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राहुल की तारीफ करिए, उन्हें भी चाउमीन और मोमो की तीखी चटनी पसंद है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 11 जुलाई, 2017 10:39 PM
  • 11 जुलाई, 2017 10:39 PM
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बेकार में सब राहुल के पीछे पड़े हुए हैं. उन्होंने तो चीनी दूत से मुलाकात सिर्फ इसलिए की ताकि उन्हें पता चल सके कि चाउमीन और मोमो बैन करने की बात सच थी या बस उन्हें परेशान करने के लिए किसी ने ये अफवाह उड़ाई थी.

दिल्ली की ही तरह ट्विटर पर गर्मी और उमस दोनों है. कारण है राहुल गांधी का चीनी राजदूत से मिलना. कह सकते हैं कि राहुल गांधी जैसे भोले भले इंसान की इस हरकत से सम्पूर्ण ट्वीटर संसनाया हुआ और विपक्ष भनभनाया हुआ है. राहुल गांधी चीनियों से क्या मिले पान वाले तिवारी और चाय वाले अब्दुल से लेकर भाजपा नेता वेंकैया नायडू समेत लगभग हर व्यक्ति राहुल की आलोचना में लग गया है. सवालों का सिलसिला जारी है कि आखिर राहुल गांधी चीनी राजदूत से क्यों मिले. अचानक ऐसा क्या हो गया कि राहुल को चीनियों की एकदम से और बड़ी कस के याद आ गयी.

राहुल गांधी के पक्ष से कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने बयान में कहा है कि, राहुल गांधी ने चीनी राजनयिक और भूटानी राजदूत से  मुलाकात की है जो एक स्टैंडर्ड प्रोसीजर है. सुरजेवाला ने इस मुद्दे पर ये भी कहा है कि, "जी-5 देश के राजदूत शिष्टाचार के नाते राहुल गांधी से भेंट किया करते हैं. राहुल गांधी पर उठने वाले सवालों से सुरजेवाला इतने आहत हो गए कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि 'हमें इन सामान्य शिष्टाचार भेंटों को ख़बर नहीं बना डालना चाहिए.'

खैर राहुल चीनी राजनयिक और भूटानी राजदूत से मिलकर आ चुके हैं. जो होना था हो हो चुका है अब जो हो चुका है उसपर इतना हल्ला मचाने और बेवजह अपना बीपी बढ़ाने से कोई फायदा नहीं है. आप राहुल गांधी के मिजाज से वाकिफ हैं वो घूमने फिरने और खाने पीने के शौकीन आदमी हैं. अगर आप को हमारी बात का यकीन न हो तो आप गूगल इमेजेज में इनके खाने पीने और घूमने फिरने के शौक को खुद अपनी आंखों से देख सकते हैं.

राहुल गांधी खाली थे और घूमना चाहते थे. उन्हें कहां जाना चाहिए बस यही पूछने राहुल चीनी दूत से मिले थे

विदेश के अलावा देश में यूपी और यूपी में भी खासतौर से रायबरेली और अमेठी इनके फेवरेट टूरिस्ट...

दिल्ली की ही तरह ट्विटर पर गर्मी और उमस दोनों है. कारण है राहुल गांधी का चीनी राजदूत से मिलना. कह सकते हैं कि राहुल गांधी जैसे भोले भले इंसान की इस हरकत से सम्पूर्ण ट्वीटर संसनाया हुआ और विपक्ष भनभनाया हुआ है. राहुल गांधी चीनियों से क्या मिले पान वाले तिवारी और चाय वाले अब्दुल से लेकर भाजपा नेता वेंकैया नायडू समेत लगभग हर व्यक्ति राहुल की आलोचना में लग गया है. सवालों का सिलसिला जारी है कि आखिर राहुल गांधी चीनी राजदूत से क्यों मिले. अचानक ऐसा क्या हो गया कि राहुल को चीनियों की एकदम से और बड़ी कस के याद आ गयी.

राहुल गांधी के पक्ष से कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने बयान में कहा है कि, राहुल गांधी ने चीनी राजनयिक और भूटानी राजदूत से  मुलाकात की है जो एक स्टैंडर्ड प्रोसीजर है. सुरजेवाला ने इस मुद्दे पर ये भी कहा है कि, "जी-5 देश के राजदूत शिष्टाचार के नाते राहुल गांधी से भेंट किया करते हैं. राहुल गांधी पर उठने वाले सवालों से सुरजेवाला इतने आहत हो गए कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि 'हमें इन सामान्य शिष्टाचार भेंटों को ख़बर नहीं बना डालना चाहिए.'

खैर राहुल चीनी राजनयिक और भूटानी राजदूत से मिलकर आ चुके हैं. जो होना था हो हो चुका है अब जो हो चुका है उसपर इतना हल्ला मचाने और बेवजह अपना बीपी बढ़ाने से कोई फायदा नहीं है. आप राहुल गांधी के मिजाज से वाकिफ हैं वो घूमने फिरने और खाने पीने के शौकीन आदमी हैं. अगर आप को हमारी बात का यकीन न हो तो आप गूगल इमेजेज में इनके खाने पीने और घूमने फिरने के शौक को खुद अपनी आंखों से देख सकते हैं.

राहुल गांधी खाली थे और घूमना चाहते थे. उन्हें कहां जाना चाहिए बस यही पूछने राहुल चीनी दूत से मिले थे

विदेश के अलावा देश में यूपी और यूपी में भी खासतौर से रायबरेली और अमेठी इनके फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं. ये अक्सर ही वहां घूमने जाते हैं और घूमते - घूमते किसी  के भी किचन में घुसकर थाली उठा लेते हैं और उससे कहते हैं ' मुझे भूख लगी है, लाओ मुझे कुछ खाना दे दो.

शायद आप मानें नहीं मगर चीनी राजनयिक और भूटानी राजदूत से मिलने के पीछे भी राहुल गांधी की सोची समझी प्लानिंग है और इसके लिए भी घूमना - फिरना, खाना - पीना शामिल हैं. जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. इस मीटिंग के पीछे की वजह न तो डिप्लोमेसी हैं न और कुछ बात खाने पीने और सैर मस्ती की है. बात ये हैं कि राहुल गांधी खाने के शौकीन हैं और चाउमीन, मोमो, थुक्पा, बेबी कॉर्न मंचूरियन, पोटैटो चिल्ली, मंगोलियन चिकन इनके ऑल टाइम फेवरेट फूड हैं.

जैसा कि आपको पता ही होगा वर्तमान भाजपा सरकार के अलग - अलग मंत्रियों और नेताओं द्वारा नव राष्ट्रवाद का परिचय देते लगातार चीन निर्मित सामानों के बहिष्कार की बात की जा रही है. ऐसे में कुछ नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने चाउमीन, मोमो जैसी चीजों को देश विरोधी बताते हुए इनपर पूर्ण बैन की बात की है. अब आप दिल पर हाथ रख कर खुद बताइए कि ऐसी खबरे एक फूडी के दिल पर क्या प्रभाव डालेंगी. बेचारा वो तो ऐसी खबरें सुनकर जीतेजी मर जायगा.

आजकल राहुल गांधी के फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन उत्तर प्रदेश में गर्मी बहुत है और चूंकि जुलाई का महिना है तो वहां बारिश का भी कोई भरोसा नहीं है ऐसे में घूमने को बेताब राहुल गांधी चीनियों और भूटानियों से सिर्फ इसलिए मिले थे कि क्योंकि वो हमारे पड़ोसी हैं और अगर उन्हें वीकेंड में थोड़ी लम्बी दूरी की यात्रा करनी हो तो वो चीन और भूटान के आस पास वाले भारत में कहां-कहां घूमने जा सकते हैं.

राहुल को चाउमीन बहुत पसंद है इस मीटिंग के बाद उन्हें पूरा यकीन है कि फिल्हाल चाउमीन बैन होना लगभग असंभव हैराहुल गांधी कुछ नया जानना चाह रहे थे कुछ ऐसा न जो मम्मी सोनिया गांधी को पता था न प्रवक्ता सुरजेवाला को तो 'इंसान ही इंसान के काम आता है' वाली बात पर अमल करते हुए राहुल चीनी राजनयिक और भूटानी राजदूत से मिले थे. ये भला कहां की इंसानियत हुई कि हम इतनी छोटी सी बात को एक गंभीर मुद्दा बना दें. राहुल गांधी एक सीधे साधे भोले भाले और 45 वर्ष के करीब के युवा नेता हैं उनकी भी जिंदगी है, उनके भी शौक हैं ऐसे में हर बार उन्हें कटघरे में खड़ा करना और सवाल पूछना ये अच्छी बात नहीं है.

राहुल गांधी भी किसी अन्य भारतीय की तरह भारत-चीन संबंधों में सुधार देखना चाहते हैं उन्हें इससे मतलब नहीं है कि भारतीय सैनिकों ने डोंगलांग इलाके में जून की शुरुआत में प्रवेश किया, और वहां सड़क बना रहे चीनी फौजियों को रोक दिया. न ही उन्हें इस बात की परवाह है कि 1962 में भारत चीन के साथ युद्ध कर चुका है वो चीनी प्रधानमंत्री और चीन में निर्मित काउंटर स्ट्राइक और एनएफएस जैसे गेम्स की सीडी को एक नजर से देखते हैं.

राहुल भी एक आम भारतीय की तरह बारिश में भीगते हुए चाउमीन को दो कांटों से खाना और मोमो की तीखी चटनी में पड़ी मिर्च से "सीसी" करते हुए एक सांस में 1 लीटर पानी पीना चाहते हैं. हमें उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए जिससे वो अपनी जिंदगी खुल के जी सकें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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