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UN से मुंह की खाकर लौटा पाकिस्तान अब क्या करेगा?

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 17 अगस्त, 2019 06:47 PM
  • 17 अगस्त, 2019 06:47 PM
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सुरक्षा परिषद का रुख साफ तौर पर बताता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यह मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है कि कश्मीर के हालात भयावह हैं जैसा कि पाकिस्तान दिखाने कि कोशिश कर रहा था.

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 के मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बंद कमरों के पीछे एक अनौपचारिक बैठक की. बैठक चीन के विशेष अनुरोध पर रखी गई थी क्योंकि चीन इस कदम से खुद को पाकिस्तान का मसीहा दिखाने की फिराक में था. हालांकि बैठक से पहले ही यह लगभग तय ही था कि इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय कोई खास तवज्जो नहीं देने वाला. हालांकि बावजूद इसके पाकिस्तान अनौपचारिक बैठक की घोषणा मात्र से इसे अपनी जीत बताने लगा था. मगर कल हुई बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया और ना ही इसपर औपचारिक बैठक बुलाने की पाकिस्तान की मांग को ही स्वीकार किया गया. सुरक्षा परिषद का रुख साफ तौर पर बताता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यह मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है कि कश्मीर के हालात भयावह हैं जैसा कि पाकिस्तान दिखाने कि कोशिश कर रहा था. NSC ने इस मुद्दे को द्विपक्षीय बातचीत से हल करने की सलाह भी दे डाली, भारत भी इस मुद्दे को हमेशा से द्विपक्षीय बातचीत से ही हल करने का पक्षधर रहा है.  

 कश्मीर मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रम्प ने इमरान खान को इसे द्विपक्षीय बातचीत से हल करने की सलाह दी

हालांकि भारत और पाकिस्तान दोनों ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उन 15 (5 स्थाई सदस्य) सदस्यों में शामिल नहीं हैं जो इस अनौपचारिक बैठक का हिस्सा थे. मगर फिर भी बैठक के भारत और पाकिस्तान के राजनयिकों की बॉडी लैंग्वेज भी इस बात के संकेत दे रही थी कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विश्वास जीतने में एक बार फिर असफल रहा और कश्मीर के मुद्दे के अंतराष्ट्रीयकरण की उसकी एक और कोशिश सिरे से ख़ारिज हो गयी है.

इस बैठक के बाद भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया से कहा कि भारत का रुख यही...

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 के मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बंद कमरों के पीछे एक अनौपचारिक बैठक की. बैठक चीन के विशेष अनुरोध पर रखी गई थी क्योंकि चीन इस कदम से खुद को पाकिस्तान का मसीहा दिखाने की फिराक में था. हालांकि बैठक से पहले ही यह लगभग तय ही था कि इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय कोई खास तवज्जो नहीं देने वाला. हालांकि बावजूद इसके पाकिस्तान अनौपचारिक बैठक की घोषणा मात्र से इसे अपनी जीत बताने लगा था. मगर कल हुई बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया और ना ही इसपर औपचारिक बैठक बुलाने की पाकिस्तान की मांग को ही स्वीकार किया गया. सुरक्षा परिषद का रुख साफ तौर पर बताता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यह मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है कि कश्मीर के हालात भयावह हैं जैसा कि पाकिस्तान दिखाने कि कोशिश कर रहा था. NSC ने इस मुद्दे को द्विपक्षीय बातचीत से हल करने की सलाह भी दे डाली, भारत भी इस मुद्दे को हमेशा से द्विपक्षीय बातचीत से ही हल करने का पक्षधर रहा है.  

 कश्मीर मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रम्प ने इमरान खान को इसे द्विपक्षीय बातचीत से हल करने की सलाह दी

हालांकि भारत और पाकिस्तान दोनों ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उन 15 (5 स्थाई सदस्य) सदस्यों में शामिल नहीं हैं जो इस अनौपचारिक बैठक का हिस्सा थे. मगर फिर भी बैठक के भारत और पाकिस्तान के राजनयिकों की बॉडी लैंग्वेज भी इस बात के संकेत दे रही थी कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विश्वास जीतने में एक बार फिर असफल रहा और कश्मीर के मुद्दे के अंतराष्ट्रीयकरण की उसकी एक और कोशिश सिरे से ख़ारिज हो गयी है.

इस बैठक के बाद भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया से कहा कि भारत का रुख यही था और है कि संविधान के अनुच्छेद 370 संबंधी मामला पूर्णतया भारत का आतंरिक मामला है. इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में कहा कि वार्ता शुरू करने के लिए उसे आतंकवाद रोकना होगा. पत्रकारों के अनुरोध पर अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए और साथ ही अकबरुद्दीन ने वहां मौजूद पाकिस्तानी पत्रकारों से भी हाथ मिलाकर सबकुछ बेहतर होने के संकेत दे दिए. हालांकि चीन और पाकिस्तान के दूत अपने बयान देने के बाद तुरंत चले गए, उन्होंने संवाददाताओं को प्रश्न पूछने तक का मौका नहीं दिया.

सुरक्षा परिषद के बैठक के बाद एक बात फिर से साबित हो गयी कि आज चीन को छोड़कर कोई अन्य देश पाकिस्तान के साथ खड़ा होने तक को तैयार नहीं है, और पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर पूरी तरह अलग थलग पड़ा है. मसलन जहां बैठक शुरू होने से पहले ही रूस ने इसे भारत का आतंरिक मामला बता दिया तो पाकिस्तान को जोर का झटका डोनाल्ड ट्रम्प ने भी दिया. NSC में बैठक के पहले इमरान खान ने डोनाल्ड ट्रंप से कश्मीर मुद्दे पर की बात कर अमेरिका का समर्थन हासिल करने कि कोशिश की. हालांकि ट्रम्प ने दो टुक शब्दों में इसे द्विपक्षीय बातचीत से हल करने की सलाह दे डाली.

हालांकि पाकिस्तान की मुश्किल इस बात की भी है कि आज कोई मुस्लिम देश भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ नहीं है. इस्लामिक सहयोग संगठन (आईओसी) और ज्यादातर मुस्लिम देशों- यूएई, सऊदी अरब, ईरान, मलेशिया और तुर्की- ने इस मसले को द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही सुलझाने का सुझाव दिए हैं. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बिना कोई लागलपेट के कश्मीर को भारत का आंतरिक मुद्दा बता दिया है. हालांकि कूटनीति में पूरी तरह विफल रहने वाले पाकिस्तान ने अपनी जनता की आंखों में धुल झोंकने के लिए जरूर कुछ कदम उठाये हैं- मसलन भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित करना, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित करना हो या फिर दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस को हमेशा के लिए बंद करना. इनमें से किसी भी कदम का रत्ती भर का भी फर्क भारत पर नहीं पड़ने वाला, हां इससे पाकिस्तानी सरकार अपनी जनता के बीच कुछ करते जरूर नजर आएगी.

कश्मीर के मुद्दे पर भारत को जैसे अंतराष्ट्रीय समुदाय का साथ मिला है, उससे साफ है कि भारत ने इस मुद्दे पर अपना होमवर्क काफी बेहतर तरीके से किया है. भारत को इस मुद्दे पर जिस तरह का समर्थन मिला है वो भारत का अंतराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत कद का भी परिचायक है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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