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2019 आम चुनाव: 5 राज्यों में उतरने जा रही आप का महागठबंधन पर सस्पेंस!

    • आईचौक
    • Updated: 30 दिसम्बर, 2018 04:54 PM
  • 30 दिसम्बर, 2018 04:54 PM
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जिन पांच राज्यों में आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत से 2019 लोक सभा का चुनाव लड़ने का फैसला किया है उनमें न यूपी है न गुजरात. आप ने मोदी सरकार को हराने में मदद की बात की है, पर महागठबंधन पर रहस्य बना रखा है.

आम आदमी पार्टी ने अपने रिजोल्युशन-2019 में ये तो बताया है कि 5-स्टेट इलेक्शन में बढ़-चढ़ कर भाग लेगी, लेकिन महागठबंधन पर सस्पेंस बना रखा है. आप की राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को एक जैसा और 'सब मिले हुए' बताया - लेकिन आप नेता गोपाल राय ने महागठबंधन में शामिल होने के भी संकेत दे दिये.

आप का 2019 का एजेंडा

आम आदमी पार्टी 2019 में देश के पांच राज्यों में लोक सभा का चुनाव लड़ेगी. ये राज्य हैं - दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोवा और चंडीगढ़. पार्टी का कहना है कि इन पांचों राज्यों की सभी सीटों पर आप के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.

आप की इस लिस्ट में न तो वे तीन राज्य हैं जहां अभी अभी बीजेपी को कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवानी पड़ रही है - और न ही यूपी या गुजरात. गुजरात चुनाव के वक्त अरविंद केजरीवाल ने काफी कोशिशें की थी. एक वक्त तो वो हार्दिक पटेल के ट्वीट को लगातार रीट्वीट करते रहे - लेकिन बात नहीं बनी.

वैसे आप ने बताया है कि पार्टी के प्रदेश इकाइयों को कहा गया है कि अगर कहीं संभावना नजर आये तो उम्मीदवार की स्थिति के साथ अपनी रिपोर्ट राजनीतिक मामलों की समिति को सौंपें. हो सकता है उसके बाद कहीं संभावना बनती है तो पार्टी कुछ चुने हुए सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है. 2019 में आप ने अभी सिर्फ 33 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इनमें दिल्ली की 7 सीटें, हरियाणा की 10 सीटें, पंजाब की 13 सीटें, गोवा की 2 सीटें और चंडीगढ़ की एक सीट है.

2017 के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल पंजाब और गोवा चुनावों में खासे एक्टिव रहे - लेकिन नतीजे उम्मीदों के बिलकुल उलट रहे. पंजाब में तो विपक्षी दल की हैसियत भी मिली, लेकिन गोवा में जीतना तो दूर जिन 39 सीटों पर चुनाव लड़े थे उनमें से 38 पर आप के उम्मीदवार जमानत राशि भी नहीं बचा पाये.

पंजाब में आपको जीत भले न मिली हो, लेकिन पार्टी ने पांव तो जमा ही लिये. अरविंद केजरीवाल हरियाणा से ही आते हैं और फिलहाल विधानसभा चुनावों में उतरने की...

आम आदमी पार्टी ने अपने रिजोल्युशन-2019 में ये तो बताया है कि 5-स्टेट इलेक्शन में बढ़-चढ़ कर भाग लेगी, लेकिन महागठबंधन पर सस्पेंस बना रखा है. आप की राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को एक जैसा और 'सब मिले हुए' बताया - लेकिन आप नेता गोपाल राय ने महागठबंधन में शामिल होने के भी संकेत दे दिये.

आप का 2019 का एजेंडा

आम आदमी पार्टी 2019 में देश के पांच राज्यों में लोक सभा का चुनाव लड़ेगी. ये राज्य हैं - दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोवा और चंडीगढ़. पार्टी का कहना है कि इन पांचों राज्यों की सभी सीटों पर आप के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.

आप की इस लिस्ट में न तो वे तीन राज्य हैं जहां अभी अभी बीजेपी को कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवानी पड़ रही है - और न ही यूपी या गुजरात. गुजरात चुनाव के वक्त अरविंद केजरीवाल ने काफी कोशिशें की थी. एक वक्त तो वो हार्दिक पटेल के ट्वीट को लगातार रीट्वीट करते रहे - लेकिन बात नहीं बनी.

वैसे आप ने बताया है कि पार्टी के प्रदेश इकाइयों को कहा गया है कि अगर कहीं संभावना नजर आये तो उम्मीदवार की स्थिति के साथ अपनी रिपोर्ट राजनीतिक मामलों की समिति को सौंपें. हो सकता है उसके बाद कहीं संभावना बनती है तो पार्टी कुछ चुने हुए सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है. 2019 में आप ने अभी सिर्फ 33 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इनमें दिल्ली की 7 सीटें, हरियाणा की 10 सीटें, पंजाब की 13 सीटें, गोवा की 2 सीटें और चंडीगढ़ की एक सीट है.

2017 के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल पंजाब और गोवा चुनावों में खासे एक्टिव रहे - लेकिन नतीजे उम्मीदों के बिलकुल उलट रहे. पंजाब में तो विपक्षी दल की हैसियत भी मिली, लेकिन गोवा में जीतना तो दूर जिन 39 सीटों पर चुनाव लड़े थे उनमें से 38 पर आप के उम्मीदवार जमानत राशि भी नहीं बचा पाये.

पंजाब में आपको जीत भले न मिली हो, लेकिन पार्टी ने पांव तो जमा ही लिये. अरविंद केजरीवाल हरियाणा से ही आते हैं और फिलहाल विधानसभा चुनावों में उतरने की तैयारी भी चल रही है. चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा से जुड़ा ही है, इसलिए वहां से भी एक उम्मीदवार उतार दिया है. गोवा में कामयाबी भले न मिल पायी हो, लेकिन चुनाव लड़ने के कारण राज्य में कार्यकर्ता तो तैयार हैं ही, संसाधनों का इंतजाम भी आसान होगा. गोवा में फिर से आजमाने की एक वजह वहां बीजेपी और कांग्रेस की हर रोज की लड़ाई भी हो सकती है जिसमें आप को अपने लिए संभावना दिखती हो.

फिलहाल आप को 5 राज्यों में मिला बैंडविथ...

2014 के लोक सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 434 उम्मीदवार उतारे थे जिनमें खुद अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे. केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी सीट पर चुनौती दी थी लेकिन चुनाव हार गये. 2014 में आप को सिर्फ पंजाब में कामयाबी मिली थी जहां से उसके चार सांसद चुने गये. फिलहाल राज्य सभा में भी आप के तीन सांसद हैं.

महागठबंधन में AAP के शामिल होने की कितनी संभावना?

महागठबंधन में आम आदमी पार्टी के शामिल होने को लेकर गोपाल राय ने बड़ा ही गोलमोल बयान दिया है. उनकी बातों से ये नहीं लगता कि वो महागठबंधन में शामिल होने की बात कर रहे हैं या नहीं.

अगस्त, 2018 में हरियाणा के रोहतक में एक पब्लिक मीटिंग में अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव के साथ ही साथ हरियाणा की सभी लोक सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी. तब केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा था कि आम आदमी पार्टी किसी भी संभावित महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी - और जो पार्टियां महागठबंधन में शामिल हो रही हैं, उनकी देश के विकास में कोई भूमिका नहीं रही है.

गोपाल राय का कहना है - 'हमने फैसला किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के तानाशाहपूर्ण रवैये ने निजात दिलाने के लिए पूरी जिम्मेदारी निभाएंगे... राष्ट्रीय परिषद का निर्णय है कि जिन लोकसभा सीटों पर बीजेपी को चैलेंज किया जा सकेगा, हम करेंगे.'

साथ ही, गोपाल राय का ये कहना कि हमने मोदी सरकार को हराने में मददगार बनने का फैसला किया है, जताता तो यही है कि किसी न किसी रूप में आम आदमी पार्टी भी दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी.

अब सवाल है कि आप के गठबंधन की संभावना किस पार्टी के साथ कितनी है? दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन की चर्चा जोरों पर थी. कांग्रेस नेता शीला दीक्षित तक कह चुकी थीं कि अगर आलाकमान का आदेश होगा तो वो पीछे नहीं हटेंगी. राजीव गांधी के भारत रत्न वाले प्रस्ताव पर अलका लांबा के बागी रुख अख्तियार करने के चलते मामला लटक गया लगता है. इस घटना के बाद आप के साथ गठबंधन के विरोधी अजय माकन जैसे नेताओं को बोलने का मौका मिल गया. इस वाकये से कुछ ही दिन पहले राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को किसानों के प्रदर्शन के दौरान जंतर मंतर पर मंच शेयर करते देखा गया था.

महागठबंधन की वस्तुस्थिति अब भी ऐसी है जिसमें तीसरे मोर्चे की संभावना बनी हुई लगती है. 2019 को लेकर एनडीए और यूपीए से इतर गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस गठबंधन को लेकर प्रयास जारी हैं. मायावती और अखिलेश यादव अब तक यही मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि वे 2019 के लिए कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करने वाले हैं, जबकि तीन राज्यों में कांग्रेस सरकारों को समर्थन दे भी रहे हैं. ओडिशा में बीजेडी नेता नवीन पटनायक ने राज्य सभा उपसभापति चुनाव में भले ही जेडीयू उम्मीदवार का साथ दिया हो, लेकिन महागठबंधन के नाम पर दूरी बनाये रहते हैं.

तेलंगाना में दोबारा सत्ता में वापसी करने वाले मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हाल की एक मुलाकात खासी चर्चित रही है. केसीआर ने तो मीडिया में अपनी बात कह दी, लेकिन ममता खामोश रह कर राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं. मुलाकात के बाद केसीआर चाहते थे कि ममता भी मीडिया के सामने आकर अपनी बात कहें लेकिन उन्होंने हंस कर टाल दिया.

ममता बनर्जी वैसे भी महागठबंधन में केजरीवाल को शामिल करने की लंबे समय से पक्षधर रही हैं, लेकिन बात बनते बनते बिगड़ ही जाती है. केजरीवाल की पार्टी के गठबंधन की संभावना दक्षिण के स्टार कमल हसन की पार्टी से भी है - हालांकि, अभी सब कुछ पर्दे के पीछे है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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