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एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार तय है!

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 24 अप्रिल, 2017 03:46 PM
  • 24 अप्रिल, 2017 03:46 PM
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केजरीवाल का बार-बार चुनाव आयोग पर आरोप लगाना क्या कुछ और ही इशारा करता है? क्या केजरीवाल एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी के संभावित हार को भांप गए हैं?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आज फिर अपना पुराना राग अलापते हुए एमसीडी चुनावों में ईवीएम के खराब होने की बात कही है. केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि पूरे दिल्ली से खराब ईवीएम की शिकायतें मिल रही हैं. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब केजरीवाल ने चुनाव आयोग और ईवीएम पर उंगली उठायी हो, इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने तो चुनाव आयोग को धृतराष्ट्र तक करार दे दिया था.

केजरीवाल के अनुसार चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बन गया है, जो अपने बेटे दुर्योधन को किसी भी कीमत पर सत्ता में लाना चाहता है. केजरीवाल ने पांच राज्यों में चुनाव परिणाम के बाद से ही लगातार चुनाव आयोग को निशाने पर रखा है, केजरीवाल का आरोप है कि ईवीएम में छेड़छाड़ के कारण ही आम आदमी पार्टी पंजाब की सत्ता में नहीं आ सकी.

हालांकि चुनाव आयोग ने ईवीएम में किसी तरह की छेड़छाड़ की संभावना से साफ तौर पर इंकार कर दिया है. कुछ ही दिन पहले चुनाव आयोग ने ईवीएम में छेड़छाड़ की संभावना को जांचने के लिए कार्यशाला आयोजित की थी जिसमें ईवीएम में कोई भी गड़बड़ी करना मुमकिन नहीं पाया गया था. ऐसे में केजरीवाल का बार-बार चुनाव आयोग पर आरोप लगाना क्या कुछ और ही इशारा करता है? क्या केजरीवाल एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी के संभावित हार को भांप गए हैं? लगता तो यही है.

वैसे देखा जाए तो केजरीवाल की पूरी राजनीति ही आरोप प्रत्यारोप पर ही आधारित रही है, केजरीवाल ने सत्ता में बैठे किसी भी व्यक्ति पर आरोप लगाने से पहले शायद ही कभी कुछ सोचा समझा हो. मगर चुनाव आयोग के प्रति केजरीवाल की ये झल्लाहट कुछ और ही इशारा करती है. केजरीवाल जिस प्रकार चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश में हैं वो कही न कहीं MCD चुनावों में आम आदमी पार्टी की खस्ताहाल स्थिति की ओर इशारा करती है. वरना जहां चुनावों से पहले सभी...

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आज फिर अपना पुराना राग अलापते हुए एमसीडी चुनावों में ईवीएम के खराब होने की बात कही है. केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि पूरे दिल्ली से खराब ईवीएम की शिकायतें मिल रही हैं. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब केजरीवाल ने चुनाव आयोग और ईवीएम पर उंगली उठायी हो, इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने तो चुनाव आयोग को धृतराष्ट्र तक करार दे दिया था.

केजरीवाल के अनुसार चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बन गया है, जो अपने बेटे दुर्योधन को किसी भी कीमत पर सत्ता में लाना चाहता है. केजरीवाल ने पांच राज्यों में चुनाव परिणाम के बाद से ही लगातार चुनाव आयोग को निशाने पर रखा है, केजरीवाल का आरोप है कि ईवीएम में छेड़छाड़ के कारण ही आम आदमी पार्टी पंजाब की सत्ता में नहीं आ सकी.

हालांकि चुनाव आयोग ने ईवीएम में किसी तरह की छेड़छाड़ की संभावना से साफ तौर पर इंकार कर दिया है. कुछ ही दिन पहले चुनाव आयोग ने ईवीएम में छेड़छाड़ की संभावना को जांचने के लिए कार्यशाला आयोजित की थी जिसमें ईवीएम में कोई भी गड़बड़ी करना मुमकिन नहीं पाया गया था. ऐसे में केजरीवाल का बार-बार चुनाव आयोग पर आरोप लगाना क्या कुछ और ही इशारा करता है? क्या केजरीवाल एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी के संभावित हार को भांप गए हैं? लगता तो यही है.

वैसे देखा जाए तो केजरीवाल की पूरी राजनीति ही आरोप प्रत्यारोप पर ही आधारित रही है, केजरीवाल ने सत्ता में बैठे किसी भी व्यक्ति पर आरोप लगाने से पहले शायद ही कभी कुछ सोचा समझा हो. मगर चुनाव आयोग के प्रति केजरीवाल की ये झल्लाहट कुछ और ही इशारा करती है. केजरीवाल जिस प्रकार चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश में हैं वो कही न कहीं MCD चुनावों में आम आदमी पार्टी की खस्ताहाल स्थिति की ओर इशारा करती है. वरना जहां चुनावों से पहले सभी पार्टियां अपने जीत को लेकर दावे करती दिखती हैं, ऐसे में केजरीवाल और उनकी पार्टी ईवीएम में खामियां ढूंढने में ज्यादा व्यस्त रहे. केजरीवाल के रुख से तो एक बात साफ है कि वह अपनी संभावित हार के लिए जिम्मेदारी पहले ही तय कर देना चाहते हैं, और इसके लिए किसी न किसी को तो जिम्मेदार ठहराना ही था. सो इस बार बलि का बकरा ईवीएम ही होने वाला है, अभी तक के आम आदमी पार्टी के कार्यालाप से तो यही लगता है.

फिलहाल अब चुनाव नतीजे क्या होंगे यह तो दो दिन बाद ही पता चल पाएगा मगर केजरीवाल के हाल के बयानों से तो यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि अगर एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार होती है तो केजरीवाल अपने बुरे प्रदर्शन का सारा ठीकरा चुनाव आयोग पर ही फोड़ने वाले हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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