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AIIMS निदेशक की भविष्यवाणी डराने वाली है, PM मोदी को नये टास्क देने ही होंगे

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 08 मई, 2020 06:11 PM
  • 08 मई, 2020 06:11 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर कम्युनिटी ट्रांसफर से अभी तक इंकार किया जा रहा है, लेकिन एम्स के रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) ने जो अलर्ट दिया है वो बेहद अहम है. ऐसे नाजुक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को फिर से लोगों के बीच आकर नया टास्क देने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन लागू किया और उसके बाद भी लोगों से किसी न किसी तरीके से संवाद करते रहे. लॉकडाउन के दूसरे चरण में बढ़ाये जाने का भी खुद ही ऐलान किया और गृह मंत्रालय के गाइडलाइन की जानकारी दी, लेकिन लॉकडाउन 3.0 की जानकारी गृह मंत्रालय की तरफ से भिजवा दिये - 17 मई, 2020 तक लॉकडाउन लागू है.

हाल ही में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार से सवाल किया कि 17 मई के बाद लॉकडाउन को लेकर क्या प्लान है? देखा जाये तो प्रधानमंत्री मोदी ने, संकेतों में ही सही, ऐसे सवालों का जवाब पहले ही दे रखा है - केंद्र सरकार की तरफ से गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में जरूरत के हिसाब से संशोधन होता रहेगा और राज्य सरकारें अपने स्तर पर लॉकडाउन को लेकर फैसले लेती रहेंगी. हो सकता है पहले की तरह मुख्यमंत्रियों ने फिर से डिमांड रखी तो गृह मंत्रालय लॉकडाउन की मियाद थोड़ा थोड़ा कर के बढ़ाता रहेगा.

ये सब तब तक तो ठीक रहा जब तक लॉकडाउन एहतियाती उपाय के तौर पर चलता रहे और सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपाय में जुट जाये. राज्य सरकारें चाहती थीं कि प्रवासी मजदूरों और दूसरे राज्यों में फंसे हुए लोगों की वापसी के लिए कोई एकरूपता वाला नियम बने और ट्रेनें चलाई जायें - ये दोनों ही मांगें केंद्र ने मंजूर भी कर ली है.

अब जबकि AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) आगाह कर रहे हैं कि जून-जुलाई में कोरोना (Coronavirus) का प्रकोप चरम पर पहुंच सकता है, ऐसे में तो फिर से प्रधानमंत्री मोदी को लोगों से फिर से संवाद कायम कर उनकी हौसलाअफजाई करनी ही पड़ेगी. देखा तो होगा ही कि कैसे शराब की दुकानें खुली और लोग सोशल डिस्टैंसिंग की परवाह किये बगैर टूट पड़े. जहां तहां सब्जी मंडियों में भी लोगों की वैसी ही भीड़ की तस्वीरें सामने आ रही हैं.

क्या प्रधानमंत्री मोदी को नहीं लगता कि लोग धीरे धीरे लक्ष्मण रेखा को भूलने लगे हैं?

जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को जनता कर्फ्यू,...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन लागू किया और उसके बाद भी लोगों से किसी न किसी तरीके से संवाद करते रहे. लॉकडाउन के दूसरे चरण में बढ़ाये जाने का भी खुद ही ऐलान किया और गृह मंत्रालय के गाइडलाइन की जानकारी दी, लेकिन लॉकडाउन 3.0 की जानकारी गृह मंत्रालय की तरफ से भिजवा दिये - 17 मई, 2020 तक लॉकडाउन लागू है.

हाल ही में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार से सवाल किया कि 17 मई के बाद लॉकडाउन को लेकर क्या प्लान है? देखा जाये तो प्रधानमंत्री मोदी ने, संकेतों में ही सही, ऐसे सवालों का जवाब पहले ही दे रखा है - केंद्र सरकार की तरफ से गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में जरूरत के हिसाब से संशोधन होता रहेगा और राज्य सरकारें अपने स्तर पर लॉकडाउन को लेकर फैसले लेती रहेंगी. हो सकता है पहले की तरह मुख्यमंत्रियों ने फिर से डिमांड रखी तो गृह मंत्रालय लॉकडाउन की मियाद थोड़ा थोड़ा कर के बढ़ाता रहेगा.

ये सब तब तक तो ठीक रहा जब तक लॉकडाउन एहतियाती उपाय के तौर पर चलता रहे और सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपाय में जुट जाये. राज्य सरकारें चाहती थीं कि प्रवासी मजदूरों और दूसरे राज्यों में फंसे हुए लोगों की वापसी के लिए कोई एकरूपता वाला नियम बने और ट्रेनें चलाई जायें - ये दोनों ही मांगें केंद्र ने मंजूर भी कर ली है.

अब जबकि AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) आगाह कर रहे हैं कि जून-जुलाई में कोरोना (Coronavirus) का प्रकोप चरम पर पहुंच सकता है, ऐसे में तो फिर से प्रधानमंत्री मोदी को लोगों से फिर से संवाद कायम कर उनकी हौसलाअफजाई करनी ही पड़ेगी. देखा तो होगा ही कि कैसे शराब की दुकानें खुली और लोग सोशल डिस्टैंसिंग की परवाह किये बगैर टूट पड़े. जहां तहां सब्जी मंडियों में भी लोगों की वैसी ही भीड़ की तस्वीरें सामने आ रही हैं.

क्या प्रधानमंत्री मोदी को नहीं लगता कि लोग धीरे धीरे लक्ष्मण रेखा को भूलने लगे हैं?

जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को जनता कर्फ्यू, ताली-थाली बजाने और दीया जलाने का टास्क दिया था, फिर से वैसा ही कोई टास्क देने की जरूरत है - ऐसे टास्क की जरूरत लोगों को भी है और राज्य सरकारों को भी, वरना, लॉकडाउन के सारे एहतियात कभी भी बेकार हो सकते हैं.

खबर बुरी जरूर है, लेकिन अच्छे संकेत भी हैं

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस से होने वाले संक्रमण को लेकर दो महत्वपूर्ण बातों की ओर ध्यान दिलाया है - एक, कोरोना वायरस का सबसे विकराल रूप अभी आने वाला है - और दूसरा, इसके चरम पर पहुंचने के बाद धीरे धीरे असर कम होने की संभावना है. इसके पीछे कोई गणना नहीं है, बल्कि ये एक कुदरती थ्योरी है.

डॉक्टर रणदीप गुलेरिया कहते हैं, 'जिस तरीके से ट्रेंड दिख रहा है, कोरोना के केस जून में पीक पर होंगे... ऐसा बिल्कुल नहीं है कि बीमारी एक बार में ही खत्म हो जाएगी. हमें कोरोना के साथ जीना होगा - धीरे-धीरे कोरोना के मामलों में कमी आएगी.'

फिर तो समझ लेना चाहिये कि कोरोना का भयंकर रूप देखा जाना अभी बाकी है. समझने वाली बात ये भी है कि वो रूप दिखाने के बाद कोरोना वायरस का असर धीरे धीरे कम होगा - और लोगों को पूरी सुरक्षा बरतते हुए जिंदगी को थमने नहीं देना चाहिये - धीरे धीरे ही सही हालात के हिसाब से समझौते करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिये.

एम्स निदेशक के जरिये मिली बुरी खबर में में अच्छे दिनों के संकेत भी हैं.

रणदीप गुलेरिया ने जिस तरीके से अलर्ट किया है उसका कोई दायरा नहीं नजर आ रहा है. कब तक कोरोना के मामले चलेंगे, जब सबसे ज्यादा प्रकोप होगा तो वो कितना लंबा चलेगा - वे सब अभी से अंदाजा लगाना मुश्किल है. हां, एक बात तय है कि उस खास पीरियड के बाद मामले घटेंगे और धीरे धीरे कोरोना से निजात भी मिलेगी.

एम्स निदेशक की राय में भी लॉकडाउन का फायदा ये मिला है कि कोरोना वायरस के मामले ज्यादा नहीं बढ़े. दूसरे देशों के मुकाबले कम बढ़े हैं. एक और अच्छी बात हुई है कि लॉकडाउन के दौरान ही अस्पतालों ने तैयारी पूरी कर ली है. कोरोना की जांच तो बढ़ी ही है PPE किट, वेंटिलेटर और जरूरी मेडिकल उपकरणओं के इंतजाम कर लिये गये हैं. साथ ही डॉक्टरों को भी प्रशिक्षित किया जा चुका है.

कुल मिला कर डॉक्टर गुलेरिया के नजरिये से देखें तो कोरोना अपना सबसे खतरनाक असर दिखाने की कोशिश करेगा और सुरक्षा बरतते हुए बचा जा सकता है - ये बुरी होने के बावजूद अच्छी खबर है. सबसे बड़ी बात कोरोना के संभावित चरम प्रकोप के आने में कम से कम दो हफ्ते से ज्यादा का वक्त बाकी है और ऐसे में तैयारियां और भी की जा सकती है.

ये बहुत नाजुक वक्त है!

बेशक लॉकडाउन का फायदा मिला है, लेकिन जिस हिसाब से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं वे चिंता का कारण बन रहे हैं. मई के पहले हफ्ते की हालत गौर करने लायक है. जब लॉकडाउन लागू है. रेड जोन, ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन में बांट कर गाइडलाइन फॉलो की जा रही है फिर कोरोना के मामले आखिर बढ़ते क्यों जा रहे हैं. अगर थोड़ा बहुत बढ़े तब भी कोई बात नहीं, लेकिन बेतहाशा बढ़ने का मतलब तो यही हुआ कि कहीं न कहीं कोई कमी रह जा रही है.

मान लेते हैं कि कोरोना का असली रूप अभी नहीं दिखा है. मतलब ये कि तमाम उपायों के बावजूद कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ेगा, लेकिन इस स्पीड से?

आंकड़ों को देखें तो 30 अप्रैल तक कोरोना संक्रमण के करीब 33 हजार मामले थे, लेकिन हफ्ते भर में ही 50 हजार के पार चले गये. देखा जाये तो हफ्ते भर में 20 हजार मामले सामने आये. इसी तरह 30 अप्रैल तक 1075 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई थी - 7 दिन में ये संख्या 1886 पहुंच गयी. अच्छी बात ये जरूर रही है कि एक चौथाई से ज्यादा लोग कोरोना को शिकस्त देकर ठीक भी हो चुके हैं.

रिपोर्ट कहतीं हैं कि मई के पहले हफ्ते में अगर 20 देशों में कोरोना के मामलों में इजाफा की बात करें तो भारत में ये सबसे ज्यादा है, जबकि चीन नगण्य पर पहुंच चुका है. भारत में पिछले हफ्ते कोरोना के मरीज 6.7 फीसदी बढ़े हैं जबकि 9 देश ऐसे हैं जहां ये ग्रोथ रेट एक फीसदी से भी कम है.

कोरोना पॉजिटिव मामलों को लेकर आये आंकड़ों के अनुसार, नेपाल में 6.1, AE में 4.2, सिंगापुर में 3.8, श्रीलंका में 3.2, कनाडा में 3.1, फिलीपींस में 2.8, अमेरिका में 2.5, फिनलैंड में 1.9, जापान में 1.5, मलेशिया में 1.3, इटली में 0.8, फ्रांस में 0.7, जर्मनी में 0.6, थाइलैंड में 0.2, ऑस्ट्रेलिया में 0, दक्षिण कोरिया और वियतनाम में 0.1, चीन में 0.005 और कंबोडिया में 0 फीसदी की दर से कोरोना वायरस संक्रमितों की तादाद बढ़ी दर्ज की गयी है.

देश भर में शुरुआती दिनों को छोड़ दें तो कोरोना संक्रमण के मामले में सबसे ऊपर महाराष्ट्र है और उसके बाद गुजरात, दिल्ली और तमिलनाडु का नंबर आता है. केंद्र सरकार के विशेषज्ञों की कमेटी ने कई राज्यों का दौरा कर सलाह भी दी है, लेकिन ज्यादा जोर पश्चिम बंगाल पर ही लग रहा है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने 72 मौतों को तकनीकी आधार पर कोरोना से होने वाली मौतों से अलग कर रखा है. केंद्रीय टीम का दावा है कि पश्चिम बंगाल में मौतों की दर सबसे ज्यादा 13.2 फीसदी है. भले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच राजनीति शह और मात का खेल चल रहा हो, कहीं ऐसा न हो कि पश्चिम बंगाल की निगरानी में देश के बाकी हिस्सों में हालात बेकाबू हो जायें.

महाराष्ट्र और गुजरात के बाद दिल्ली की हालत सबसे चिंताजनक है - कैट्स एंबुलेंस सेवा के 80 में से 45 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. दिल्ली पुलिस के करीब 100 पुलिसकर्मी भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, हालांकि, 20 ठीक होकर ड्यूटी भी ज्वाइन कर चुके हैं.

इसीलिए जरूरी हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द से जल्द लोगों के बीच आयें और अपने बाद ऊपर से नीचे तक हर किसी के लिए कोई न कोई टास्क दें ताकि कम्युनिटी ट्रांसफर के मुहाने पर खड़ा देश कोरोना वायरस पर जितना शीघ्र हो सके काबू पा सके - और फिर से लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट आये.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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