• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

राहुल गांधी का लुक नया, लेकिन...

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 17 अप्रिल, 2017 09:47 PM
  • 17 अप्रिल, 2017 09:47 PM
offline
यूपी और उत्तराखंड में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने फिर राजनीति में एन्ट्री की है. राहुल का लुक तो नया है... लेकिन बाकी सब पुराना है.

यूपी में हार के बाद राहुल गांधी ने फिर राजनीति में एन्ट्री की है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बदले हुए दिखाई दे रहे हैं. जहां राहुल पूरे यूपी चुनाव के दौरान बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ नजर आए थे. वहीं अब वो क्लीन शेव में दिख रहे हैं. लेकिन, राजनीति के दांव-पेच बिलकुल वही हैं.

हार के बाद उन्हें राजनीतिक गलियारों में दिखाई नहीं दे रहे थे. ऐसे में कुछ लोगों ने ये भी कहा कि वो छुट्टी पर गए हैं. लेकिन समय-समय पर सामने आने पर उन्होंने ये साफ कर दिया कि वो कोई छुट्टी पर नहीं थे.

यूपी और उत्तराखंड में करारी हार के बाद राहुल पर कई सवाल उठाए गए थे. सोशल मीडिया पर किसी ने उनको कांग्रेस के ही विलेन बताया तो किसी ने उनकी क्षमता पर भी सवाल उठाए. कहीं ये बात भी फैली कि कांग्रेस में कई बदलाव होंगे. लेकिन कांग्रेस कुछ भी बदलाव करने के मूड में नहीं लग रही है. उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण से तो यही लग रहा है. भले ही उन्होंने लुक बदल लिया हो... लेकिन, उनकी बातों में कोई बदलाव नहीं आया है.

फिर मोदी पर अटैक

पिछले चुनावों में राहुल ने जो भाषण दिए थे वहां पीएम मोदी और उनकी नीतियों पर सवाल उठाए थे. हार के बाद भी उनके भाषण में कोई बदलाव नहीं आया है. एक कार्यक्रम के दौरान जब उन्होंने माइक संभाला तो लोगों को लगा कि इस बार राहुल गांधी कोई नया भ्रमास्त्र लेकर आएंगे. लेकिन उनके पिटारे में कुछ नया नहीं था.

मुद्दे भी वही पुराने जिनको जनता नकार चुकी है. हुल ने केंद्र सरकार और देश के अलग अलग राज्यों में बीजेपी की सरकारों पर निशाना साधने की कोशिश की. उन्होंने फिर से वही पुराना मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश की जनता डराने वालों और नफरत फैलाने वालों को सबक सिखाएगी.

यूपी में हार के बाद राहुल गांधी ने फिर राजनीति में एन्ट्री की है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बदले हुए दिखाई दे रहे हैं. जहां राहुल पूरे यूपी चुनाव के दौरान बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ नजर आए थे. वहीं अब वो क्लीन शेव में दिख रहे हैं. लेकिन, राजनीति के दांव-पेच बिलकुल वही हैं.

हार के बाद उन्हें राजनीतिक गलियारों में दिखाई नहीं दे रहे थे. ऐसे में कुछ लोगों ने ये भी कहा कि वो छुट्टी पर गए हैं. लेकिन समय-समय पर सामने आने पर उन्होंने ये साफ कर दिया कि वो कोई छुट्टी पर नहीं थे.

यूपी और उत्तराखंड में करारी हार के बाद राहुल पर कई सवाल उठाए गए थे. सोशल मीडिया पर किसी ने उनको कांग्रेस के ही विलेन बताया तो किसी ने उनकी क्षमता पर भी सवाल उठाए. कहीं ये बात भी फैली कि कांग्रेस में कई बदलाव होंगे. लेकिन कांग्रेस कुछ भी बदलाव करने के मूड में नहीं लग रही है. उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण से तो यही लग रहा है. भले ही उन्होंने लुक बदल लिया हो... लेकिन, उनकी बातों में कोई बदलाव नहीं आया है.

फिर मोदी पर अटैक

पिछले चुनावों में राहुल ने जो भाषण दिए थे वहां पीएम मोदी और उनकी नीतियों पर सवाल उठाए थे. हार के बाद भी उनके भाषण में कोई बदलाव नहीं आया है. एक कार्यक्रम के दौरान जब उन्होंने माइक संभाला तो लोगों को लगा कि इस बार राहुल गांधी कोई नया भ्रमास्त्र लेकर आएंगे. लेकिन उनके पिटारे में कुछ नया नहीं था.

मुद्दे भी वही पुराने जिनको जनता नकार चुकी है. हुल ने केंद्र सरकार और देश के अलग अलग राज्यों में बीजेपी की सरकारों पर निशाना साधने की कोशिश की. उन्होंने फिर से वही पुराना मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश की जनता डराने वालों और नफरत फैलाने वालों को सबक सिखाएगी.

राहुल गांधी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि देश में किसी की भी सरकार हो. किसी की भी सत्ता हो, अगर वो देश में नफरत फैलाने की, डराने की कोशिश करेंगे तो देश की जनता उनकी बात मानने के लिए तैयार नहीं होगी. उनके इतना कहने से यूपी चुनाव के दौरान उनके भाषण की याद आ गई.

जहां उन्होंने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मोदी जगह-जगह घूमकर नफरत की राजनीति कर रहे हैं. इस बार भी उन्होंने पीएम का नाम न लेते हुए नफरत की राजनीति वाला कार्ड फिर से खेला है. लेकिन, उन्हें पता होना चाहिए कि उस वक्त भी उनके इतना कहने पर भी यूपी में बीजेपी की सरकार आई है. राहुल का फिर ये कहना लगता नहीं है कि इतना प्रभावशाली होगा.

लोकसभा चुनाव फिर आने वाले हैं. ऐसे में राहुल गांधी को पूरी प्लानिंग के साथ आना था. पुराने मुद्दों को जो जनता नकार चुकी है उसे ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए. कांग्रेस सपोटर्स तो सोच रहे थे कि जिस तरह राहुल ने अचानक हीरो की तरह एन्ट्री मारी है... उनकी बातों में भी कुछ नयापन नजर आएगा. लेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं आया, हां लुक जरूर बदला.

ये भी पढ़ें-

क्या राहुल गांधी की खातिर कांग्रेस EVM को हथियार बना रही है?

एहसान मानें किसान - योगी सरकार ने राहुल गांधी का वादा पूरा कर दिया

अखिलेश का तो नहीं पता, पर लगता नहीं कांग्रेस-पीके एक दूसरे को छोड़ने वाले

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲