• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
ह्यूमर

इतिश्री नकद नारायण कथा

    • डॉ महेंद्र मधुकर
    • Updated: 28 दिसम्बर, 2016 07:23 PM
  • 28 दिसम्बर, 2016 07:23 PM
offline
हे श्रोतागण, इस नकद नारायण कथा के श्रवण से धन की लालसा से मुक्ति मिल जाती है, अहंकार नष्ट हो जाता है.

ऋषि अरूण जयतुल्य बोले- भारतदेश जिसे भारतवर्ष या अजनाभ वर्ष कहा गया है, उसमें हजारों महान राजा हुए जिनके राज्य में लक्ष्मी की कृपा थी, महलों में सोने चांदी की झनकार होती रहती थी. स्वर्ण मुद्राओं से अद्भुत संगीत प्रवाहित होता था. राजा प्रसन्न होते ही स्वर्ण मुद्राओं की झड़ी लगा देता था, हीरे-मोती लुटाने का उसका अभ्यास था, चांदी की छत और सोने के फर्श पर हीरे जवाहरातों के पलंग पर वह विश्राम करता.

उसकी प्रसन्नता का अर्थ था धन-प्राप्ति और क्रोध का अर्थ था इस क्षणभंगुर संसार से सदा-सदा के लिए मुक्ति. उसके तीन पुत्र थे- हीरक, स्वर्ण और रजत. पुत्रियों के नाम मुक्ता, मणिमाला और मुद्रिका तथा पत्नी का नाम हारावली था. उसके सभी राज्यकर्मी सभासदों के नाम भी पृथक्-पृथक् आभूषणों पर थे. उसका मुख्य मंत्री वृहत् कुंडल अत्यंत चंचल और गतिशील था. अन्य सभासद मौक्तिक, किरीट, अंगद, चूड़ाकर्ण, कंकण और धनपति थे. राजा का एक ही उद्देश्य था खजाना कभी खाली न रहे. उसकी देखा देखी उसकी प्रजा भी अथाह संपत्ति की स्वामिनी बनने का अथक प्रयत्न करती रही. ऐसा वर्षों तक अनवरत चलता रहा.

 धन की लालसा से मुक्ति की कथा

अचानक एक दिन किसी गुप्तचर ने सूचना दी कि राज्य में कुछ ऋषि, तपस्वी और सन्यासी भी हैं जो अपने पास कोई धन नहीं रखते, उनके पास कोई धनभंडार और खजाना भी नहीं है, पर एक छोटा-सा तंत्र यंत्र यानी कैशलेस नकदविहीन व्यवस्था है जिससे उनका कार्य बखूबी चल रहा है. उनकी उंगली के संकेत पर ही भोजन, वस्त्र और आवास की सभी जरूरी चीजें सुलभ हो जाती हैं. किसी प्रकार के संग्रह की आवश्यकता ही नहीं होती.

ये भी पढ़ें-

ऋषि अरूण जयतुल्य बोले- भारतदेश जिसे भारतवर्ष या अजनाभ वर्ष कहा गया है, उसमें हजारों महान राजा हुए जिनके राज्य में लक्ष्मी की कृपा थी, महलों में सोने चांदी की झनकार होती रहती थी. स्वर्ण मुद्राओं से अद्भुत संगीत प्रवाहित होता था. राजा प्रसन्न होते ही स्वर्ण मुद्राओं की झड़ी लगा देता था, हीरे-मोती लुटाने का उसका अभ्यास था, चांदी की छत और सोने के फर्श पर हीरे जवाहरातों के पलंग पर वह विश्राम करता.

उसकी प्रसन्नता का अर्थ था धन-प्राप्ति और क्रोध का अर्थ था इस क्षणभंगुर संसार से सदा-सदा के लिए मुक्ति. उसके तीन पुत्र थे- हीरक, स्वर्ण और रजत. पुत्रियों के नाम मुक्ता, मणिमाला और मुद्रिका तथा पत्नी का नाम हारावली था. उसके सभी राज्यकर्मी सभासदों के नाम भी पृथक्-पृथक् आभूषणों पर थे. उसका मुख्य मंत्री वृहत् कुंडल अत्यंत चंचल और गतिशील था. अन्य सभासद मौक्तिक, किरीट, अंगद, चूड़ाकर्ण, कंकण और धनपति थे. राजा का एक ही उद्देश्य था खजाना कभी खाली न रहे. उसकी देखा देखी उसकी प्रजा भी अथाह संपत्ति की स्वामिनी बनने का अथक प्रयत्न करती रही. ऐसा वर्षों तक अनवरत चलता रहा.

 धन की लालसा से मुक्ति की कथा

अचानक एक दिन किसी गुप्तचर ने सूचना दी कि राज्य में कुछ ऋषि, तपस्वी और सन्यासी भी हैं जो अपने पास कोई धन नहीं रखते, उनके पास कोई धनभंडार और खजाना भी नहीं है, पर एक छोटा-सा तंत्र यंत्र यानी कैशलेस नकदविहीन व्यवस्था है जिससे उनका कार्य बखूबी चल रहा है. उनकी उंगली के संकेत पर ही भोजन, वस्त्र और आवास की सभी जरूरी चीजें सुलभ हो जाती हैं. किसी प्रकार के संग्रह की आवश्यकता ही नहीं होती.

ये भी पढ़ें- मोदी जी की 'नोटबंदी' कहीं कबूतर की बर्फी तो नहीं !

यह सब सुनते ही राजा को ‘अपरिग्रह’ का दिव्य ज्ञान हो गया. संचय करना ही पाप है. अधिकता ही कुरूपता है. ज्ञान के इस प्रकाश से राजा श्याम वर्ण से श्वेत वर्ण का हो गया. उसने पूरे राज्य के लोगों के नाम बदलने के आदेश दिए और वह ‘‘कैश’’ के क्लेश से मुक्त होकर कैशलेस हो गया.

हे श्रोतागण, इस नकद नारायण कथा के श्रवण से धन की लालसा से मुक्ति मिल जाती है, अहंकार नष्ट हो जाता है, और मनुष्य संसार में रहते हुए भी एक अदना-सा ‘कार्ड’ लिए धनगर्भा मशीन की खोज में किसी भिक्षुक की तरह विचरता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    टमाटर को गायब कर छुट्टी पर भेज देना बर्गर किंग का ग्राहकों को धोखा है!
  • offline
    फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
  • offline
    टमाटर को हमेशा हल्के में लिया, अब जो है सामने वो बेवफाओं से उसका इंतकाम है!
  • offline
    अंबानी ने दोस्त को 1500 करोड़ का घर दे दिया, अपने साथी पहनने को शर्ट तक नहीं देते
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲