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आखिर गोवा और मणिपुर में कांग्रेस से कहां चूक हुई !

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 14 मार्च, 2017 03:54 PM
  • 14 मार्च, 2017 03:54 PM
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संसद और सुप्रीम कोर्ट में जाने से क्या होगा. सरकार बनाने के लिए एक ही रास्ता है और वो है फ्लोर टेस्ट का. कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि राज्यपालों से मिलकर फ्लोर टेस्ट की बात उपयुक्त मंच पर रखे.

गोवा में 17/40 मणिपुर में 28/60 सीटों पर कब्ज़ा करने वाली कांग्रेस पार्टी को यूपी में हार को बर्दाश्त ही नहीं कर पाई. पांच राज्यों के परिणामों के बाद शायद झटका इतनी जोर से लगा की वो समय रहते गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने का दावा तक पेश नही कर पाई. वहीं बीजेपी ने एक तरफ वैंकेया नायडू तो दूसरी तरफ आरएसएस के नेता व पार्टी महासचिव राम माधव को पहले ही काम में लगा रखा था.

गोवा में तो चुनाव परिणामों के तुरंत बाद भाजपा ने शनिवार शाम को ही दावा कर दिया था कि तीन निर्दलीय उसके साथ हैं. इससे पता चलता है की बीजेपी कितनी जल्दी मौके की तलाश में थी. जैसे ही अन्य पार्टियों ने उसे समर्थन की बात कही, वो पहुंच गए राज्यपाल के पास. बीजेपी ने रविवार शाम को ही अपनी पार्टी के 13 और 9 अन्य दलों के विधायकों के दावे के साथ गोवा की गवर्नर के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया. दूसरी तरफ कांग्रेस काम करने के बजाय बयानबाज़ी में अपना समय गंवाती रही. बाकी रही-सही कसर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करके पूरी कर दी.

दूसरी तरफ रविवार यानी नतीजों के दूसरे दिन भाजपा मणिपुर में भी सरकार बनाने के प्रयास में लग गयी. पार्टी महासचिव राम माधव ने रविवार को कहा कि पार्टी मणिपुर में सरकार बनाने के लिए जरुरी संख्या का समर्थन जुटाने की स्थिति में है. चुनाव परिणामों के तुरंत बाद जहां बीजेपी ने अपनी टोली को सक्रिय कर दिया था. वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के परिणामों से गश खाई कांग्रेस चुपचाप बैठी रही.

कांग्रेस सोती रह गईदरअसल कांग्रेस इस समय एक मुश्किल दौर से गुजर रही है. इसके लिए अगर कोई दोषी है तो वह है कांग्रेस हाई कमान. जो इतनी ढीली पड़ी हुई है कि जब तक वह सोचती है तबतक बीजेपी काम तमाम कर चुकी होती है. शरीर का अगर कोई अंग खराब हो जाए तो उसको सर्जरी से ही ठीक किया जा सकता है....

गोवा में 17/40 मणिपुर में 28/60 सीटों पर कब्ज़ा करने वाली कांग्रेस पार्टी को यूपी में हार को बर्दाश्त ही नहीं कर पाई. पांच राज्यों के परिणामों के बाद शायद झटका इतनी जोर से लगा की वो समय रहते गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने का दावा तक पेश नही कर पाई. वहीं बीजेपी ने एक तरफ वैंकेया नायडू तो दूसरी तरफ आरएसएस के नेता व पार्टी महासचिव राम माधव को पहले ही काम में लगा रखा था.

गोवा में तो चुनाव परिणामों के तुरंत बाद भाजपा ने शनिवार शाम को ही दावा कर दिया था कि तीन निर्दलीय उसके साथ हैं. इससे पता चलता है की बीजेपी कितनी जल्दी मौके की तलाश में थी. जैसे ही अन्य पार्टियों ने उसे समर्थन की बात कही, वो पहुंच गए राज्यपाल के पास. बीजेपी ने रविवार शाम को ही अपनी पार्टी के 13 और 9 अन्य दलों के विधायकों के दावे के साथ गोवा की गवर्नर के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया. दूसरी तरफ कांग्रेस काम करने के बजाय बयानबाज़ी में अपना समय गंवाती रही. बाकी रही-सही कसर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करके पूरी कर दी.

दूसरी तरफ रविवार यानी नतीजों के दूसरे दिन भाजपा मणिपुर में भी सरकार बनाने के प्रयास में लग गयी. पार्टी महासचिव राम माधव ने रविवार को कहा कि पार्टी मणिपुर में सरकार बनाने के लिए जरुरी संख्या का समर्थन जुटाने की स्थिति में है. चुनाव परिणामों के तुरंत बाद जहां बीजेपी ने अपनी टोली को सक्रिय कर दिया था. वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के परिणामों से गश खाई कांग्रेस चुपचाप बैठी रही.

कांग्रेस सोती रह गईदरअसल कांग्रेस इस समय एक मुश्किल दौर से गुजर रही है. इसके लिए अगर कोई दोषी है तो वह है कांग्रेस हाई कमान. जो इतनी ढीली पड़ी हुई है कि जब तक वह सोचती है तबतक बीजेपी काम तमाम कर चुकी होती है. शरीर का अगर कोई अंग खराब हो जाए तो उसको सर्जरी से ही ठीक किया जा सकता है. इसलिए वाकई कांग्रेस को अब सर्जरी की जरुरत है. आखिर इस सर्जरी को करेगा कौन? क्योंकि जो लोग सर्जरी करने की स्थिति में हैं वे खुद ही बीमार पड़े हुए हैं. अगर कोई दूसरा सर्जन कोशिश भी करेगा तो उसे सर्जन रहने ही नहीं दिया जायगा. वर्तमान कांग्रेस की तो हालत ये है कि उल्टे शायद उस सजर्न की ही सर्जरी कर दी जाए. कांग्रेस पार्टी में तो क्या कोई बागी सर्जन खड़ा होगा? खोट पार्टी की नीतियों में है. इस पार्टी में कोई भी अपनी बात को मंच पर रख ही नहीं सकता.

संसद और सुप्रीम कोर्ट में जाने से क्या होगा. सरकार बनाने के लिए एक ही रास्ता है और वो है फ्लोर टेस्ट का. कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि राज्यपालों से मिलकर फ्लोर टेस्ट की बात उपयुक्त मंच पर रखे. यही बात सुप्रीम कोर्ट ने भी कही है.

मणिपुर में कांग्रेस समर्थन से तीन सीटें पीछे रहते हुए भी मौका चूक गई, वहीं बीजेपी बहुमत से 10 सीटें कम होते हुए भी सरकार बनाने की स्थिति में है. कांग्रेस तीन नहीं जोड़ पाई अगला दस जोड़ गया. यही स्थिति गोवा में हुई जहां कांग्रेस को मात्र चार विधायकों की जरुरत थी. क्या कांग्रेस के धुरंधर अब बड़े शेर हो गए हैं जो अब नीतिगत फैसले लेने के बजाय सोते रहते हैं? उनके पास मोदी जैसा गुर्राता शेर नहीं है या उनका शेर ही ठंडा पड़ गया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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