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यूपी के लिए मुख्यमंत्री नहीं, एक आदर्श बहू ढूंढ रही है भाजपा !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 मार्च, 2017 06:23 PM
  • 16 मार्च, 2017 06:23 PM
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यूपी के मुख्यमंत्री का चुनाव करने में भाजपा को देर ही रही है, लेकिन वजह बेहद वाजिब है. पार्टी किसी जन नेता के बजाए ऐसे शख्‍स को तलाश रही है, जिसमें एक आदर्श बहू के गुण हों.

यूपी में चुनावी दंगल खत्म हो चुका है. हारे पहलवान थककर अपने खेमे में जा चुके हैं. जो जीते हैं जश्न मना रहे हैं. पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा धमाकेदार वापसी कर चुकी है. पूरा यूपी केसरिया हो गया है. सदी के सबसे बड़े डाकू गब्बर सिंह का सबसे फेवरेट त्योहार होली निकल चुका है. कुल मिलाकर जो होना था वो हो चुका है. जो होगा वो दिलचस्प होगा. होना ये ही कि बहुत जल्द यूपी को अपना अगला मुख्यमंत्री मिलने वाला है. एक ऐसा मुख्यमंत्री जो सज्जन हो, सुशील हो, आज्ञाकारी हो, जो परिवार को साथ लेके चल सके, जो सबका चहेता हो, ईमानदार हो, कर्तव्यनिष्ठ हो, बड़ों की इज्ज़त करने वाला, छोटों को प्रेम करने वाला हो, एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसका कैरेक्टर भले ही जैसा हो मगर शक्ल सूरत का अच्छा हो, स्मार्ट हो, गुडलुकिंग हो साथ ही वो अपराधी भी न हो. 

मैंने जो बातें ऊपर इंगित की हैं अब उसे ध्यान से पढ़िए. आप शायद कंफ्यूज हों कि क्या हम वाकई यूपी का मुख्यमंत्री ही चुन रहे हैं या बैंक में बतौर पीओ अपने बेटे के लिए एमए - बीएड पास दुल्हन. ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने ऊपर क्वालिटी बताई है उस सांचे में नेता तो फिट नहीं बैठते, अलबत्ता एक मध्यमवर्गीय बेटे के माता-पिता की इच्छा बहू की लिए कुछ ऐसी ही रहती है.

यूपी की सियासी राहें जहां एक तरफ दिलफरेब हैं, तो वहीं दूसरी तरफ जटिल भी है. यहां कब कौन सा समीकरण चल जाये या फिर कब कौन सी बिसात उल्टी पड़ जाए ये तो विधि के विधाता ब्रह्म देव भी स्वयं नहीं जानते. कह सकते हैं कि सूबे के मौसम की तरह ही यहां का वोटर और वोट करने का तरीका भी बड़ा कॉम्पलीकेटेड है. यहां हर किसी की अपनी पसंद और टेस्ट है. यहां जो जिसके फ्लेवर का होता है वो उसका हो जाता है. 

ज्ञात हो कि चुनाव के बाद किसी भी दल के लिए मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया बड़ी जटिल होती है. विजेता दल को इस बात का भरसक ख्याल...

यूपी में चुनावी दंगल खत्म हो चुका है. हारे पहलवान थककर अपने खेमे में जा चुके हैं. जो जीते हैं जश्न मना रहे हैं. पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा धमाकेदार वापसी कर चुकी है. पूरा यूपी केसरिया हो गया है. सदी के सबसे बड़े डाकू गब्बर सिंह का सबसे फेवरेट त्योहार होली निकल चुका है. कुल मिलाकर जो होना था वो हो चुका है. जो होगा वो दिलचस्प होगा. होना ये ही कि बहुत जल्द यूपी को अपना अगला मुख्यमंत्री मिलने वाला है. एक ऐसा मुख्यमंत्री जो सज्जन हो, सुशील हो, आज्ञाकारी हो, जो परिवार को साथ लेके चल सके, जो सबका चहेता हो, ईमानदार हो, कर्तव्यनिष्ठ हो, बड़ों की इज्ज़त करने वाला, छोटों को प्रेम करने वाला हो, एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसका कैरेक्टर भले ही जैसा हो मगर शक्ल सूरत का अच्छा हो, स्मार्ट हो, गुडलुकिंग हो साथ ही वो अपराधी भी न हो. 

मैंने जो बातें ऊपर इंगित की हैं अब उसे ध्यान से पढ़िए. आप शायद कंफ्यूज हों कि क्या हम वाकई यूपी का मुख्यमंत्री ही चुन रहे हैं या बैंक में बतौर पीओ अपने बेटे के लिए एमए - बीएड पास दुल्हन. ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने ऊपर क्वालिटी बताई है उस सांचे में नेता तो फिट नहीं बैठते, अलबत्ता एक मध्यमवर्गीय बेटे के माता-पिता की इच्छा बहू की लिए कुछ ऐसी ही रहती है.

यूपी की सियासी राहें जहां एक तरफ दिलफरेब हैं, तो वहीं दूसरी तरफ जटिल भी है. यहां कब कौन सा समीकरण चल जाये या फिर कब कौन सी बिसात उल्टी पड़ जाए ये तो विधि के विधाता ब्रह्म देव भी स्वयं नहीं जानते. कह सकते हैं कि सूबे के मौसम की तरह ही यहां का वोटर और वोट करने का तरीका भी बड़ा कॉम्पलीकेटेड है. यहां हर किसी की अपनी पसंद और टेस्ट है. यहां जो जिसके फ्लेवर का होता है वो उसका हो जाता है. 

ज्ञात हो कि चुनाव के बाद किसी भी दल के लिए मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया बड़ी जटिल होती है. विजेता दल को इस बात का भरसक ख्याल रखना होता है कि वो एक ऐसा फैसला ले जो सबके हित के लिए हो, जिससे कोई रुष्ठ न हो जाये. गौरतलब है कि पूर्व में अखिलेश यादव इस बात का खामियाजा भुगत चुके हैं, वो मुख्यामंत्री तो थे मगर सभी जरूरी फैसले पिता मुलायम सिंह और चाचा शिवपाल यादव ही लेते थे. तब का ये ट्रेंड आज भी बदस्तूर जारी है, जहां आज बीजेपी को एक ऐसे सीएम कैंडिडेट की तलाश है, जो ईमानदार हो मगर इस बात का पूरा ख्याल रखे कि पार्टी आलाकमान और उनके करीबी नाराज न हो जाएं. 

बहरहाल, मैं यूपी के लिए एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसका कैरेक्टर भले ही जैसा हो मगर जो सूरत का अच्छा हो, हैंडसम हो और क्रिमिनल न हो की तलाश में था. मेरे एक मित्र हैं, बड़े पुराने बड़े ही प्राचीन. हम दोनों ने साथ में ही एक दूसरे से छाप–छाप कर हाई स्कूल का गणित का इम्तेहान और इंटर का फिजिक्स का पर्चा दिया था. बेचारे भले मानस, उनसे मेरी व्यथा देखी न गयी, दोस्ती की बंदिशों को लांघते हुए उन्होंने मुझे यूपी के सीएम पद के लिए चंद नाम सुझाए कुछ चेहरे दिखाए. सीएम पद की रेस में एक चेहरा ऐसा है जिसके होंठ काले हैं और नथुना फूला हुआ है, ये चेहरा मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया. फिर उन्होंने एक दूसरा चेहरा दिखाया, उस चेहरे के बाल न के बराबर हैं, इसे भी मैंने रिजेक्ट कर दिया. इसके बाद उनकी फेहरिस्त से यूपी सीएम पद के लिए जो-जो चेहरे आये वो सभी बूढ़े थे, अतः मैं उनको भी रिजेक्ट करता चला गया. 

यूपी का शुमार भारत के सबसे बड़े राज्यों में है, यहां युवाओं की अधिकता है. सबसे ज्यादा युवा यहीं वास करते हैं. मैं चाहता हूं बल्कि मेरी दिली इच्छा है कि यूपी का मुख्यमंत्री जो भी बने वो ईमानदार हो, कर्मठ हो, जुझारू हो, मेहनती हो, सबको साथ लेकर चलने वाला हो, सबके साथ सबके विकास पर फोकस करने वाला हो ठीक उस एमए और बीएड पास लड़की की तरह जिसे एक मध्यमवर्गीय भारतीय पिता अपने बेटे के लिए दूल्हन के रूप में चुनता है.   

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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