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विनती सुन लो प्रभु हमारी..

    • गिरिजेश वशिष्ठ
    • Updated: 23 जनवरी, 2016 01:10 PM
  • 23 जनवरी, 2016 01:10 PM
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कल जब आप आंसू बहा रहे थे तो प्रभु, ये गो बैक, गो बैक के नारे लगा रहे थे. इतने दिन बाद तो आप आए हैं. फिर चले गए तो पता नहीं कब दर्शन होंगे.

हे प्रभु! हे साहेब! हे विकास पुरुष! हे क्षितिज बिहारी!

क्या हो गया है आपको? वो याकूब मेमन को फांसी देने के फैसले के खिलाफ था. वो देश का दुश्मन था. देशद्रोही था. वो ऐसा इनसान था जिसे दंडित करना बेहद ज़रूरी था. इतना ज़रूरी कि देश की मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी को एक दो नहीं 7 चिट्ठियां लिखनी पड़ीं. इतना बुरा था वो कि देश भक्तों की टीम ने खाना पीना छोड़कर एक ही लक्ष्य बनाया कि किसी तरह उसे ठिकाने लगा दिया जाए. वो कहता था कि देश में हजारों याकूब मेमन पैदा होंगे. उसने समाज को दलित और सवर्ण में बांटने की कोशिश की. उसने तो तुम्हारे अपने ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मासूम नेताओं की पिटाई की थी. तुम तो राष्ट्रवादी हो राष्ट्र को हिंदू परंपराओं के हिसाब से ढालना चाहते हो. दलित को दलित और सवर्ण को सवर्ण ही रहना चाहिए. वर्ण व्यवस्था के लाभों को आपसे ज्यादा कौन जानता है. क्या हो गया है आपको मोदी जी? आपने उसे मां भारती का पुत्र बता दिया. मां भारती वो पवित्र मां जिसके आंचल में जन्मलेना ही गौरव की बात है. मां भारती यानी वो धरती जिसपर राम और कृष्ण ने जन्म लिया. ये धरती तो सावरकर की धरती है. इसका पूत वो अछूत कैसे हो सकता है? क्यों किया आपने ऐसा? क्या आप भी वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में पड़ गए? क्या यूपी चुनाव ने आपको चरित्र बदलने पर मजबूर कर दिया? क्या आप भी आडवाणी के उस प्रेरक वाक्य का शिकार हो गए कि साध्य अहम है साधन नहीं? क्या आप भी कांग्रेस की तरह तुष्टिकरण की राजनीति में विश्वास करते हैं? 

मायावती, मुलायम सिंह, कांग्रेस और कम्युनिस्टों के रास्ते पर चलते आपको शर्म नहीं आई? आपने एक बार भी नहीं सोचा कि जो लोग सोशल मीडिया पर आपकी लड़ाई लड़ते नहीं थकते उनका क्या होगा? क्या मुंह दिखाएंगे फ्रेंड लिस्ट में तीर लेकर खड़े विधर्मी, राष्ट्र द्रोही, और भारत विरोधी अपने मित्र रूपी शत्रुओं को? क्या होगा जब वो पूछेंगे कि रोहित राष्ट्रद्रोही था या भारत मां का सपूत? अगर वो भारत मां का सपूत था तो हम क्या थे? स्मृति इरानी, बंडारू...

हे प्रभु! हे साहेब! हे विकास पुरुष! हे क्षितिज बिहारी!

क्या हो गया है आपको? वो याकूब मेमन को फांसी देने के फैसले के खिलाफ था. वो देश का दुश्मन था. देशद्रोही था. वो ऐसा इनसान था जिसे दंडित करना बेहद ज़रूरी था. इतना ज़रूरी कि देश की मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी को एक दो नहीं 7 चिट्ठियां लिखनी पड़ीं. इतना बुरा था वो कि देश भक्तों की टीम ने खाना पीना छोड़कर एक ही लक्ष्य बनाया कि किसी तरह उसे ठिकाने लगा दिया जाए. वो कहता था कि देश में हजारों याकूब मेमन पैदा होंगे. उसने समाज को दलित और सवर्ण में बांटने की कोशिश की. उसने तो तुम्हारे अपने ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मासूम नेताओं की पिटाई की थी. तुम तो राष्ट्रवादी हो राष्ट्र को हिंदू परंपराओं के हिसाब से ढालना चाहते हो. दलित को दलित और सवर्ण को सवर्ण ही रहना चाहिए. वर्ण व्यवस्था के लाभों को आपसे ज्यादा कौन जानता है. क्या हो गया है आपको मोदी जी? आपने उसे मां भारती का पुत्र बता दिया. मां भारती वो पवित्र मां जिसके आंचल में जन्मलेना ही गौरव की बात है. मां भारती यानी वो धरती जिसपर राम और कृष्ण ने जन्म लिया. ये धरती तो सावरकर की धरती है. इसका पूत वो अछूत कैसे हो सकता है? क्यों किया आपने ऐसा? क्या आप भी वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में पड़ गए? क्या यूपी चुनाव ने आपको चरित्र बदलने पर मजबूर कर दिया? क्या आप भी आडवाणी के उस प्रेरक वाक्य का शिकार हो गए कि साध्य अहम है साधन नहीं? क्या आप भी कांग्रेस की तरह तुष्टिकरण की राजनीति में विश्वास करते हैं? 

मायावती, मुलायम सिंह, कांग्रेस और कम्युनिस्टों के रास्ते पर चलते आपको शर्म नहीं आई? आपने एक बार भी नहीं सोचा कि जो लोग सोशल मीडिया पर आपकी लड़ाई लड़ते नहीं थकते उनका क्या होगा? क्या मुंह दिखाएंगे फ्रेंड लिस्ट में तीर लेकर खड़े विधर्मी, राष्ट्र द्रोही, और भारत विरोधी अपने मित्र रूपी शत्रुओं को? क्या होगा जब वो पूछेंगे कि रोहित राष्ट्रद्रोही था या भारत मां का सपूत? अगर वो भारत मां का सपूत था तो हम क्या थे? स्मृति इरानी, बंडारू दत्तात्रेय और हैदराबाद विश्वविद्यालय के नये वाइस चांसलर क्या थे? वो किसके सपूत थे?  

आपने तो कह दिया कि उस बेटे की मां कितनी रोयी होगी, आपकी आंखों में आंसू भी आ गए. आपने सोचा नहीं कि उनकी मां क्या सोचती होंगी जिनकी नौकरियां ये दलित हर साल खा रहे हैं और जो आरक्षण के नाम पर नौकरी न मिलने के कारण जो आत्महत्या कर लेते हैं. रोयी तो भारत मां भी होगी जब याकूब की फांसी के खिलाफ ये लोग पोस्टर दिखा रहे थे. आपकी आत्मा भारत मां के लिए भी रोती है कभी? कल जब कोई पूछेगा कि अखलाक की भी तो मां होगी? कोई पूछ बैठेगा कि गुजरात दंगों में जो लोग मार दिए गए बेकरियों में ज़िंदा जला-जला कर उनकी मां की फिक्र क्यों नहीं होती, तो हम क्या जवाब देंगे?

हे प्रभु! हे इष्ट! कल जब आप आंसू बहा रहे थे तो प्रभु, ये गो बैक, गो बैक के नारे लगा रहे थे. इतने दिन बाद तो आप आए हैं. फिर चले गए तो पता नहीं कब दर्शन होंगे. पिछली बार तो आप पाकिस्तान चले गए थे. तब भी हमें मुंह की खानी पड़ी थी. हम पाकिस्तान के दांत खट्टे करने की बातें करते रहे और आप वहां काला खट्टा पीकर चले आए. तब से गर्दनें भी नहीं मांग पा रहे. पठानकोट हमले के बाद अच्छा मौका था कि हम मलेच्छों पर एक हमला कर पाते लेकिन चुपचाप बैठ जाना पड़ा. सोचिए हमारे दिल पर क्या बीतती होगी. 

हम क्या करें अब लोग कह रहे हैं कि सिर्फ रोने से काम नहीं चलेगा. लोग कह रहे हैं कि कल आपने जो आंसू बहाए वो ग्लीसरीन के थे. आसाम के सीएम ने कहा आप अच्छे एक्टर हैं और एक्टिंग ज्यादा नहीं चलेगी. आपने अभी तो जांच के आदेश देकर मामला टाल सा दिया है लेकिन कल क्या होगा? प्रभु इन्होंने अपना हक मांग लिया तो क्या आप सचमुच दे दोगे? देखो प्रभु धोखा न देना. कहीं स्टार्टअप में इन्हें कोई मौका न दे देना. वो हमारी अमानत है. इलेक्शन से पहले हमें स्टार्टअप से बड़ी उम्मीदें हैं. सेवा का मेवा मिलना है. 

खैर प्रभु आप अंतरयामी हैं. सोच समझ कर ही कदम उठाया होगा. पूरा भरोसा है कि आप इन्हें लॉलीपॉप दे रहे हैं. वैसे ही जैसे कांग्रेस देती रही है. उम्मीद है आपके ये आश्वासन सचमुच झूठे ही साबित होंगे. आंसू भी एक्टिंग ही निकलेंगे. ठीक वैसे जैसे भारत में समानता और समाजवाद का दावा निकला है. ठीक वैसे ही जैसे सबका साथ सबका विकास का नारा देकर आपने तेलवालों को तेल लगाया. खाने के तेल वाले हों या खनिज तेल वाले. सभी दोस्तों पर आपने पूरी कृपा दिखायी. ठीक वैसे ही जैसे आपने विदेशों से रिश्ते चकाचक बनाए. लोगों को आपने खूब चकमा दिया. वो समझते रहे कि निर्यात बढ़ेगा और आप आयात बढा आए. आप महा बुद्धिमान हैं.

हमारा खयाल रखना,

आपका एक भक्त

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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