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आर्यन खान के लिए लाइफ कोच खोजे जा रहे हैं, हम होते तो कूटे जाते!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 नवम्बर, 2021 12:35 PM
  • 03 नवम्बर, 2021 12:29 PM
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शाहरुख खान और गौरी आर्यन को जेल में अपने बुरे अनुभव से उबरने में मदद करने के लिए एक लाइफ कोच हायर करने पर विचार कर रहे हैं. खुद सोचिये यदि आर्यन की जगह पर आप और हम होते तो क्या होता? लाइफ कोच छोड़िये. घरवाले-रिश्तेदार इतनी खरी-खोटी सुनाते कि वैसे ही अक्ल ठिकाने आ जाती.

आपको क्या लगता है, हम जमानत लेकर घर पहुंचे होते तो हमारी अम्मा आरती की थाली सजाए हमारा स्वागत करतीं? 22 दिन जेल में रहकर आए हैं, तो सदमे से उबारने के लिए हमारे पिताजी लाइफ कोच ढूंढते? हमारी जिंदगी में तो ऐसे ऐसे नवाब मलिक हैं, जो उल्टा हमें और फंसा देते. NDPS में अंदर होते, कहो भीतर ही आतंकवादी का टैग भी लग जाता.

अब हम इस बात में नहीं पड़ेंगे कि आर्यन खान पर लगे आरोपों में कितनी सच्चाई है. इस केस पर न्यूज चैनल वालों ने प्याज की परतें खोलने का काम किया है, और नतीजे में हमारे आंसू ही निकले हैं. हम तो सिद्धे मुद्दे पर आना चाहते हैं. वो ये कि आर्यन खान जमानत पर रिहा होकर 28 दिन बाद घर पहुंचे. और उसके बाद जिस तरह की खबरें आईं हमारा कलेजा छलनी हो गया. इसलिए नहीं कि आर्यन खान को इतनी तवज्जो क्यों मिली, या उसे जेल के सदमे से उबारने के लिए उनके अब्बू शाहरुख कितने जतन कर रहे हैं. उनकी काउंसलिंग के लिए लाइफ कोच क्यों खोजा जा रहा है. हमारा कष्ट ये है कि हमें इतना अटेंशन हमारे घरवाले काहे नहीं देते हैं. बेगुनाह तो हम भी कई बार रहे, लेकिन क्यूट होने के बावजूद कूटे गए.

अब आप कहेंगे कि बड़े लोगों के टंटे और नौटंकियां ही अलग होती हैं. वे कहीं बाहर खाना खाने या फिर शादी ब्याह में जाते हैं तो इनकी फिक्र ये नहीं होती कि मेन्यू में क्या क्या आइटम होंगे? इन्हें चिंता रहती है कि वहां सैलेड और बाथरूम में टिश्यू पेपर होगा या नहीं. बात तो सही है. तभी तो ऐसे लोगों के बच्चे अगर हाथ से निकल जाएं तो उन्हें सुधारने का जतन भी हाईक्लास ही होता है. इन लोगों की दुनिया में सुबह का भूला पैसे और रसूख के दम पर शाम को घर आ ही जाता है. वो भी नई ब्रांड इमेज के साथ.

जेल से घर वापसी के बाद जो आर्यन के लिए शाहरुख और गौरी ने सोचा है देश का एक आम आदमी तो कभी सोच ही नहीं...

आपको क्या लगता है, हम जमानत लेकर घर पहुंचे होते तो हमारी अम्मा आरती की थाली सजाए हमारा स्वागत करतीं? 22 दिन जेल में रहकर आए हैं, तो सदमे से उबारने के लिए हमारे पिताजी लाइफ कोच ढूंढते? हमारी जिंदगी में तो ऐसे ऐसे नवाब मलिक हैं, जो उल्टा हमें और फंसा देते. NDPS में अंदर होते, कहो भीतर ही आतंकवादी का टैग भी लग जाता.

अब हम इस बात में नहीं पड़ेंगे कि आर्यन खान पर लगे आरोपों में कितनी सच्चाई है. इस केस पर न्यूज चैनल वालों ने प्याज की परतें खोलने का काम किया है, और नतीजे में हमारे आंसू ही निकले हैं. हम तो सिद्धे मुद्दे पर आना चाहते हैं. वो ये कि आर्यन खान जमानत पर रिहा होकर 28 दिन बाद घर पहुंचे. और उसके बाद जिस तरह की खबरें आईं हमारा कलेजा छलनी हो गया. इसलिए नहीं कि आर्यन खान को इतनी तवज्जो क्यों मिली, या उसे जेल के सदमे से उबारने के लिए उनके अब्बू शाहरुख कितने जतन कर रहे हैं. उनकी काउंसलिंग के लिए लाइफ कोच क्यों खोजा जा रहा है. हमारा कष्ट ये है कि हमें इतना अटेंशन हमारे घरवाले काहे नहीं देते हैं. बेगुनाह तो हम भी कई बार रहे, लेकिन क्यूट होने के बावजूद कूटे गए.

अब आप कहेंगे कि बड़े लोगों के टंटे और नौटंकियां ही अलग होती हैं. वे कहीं बाहर खाना खाने या फिर शादी ब्याह में जाते हैं तो इनकी फिक्र ये नहीं होती कि मेन्यू में क्या क्या आइटम होंगे? इन्हें चिंता रहती है कि वहां सैलेड और बाथरूम में टिश्यू पेपर होगा या नहीं. बात तो सही है. तभी तो ऐसे लोगों के बच्चे अगर हाथ से निकल जाएं तो उन्हें सुधारने का जतन भी हाईक्लास ही होता है. इन लोगों की दुनिया में सुबह का भूला पैसे और रसूख के दम पर शाम को घर आ ही जाता है. वो भी नई ब्रांड इमेज के साथ.

जेल से घर वापसी के बाद जो आर्यन के लिए शाहरुख और गौरी ने सोचा है देश का एक आम आदमी तो कभी सोच ही नहीं पाता

हम मिडिल क्लास वालों की दुनिया बिल्कुल अलग है. यदि किसी केस में फंस गए हैं तो 'माय नेम इज खान, एंड आई एम नॉट अ टेररिस्ट' कहते रहिए, कोई नहीं सुनने वाला. इसलिए कई बार तो केस में फंसते ही अपराधबोध होने लगता है. बल्कि अपराधबोध वाली जिंदगी ही कई बार सुरक्षा कवच का काम करती है. हर बात के लिए बचपन से इतना डरा दिए गए हैं कि शहर आकर पब जाना तो दूर, पबजी खेलने में भी घबराहट होती थी. शाहरुख के लल्ला क्रूज पर धरे गए, जो ससुरा कभी हमारे सपने में भी नहीं आया. चलिए, अच्छा ही हुआ.

अब आप ही बताइये, कि मिडिल क्लास के बच्चे से कोई गलती हो जाए तो क्या वो सॉरी डैड कहकर छूट सकता है, और अगर वो ये कोशिश करे भी तो क्या डैड उसको छोड़ देंगे. मान लो मुंह लटकाए घर में घुसे तो क्या पापा, क्या मम्मी, छोटी बहनिया तक नहीं बख्शेगी.

"कितनी बार कहा था, अरबाज के साथ मत घूमा कर."

"लफंगों के साथ रहेगो, तो यही होगा"

"क्या मुंह दिखाएंगे दुनिया को"

वगैरह-वगैरह. जब परिवार अपने पूरी भड़ास निकाल देता है, तो फिर मामला किसी 'जिम्मेदार' पड़ोसी के हवाले कर दिया जाता है. "अरे शर्माजी आप ही समझाइये इस नालायक को. हम तो हार गए". ये शर्माजी वही हैं, जिनके लड़के की वजह से हम बचपन से ताने सुनते आए हैं, और हीनता से भरे हुए हैं. शर्माजी फ्री-फोकट के इंटेलेक्चुअल हैं. और इनका लड़का पढ़ाकू. तो यही होते हैं हमारे लाइफ कोच. अब हम कोई आर्यन खान तो हैं नहीं, जो पैसा देकर लाइफ कोच मंगाए जाते. तो शर्माजी का ज्ञान, हमें बरछी की तरह चुभता आया है. वो हमें मोटिवेट कम करते थे, टांग ज्यादा खींचते थे. शर्माजी के सेशन के बाद ऐसा महसूस होता आया है, जैसे हम कहीं घसीटे गए हैं.

आर्यन खान के बारे में कहा जा रहा है कि जेल से आने के बाद उनकी लाइफ बदल गई है. अब उनकी मम्मी गौरी उनकी दिनचर्या का ख्याल रख रही हैं. आर्यन को चिल करने के लिए कहा गया है. अब आप ही सोचिए कि यदि आर्यन खान चिल करना चाहें तो अमेजन प्राइम और नेटफ्लिक्स वाले उनके घर जाकर डांस कर आएंगे. हमें आर्यन के चिल मारने से कोई ऐतराज नहीं है, बस सोच यही रहे हैं कि ये चिल तो हमें शांतिकाल में भी नसीब न हुआ.

आर्यन यूं ही चिल करें और घर में मॉम, डैड, छोटे भाई बहनों और घर में काम करने वाले बाकी लोगों पर चिल्लाएं नहीं इसलिए शाहरुख साहब ने अपने रुतबे और पैसे के बल पर एक लाइफ कोच रिक्रूट किया है. बताया जा रहा है कि अब यही लाइफ कोच ड्रग्स के चलते ब्लैक एंड वाइट हो गयी आर्यन की ज़िंदगी में खुशियों के रंग भरेगा. उन्हें समझाएगा कि उन्होंने जो किया है वो ठीक नहीं है और बुरी संगत में पड़ने के कारण व्यक्ति के साथ साथ उसके घरवालों तक की बदनामी होती है. मतलब, बातें वही हमारी आपकी तरह वाली हैं, बस अंदाज थोड़ा सोबर और सोफेस्टिकेटेड है.

कुल मिलाकर देखा जाए तो मन्नत आया लाइफ कोच वो होगा जो पूरे खान परिवार को बताएगा कि जो हुआ सो हुआ अब पूरे परिवार को पिछली बातों को भूलकर सिर्फ अच्छी चीजों पर फोकस करना चाहिए. माना जा रहा है किलाइफ कोच को मन्नत लाने का उद्देश्य आर्यन को बिगड़ैल से अच्छा बनाना तो है ही साथ ही वो खान कपल की भी काउंसलिंग करेगा और बताएगा कि सही पेरेंटिंग के लिए जरूरी चीजें हैं क्या क्या.

यानी अब लाइफ कोच खान परिवार और आर्यन खान को बताएगा कि सही और सुकून भरी जिंदगी होती क्या है? बात ज़िंदगी और उसे जीने के तौर तरीके की हुई है तो शाहरुख एंड फेमिली का सही है. आर्यन के चलते इतनी छीछालेदर के बाद जिस तरह मामला हैप्पी एंडिंग पर आ गया है, उससे मिडिल क्लास भी शिक्षा ले.

नहीं आप ख़ुद बताइए क्या आप सोच सकते हैं कि आपके घर में आपका बेटा, भाई या खुद आप ऐसा कांड करके और जेल होकर आएं और सब कुछ इतनी सुगमता से निपट जाए? घर वाले कोर्ट - कचहरी, थाना पुलिस के बाद सुधार के लिए लाइफ कोच हायर करें. हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि शाहरुख एंड फैमिली से इतर हमारी और आपकी फैमिली आम सी फैमिली है.

हम लोगों का केस अलग है. हमारी ज़िंदगी में हर मोड़ पर अलग चुनौतियां हैं और इतिहास गवाह है देश के आम आदमी ने हमेशा अपना फ्रस्ट्रेशन अपने बच्चों पर निकाला है. अब चूंकि बात ड्रग्स के मद्देनजर बच्चे की हुई है तो भारतीय पिताओं के पास ऐसी तमाम जड़ीबूटियां हैं जो नशीली औलाद का सारा नशा दो मिनट में हिरण कर देंगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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