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'समझौता एक्सप्रेस' बंद कर शेख रशीद ने भारत नहीं, पाकिस्तान का नुकसान किया है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 11 अगस्त, 2019 06:05 PM
  • 11 अगस्त, 2019 06:05 PM
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'समझौता एक्सप्रेस' के बंद किये जाने के बाद पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद न सिर्फ जनता बल्कि खुद प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके मंत्रिमंडल से आलोचना झेल रहे हैं. इमरान सरकार भी इस बात को मानती है कि इस फैसले के फायदे कम और नुकसान ज्यादा हैं.

जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35 ए रद्द किये जाने से बौखलाए पाकिस्तान ने एक बार फिर एक ऐसा फैसला लिया है, जिसका सीधा असर न सिर्फ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा. बल्कि जिसने आम पाकिस्तानी नागरिकों को भी आहत कर दिया है. लोग सरकार के इस फैसले की निंदा कर रहे हैं और यही कह रहे हैं कि इस फैसले के जरिये पाकिस्तान ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है. फैसला खुद पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने लिया है. पत्रकारों से हुई बातचीत में शेख रशीद ने स्पष्ट लहजे में कहा कि जब तक वो रेल मंत्री के पद पर हैं तब तक पाकिस्तान में ट्रेन नहीं चलेगी.

समझौता एक्सप्रेस को लेकर जो फैसला पाकिस्तान ने किया है उससे उसके मुल्क का नुकसान ही होगा

शेख रशीद ने ये भी कहा कि जिन यात्रियों ने हिंदुस्तान जाने के लिए एडवांस बुकिंग कराई थी उनका पूरा पैसा रिफंड कर दिया जाएगा. 'समझौता एक्सप्रेस' के विषय पर और अधिक जानकारी देते हुए पाकिस्तानी रेल मंत्री ने कहा कि 'समझौता एक्सप्रेस की बोगियों को ईद के लिए चलाई जाने वाली विशेष ट्रेनों में जोड़ा जाएगा.' शेख रशीद ने भारत से अपनी बोगियां और ट्रेन के इंजन को वापस लेने के लिए कहा है.

मंत्री का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला गलत है. अपनी पत्रकार वार्ता में पाकिस्तानी रेल मंत्री ने भारत को धमको भी दी थी. उन्होंने कहा है कि यदि दोनों देशों को बीच लड़ाई होती है तो यह इस मुद्दे पर अंतिम युद्ध होगा. पाकिस्तान का कश्मीर पर ज्यादा अधिकार हैं क्योंकि पाकिस्तानी और कश्मीरियों का धर्म, संस्कृति, सभ्यता और मूल्य एक ही हैं. हम लड़ाई नहीं चाहते हैं लेकिन हम भारतीय अत्याचार पर शांत नहीं बैठ सकते क्योंकि श्रीनगर येरुसलेम नहीं है.

जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35 ए रद्द किये जाने से बौखलाए पाकिस्तान ने एक बार फिर एक ऐसा फैसला लिया है, जिसका सीधा असर न सिर्फ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा. बल्कि जिसने आम पाकिस्तानी नागरिकों को भी आहत कर दिया है. लोग सरकार के इस फैसले की निंदा कर रहे हैं और यही कह रहे हैं कि इस फैसले के जरिये पाकिस्तान ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है. फैसला खुद पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने लिया है. पत्रकारों से हुई बातचीत में शेख रशीद ने स्पष्ट लहजे में कहा कि जब तक वो रेल मंत्री के पद पर हैं तब तक पाकिस्तान में ट्रेन नहीं चलेगी.

समझौता एक्सप्रेस को लेकर जो फैसला पाकिस्तान ने किया है उससे उसके मुल्क का नुकसान ही होगा

शेख रशीद ने ये भी कहा कि जिन यात्रियों ने हिंदुस्तान जाने के लिए एडवांस बुकिंग कराई थी उनका पूरा पैसा रिफंड कर दिया जाएगा. 'समझौता एक्सप्रेस' के विषय पर और अधिक जानकारी देते हुए पाकिस्तानी रेल मंत्री ने कहा कि 'समझौता एक्सप्रेस की बोगियों को ईद के लिए चलाई जाने वाली विशेष ट्रेनों में जोड़ा जाएगा.' शेख रशीद ने भारत से अपनी बोगियां और ट्रेन के इंजन को वापस लेने के लिए कहा है.

मंत्री का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला गलत है. अपनी पत्रकार वार्ता में पाकिस्तानी रेल मंत्री ने भारत को धमको भी दी थी. उन्होंने कहा है कि यदि दोनों देशों को बीच लड़ाई होती है तो यह इस मुद्दे पर अंतिम युद्ध होगा. पाकिस्तान का कश्मीर पर ज्यादा अधिकार हैं क्योंकि पाकिस्तानी और कश्मीरियों का धर्म, संस्कृति, सभ्यता और मूल्य एक ही हैं. हम लड़ाई नहीं चाहते हैं लेकिन हम भारतीय अत्याचार पर शांत नहीं बैठ सकते क्योंकि श्रीनगर येरुसलेम नहीं है.

ज्ञात हो कि भारत के अटारी से पाकिस्तान के लाहौर तक हर सोमवार और गुरुवार चलने वाली इस ट्रेन को बंद करना पाकिस्तान की एक बड़ी चूक माना जा रहा है. एक बड़ा वर्ग है जिसका मानना है कि इस फैसले को लेकर न सिर्फ पाकिस्तानी हुक्मरानों ने अपनी अपरिपक्वता का परिचय दिया. बल्कि खुद अपनी अर्थव्यवस्था के ताबूत में अंतिम कील ठोंकी है.

रेल मंत्री प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी से नहीं है और चूंकि ये फैसला रेलमंत्री ने लिया है इसलिए पाकिस्तान की सियासत में भी जबरदस्त सियासी तूफान आ गया है.

पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर के शो में पाकिस्तान की इमरान सरकार में साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय को संभल रहे चौधरी रेलवे मिनिस्टर ये फैसला नहीं कर सकते. ये फैसला फॉरेन अफेयर्स और नेशनल सिक्योरिटी कमेटी को करना है क्योंकि कैबिनेट में भी डिस्कस नहीं हुआ. शेख सहाब ने कहा है कि उन्होंने बंद कर दी है. इसके ऊपर मैं समझता हूं कि समझौता एक्सप्रेस बंद करने का नुकसान सिर्फ पंजाबी और सिख कम्युनिटी को होगा. सिख इस वक़्त पाकिस्तान के साथ है. हम करतारपुर बॉर्डर खोल रहे हैं पूरी दुनिया की जो सिख बिरादरी है इस वक़्त उसका सेंटिमेंट पाकिस्तान के साथ है इसलिए इसे देखना पड़ेगा कि समझौता एक्सप्रेस बंद करने का फायदा ज्यादा है या नुकसान ज्यादा है.

कह सकते हैं कि जज्बात के समुंदर में बहकर पाकिस्तानी रेल मंत्री ने एक ऐसा फैसला लिया है. जिससे दो देशों के बीच की दूरी न केवल और बढ़ी है. बल्कि इसका सीधा असर करतार पुर कॉरिडोर पर भी देखने को मिलेगा. ध्यान रहे कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की इस पहल का स्वागत खुद अमेरिका ने किया था और कहा था कि इससे दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे.

आपको बताते चलें कि जिस समय ये घोषणा हुई थी कहा गया था कि करतारपुर गलियारा पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित दरबार साहिब को भारत के पंजाब में गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक तीर्थस्थल से जोड़ेगा. ज्ञात हो कि इस गलियारे का उद्देश्य  भारतीय सिख श्रद्धालुओं को करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक वीजा रहित यात्रा कराना था.

बहरहाल, अब जबकि पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस बंद करने की पहल कर ही दी है. तो देखना दिलचस्प रहेगा कि अमेरिका समेत दुनिया के वो देश जिन्होंने पाकिस्तान के इस फैसले का स्वागत किया था उनका अब क्या रुख रहता है. साथ ही ये देखना भी मजेदार रहेगा कि जिस मुद्दे पर इमरान सरकार और शेख रशीद अलग हो गए हैं वो पाकिस्तान की सियासत को कैसे और किस हद तक प्रभावित करता है.

बाक़ी बात यहां समझौता एक्सप्रेस की चल रही है तो ये बताना भी जरूरी है कि यहां मुद्दा रेल नहीं है. पाकिस्तान में हर आदमी भारत के तहत राजनीति कर रहा है. व्यक्ति ये जानता है कि भले ही उसे किसी मुद्दे पर लाइमलाईट न मिले मगर जब बात भारत की आएगी और भारत के सन्दर्भ में विवाद उसके नाम के साथ जुड़ेगा तो इससे वो सफलता के नए आयाम रचेगा. क्योंकि अब शेख रशीद भारत के खिलाफ मुखर होकर सामने आए हैं तो भले ही इससे मुल्क का नुकसान हो लेकिन कहीं न कहीं उन्होंने भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान में अपने राजनीतिक भविष्य को संवर लिया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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