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नकली चॉकलेट, चीनी, दूध के बाद अब चाइनीज अंडे का फंडा समझिए...

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 13 अक्टूबर, 2016 09:10 PM
  • 13 अक्टूबर, 2016 09:10 PM
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बात चीन की हो और नकली सामानों की नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है. लेकिन मामला तब गंभीर हो जाता है जब बात खाने-पीने की हो रही हो. ऐसी खबरें आ रही हैं, वहां से बड़ी मात्रा में नकली अंडे भारत आ रहे हैं. ये वाकई खतरनाक है...समझिए नकली और असली अंडो का फर्क

चीन में निर्मित कृत्रिम अंडो की खेप भारत पहुंच चुकी है! ऐसी खबरें दक्षिण भारत से आ रही हैं. यह पहला अवसर नहीं है जब इस प्रकार के कृत्रिम अंडो की खबरें आई हों. इससे पहले 2014 में बिहार में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. चीन में यह गैर कानूनी धंधा भारी मात्रा में फल फूल रहा है.

फिलहाल अंडे के बारे में खबरें केरल से आई हैं और राज्य सरकार इसकी जांच में जुटी है. यह भी बताया जा रहा है कि अंडो को इडुक्की जिले के रास्ते लाया गया है. यह केरल का सीमावर्ती जिला है.

तमिलनाडु की सीमा से जुड़े इडुक्की जिले के स्थानीय नागरिकों ने एक सुपरमार्केट से भी ऐसे ही अंडे बरामद करने का दावा किया है. ग्राहकों के अनुसार इन कृत्रिम अंडों का स्वाद भी प्राकृतिक अंडों से अलग है. मुर्गी का अंडा प्रोटीन, पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है. लेकिन कृत्रिम अंडा स्वस्थ्य के लिए हानिकारक है. चीन में न केवल इलेक्‍ट्रॉनिक सामान ही बल्‍कि खाने-पीने की चीज़ें भी नकली बनती और धडल्‍ले से बिकती हैं.

यह भी पढ़ें- दीवाली पर मेड इन इंडिया क्यों नहीं ??

 नकली अंडे की पहचान कर लीजिए...

कैसे बनाया जाता है नकली अंडा

बाहरी बनावट: इसे जिप्सम के चूर्ण, कैल्सियम कार्बोनेट और तेल युक्त मोम की सहायता से बनाया जाता है.

अंदरूनी भाग: पीला होता है. इस हिस्से को बनाने के लिये जिलेटिन, सोडियम एल्गिनाइट, एल्यूम और कैल्शियम की...

चीन में निर्मित कृत्रिम अंडो की खेप भारत पहुंच चुकी है! ऐसी खबरें दक्षिण भारत से आ रही हैं. यह पहला अवसर नहीं है जब इस प्रकार के कृत्रिम अंडो की खबरें आई हों. इससे पहले 2014 में बिहार में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. चीन में यह गैर कानूनी धंधा भारी मात्रा में फल फूल रहा है.

फिलहाल अंडे के बारे में खबरें केरल से आई हैं और राज्य सरकार इसकी जांच में जुटी है. यह भी बताया जा रहा है कि अंडो को इडुक्की जिले के रास्ते लाया गया है. यह केरल का सीमावर्ती जिला है.

तमिलनाडु की सीमा से जुड़े इडुक्की जिले के स्थानीय नागरिकों ने एक सुपरमार्केट से भी ऐसे ही अंडे बरामद करने का दावा किया है. ग्राहकों के अनुसार इन कृत्रिम अंडों का स्वाद भी प्राकृतिक अंडों से अलग है. मुर्गी का अंडा प्रोटीन, पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है. लेकिन कृत्रिम अंडा स्वस्थ्य के लिए हानिकारक है. चीन में न केवल इलेक्‍ट्रॉनिक सामान ही बल्‍कि खाने-पीने की चीज़ें भी नकली बनती और धडल्‍ले से बिकती हैं.

यह भी पढ़ें- दीवाली पर मेड इन इंडिया क्यों नहीं ??

 नकली अंडे की पहचान कर लीजिए...

कैसे बनाया जाता है नकली अंडा

बाहरी बनावट: इसे जिप्सम के चूर्ण, कैल्सियम कार्बोनेट और तेल युक्त मोम की सहायता से बनाया जाता है.

अंदरूनी भाग: पीला होता है. इस हिस्से को बनाने के लिये जिलेटिन, सोडियम एल्गिनाइट, एल्यूम और कैल्शियम की जरूरत होती है. कैल्सियम की मात्रा उतनी ही होती है जितना एक मनुष्य खा सकता है.

रंग: ठीक उसी तरह के जैसे अण्डों के होते हैं.

अंडा बनाने की प्रक्रिया

गरम गुनगुने पानी में उचित मात्रा में सोडियम एल्गिनाइट मिलाया जाता है. उसके बाद जिलेटिन, बेंजोइक अम्ल, एल्यूम और कुछ दूसरे रसायनों के साथ मिलाकर अंडे का सफेद हिस्सा तैयार किया जाता है. अब तैयार किये गये मिश्रण में नींबू का रंग मिला दिया जाता है.

 स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है नकली अंडा

उसके बाद इस मिश्रण में कैल्शियम क्लोराइड डाल कर उसे अंडों के आकार में ढाल दिया जाता है. कृत्रिम अंडा केवल रासायनिक पदार्थों से तैयार होता है जिससे शरीर को फायदे के बजाय नुकसान होता है.

अंतर

कृत्रिम अंडे का बाहरी छिल्का हल्के भूरे रंग का और खुरदुरा होता है, जबकि असली अंडा चिकना होता है. उबालने के बाद कैल्शियम कार्बोनेट का आवरण तोड़ने पर कृत्रिम अंडे का भीतरी हिस्सा असली की तुलना में कड़ा होता है. पीला भाग गेंद की तरह हो जाता है और थोड़ी ऊंचाई से छोड़ने पर गेंद जैसा उछलती भी है. यह धारदार वस्तु से ही कटता है. कृत्रिम अंडे के भीतर से सामान्य अंडे जैसा ही पदार्थ निकलता है. इसे खुला छोड़ने पर मक्खी और अन्य कीड़े उसके पास नहीं आते.

यह भी पढ़ें- 'मेड इन चाइना' पर बैन के इतने आग्रह से तो चीन भी पिघल जाएगा


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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