरण' एक बहुत प्रभावी कारण होगा.

कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में ओवैसी का औंधे मुंह गिरना तय है. यूपी से जुड़ी तमाम बातें खुद साफ़ कर रही हैं कि भविष्य में होने वाला चुनाव दिलचस्प होगा. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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