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शुक्र है सीता माता वाला बयान आजम खान ने नहीं दिया!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 जून, 2018 02:59 PM
  • 04 जून, 2018 02:59 PM
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माता सीता पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के बयान के बाद, ये कहना गलत नहीं है कि, इन्होंने भी आलोचकों को मौका दे दिया है कि अब वो भी आएं और धर्म का मजाक उड़ाने वाली वाहियात बातें करें.

कैराना और नूरपुर हारने के बाद उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में ज्यादा आध्यात्मिक हो गए हैं और एक के बाद एक अजीब ओ गरीब बयान दे रहे हैं. डॉक्टर शर्मा ने, माता सीता के जन्म की तुलना टेस्ट ट्यूब बेबी की अवधारणा से कर दी. एक कार्यक्रम में बोलते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉक्टर शर्मा का मत था कि, आज भी देश में ऐसे लोगों की एक बड़ी संख्या है जिसका मानना है कि सीता जी का जन्म धरती के अंदर से निकले घड़े से हुआ, अतः लोगों का ऐसा सोचना अपने आप इस बात को सिद्ध कर देता है कि रामायण काल में भी टेस्ट ट्यूब बेबी की अवधारणा जरूर रही होगी.

दिनेश शर्मा के बयान के बाद ये कहना गलत नहीं है कि अब इन्होंने भी आलोचकों को अजीब ओ गरीब बयान देने के लिए प्रेरित किया है

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर भी एक बयान के जरिये खूब चर्चा बटोरी थी. डॉक्टर शर्मा ने कहा था कि पत्रकारिता, आधुनिककाल से नहीं शुरू हुई थी, इसकी शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. दिनेश शर्मा के अनुसार पौराणिक पात्रों 'संजय' और 'नारद' को वर्तमान समय में सीधे प्रसारण और गूगल से जोड़कर देखा जा सकता है. लाइव टेलीकास्ट के विषय पर दिनेश शर्मा का तर्क था कि, "मैं मानता हूं कि महाभारत काल में ऐसी ही तकनीक थी, जब संजय धृतराष्ट्र को महाभारत की लड़ाई का लाइव प्रसारण सुनाते थे".

उपमुख्यमंत्री इतने पर ही रुक जाते तो आलोचना कम होती. उन्होंने ये तक मान लिया कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, परमाणु परीक्षण और इंटरनेट जैसी तमाम आधुनिक प्रक्रियाएं पौराणिक काल में ही शुरू हुई थीं. फेसबुक और ट्विटर के इस दौर में, जब हर चीज सोशल मीडिया पर वायरल होती है.

लाजमी था कि, ये बयान भी वहां...

कैराना और नूरपुर हारने के बाद उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में ज्यादा आध्यात्मिक हो गए हैं और एक के बाद एक अजीब ओ गरीब बयान दे रहे हैं. डॉक्टर शर्मा ने, माता सीता के जन्म की तुलना टेस्ट ट्यूब बेबी की अवधारणा से कर दी. एक कार्यक्रम में बोलते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉक्टर शर्मा का मत था कि, आज भी देश में ऐसे लोगों की एक बड़ी संख्या है जिसका मानना है कि सीता जी का जन्म धरती के अंदर से निकले घड़े से हुआ, अतः लोगों का ऐसा सोचना अपने आप इस बात को सिद्ध कर देता है कि रामायण काल में भी टेस्ट ट्यूब बेबी की अवधारणा जरूर रही होगी.

दिनेश शर्मा के बयान के बाद ये कहना गलत नहीं है कि अब इन्होंने भी आलोचकों को अजीब ओ गरीब बयान देने के लिए प्रेरित किया है

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर भी एक बयान के जरिये खूब चर्चा बटोरी थी. डॉक्टर शर्मा ने कहा था कि पत्रकारिता, आधुनिककाल से नहीं शुरू हुई थी, इसकी शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. दिनेश शर्मा के अनुसार पौराणिक पात्रों 'संजय' और 'नारद' को वर्तमान समय में सीधे प्रसारण और गूगल से जोड़कर देखा जा सकता है. लाइव टेलीकास्ट के विषय पर दिनेश शर्मा का तर्क था कि, "मैं मानता हूं कि महाभारत काल में ऐसी ही तकनीक थी, जब संजय धृतराष्ट्र को महाभारत की लड़ाई का लाइव प्रसारण सुनाते थे".

उपमुख्यमंत्री इतने पर ही रुक जाते तो आलोचना कम होती. उन्होंने ये तक मान लिया कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, परमाणु परीक्षण और इंटरनेट जैसी तमाम आधुनिक प्रक्रियाएं पौराणिक काल में ही शुरू हुई थीं. फेसबुक और ट्विटर के इस दौर में, जब हर चीज सोशल मीडिया पर वायरल होती है.

लाजमी था कि, ये बयान भी वहां आएं और लोग इस पर प्रतिक्रिया दें. हुआ कुछ ऐसा ही, मगर बड़े ही आश्चर्यजनक रूप से. 21 वीं सदी के इस दौर में जब इंडिया, न्यू इंडिया बन रहा हो ये बात हैरत में डालने वाली थी कि लोग इस बयान पर डॉक्टर दिनेश शर्मा के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े हैं और उनकी कही ऊटपटांग बातों को जस्टिफाई कर रहे हैं.

किसी भी बयान से पहले डॉक्टर दिनेश शर्मा को सोचना चाहिए कि वो अब एक जिम्मेदार पद पर बैठे हैं

अब जबकि सोशल मीडिया पर लोग उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री से पूर्णतः सहमत हैं और आंखों पर पट्टी बांध दिनेश शर्मा को सही ठहरा रहे हैं तो कुछ सवाल खुद-ब-खुद उठने स्वाभाविक हैं.  बात आगे समझने से पहले उस पल की कल्पना करिए जब ऐसे ही बयान आज़म खां, ओवैसी दें. क्या लोग तब भी ऐसे बयान जस्टिफाई कर पाएंगे जब ऐसे बयान किसी वामपंथी, किसी समाजवादी, किसी बसपाई या फिर किसी कांग्रेसी नेता से आएं. जवाब है नहीं.

ये कहना बिलकुल भी गलत नहीं है कि, भाजपा के अलावा ऐसे बयान कोई और देता तो एक तरफ़ जहां विरोध में सोशल मीडिया पर सैकड़ों हैश टैग चल जाते तो वहीँ टीवी चैनलों पर बैठे बड़े बड़े पैनल यही बताते कि कैसे हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए एक बड़ी साजिश का इस्तेमाल किया जा रहा है और इस तरह के वाहियात बयान देकर दुनिया के सामने हिन्दू धर्म की किरकिरी कराई जा रही है.

बहरहाल, पहली नजर में दिनेश शर्मा का ये बयान एक आम बयान लगे मगर आज जो समर्थन कर रहे हैं उन्हें याद रखना चाहिए तब उन्हें आलोचना का अधिकार या फिर बुरा मानने का हक नहीं होगा जब हम कल किसी ऐसे नेता से हिन्दू धर्म के बारे में अजीब ओ गरीब बयान सुनें जिसका एकमात्र काम भड़काऊ बयान देना और उसके बल पर नफरत की राजनीति करना है.

अंत में बस इतना ही कि भविष्य में दिनेश शर्मा का ये बयान न सिर्फ उनके लिए बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू धर्म के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि बात जब राजनीति की आती है तो राजनीति में सब जायज है. आज इनका दिन है. कल और परसों किसी और का दिन होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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