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राजस्थान में आम आदमी पार्टी का भविष्य क्या है?

    • अमरपाल सिंह वर्मा
    • Updated: 25 जून, 2023 03:52 PM
  • 25 जून, 2023 03:52 PM
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18 जून को आम आदमी पार्टी ने राजस्थान के श्रीगंगानगर में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है. अरविंद केजरीवाल ने खुद को शहीद भगत सिंह का चेला बताते हुए जनता से कहा राजस्थान में मौका दीजिए. यह देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा और अस्पताल की राजनीति के नाम पर केजरीवाल राजस्थानी मतदाताओं को कितना आकर्षित कर पाएंगे.

आम आदमी पार्टी ने 18 जून को श्रीगंगानगर में सभा करके राजस्थान में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है. अरविंद केजरीवाल ने सभा में लोगों को रिझाने के लिए दिल्ली की तर्ज पर स्कूल खोलने, तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली देने, हर गांव में मोहल्ला क्लीनिक खोलने जैसे वादों का पासा फेंका. सभा में अच्छी भीड़ जुटी. जब केजरीवाल और भगवत मान ने बीजेपी-कांग्रेस को कोसा तो लोगों ने तालियां बजाई गई लेकिन बड़ा सवाल यह है कि राजस्थान में आम आदमी पार्टी का भविष्य क्या है?

राजस्थान में दो मुख्य दलों बीजेपी-कांग्रेस का ही वर्चस्व है. राज्य के मतदाता बारी-बारी से इन्हीं दलों को सत्ता सौंपते आ रहे हैं. इस बार जहां बीजेपी सत्तापलट के दावे कर रही है, वही कांग्रेस फिर से सरकार बनाने के लिए जी-तोड़ कोशिश में लगी है. चुनावी रणभेरी बजने को है और इसी बीच आम आदमी पार्टी मैदान में कूद पड़ी है. केजरीवाल ने पेपर लीक, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर गहलोत सरकार को घेरा और गहलोत-वसुंधरा राजे के बीच मिलीभगत के आरोप लगाए. उन्होंने खुद को शहीद भगत सिंह का चेला बताते हुए जनता से कहा कि राजस्थान में मौका दीजिए.

आपका ऐसा दिल जीतेंगे कि 50 साल तक गहलोत-वसुंधरा याद नहीं आएंगे. अच्छी शिक्षा, अच्छी नौकरी, अच्छा इलाज सिर्फ केजरीवाल दे सकता है और कोई नहीं दे सकता. भ्रष्टाचार, गंदी राजनीति मुझे नहीं आती, मुझे सिर्फ काम करना आता है. केजरीवाल ने राजस्थान में जनता से मौका तो मांगा है लेकिन यहां 'आप' की राह आसान नहीं है. राज्य में पार्टी संगठनात्मक रूप से बहुत कमजोर है. इसीलिए पार्टी ने पंजाब से सटे श्रीगंगानगर में चुनावी अभियान का आगाज किया है.

पार्टी को पंजाब से सटे पंजाबी भाषी बहुल श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में उम्मीद नजर आती है क्योंकि 'मिनी पंजाब' कहे जाने वाले इस इलाके की राजनीति पर पड़ोसी राज्य...

आम आदमी पार्टी ने 18 जून को श्रीगंगानगर में सभा करके राजस्थान में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है. अरविंद केजरीवाल ने सभा में लोगों को रिझाने के लिए दिल्ली की तर्ज पर स्कूल खोलने, तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली देने, हर गांव में मोहल्ला क्लीनिक खोलने जैसे वादों का पासा फेंका. सभा में अच्छी भीड़ जुटी. जब केजरीवाल और भगवत मान ने बीजेपी-कांग्रेस को कोसा तो लोगों ने तालियां बजाई गई लेकिन बड़ा सवाल यह है कि राजस्थान में आम आदमी पार्टी का भविष्य क्या है?

राजस्थान में दो मुख्य दलों बीजेपी-कांग्रेस का ही वर्चस्व है. राज्य के मतदाता बारी-बारी से इन्हीं दलों को सत्ता सौंपते आ रहे हैं. इस बार जहां बीजेपी सत्तापलट के दावे कर रही है, वही कांग्रेस फिर से सरकार बनाने के लिए जी-तोड़ कोशिश में लगी है. चुनावी रणभेरी बजने को है और इसी बीच आम आदमी पार्टी मैदान में कूद पड़ी है. केजरीवाल ने पेपर लीक, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर गहलोत सरकार को घेरा और गहलोत-वसुंधरा राजे के बीच मिलीभगत के आरोप लगाए. उन्होंने खुद को शहीद भगत सिंह का चेला बताते हुए जनता से कहा कि राजस्थान में मौका दीजिए.

आपका ऐसा दिल जीतेंगे कि 50 साल तक गहलोत-वसुंधरा याद नहीं आएंगे. अच्छी शिक्षा, अच्छी नौकरी, अच्छा इलाज सिर्फ केजरीवाल दे सकता है और कोई नहीं दे सकता. भ्रष्टाचार, गंदी राजनीति मुझे नहीं आती, मुझे सिर्फ काम करना आता है. केजरीवाल ने राजस्थान में जनता से मौका तो मांगा है लेकिन यहां 'आप' की राह आसान नहीं है. राज्य में पार्टी संगठनात्मक रूप से बहुत कमजोर है. इसीलिए पार्टी ने पंजाब से सटे श्रीगंगानगर में चुनावी अभियान का आगाज किया है.

पार्टी को पंजाब से सटे पंजाबी भाषी बहुल श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में उम्मीद नजर आती है क्योंकि 'मिनी पंजाब' कहे जाने वाले इस इलाके की राजनीति पर पड़ोसी राज्य का थोड़ा-बहुत असर पड़ता है. भाजपा के गढ़ गुजरात में पांच सीटें जीतकर और लगभग चौदह फीसदी वोट हासिल करके 'आप' राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर चुकी है. दिल्ली एवं पंजाब में उसकी सरकार है. गोवा विधानसभा में उसकी दो सीटें हैं. कनार्टक में पार्टी को मतदाताओं ने पूरी तरह नकार दिया लेकिन इससे उसके देश भर में विस्तार के मंसूबों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है.

विस्तार के मंसूबे के साथ 'आप' राजस्थान में पहुंची है. यहां उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. चुनाव में जो कुछ भी उसके हिस्से में आएगा, वह उसकी राजनीतिक जमीन को उर्वर बनाने में सहायक होगा. पढ़े-लिखे लोगों और स्कूल-अस्पताल की राजनीति के नाम पर केजरीवाल राजस्थानी मतदाताओं को कितना आकर्षित कर पाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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