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विधायक को लिखे लेटर में गर्लफ्रेंड का मुद्दा उठाने वाला लड़का 'सिंगल समाज' का कंधा है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 17 सितम्बर, 2021 01:22 PM
  • 17 सितम्बर, 2021 01:22 PM
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महाराष्ट्र के चंद्रपुर के विधायक जी मिस्टर सुभाष घोटे के पास जो पत्र आया है वही इस देश की असली समस्या है. जिसका वर्णन एक्टर पीयूष मिश्रा अपने एक गाने में 2009 में आई फिल्म गुलाल में कर चुके हैं. पत्र पढ़कर विधायक जी गुस्सा न हों बल्कि तत्काल प्रभाव में समस्या का समाधान करें.

2009 में अनुराग कश्यप की फ़िल्म आई थी और क्या ही धांसू फ़िल्म थी. नाम था गुलाल. फ़िल्म का थीम स्टूडेंट पॉलिटिक्स था. फ़िल्म पर बात नहीं होगी. जिक्र फ़िल्म के एक गाने का होगा. गाना जिसे लिखा था स्वानंद किरकिरे ने और जिसे आवाज़ दी थी पीयूष मिश्रा ने. गाने के बोल कुछ यूं थे.

'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है जोर कितना बाज़ू-ए-कातिल में है

वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां

हम अभी से क्या बताये क्या हमारे दिल में है

ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दोस्तां

देखते कि मुल्क सारा ये टशन में थ्रिल में है

आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गए

अपनी आजादी तो भइय्या लौंडिया के तिल में हैं

आज के जलसों में बिस्मिल एक गूंगा गा रहा

और बहरों का वो रेला नाचता महफ़िल में है

हाथ की खादी बनाने का ज़माना लड़ गया

आज तो चड्ढी भी सिलती इंग्लिशों की मिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है…'

इस गाने पर भी किसी चीज पर ध्यान दीजिये न दीजिये लेकिन उस लाइन को संजो कर रख लीजिये जिसमें कवि की कल्पना थी कि

आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गए

अपनी आजादी तो भइय्या लौंडिया के तिल में हैं.

बात तो सही है. उपरोक्त समस्या ही सारे देश की समस्या है. किसी की समस्या कम है तो वहीं किसी की समस्या का लेवल बहुत ज्यादा. जिनका मामला कम में है, वो तो जैसे तैसे मैनेज कर लेते हैं. वहीं जिनकी समस्या का...

2009 में अनुराग कश्यप की फ़िल्म आई थी और क्या ही धांसू फ़िल्म थी. नाम था गुलाल. फ़िल्म का थीम स्टूडेंट पॉलिटिक्स था. फ़िल्म पर बात नहीं होगी. जिक्र फ़िल्म के एक गाने का होगा. गाना जिसे लिखा था स्वानंद किरकिरे ने और जिसे आवाज़ दी थी पीयूष मिश्रा ने. गाने के बोल कुछ यूं थे.

'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है जोर कितना बाज़ू-ए-कातिल में है

वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां

हम अभी से क्या बताये क्या हमारे दिल में है

ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दोस्तां

देखते कि मुल्क सारा ये टशन में थ्रिल में है

आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गए

अपनी आजादी तो भइय्या लौंडिया के तिल में हैं

आज के जलसों में बिस्मिल एक गूंगा गा रहा

और बहरों का वो रेला नाचता महफ़िल में है

हाथ की खादी बनाने का ज़माना लड़ गया

आज तो चड्ढी भी सिलती इंग्लिशों की मिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है…'

इस गाने पर भी किसी चीज पर ध्यान दीजिये न दीजिये लेकिन उस लाइन को संजो कर रख लीजिये जिसमें कवि की कल्पना थी कि

आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गए

अपनी आजादी तो भइय्या लौंडिया के तिल में हैं.

बात तो सही है. उपरोक्त समस्या ही सारे देश की समस्या है. किसी की समस्या कम है तो वहीं किसी की समस्या का लेवल बहुत ज्यादा. जिनका मामला कम में है, वो तो जैसे तैसे मैनेज कर लेते हैं. वहीं जिनकी समस्या का ग्राफ ज्यादा है वो अपने सभासद, ग्राम प्रधान,बीडीओ, विधायक, सांसद को पत्र लिख देते हैं और मन हल्का कर लेते हैं.

महाराष्ट्र में विधायक को लिखा पत्र इंटरनेट पर खूब सुर्खियां बटोर रहा है

कैसे ? कहीं दूर क्या ही जाना आइये महाराष्ट्र के चंद्रपुर चलें जहां एक अजीब ओ गरीब मामला लोगों की जुबान पर है. चंद्रपुर के विधायक जी मिस्टर सुभाष घोटे के पास एक पत्र आया है जिसने उनका दिन का चैन और रातों की नींद हराम कर दी है. मैटर इस हद तक पेचीदा है कि विधायक जी तो विधायक जी उनके मातहत, राइट हैंड, लेफ्ट हैंड जिसे देखो हर कोई टेंशन में है.

दरअसल चंद्रपुर के विधायक सुभाष घोटे को जो लेटर मिला है, उसमें उनसे गर्लफ्रेंड की मांग की गई है. मामले में दिलचस्प ये कि जिज़ दिलजले ने ये पाती लिखी है उसके नाम का पता चल गया है. इस भोले मजनूं की पहचान भूषण राठौड़ के रूप में हुई है.

क्या लिखा है भूषण ने विधायक को लिखे अपने पत्र में?

भूषण ने जो लेटर क्षेत्र के विधायक जी के पास पहुंचाया है यदि उस पर गौर करें तो उसमें भूषण ने लिखा है कि वह एक छोटे से गांव राजौरा में रहता है. उसका काम के सिलसिले में हर दिन राजौरा से गडचंदूर आना-जाना होता है. यहां शराब बेचने वाले से लेकर काले-कलूटे लोगों के पास भी गर्लफ्रेंड है, लेकिन मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. मुझसे कोई लड़की नहीं पटती. मेरा आत्मविश्वास समाप्त हो गया है. इसलिए अनुरोध है कि अपने ही विधान सभा क्षेत्र की युवतियों को मेरी गर्लफ्रेंड बनने के लिए कहें। उनसे कहें कि हमारे जैसे लड़कों को भी भाव दिया जाए.

पत्र से विधायक जी आहत तो नहीं मगर हैं बहुत नाराज

जैसा कि हम बता ही चुके हैं युवक का पत्र विधायक जी को मिल गया है. पत्र ने विधायक जी को आहत नहीं बल्कि बहुत नाराज किया है. पत्र को लेकर विधायक सुभाष घोटे का कहना है कि उनके पास हर रोज कई पत्र आते हैं और समस्याओं का समाधान किया जाता है लेकिन, ऐसे पत्रों से सिर्फ और सिर्फ वक़्त बर्बाद होता है. इस अनोखे पत्र को लेकर विधायक का कहना है कि फिलहाल युवक गायब है और उसकी तलाश हो रही है. जैसे ही लड़का मिल जाता है उसपर उचित कार्रवाई की जाएगी.

उचित कार्रवाई न कर लड़के की फीलिंग समझें विधायक जी 

विधायक लड़के की इस हरकत से नाराज हैं और उसपर उन्होंने सख्त एक्शन लिए जाने की बात की है. मगर क्या कभी विधायक जी ने सोचा कि जब सिंगल समाज का कोई हष्ट पुष्ट लड़का किसी ऐरे गैर नत्थू बहरे टाइप लड़के के साथ गर्ल फ्रेंड देखता होगा तो कितनी तकलीफ होती होगी उसे? न फिर वो शख्स जिसकी तोंद कई बीघों में निकली हो उस तक की प्रेमिका हो तो उस व्यक्ति को कैसा लगता होगा जो इस जालिम दुनिया में अकेला है, तन्हा है?

विधायक जी को चाहिए कि वो ऐसे लड़कों को न तो गाली दें. न ही उनकी समस्या पर उनपर सख्त एक्शन लें. वो उन्हें बुलाएं एक मीटिंग का आयोजन हो. उसमें चाय समोसा हो. बैठकर बातें सुनीं जाएं और हो सके तो कुछ ऐसा किया जाए जिससे पीएम मोदी की सबका साथ सबका विकास वाली बात चरितार्थ हो, हम फिर इस बात को विधायक ही से कहेंगे कि प्रायः ऐसे मामलों में डांट फटकार समस्या का समाधान नहीं है. ऐसी जटिलता का सामना बातचीत से ही निकलगा.

बात सीधी और साफ़ है. विधायक जी जान प्रतिनिधि हैं. उन्हें लोगों ने अपनी समस्याओं के लिए चुना है. गर्ल फ्रेंड न होना भी एक समस्या है इसलिए ये एक ऐसा मुद्दा है जो उन्हें भविष्य में भी विधायक की कुर्सी पर बरकरार रखेगा और उनका बुढ़ापा संवारेगा. विधायक जी को समझना चाहिए यदि इस मुद्दे को विपक्ष वाले नेता जी ने दबोच लिया तो उसकी भारी कीमत उन्हें चुकानी होगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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