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कोरोना की पसंदीदा जगह भारत क्यों है, ज्ञानी बाबाओं की जुबानी सुनिए…

    • अबयज़ खान
    • Updated: 13 अप्रिल, 2021 04:03 PM
  • 13 अप्रिल, 2021 04:02 PM
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कोरोना (coronavirus new strain) कृषि कानून पर किसानों (pm kisan) के आंदोलन की टेंशन से बेफिक्र रखेगा. वहीं भारत की जमीन पर चीन के कब्जे की खबर का बिल्कुल तनाव नहीं देगा...

कोरोना एक चाइनीज आइटम है, इसकी उत्पत्ति जनवरी 2019 में चीन के वुहान शहर में हुई थी. हालांकि इसके जन्म को लेकर अलग अलग दावे हैं, लेकिन अब तक व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के इतिहासकारों में इस पर कोई आम राय नहीं बन सकी है. हालांकि कुछ बड़े जानकार ये भी दावा करते हैं कि भारत में कोरोना का आगमन तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के बाद शुरू हुआ था.

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत के लोगों को चाइनीज माल बहुत पसंद है, लिहाजा इसने भी भारत में डेरा जमाना ही उचित समझा. हालांकि ये अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, स्पेन, इटली, रूस, फ्रांस, साउथ अफ्रीका, पाकिस्तान और अरब देशों की यात्रा भी कर चुका है, लेकिन भारत में मिले सम्मान से ये अभिभूत हो गया और यहीं बसने का फैसला कर लिया.

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के इतिहासकारों में कोरोना पर कोई आम राय नहीं बन सकी है

जैसा कि हम सबको ज्ञात है कि पिछले साल हमारे देश की सरकार ने इसे राष्ट्रीय उत्सव घोषित कर दिया था, जिसके बाद देश में ताली, थाली, सीटी और दीया उत्सव मनाया गया था, जिससे कोरोना इस कदर लहालोट हो गया कि वो हर हिन्दुस्तानी की रग रग में बस गया. पिछले साल कोरोना में हमें सिखाया गया था कि 2 गज़ की दूरी बना कर रखें, जो आज तक बनी हुई है.

इस चक्कर में कई रिश्तेदारों से आज दिलों में दूरियां पैदा हो गईं, क्योंकि इसकी वजह से किसी की बिटिया की शादी में शगुन नहीं पहुंचा, तो किसी की तेरहवीं धरी की धरी रह गई. 2 गज तो छोड़िए देश में कोरोना की 'जमात' के नाम पर नफरत की बहुत लंबी खाई बन चुकी है.

हमने सरकार के कहने पर कोरोना का स्वागत हाथ धो धोकर किया, जिसका नतीजा ये हुआ कि हम आज तक हाथ धो रहे हैं. कभी नौकरी से, कभी अपनों से, कभी खुद की जान से.. पिछले साल कोरोना के खिलाफ प्रधानमंत्री जी के कहने...

कोरोना एक चाइनीज आइटम है, इसकी उत्पत्ति जनवरी 2019 में चीन के वुहान शहर में हुई थी. हालांकि इसके जन्म को लेकर अलग अलग दावे हैं, लेकिन अब तक व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के इतिहासकारों में इस पर कोई आम राय नहीं बन सकी है. हालांकि कुछ बड़े जानकार ये भी दावा करते हैं कि भारत में कोरोना का आगमन तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के बाद शुरू हुआ था.

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत के लोगों को चाइनीज माल बहुत पसंद है, लिहाजा इसने भी भारत में डेरा जमाना ही उचित समझा. हालांकि ये अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, स्पेन, इटली, रूस, फ्रांस, साउथ अफ्रीका, पाकिस्तान और अरब देशों की यात्रा भी कर चुका है, लेकिन भारत में मिले सम्मान से ये अभिभूत हो गया और यहीं बसने का फैसला कर लिया.

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के इतिहासकारों में कोरोना पर कोई आम राय नहीं बन सकी है

जैसा कि हम सबको ज्ञात है कि पिछले साल हमारे देश की सरकार ने इसे राष्ट्रीय उत्सव घोषित कर दिया था, जिसके बाद देश में ताली, थाली, सीटी और दीया उत्सव मनाया गया था, जिससे कोरोना इस कदर लहालोट हो गया कि वो हर हिन्दुस्तानी की रग रग में बस गया. पिछले साल कोरोना में हमें सिखाया गया था कि 2 गज़ की दूरी बना कर रखें, जो आज तक बनी हुई है.

इस चक्कर में कई रिश्तेदारों से आज दिलों में दूरियां पैदा हो गईं, क्योंकि इसकी वजह से किसी की बिटिया की शादी में शगुन नहीं पहुंचा, तो किसी की तेरहवीं धरी की धरी रह गई. 2 गज तो छोड़िए देश में कोरोना की 'जमात' के नाम पर नफरत की बहुत लंबी खाई बन चुकी है.

हमने सरकार के कहने पर कोरोना का स्वागत हाथ धो धोकर किया, जिसका नतीजा ये हुआ कि हम आज तक हाथ धो रहे हैं. कभी नौकरी से, कभी अपनों से, कभी खुद की जान से.. पिछले साल कोरोना के खिलाफ प्रधानमंत्री जी के कहने पर बत्ती भी बंद की थी, मगर जाने कौन के भक्त' ने अपनी बत्ती बंद नहीं की, जिसकी वजह से कोरोना अंधेरे का फायदा उठाकर यहीं सेट हो गया.

कोरोना की कई विशेषताएं हैं जैसे ये स्कूलों में बहुत जाता है, शादियों में जाता है, अंतिम संस्कार में भी घुसा फिरता है, बाजारों में अकेले टहलता है शनिवार-रविवार को इसे बाहर घूमने का शौक है. नाइट आउट का बहुत शौकीन है, जिसकी वजह से सरकार को कई बार रात्रिकालीन कर्फ्यू और मिनी लॉक डाउन जैसे कठोर कदम उठाने पड़ते हैं.

कोरोना में एक और खास बात है कि अगर आप अकेले कार में हैं तो आपको पकड़ सकता है, लेकिन अगर आप सरकार' में हैं तो ये खुद ही आपसे 2 गज की दूरी बना लेता है. इस साल कोरोना में एक नई विशेषता देखी गई है, ये उन राज्यों में नहीं जाता है जहां चुनाव होते हैं, नेताओं की रैलियों और रोड शो से ये खुद को बहुत दूर रखता है.

वहां पर आप कोरोना के साथ आराम से कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं. ये उन राज्यों में भी कम जाता है जहां एक विशेष पार्टी की सरकार होती है. लेकिन अगर कोई आंदोलन या प्रदर्शन सरकार के खिलाफ हो तो वहां कोरोना अपना असर दिखाता है. इसके वायरस में एक भक्त टाइप का नया घातक वेरिएंट मिला है, जहां सरकार के खिलाफ कुछ होगा ये तुरंत अटैक करेगा. पिछले साल ऐसा ही एक आंदोलन कोरोना की वजह से बेमौत मर गया.

कोरोना की एक विशेष बात ये भी है कि ये कई मुद्दों से आपको टेंशन फ्री कर देता है. जैसे ये आपको सोचने का मौका ही नहीं देगा कि पेट्रोल 100 रुपए और सरसों का तेल 160 रुपए लीटर है. गैस के बढ़ते भाव से आपका तनाव दूर करेगा. कृषि कानून पर किसानों के आंदोलन की टेंशन से बेफिक्र रखेगा. भारत की जमीन पर चीन के कब्जे की खबर का बिल्कुल तनाव नहीं देगा.

राफेल के करप्शन की खबरों से आपको पूरी तरह मुक्त रखेगा. रुपया गिरे या बाज़ार इस तनाव से भी आप दूर रहेंगे. साथ ही आपको इसकी टेंशन भी नहीं लेने देता है कि टैक्स से लेकर टोल टैक्स तक आपका कितना 'कट' रहा है. रोजगार और कारोबार' जैसे तनाव से आप मुक्त रहते हैं. आपको इसका भी तनाव नहीं लेने देगा कि पीएम केयर फंड में जो करोड़ों रुपया जमा हुआ है उसका क्या हुआ ?

एक अच्छी बात ये भी है कि जितने दिन इसका प्रकोप रहता है आप अपने घर में सबके साथ लूडो खेल सकते हैं. धर्म कर्म में लीन हो सकते हैं. मोबाइल पर वीडियो देख सकते हैं (आपकी इच्छा है कौन सा देखें) चाहें तो छोटा परिवार सुखी परिवार के नंबर में इज़ाफ़ा कर सकते हैं. वैसे भी घर में खाली रहकर क्या करेंगे. कुछ नया सोचिए... नहीं तो फिर 'हाथ' धोते रहिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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