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राम मंदिर ना बन सका तो क्या, लोकसभा चुनाव से पहले लक्ष्मण की मूर्ति तो लग ही जाएगी !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 03 जुलाई, 2018 11:22 AM
  • 03 जुलाई, 2018 11:22 AM
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भले ही अभी तक राम मंदिर न बन सका हो, लेकिन अब लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित की जाने वाली है. इस मूर्ति को लखनऊ में टीले वाली मस्जिद के पास स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसे लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है.

यूपी की राजनीति में राम मंदिर हमेशा से एक अहम रोल निभाता आया है. उत्तर प्रदेश में लोगों की आस्था के जरिए अपना चुनावी मकसद साधने का काम राजनीतिक पार्टियां हमेशा करती रही हैं. पहले 2014 के लोकसभा चुनावों में राम मंदिर का जिक्र हुआ और फिर यूपी के विधानसभा चुनावों में भी राम मंदिर को भुनाया गया. दोनों में ही लोगों ने भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीत भी दिलाई, लेकिन अभी तक राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो सका है. ये बात तो राजनीतिक पार्टियां भी समझती हैं कि राम मंदिर का निर्माण सिर्फ संवैधानिक तरीके से ही हो सकता है. लोकसभा चुनाव फिर से आ गए हैं. हो सकता है इस बार भी राम मंदिर के निर्माण का वादा करना पड़े. भगवान राम का मंदिर बनाने को लेकर चल रहे इस संग्राम के बीच उनके छोटे भाई लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित करने की कवायद भी शुरू हो गई है.

कहां बन रहा है लक्ष्मण मंदिर?

भले ही अभी तक राम मंदिर न बन सका हो, लेकिन अब लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित की जाने वाली है. इस मूर्ति को लखनऊ में टीले वाली मस्जिद के पास स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसे लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है. टीले वाली मस्जिद के इमाम ने वहां लक्ष्मण की मूर्ति लगाने का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे नमाज अदा करने वालों को ऐतराज होगा. दरअसल, उनका ये कहना है कि मूर्ति के आस-पास नमाज जायज नहीं होती है, इसलिए मूर्ति नहीं लगानी चाहिए.

मौलाना कर रहे हैं मूर्ति का विरोध

यहां एक बात ध्यान देने की ये है कि लक्ष्मण की मूर्ति को टीले वाली मस्जिद के सामने नगर निगम वाली जमीन पर स्थापित करने का प्रस्ताव है. यानी इसका टीले वाली मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं है. अब यहां ये समझने में दिक्कत जरूर होती है कि आखिर इमाम को नगर निगम की जमीन पर मूर्ति लगाए जाने से क्या परेशानी है? इसका...

यूपी की राजनीति में राम मंदिर हमेशा से एक अहम रोल निभाता आया है. उत्तर प्रदेश में लोगों की आस्था के जरिए अपना चुनावी मकसद साधने का काम राजनीतिक पार्टियां हमेशा करती रही हैं. पहले 2014 के लोकसभा चुनावों में राम मंदिर का जिक्र हुआ और फिर यूपी के विधानसभा चुनावों में भी राम मंदिर को भुनाया गया. दोनों में ही लोगों ने भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीत भी दिलाई, लेकिन अभी तक राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो सका है. ये बात तो राजनीतिक पार्टियां भी समझती हैं कि राम मंदिर का निर्माण सिर्फ संवैधानिक तरीके से ही हो सकता है. लोकसभा चुनाव फिर से आ गए हैं. हो सकता है इस बार भी राम मंदिर के निर्माण का वादा करना पड़े. भगवान राम का मंदिर बनाने को लेकर चल रहे इस संग्राम के बीच उनके छोटे भाई लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित करने की कवायद भी शुरू हो गई है.

कहां बन रहा है लक्ष्मण मंदिर?

भले ही अभी तक राम मंदिर न बन सका हो, लेकिन अब लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित की जाने वाली है. इस मूर्ति को लखनऊ में टीले वाली मस्जिद के पास स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसे लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है. टीले वाली मस्जिद के इमाम ने वहां लक्ष्मण की मूर्ति लगाने का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे नमाज अदा करने वालों को ऐतराज होगा. दरअसल, उनका ये कहना है कि मूर्ति के आस-पास नमाज जायज नहीं होती है, इसलिए मूर्ति नहीं लगानी चाहिए.

मौलाना कर रहे हैं मूर्ति का विरोध

यहां एक बात ध्यान देने की ये है कि लक्ष्मण की मूर्ति को टीले वाली मस्जिद के सामने नगर निगम वाली जमीन पर स्थापित करने का प्रस्ताव है. यानी इसका टीले वाली मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं है. अब यहां ये समझने में दिक्कत जरूर होती है कि आखिर इमाम को नगर निगम की जमीन पर मूर्ति लगाए जाने से क्या परेशानी है? इसका प्रस्ताव नगर निगम में पहुंच चुका है, जिसे लेकर शिया और सुन्नी दोनों ही नाराज हैं और मूर्ति लगाने के विरोध में वह इमाम का खुलकर समर्थन भी कर रहे हैं. विरोध कर रहे मौलाना का कहना है कि मूर्ति को खुले में नहीं, बल्कि मंदिर के अंदर लगाया जाना चाहिए, लेकिन भाजपा के बहुमत वाले नगर निगम में उनकी कोई सुन नहीं रहा है और लक्ष्मण की भव्य मूर्ति की स्थापना करने को मंजूरी भी दे दी है. हालांकि, इस पर अंतिम फैसला अभी लिया जाना बाकी है.

लक्ष्मण मूर्ति लगाने का ये प्रस्ताव भाजपा के दो पार्षदों रजनीश गुप्ता और रामकृष्ण यादव ने लखनऊ नगर निगम को भेजा था. इस पर लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया खुलकर अपने पार्षदों के प्रस्ताव का समर्थन कर रही हैं. यूं तो मेयर संयुक्ता भाटिया ने साफ किया है कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, लेकिन अगर मुस्लिम समुदाय की तरफ से विरोध होता रहा तो इसे राजनीतिक होने में कितनी देर लगेगी? जबकि संयुक्ता ने सख्त अंदाज में कहा है कि लखनऊ का नाम भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण के नाम पर रखा गया है और यहां उनकी भव्य मूर्ति लगनी ही चाहिए. ये देखना बेहद दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनावों से पहले इस मुद्दे का कोई हल निकलता भी है या फिर राम मंदिर के बाद अब लक्ष्मण की मूर्ति लोगों में टकराव की वजह बनेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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