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बिहार चुनाव से पहले तेजप्रताप vs तेजस्वी शुरू!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 02 सितम्बर, 2020 12:26 PM
  • 02 सितम्बर, 2020 12:26 PM
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बिहार में चुनाव (Bihar Elections) होने हैं क्या जेडीयू (JDU) क्या एलजेपी (LJP) तैयारी तेज है. ऐसे में टेंशन में तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) हैं उन्हें नीतीश कुमार (Nitish Kumar), भाजपा, चिराग पासवान (Chirag Paswan) से मोर्चा लेना है और रूठे हुए भाई तेज प्रताप (Tej Pratap Yadav) की शर्तें भी माननी हैं और उन्हें पूरा करते हुए अपने को इस कलयुग का लक्ष्मण भी दिखाना है.

घर-परिवार में कोई विपत्ति आए और इस विपत्ति का जिम्मेदार अपने ही खेमे का कोई क्रांतिकारी हो तो ऐसे मौकों पर प्रायः बड़े बुजुर्ग गंभीर मुद्रा में ये कहकर सिर खुजा देते हैं कि 'घर का भेदी लंका धाए' एक मजेदार कहावत और है 'विभीषण होना' इन दिनों जैसे हालात हैं बिहार (Bihar) में लालू जी (Lalu Yadav) के घर बड़ा टेंशन चल रहा है. छोटे मियां तेजस्वी (Tejasvi Yadav) चारा खाने के बाद जेल में बंद पिता लालू की विरासत संभालने के लिए जी जान से जुटे हैं वहीं बड़े मियां और स्वभाव से 24 कैरेट तेज प्रताप (Tej Pratap Yadav) बमके हैं. वजह बना है बिहार चुनाव (Bihar Elections) और बिहार चुनावों के अंतर्गत टिकटों का बंटवारा. सच में आदमी बदकिस्मत हो मगर इतना भी न हो कि तेजस्वी यादव कहलाए. पता नहीं किस पेन से भगवान ने इनकी किस्मत लिखी है कि न तो इन्हें दिन में चैन मिल रहा है न ही ये रात को आराम कर पा रहे हैं. बेचारे तेजस्वी को समझ में नहीं आ रहा है कि ये लड़े तो लड़े किस्से? बिहार में नीतीश (Nitish Kumar), भाजपा (BJP) और चिराग पासवान (Chirag Paswan) जैसे लोगों से या फिर बड़े भाई तेज प्रताप (Tej Pratap) से.

लालू जी के घर में तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच एक अलग ही लेवल का झगड़ा चल रहा है

जिस तरह पार्टी में तेजस्वी का कद बन रहा है और जैसे टिकटों को लेकर वो फैसले ले रहे हैं उसे देखकर बड़े भैया तेज प्रताप ने अपने चेले चंटुओं से साफ कह दिया है छोटा कुछ भी कर ले. जितना भी उड़ ले गाड़ी तुम्हारा भाई ही चलाएगा.

मैटर कुछ यूं है कि बिहार चुनाव से पहले तेज प्रताप ने अपने चार विश्वासपात्रों के लिए भाई/ पार्टी से टिकटों की मांग की है. माना जा रहा है कि तेज प्रताप की ये मांग उनके उस खूफिया प्लान का हिस्सा है जिसमें वो बिहार की राजनीति में कुछ बड़ा करते हुए अपना कद दोबारा...

घर-परिवार में कोई विपत्ति आए और इस विपत्ति का जिम्मेदार अपने ही खेमे का कोई क्रांतिकारी हो तो ऐसे मौकों पर प्रायः बड़े बुजुर्ग गंभीर मुद्रा में ये कहकर सिर खुजा देते हैं कि 'घर का भेदी लंका धाए' एक मजेदार कहावत और है 'विभीषण होना' इन दिनों जैसे हालात हैं बिहार (Bihar) में लालू जी (Lalu Yadav) के घर बड़ा टेंशन चल रहा है. छोटे मियां तेजस्वी (Tejasvi Yadav) चारा खाने के बाद जेल में बंद पिता लालू की विरासत संभालने के लिए जी जान से जुटे हैं वहीं बड़े मियां और स्वभाव से 24 कैरेट तेज प्रताप (Tej Pratap Yadav) बमके हैं. वजह बना है बिहार चुनाव (Bihar Elections) और बिहार चुनावों के अंतर्गत टिकटों का बंटवारा. सच में आदमी बदकिस्मत हो मगर इतना भी न हो कि तेजस्वी यादव कहलाए. पता नहीं किस पेन से भगवान ने इनकी किस्मत लिखी है कि न तो इन्हें दिन में चैन मिल रहा है न ही ये रात को आराम कर पा रहे हैं. बेचारे तेजस्वी को समझ में नहीं आ रहा है कि ये लड़े तो लड़े किस्से? बिहार में नीतीश (Nitish Kumar), भाजपा (BJP) और चिराग पासवान (Chirag Paswan) जैसे लोगों से या फिर बड़े भाई तेज प्रताप (Tej Pratap) से.

लालू जी के घर में तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच एक अलग ही लेवल का झगड़ा चल रहा है

जिस तरह पार्टी में तेजस्वी का कद बन रहा है और जैसे टिकटों को लेकर वो फैसले ले रहे हैं उसे देखकर बड़े भैया तेज प्रताप ने अपने चेले चंटुओं से साफ कह दिया है छोटा कुछ भी कर ले. जितना भी उड़ ले गाड़ी तुम्हारा भाई ही चलाएगा.

मैटर कुछ यूं है कि बिहार चुनाव से पहले तेज प्रताप ने अपने चार विश्वासपात्रों के लिए भाई/ पार्टी से टिकटों की मांग की है. माना जा रहा है कि तेज प्रताप की ये मांग उनके उस खूफिया प्लान का हिस्सा है जिसमें वो बिहार की राजनीति में कुछ बड़ा करते हुए अपना कद दोबारा स्थापित करना चाहते हैं. न हमें तेज प्रताप से जुड़ी इस बात को हल्के में बिल्कुल भी नहीं लेना चाहिए. अंदरखाने की खबर ये है कि उन्होंने जेल जाकर पिता लालू से मुलाकात की है और ये कहकर कि इस बार वो पक्का कुछ करना चाहते हैं टिकटों की मांग की है.

इस मीटिंग में लालू और तेज प्रताप के बीच क्या खिचड़ी पाकीइसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है मगर तेजस्वी, बड़े भाई तेज प्रताप से मिलने सीधे पटना से आए थे. बताया जा रहा है कि तेज प्रताप की डिमांड थी कि उनके 4 खास लोगों अंगेश सिंह, चंद्र प्रकाश, डॉक्टर संदीप कर और धर्मेंद्र कुमार को आगामी चुनाव के लिए टिकट दिया जाए.

देखा जाए तो तेज़ प्रताप का रूठना कहीं न कहीं जायज भी है. अरे भइया हम उस देश के वासी हैं जहां न केवल गंगा बहती है बल्कि बड़े बेटे पर एक्स्ट्रा जिम्मेदारियां होती हैं. अब जब इस मामले में हम तेज प्रताप को देखते हैं तो यहां वो जीरो बट्टे सन्नाटा नजर आते हैं और किसी सिकंदर की तरह तेजस्वी बढ़त बनाते हुए नजर आते हैं.

बहरहाल आने वाले बिहार चुनवों में फायदा नीतीश को होता है या फिर तेजस्वी बाजी मारते हैं पता तो हमें चल ही जाएगा. मगर जो लालू जी के घर का हाल है और जैसी लड़ाई दोनों भाइयों तेजस्वी और तेज प्रताप में चल रही है आने वाले वक़्त में कुछ बड़ा तो होना है.

खैर दोनों भाइयों में कोई भी जीते इज्ज़त लालू जी की दांव पर लगी है. आने वाले वक़्त में लोग यही कहेंगे कि अगला बिहार संभालने की बात कहता था और देखो अपने ही बच्चों को नहीं संभाल पाया. बाक़ी बात अगर तेजस्वी की हो तो इन पेचीदा हालातों में उन्हें सूझ बूझ का परिचय देना चाहिए. ऐसा है भइया कि जिस समाज में हम लोग रहते हैं वो स्वभाव से जितना निर्मोही है उतना ही जालिम भी है.

चारे से लेकर प्रॉपर्टी तक पिता की हर चीज में बड़े बेटे का हक़ सुनिश्चित है इसलिए वो तेज प्रताप को वो सब दे दें जो उनकी डिमांड है. सिर्फ 4 टिकट और थोड़ा सा वर्चस्व है. चुनाव तो आता जाता रहेगा मगर जो एक बार भाई गया तो तेजस्वी जान लें फिर वो न आने वाला. तेज प्रताप को उनका हिस्सा मिलना चाहिए अब चाहे वो उसे आग लगाएं. पानी में बहा दें या अपने समर्थकों के साथ पार्टी करें जिस चीज़ पर उनका हक़ है वो उन्हें मिलनी चाहिए.

अंत में बस इतना ही कि तेजस्वी को स्वयं भगवान ने एक बड़ा मौका दिया है. वो इन जटिल हालातों में भाई तेज प्रताप को राम बनाकर कलयुग का लक्ष्मण बन बिहार की राजनीति में एक बिल्कुल नई तरह का इतिहास लिख सकते हैं. मौका है कैश कर लें. क्या पता कल हो न हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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