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अच्छा सिला दिया पाकिस्तान ने हाफिज सईद के प्यार का!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 27 सितम्बर, 2019 08:04 PM
  • 27 सितम्बर, 2019 08:04 PM
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आदमी की किस्मत बुरी होना एक अलग बात है मगर जैसी किस्मत हाफिज सईद की है क्या ही कहा जाए. जिस आदमी ने पाकिस्तान के लिए इतना किया वो पाकिस्तान इतना बड़ा कंगाल है कि हाफिज सईद के परिवार को जरूरी खर्च तक न दे पाया.

69 साल का हाफिज सईद, एक ऐसा व्यक्ति जो हम भारतीयों के लिए आतंकी और पाकिस्तानी आवाम के लिए हीरो है. इन दिनों बेचारा बड़ा परेशान हैं. इंसान अपने जीवन में तीन कारणों, एक जर यानी संपत्ति, दूसरी जोरू और तीसरी जायदाद के चक्कर में परेशान रहता है. हाफिज के पास जोरू भी है और जर, जायदाद भी इसके बावजूद वो परेशान है. सवाल होगा कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो पाकिस्तान के रॉबिन हुड के सामने काटो तो खून नहीं वाली स्थिति थी और वो चिंता के चलते दुबला हुआ जा रहा है. जवाब है अभी कुछ दिनों पहले मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का वैश्विक आतंकी घोषित किया जाना. हाफिज सईद ग्लोबल टेररिस्ट क्या बना उसपर चुनौतियों का पहाड़ टूट पड़ा. उसकी सारी सुख सुविधाओं पर अंकुश लगा दिया गया है. बाकी तो छोड़िये. नौबत तो कुछ यूं है कि हाफिज के घरवाले उसके एटीएम से पैसे निकाल कर अंडा, दूध, ब्रेड कुछ नहीं खरीद पा रहे.

पाकिस्तान ने हाफिज सईद के साथ दुश्मन से भी बदतर काम किया है

हाफिज ने पाकिस्तान और इमरान खान के लिए इतना किया है, बात ऊपर तक पहुंचनी और इमरान खान के आनी स्वाभाविक थी. मगर बेचारा पाकिस्तान खुद कर्जे की मार सह रहा है आखिर करे तो करे क्या? खुद कल्पना करके देखिये जिस देश का पीएम कश्मीर मुद्दे को हथियार बनाकर उधर अमेरिका में बैठा पिज्जा बर्गर खा रहा हो. मिनरल वाटर और कोका कोला पी रहा है. उसके नवरत्नों में से एक, उसका बीरबल एटीएम से पैसा नहीं निकाल पा रहा है. कितनी गलत बात है.

हाफिज सईद 69 साल का है. 69 साल बड़ी महत्वपूर्ण उम्र होती है. मैं पाकिस्तान का नहीं जानता मगर यहां इंडिया में इतनी उम्र में आदमी रिटायर हो जाता है फिर पेंशन और पीएफ के पैसे पाता है. गाड़ी खरीदता है. मकान बनवाता है. शायद वहां पाकिस्तान में भी ऐसा ही होता होगा. बाकी बात ये है कि पाकिस्तान...

69 साल का हाफिज सईद, एक ऐसा व्यक्ति जो हम भारतीयों के लिए आतंकी और पाकिस्तानी आवाम के लिए हीरो है. इन दिनों बेचारा बड़ा परेशान हैं. इंसान अपने जीवन में तीन कारणों, एक जर यानी संपत्ति, दूसरी जोरू और तीसरी जायदाद के चक्कर में परेशान रहता है. हाफिज के पास जोरू भी है और जर, जायदाद भी इसके बावजूद वो परेशान है. सवाल होगा कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो पाकिस्तान के रॉबिन हुड के सामने काटो तो खून नहीं वाली स्थिति थी और वो चिंता के चलते दुबला हुआ जा रहा है. जवाब है अभी कुछ दिनों पहले मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का वैश्विक आतंकी घोषित किया जाना. हाफिज सईद ग्लोबल टेररिस्ट क्या बना उसपर चुनौतियों का पहाड़ टूट पड़ा. उसकी सारी सुख सुविधाओं पर अंकुश लगा दिया गया है. बाकी तो छोड़िये. नौबत तो कुछ यूं है कि हाफिज के घरवाले उसके एटीएम से पैसे निकाल कर अंडा, दूध, ब्रेड कुछ नहीं खरीद पा रहे.

पाकिस्तान ने हाफिज सईद के साथ दुश्मन से भी बदतर काम किया है

हाफिज ने पाकिस्तान और इमरान खान के लिए इतना किया है, बात ऊपर तक पहुंचनी और इमरान खान के आनी स्वाभाविक थी. मगर बेचारा पाकिस्तान खुद कर्जे की मार सह रहा है आखिर करे तो करे क्या? खुद कल्पना करके देखिये जिस देश का पीएम कश्मीर मुद्दे को हथियार बनाकर उधर अमेरिका में बैठा पिज्जा बर्गर खा रहा हो. मिनरल वाटर और कोका कोला पी रहा है. उसके नवरत्नों में से एक, उसका बीरबल एटीएम से पैसा नहीं निकाल पा रहा है. कितनी गलत बात है.

हाफिज सईद 69 साल का है. 69 साल बड़ी महत्वपूर्ण उम्र होती है. मैं पाकिस्तान का नहीं जानता मगर यहां इंडिया में इतनी उम्र में आदमी रिटायर हो जाता है फिर पेंशन और पीएफ के पैसे पाता है. गाड़ी खरीदता है. मकान बनवाता है. शायद वहां पाकिस्तान में भी ऐसा ही होता होगा. बाकी बात ये है कि पाकिस्तान में हाफिज सईद ने भी सरकारी नौकरी की थी और सरकार को चाहिए था कि ऐसे होनहार आदमी के लिए पीएफ पेंशन जैसी चीजों का प्रबंध करे. लेकिन बात वही है वो पाकिस्तान है कभी भी पलट सकता है.

मामले के तहत अच्छी बात ये रही कि इमरान खान ने एहसान का बदला एहसान से लिया और यूएन का दरवाजा खटखटाया. महीने के खर्चे के लिए पाकिस्तान ने हाफिज सईद को अपने बैंक खाते का प्रयोग करने की इजाजत मांगी थी. अब गलती हाफिज सईद ने की है तो इसमें उसके घर वालों का क्या दोष. संयुक्त राष्ट्र की समिति ने आतंकी हाफिज सईद को अपने खाते का प्रयोग करने की इजाजत दे दी है. बता दें कि हाफिज सईद के खाते फ्रीज हैं और पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध किया था कि हाफिज सईद को 1,50,000 पाकिस्तानी रुपये (लगभग 1,000 डॉलर) प्रयोग करने के लिए बैंक खातों का प्रयोग करने दिया जाए.

कितनी अजीब बात है कि जो लैटर पाकिस्तान की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति को लिखा गया था उसमें पाकिस्तान की तरफ से तर्क दिया गया था हाफिज सईद चार सदस्यों के परिवार का अकेला गुजारा चलाता है, इसलिए उसे बैंक खातों का प्रयोग करने दिया जाए. पाकिस्तान की तरफ से आई इस चिट्ठी ने न सिर्फ ये बताया है कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान कितना सख्त है. बल्कि इस बात का आभास भी कराया कि पाकिस्तान का चाल, चरित्र और चेहरा क्या है? खुद सोचिये जो देश अपने सबसे बड़े जिगरी का न हुआ. वो भला उन कश्मीरियों का क्या होगा? जिनका पक्ष रखते हुए पाकिस्तान अपना झूठा प्रोपोगेंडा फैला रहा है और कश्मीर और पाकिस्तान के अलावा पूरी दुनिया को धोखा दे रहा है.

मतलब पाकिस्तान में जो हालत हाफिज सईद की है उससे तो अच्छे भारत के घरों में रहने वाले गाय, भैंस, घोड़ा, कुत्ता, बिल्ली जैसे जीव है. कल्पना करिए कि कहीं गाय या भैंस हो और वो दूध देने में असमर्थ हो. क्या उसे ऐसे ही दर दर की ठोकर खाने और भटकने के लिए छोड़ दिया जाएगा. सीधा जवाब है नहीं. हम जानते हैं कि ये अब हमारे किसी काम के नहीं हैं. लेकिन मानवता यही कहती है कि हमें इनका ख्याल रखना चाहिए. इसी तरह पाकिस्तान को भी हाफिज सईद का ख्याल रखना चाहिए था. यदि पाकिस्तान हाफिज सईद का ख्याल नहीं भी रख रहा था तो कम से कम वो हाफिज के घर वालों की देखभाल तो कर ही सकता था.

हाफिज सईद पाकिस्तान का पुराना दोस्त है. कई मौके आए हैं जब हाफिज ने पाकिस्तान की मदद की है. उसके घर में चार ही पांच तो लोग थे इंसानियत का तकाजा भी यही था कि पाकिस्तान को हर महीने कुछ पैसे उसके अकाउंट में डाल देने चाहिए थे. ये जो हाफिज के घर के खर्चे के नामपर चंद पैसों के लिए पाकिस्तान ने यूएन को चिट्ठी पत्री लिखी है.

ये हर उस पाकिस्तानी के लिए शर्म की बात है जो हाफिज सईद को अपना और अपने देश का खलीफा मानता है. बहरहाल अब जब इतनी बड़ी बात हो ही गई है तो शायद उन पाकिस्तानी जिहादियों को सबक मिल जाए जो जिहाद का गाजर देखकर खून और गारत करने हिंदुस्तान की तरफ कूच करते हैं. उन्हें सोचना चाहिए कि जो पाकिस्तान आतंकवाद के 'ब्रैड पिट' हाफिज सईद का नहीं हो पाया वो क्या ख़ाक इन लोगों का होगा जिनकी बिसात आतंकवाद के एरिया में किसी स्पॉट बॉय से ज्यादा नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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