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भगवान शिव बन तेज प्रताप ने मैसेज दिया है वरना ये दुनिया गर मिल भी जाए तो क्या है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 24 जुलाई, 2019 10:29 PM
  • 24 जुलाई, 2019 10:29 PM
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बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और लालू यादव के पुत्र तेज प्रताप यादव का ईश्वर का रूप धरना किसी से छुपा नहीं है. सावन में भगवान शिव का रूप धरने वाले तेज प्रताप फिर चर्चा में हैं और अपने इस रूप के कारण सुर्खियां बटोर रहे हैं.

कश्मीर को लेकर दिए गए ट्रंप के बयान और कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सत्ता जाने से मचे सियासी घमासान के बीच मुझे अपना बचपन याद आ गया. हमारे पड़ोस में एक आंटी थीं. कहती थी कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं. यानी तब आंटी ने कहीं न कहीं ये समझाने का प्रयास किया था कि हर इंसान में भगवान का वास होता है. बचपन की बातें बचपन तक रहती हैं. कलयुग है और हम और आप भागमभाग का जीवन जी रहे हैं. यदि हम अपने अन्दर झांक कर देखें तो मिलता है कि हमारी दिनचर्या इतनी ज्यादा अस्त व्यस्त है कि हमने अपने अन्दर के भगवान को अपने से दूर, बहुत दूर कर दिया है. बात कलयुग के परिदृश्य में अपने अन्दर के भगवान की चल रही है तो हमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव का थैंक यू कहना चाहिए.

अपनी शिवभक्ति के चलते जो नया रूप तेज प्रताप यादव ने लिया है वो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है

तेज प्रताप हमसे आपसे अलग हैं. हमारे आपके विपरीत इन्होंने अपने अन्दर के भगवान को बचा कर रखा है जिसका वो समय समय पर प्रदर्शन करते रहते हैं.अपनी इन अदाओं से तेजप्रताप दुनिया को वही बताते रहते हैं जो 1975 में आई फिल्म 'प्यासा' में गुरुदत्त ने कहा था- बोल साहिर के थे. गया रफी ने था और संगीत दिया था एसडी बर्मन ने. गीत कुछ यूं था कि -

ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,

ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,

ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है.

किसी जमाने में भगवान कृष्ण बन सुर्खियां बटोर चुके तेजप्रताप इस सावन भगवान शिव के रूप में हैं और उनके इस नए लुक का वीडियो...

कश्मीर को लेकर दिए गए ट्रंप के बयान और कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सत्ता जाने से मचे सियासी घमासान के बीच मुझे अपना बचपन याद आ गया. हमारे पड़ोस में एक आंटी थीं. कहती थी कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं. यानी तब आंटी ने कहीं न कहीं ये समझाने का प्रयास किया था कि हर इंसान में भगवान का वास होता है. बचपन की बातें बचपन तक रहती हैं. कलयुग है और हम और आप भागमभाग का जीवन जी रहे हैं. यदि हम अपने अन्दर झांक कर देखें तो मिलता है कि हमारी दिनचर्या इतनी ज्यादा अस्त व्यस्त है कि हमने अपने अन्दर के भगवान को अपने से दूर, बहुत दूर कर दिया है. बात कलयुग के परिदृश्य में अपने अन्दर के भगवान की चल रही है तो हमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव का थैंक यू कहना चाहिए.

अपनी शिवभक्ति के चलते जो नया रूप तेज प्रताप यादव ने लिया है वो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है

तेज प्रताप हमसे आपसे अलग हैं. हमारे आपके विपरीत इन्होंने अपने अन्दर के भगवान को बचा कर रखा है जिसका वो समय समय पर प्रदर्शन करते रहते हैं.अपनी इन अदाओं से तेजप्रताप दुनिया को वही बताते रहते हैं जो 1975 में आई फिल्म 'प्यासा' में गुरुदत्त ने कहा था- बोल साहिर के थे. गया रफी ने था और संगीत दिया था एसडी बर्मन ने. गीत कुछ यूं था कि -

ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,

ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,

ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है.

किसी जमाने में भगवान कृष्ण बन सुर्खियां बटोर चुके तेजप्रताप इस सावन भगवान शिव के रूप में हैं और उनके इस नए लुक का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रहा है. तस्वीर पर लोग दो वर्गों में बंट गया है एक वर्ग तेज प्रताप को 'भोला' मान रहा है तो वहीं दूसरा है जो तेज प्रताप की आलोचना में जुट गया है और उनके इस सावन एक्सक्लूसिव लुक को कोरी नौटंकी बता रहा है.

खैर अब जबकि तेज प्रताप का ये नया लुक सामने आया है तो इससे हम जैसे उन तमाम लोगों को सीख लेनी चाहिए जिन्होंने अपने अन्दर के भगवान को अपने से दूर कर दिया है. हमारे बड़े बूढ़े हमें बता चुके हैं कि हमारे अन्दर भगवान है बस हमें तेज प्रताप की तरह उसे सामने लाना है और दुनिया को वही बताना है जो प्यासा फिल्म में गुरुदत के रूप में साहिर ने दुनिया को अपनी रचना के चौथे पैराग्राफ में कहा था. पंक्तियां कुछ यूं थीं.

जवानी भटकती हैं बदकार बन कर

जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर

यहां प्यार होता है व्यापार बन कर

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है.  

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है.

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तेजप्रताप-ऐश्वर्या का गठबंधन टूटना: कितना निजी, कितना सियासी

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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