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'रेलवे हमारी संपत्ति है'... और यात्रियों ने इस पर अक्षरश: अमल किया

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 अक्टूबर, 2018 08:53 PM
  • 04 अक्टूबर, 2018 08:53 PM
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ट्रेन से यात्रियों का तकिया, तौलिया, कंबल, नल और मग चुराना और कुछ नहीं बस बड़ी - बड़ी बात करने वाले हम भारतीयों की मानसिकता दर्शाता है.

'रेलवे आपकी संपत्ति है' चाहे आप खुद यात्रा कर रहे हों या फिर किसी को छोड़ने स्टेशन गए हों. ये जुमला आपको अनाउंसमेंट में सुनने को मिल ही जाएगा. बहुत इरिटेटिंग होता है ये जुमला और इसे सुनना. कभी सोचा है आपने कि रेलवे वाले क्यों ये अनाउंसमेंट करते हैं? हो सकता है कि इसे सुनकर आप हमें बल्कि खुद को संतुष्ट करने वाले जवाब दें. मगर सच्चाई ये है कि रेलवे हमसे और आपसे खौफ़ खाता है. उसे पता है कि ये लोग सुधरेंगे नहीं, तो चलो इसी को कहकर अपना दिल बहला लेते हैं. किसी ने मान लिया तो अच्छी बात है वरना अनाउंसमेंट तो यूं भी होने हैं.

ट्रेनों में जिस तरह यात्रियों द्वारा चोरी की जा रही है उससे रेलवे को बड़ा नुकसान हो रहा है

ये अनाउंसमेंट भारतीय रेलवे के लिए कितने जरूरी हैं इसे एक खबर से समझिये. खबर मुंबई मिरर के हवाले से है. खबर में जो बातें हैं वो न सिर्फ आपको शर्मिंदगी का एहसास कराएंगी बल्कि आप इन अनाउंसमेंट का महत्त्व भी समझा देंगी. मुंबई मिरर के अनुसार पश्चिम रेलवे ने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े दिए हैं. आंकड़ों के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष के दौरान ट्रेन में यात्रा करने वाले मुसाफिरों ने 1.95 लाख तौलिए चुरा लिए. इसके अलावा चोरों ने 81,736 चादरों, 5,038 तकियों, 55,573 तकिया कवर और 7,043 कंबलों पर भी अपना हाथ साफ किया है और उन्हें चुरा लिया है.

तकियों, तौलियों और चादरों तक तो फिर भी ठीक है. आदमी कह सकता है कि जल्दबाजी में या फिर भूल के कारण उसने इन्हें अपने पास रख लिया. मगर ट्रेन के बाथरूम में लगा मग, फ्लश पाइप चुराना ये वाकई सभ्य समाज के मुंह पर करारा तमाचा है. जी हां विचलित होने की जरूरत नहीं है. यात्रियों ने इन्हें भी नहीं छोड़ा. आंकड़ों के अनुसार, गत वर्ष से लेकर अब तक लोगों ने ट्रेन के टॉयलेट में लगे 200 टॉयलेट मग, 1000 नल और 300 से अधिक फ्लश...

'रेलवे आपकी संपत्ति है' चाहे आप खुद यात्रा कर रहे हों या फिर किसी को छोड़ने स्टेशन गए हों. ये जुमला आपको अनाउंसमेंट में सुनने को मिल ही जाएगा. बहुत इरिटेटिंग होता है ये जुमला और इसे सुनना. कभी सोचा है आपने कि रेलवे वाले क्यों ये अनाउंसमेंट करते हैं? हो सकता है कि इसे सुनकर आप हमें बल्कि खुद को संतुष्ट करने वाले जवाब दें. मगर सच्चाई ये है कि रेलवे हमसे और आपसे खौफ़ खाता है. उसे पता है कि ये लोग सुधरेंगे नहीं, तो चलो इसी को कहकर अपना दिल बहला लेते हैं. किसी ने मान लिया तो अच्छी बात है वरना अनाउंसमेंट तो यूं भी होने हैं.

ट्रेनों में जिस तरह यात्रियों द्वारा चोरी की जा रही है उससे रेलवे को बड़ा नुकसान हो रहा है

ये अनाउंसमेंट भारतीय रेलवे के लिए कितने जरूरी हैं इसे एक खबर से समझिये. खबर मुंबई मिरर के हवाले से है. खबर में जो बातें हैं वो न सिर्फ आपको शर्मिंदगी का एहसास कराएंगी बल्कि आप इन अनाउंसमेंट का महत्त्व भी समझा देंगी. मुंबई मिरर के अनुसार पश्चिम रेलवे ने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े दिए हैं. आंकड़ों के मुताबिक बीते वित्तीय वर्ष के दौरान ट्रेन में यात्रा करने वाले मुसाफिरों ने 1.95 लाख तौलिए चुरा लिए. इसके अलावा चोरों ने 81,736 चादरों, 5,038 तकियों, 55,573 तकिया कवर और 7,043 कंबलों पर भी अपना हाथ साफ किया है और उन्हें चुरा लिया है.

तकियों, तौलियों और चादरों तक तो फिर भी ठीक है. आदमी कह सकता है कि जल्दबाजी में या फिर भूल के कारण उसने इन्हें अपने पास रख लिया. मगर ट्रेन के बाथरूम में लगा मग, फ्लश पाइप चुराना ये वाकई सभ्य समाज के मुंह पर करारा तमाचा है. जी हां विचलित होने की जरूरत नहीं है. यात्रियों ने इन्हें भी नहीं छोड़ा. आंकड़ों के अनुसार, गत वर्ष से लेकर अब तक लोगों ने ट्रेन के टॉयलेट में लगे 200 टॉयलेट मग, 1000 नल और 300 से अधिक फ्लश पाइप चुराए हैं.

बात अगर चुराई गई चीजें की कीमत पर हो तो इसके चलते रेलवे को तकरीबन  62 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. बात अगर बीते तीन सालों की हो तो ऐसी चोरियों के चलते भारतीय रेलवे को लगभग 4 हजार करोड़ का भयंकर लॉस झेलना पड़ा है.

चूंकि बात की शुरुआत हमने तकियों, चादरों और तौलियों से की थी तो यहां ये भी बताना बहुत जरूरी है कि जिस बेडशीट को रेलवे हमें हमारी सुविधा के लिए देता है उसकी कीमत 132 रुपए होती है, वहीं तौलिए की कीमत 22 रुपए और तकिया 25 रुपए की होती है. मुंबई मिरर की इस रिपोर्ट में मुंबई से गोवा के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस का भी जिक्र है जिसमें यात्रियों द्वारा ट्रेन में लगे हेड फोन चुरा लिए गए और एल ई डी को तोड़ दिया गया.

इतनी बातों के बाद अब आपको शायद ये समझ में आ गया हो कि स्टेशन पर हर 15 मिनट में 'रेलवे आपकी संपत्ति है इसे नुकसान न पहुंचाएं.' वाली घोषणा क्यों की जाती है. अब जब इतनी घोषणाओं के बाद भी चोरी हो रही और रेलवे को भयंकर नुकसान हो रहा है. तो बस इतना कहा जा सकता है कि, जब आदमी सुधारना ही नहीं चाहता तो बंद हो जाएं ऐसी घोषणाएं. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे जहां एक तरफ बेवजह अनाउंसर की बात खराब हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ ऐसे अनाउंसमेंट बिजली का बिल अलग बढ़ा रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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