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हनीप्रीत का लेटर मीडिया के नाम...आपने पढ़ा क्या?

    • मुनीष देवगन
    • Updated: 28 सितम्बर, 2017 04:13 PM
  • 28 सितम्बर, 2017 04:13 PM
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गुरमीत राम रहीम की सबसे बड़ी राजदार हनीप्रीत इंसान फरार है. मीडिया में तरह-तरह की कहानियां घूम रही हैं. उसी तरह जैसे कि मीडिया के नाम हनीप्रीत का ये पत्र...

मैं हनीप्रीत इसां हूं...

मुझे वो तमाम लोग बड़े अच्छे लगते हैं जो मुझे पापा की परी कहते हैं... लेकिन आजकल मैं बहुत परेशान हूं. क्योंकि सारा मीडिया मेरे पीछे हाथ धो कर पड़ गया है...

आपने चंद लोगों के कहने पर मेरे और पापा के रिश्ते पर जो सवाल उठाए हैं, वो सवाल मुझे रात-दिन बैचेन करते हैं. राम रहीम मेरे मुंहबोले पापा ही नहीं मेरे सबकुछ हैं. करोड़ो में एक पुरूष हैं मेरे पापा. मैं इतना दुखी हूं कि बता नहीं सकती...

अपना दुख मैंने वकील साहब से भी साझा किया. वो मेरी फरियाद लेकर दिल्ली हाईकोर्ट भी पहुंचे. लोकिन यहां से भी मुझे ज़मानत नहीं मिली. मैं प्रियंका से हनीप्रीत बनी हूं, मुझे कोई हनी कह रहा है, कोई हनीमून, तो कोई बलात्कारी बाबा की लवर. कोई बोल रहा है कि मैं रोज़ एक नया चेहरा बदल रही हूं...

कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं हनीप्रीत भेस बदलकर तो नहीं घूम रही है!

कोई कह रहा है कि मैंने प्लास्टिक सर्जरी करवा ली है. अब आप ही बताए मैं क्या करूं, मेरे पीछे 7 राज्यों और 2 मुल्कों की पुलिस ऐसे लग गई है जैसे मैं कोई ग्लोबल टेररिस्ट हूं... कभी-कभी मुझे लगता है कि क्या मैंने दाऊद भाई से भी बड़ा कोई गुनाह कर दिया है कि मीडिया मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रहा. मैं जब भी टीवी खोलती हूं तो मेरी ही खबर चल रही होती है.

अब मैंने सोचा है कि टाटा स्काई हटा के डीडी का एंटीना ही लगा लूंगी... वही एंटीना जो कभी मेरे फतेहाबाद वाले घर पर लगा हुआ करता था... जब भी मैं स्कूल से घर लौटती तो सबसे पहले टीवी पर शांति बनी मंदिरा बेदी को देखना बड़ा अच्छा लगता था... शाम को मुझे बुधवार के चित्रहार का इंतज़ार रहता था.. मुझे बॉलीवुड से प्यार करना, चित्रहार और रविवार की रंगोली ने सपना देखना सिखाया था..

खैर अब मैं रात दिन एक ही...

मैं हनीप्रीत इसां हूं...

मुझे वो तमाम लोग बड़े अच्छे लगते हैं जो मुझे पापा की परी कहते हैं... लेकिन आजकल मैं बहुत परेशान हूं. क्योंकि सारा मीडिया मेरे पीछे हाथ धो कर पड़ गया है...

आपने चंद लोगों के कहने पर मेरे और पापा के रिश्ते पर जो सवाल उठाए हैं, वो सवाल मुझे रात-दिन बैचेन करते हैं. राम रहीम मेरे मुंहबोले पापा ही नहीं मेरे सबकुछ हैं. करोड़ो में एक पुरूष हैं मेरे पापा. मैं इतना दुखी हूं कि बता नहीं सकती...

अपना दुख मैंने वकील साहब से भी साझा किया. वो मेरी फरियाद लेकर दिल्ली हाईकोर्ट भी पहुंचे. लोकिन यहां से भी मुझे ज़मानत नहीं मिली. मैं प्रियंका से हनीप्रीत बनी हूं, मुझे कोई हनी कह रहा है, कोई हनीमून, तो कोई बलात्कारी बाबा की लवर. कोई बोल रहा है कि मैं रोज़ एक नया चेहरा बदल रही हूं...

कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं हनीप्रीत भेस बदलकर तो नहीं घूम रही है!

कोई कह रहा है कि मैंने प्लास्टिक सर्जरी करवा ली है. अब आप ही बताए मैं क्या करूं, मेरे पीछे 7 राज्यों और 2 मुल्कों की पुलिस ऐसे लग गई है जैसे मैं कोई ग्लोबल टेररिस्ट हूं... कभी-कभी मुझे लगता है कि क्या मैंने दाऊद भाई से भी बड़ा कोई गुनाह कर दिया है कि मीडिया मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रहा. मैं जब भी टीवी खोलती हूं तो मेरी ही खबर चल रही होती है.

अब मैंने सोचा है कि टाटा स्काई हटा के डीडी का एंटीना ही लगा लूंगी... वही एंटीना जो कभी मेरे फतेहाबाद वाले घर पर लगा हुआ करता था... जब भी मैं स्कूल से घर लौटती तो सबसे पहले टीवी पर शांति बनी मंदिरा बेदी को देखना बड़ा अच्छा लगता था... शाम को मुझे बुधवार के चित्रहार का इंतज़ार रहता था.. मुझे बॉलीवुड से प्यार करना, चित्रहार और रविवार की रंगोली ने सपना देखना सिखाया था..

खैर अब मैं रात दिन एक ही गाना गुनगुनाती हूं... कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन...

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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