• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
ह्यूमर

APJ Abdul Kalam, एक नाम जिसने कट्टरपंथियों को मुश्किल में डाल दिया है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 15 अक्टूबर, 2020 08:25 PM
  • 15 अक्टूबर, 2020 08:25 PM
offline
एपीजे अब्दुल कलाम, एक नाम जिसने मुस्लिम कट्टरपंथियों को मुसीबत में डाल दिया है. देश चाहता है हर मुसलमान (Indian Muslim) कलाम साहब जैसा हो मगर समुदाय के कुछ लोग मुसलमानों को कुंए का मेंढक बनाकर सरकार को कोसने के काम में लगाए रखना चाहते हैं.

APJ Abdul Kalam Birthday : 15 अक्टूबर. विश्व के किसी और मुल्क का तो पता नहीं लेकिन ये तारीख भारत और हम भारतीयों (Indian) के लिए बहुत अहम है. आज ही के दिन यानी 15 अक्टूबर को तमिलनाडु (Tamilnadu) के रामेश्वरम में मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam) का जन्म हुआ था. अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) ने क्या किया. उनकी उपलब्धियां क्या थीं? सोशल मीडिया (Social Media) भरा पड़ा है बर्थडे विशेज से. क्या हिंदू क्या मुसलमान सब एक सुर में अब्दुल कलाम को देश का गौरव बताते हुए ट्वीट और फेसबुक पोस्ट कर रहे हैं. एक ऐसे वक्त में जब नफरत (Hatred) अपने चरम पर हो, धर्म को किनारे रखकर पूरे देश का अब्दुल कलाम के लिए एकजुट (unity) होना वाक़ई सुखद है. देखकर लग रहा है मानों बारिश की बूंदें पड़ गईं हों और 48 डिग्री तापमान में भीषण गर्मी का कोप भोग रहे किसी व्यक्ति को कुछ पल के लिए राहत मिली हो. अब इसे फॉर्मेलिटी कहें या ज़रूरत भले ही आज देश का मुसलमान कलाम साहब को हैप्पी बर्थडे बोल रहा हो लेकिन ये कलाम साहब ही हैं जिसने 'अब्दुल' और 'कलाम' जैसे देश के अन्य मुसलमानों (Indian Muslims) को खासी टेंशन में डाल दिया है. सवाल होगा कैसे? तो जवाब आपके आसपास ही मौजूद है. ज्यादा दूर मत जाइए मौजूदा दौर सोशल मीडिया का है तो सोशल मीडिया का ही रुख कर लीजिए बातें शीशे की तरह साफ़ हैं.

काश भारत के मुसलमान एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से प्रेरणा ले पाते

हज़ारों पोस्ट होंगी .उनपर लाखों कमेंट होंगे उन पर गौर करिये तो मिलेगा की करोड़ों में 'अब्दुल' और कलाम होंगे जो अलग अलग मुद्दों या ये कहें कि सरकार की आलोचना में वहां कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे होंगे. अच्छा चूंकि मौजूदा वक्त में सोशल मीडिया पर दबदबा राइट विंग का है तो ये बेचारे 'अब्दुल' और 'कलाम' गाली भी जम कर...

APJ Abdul Kalam Birthday : 15 अक्टूबर. विश्व के किसी और मुल्क का तो पता नहीं लेकिन ये तारीख भारत और हम भारतीयों (Indian) के लिए बहुत अहम है. आज ही के दिन यानी 15 अक्टूबर को तमिलनाडु (Tamilnadu) के रामेश्वरम में मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam) का जन्म हुआ था. अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) ने क्या किया. उनकी उपलब्धियां क्या थीं? सोशल मीडिया (Social Media) भरा पड़ा है बर्थडे विशेज से. क्या हिंदू क्या मुसलमान सब एक सुर में अब्दुल कलाम को देश का गौरव बताते हुए ट्वीट और फेसबुक पोस्ट कर रहे हैं. एक ऐसे वक्त में जब नफरत (Hatred) अपने चरम पर हो, धर्म को किनारे रखकर पूरे देश का अब्दुल कलाम के लिए एकजुट (unity) होना वाक़ई सुखद है. देखकर लग रहा है मानों बारिश की बूंदें पड़ गईं हों और 48 डिग्री तापमान में भीषण गर्मी का कोप भोग रहे किसी व्यक्ति को कुछ पल के लिए राहत मिली हो. अब इसे फॉर्मेलिटी कहें या ज़रूरत भले ही आज देश का मुसलमान कलाम साहब को हैप्पी बर्थडे बोल रहा हो लेकिन ये कलाम साहब ही हैं जिसने 'अब्दुल' और 'कलाम' जैसे देश के अन्य मुसलमानों (Indian Muslims) को खासी टेंशन में डाल दिया है. सवाल होगा कैसे? तो जवाब आपके आसपास ही मौजूद है. ज्यादा दूर मत जाइए मौजूदा दौर सोशल मीडिया का है तो सोशल मीडिया का ही रुख कर लीजिए बातें शीशे की तरह साफ़ हैं.

काश भारत के मुसलमान एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से प्रेरणा ले पाते

हज़ारों पोस्ट होंगी .उनपर लाखों कमेंट होंगे उन पर गौर करिये तो मिलेगा की करोड़ों में 'अब्दुल' और कलाम होंगे जो अलग अलग मुद्दों या ये कहें कि सरकार की आलोचना में वहां कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे होंगे. अच्छा चूंकि मौजूदा वक्त में सोशल मीडिया पर दबदबा राइट विंग का है तो ये बेचारे 'अब्दुल' और 'कलाम' गाली भी जम कर खाते हैं. वहीं बात राइट विंग की हो तो भले ही उसे ये साधारण 'अब्दुल' और 'कलाम' एक फूटी आंख न भाते हों लेकिन जब बात देश और देश के मिसाइल मैन अब्दुल कलाम की आएगी तो हमारा दावा है अगर जरूरत पड़े तो यही राइट विंग उनके लिए जान तक दे सकता है.

उपरोक्त बातों को फिर से पढ़िए. सोशल मीडिया पर एक तरफ तो राइट विंगर्स द्वारा 'अब्दुल' और 'कलाम' को कोसा जा रहा है वहीं दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के लिए जान न्योछावर करने की बात हो रही है. दोनों बातें दो धूरियों पर है दोनों में इतना विरोधाभास क्यों? जवाब बहुत आसान है और ये जवाब है शिक्षा और उस शिक्षा के बल पर देश की सेवा. अपने को शोषित मान और ये कहकर कि सरकारों ने हमारे लिए क्या किया? बात बात पर रोना रोने वाले मुसलमानों से कई बातें की जा सकती हैं. और बहुत देर तक की जा सकती हैं. लेकिन उनके सामने हम पैगंबर मोहम्मद की एक हदीस कोट करेंगे फिर आगे कोई बात करेंगे. पैगंबर मोहम्मद ने कहा था कि 'मुल्क से मुहब्बत ईमान की निशानी है.'

सवाल ये है कि कितने 'अब्दुल' और 'कलाम' इस बात को फॉलो करते हैं? वहीं जब हम इन बातों को देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सापेक्ष रख कर देखें तो मिलता है कि उन्होंने न केवल इस कोटेशन को फॉलो किया बल्कि इसे अपने जीवन में उतारा. राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने देश के करोड़ों 'अब्दुल' और 'कलामों' की तरह कुंए का मेंढक बनना गवारा नहीं समझा वो नहर तक आए. उन्होंने नदी का रुख किया और ज्ञान के समुंदर में गोते लगाए और वो मुकाम हासिल कर लिया जिसकी बदौलत विश्व मानचित्र पर भारत को एक अलग पहचान मिली.रक्षा मामलों में भारत विश्व के उन मुल्कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हुआ जहां पहुंचना किसी भी मुल्क के लिए वाक़ई बड़ी बात है.

कलाम साहब को पुष्प अर्पित करते देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र म,मोदी

एपीजे अब्दुल कलाम हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमारा मुल्क भरा पड़ा है अब्दुल और कलामों से तो हम बस इतना ही कहेंगे कि अब वो वक़्त आ गया है जब उन्हें कुरान से ज्यादा तरजीह विज्ञान को देनी है. गणित में जीवन तलाशना है. उर्दू को साथ लेते हुए हिंदी और अंग्रेजी से जीवन जीने का सलीका सीखना है. कुल मिलाकर अपनी शिक्षा पर काम करना है. मदरसे का त्याग कर स्कूल जाना होगा.

देश के अब्दुल और कलामों को को समझना होगा मौजूदा मदरसा एजूकेशन से क़ौम का भला ना कभी हुआ है ना कभी होगा. ये सिर्फ़ कुंद दिमाग़ कठमुल्ले पैदा कर रही है. लंभी दाढ़ी वाले, मूंछ कटे, बिलांग भर पैजामा ऊपर किये बेतरतीब कठमुल्ले.

थोड़ा व्यंग्यात्मक हों तो कहा जा सकता है कि,'अरहर की दाल' में लहसुन और जीरा ही शोभा देते हैं. अब उसमें यदि कोई अजीनोमोटो और स्प्रिंग अनियन डाल के मंचूरियन बनाने की कल्पना करे तो इससे केवल समय नष्ट होगा. जैसे हालात हैं ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि देश के 'अब्दुल' और 'कलाम' सिर्फ और सिर्फ अपना और कौम दोनों का नुकसान कर रहे हैं.

ये अपने में शर्मनाक है कि चाल, चरित्र और चेहरे के कारण मौजदा राजनीतिक सामाजिक परिदृश्य में 'मुसलमान' 21 वीं सदी का सबसे विवादास्पद शब्द है और ये क्यों विवादास्पद बना? देश के अब्दुल और कलाम यदि अपने अपने गिरेबां में झांककर देखें तो उन्हें जवाब मिल जाएगा. बात एकदम सीधी और साफ है. सरकार विरोध करते हुए कटोरी भर मांस खाकर बकरों, भेड़ों, भैसों, ऊंटों की पूंछ पकड़-पकड़ के मुसलमान जन्नत नहीं जाएगा. वो जन्नत जाएगा अपने किरदार से. और किरदार तभी अच्छा होगा जब वो शिक्षा को थामे. जड़ता और कट्टरपंथ जैसी चीजों को निकाले. देश से मुहब्बत और दूसरे धर्म का सम्मान करे.

बहरहाल बात हमनें एपीजे अब्दुल कलाम और देश के अब्दुल और कलामों से मुखातिब होकर की थी. तो हम बस 'अब्दुल' और 'कलामों' से ये कहकर विदा लेंगे कि तालिबानी सोच और पैर में मोच कभी भी इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती.

अभी भी वक़्त है भविष्य कैसा होगा इसका फैसला वर्तमान करेगा और वर्तमान यही कह रहा है कि मुसलमान सरकार विरोध करने से पहले अपनी जड़ता और कट्टरपंथ का विरोध करे और उस दिशा में जाए जहां से रास्ता स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटीज की तरह जाता है. अब्दुल कलाम अगर आज अब्दुल कलाम हुए हैं तो बस इस रास्ते को चुनने के कारण हुए हैं. अब्दुल कलाम के सामने भी आपदा थी उसमें उन्होंने अवसर तलाशा मिसाइल मैन हुए और भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया।

ये भी पढ़ें -

तनिष्क का सेक्युलर ऐड और हिन्दुस्तानी सेक्युलरों की मंशा दोनों ही खतरनाक है!

Corona Warrior: आरिफ खान का जनाजा जा रहा है, नफरती लोगों जरा रास्ते से हट जाओ!

Tanishq Ad controversy: हिंदुओं का एक वर्ग मूर्खता में मुसलमानों को पीछे छोड़ने पर आमादा!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    टमाटर को गायब कर छुट्टी पर भेज देना बर्गर किंग का ग्राहकों को धोखा है!
  • offline
    फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
  • offline
    टमाटर को हमेशा हल्के में लिया, अब जो है सामने वो बेवफाओं से उसका इंतकाम है!
  • offline
    अंबानी ने दोस्त को 1500 करोड़ का घर दे दिया, अपने साथी पहनने को शर्ट तक नहीं देते
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲