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प्रधानमंत्री जी, भिंडी को एक राष्ट्रीय सब्जी घोषित कर दिया जाए

    • सुशांत झा
    • Updated: 08 जुलाई, 2016 04:18 PM
  • 08 जुलाई, 2016 04:18 PM
offline
गर्मी के महीने में हरी-हरी भिंडी आंखों को सुकून देती. भिंडी मुझे किसी सुकन्या के हरे दुपट्टे से कतई कम नहीं लगती.

मेरा मानना है कि भिंडी दुनिया की सबसे बेहतरीन सब्जी है और जिसे भिंडी पसंद नहीं- वो ईश्वरीय कृपा से जरूर वंचित है. हाल में मैंने अपने दोस्तों से भिंडी के बारे में घंटा-घंटा भर बात की है और उनका कहना था कि इतनी हसीन सब्जी पर कुछ न कुछ जरूर लिखा जाना चाहिए. कई बार तो ऐसा हुआ कि किसी मित्र या सखी का हालचाल पूछने की वजाय मैंने SMS ठोक दिया-" आज भिंडी बनी है क्या?" वो समझ जाते हैं कि आज मैं प्रसन्न हूं!

भिंडी को राष्ट्रीय सब्जी घोषित कर देना चाहिए

भिंडी से प्यार करना मेरी दादी ने मुझे सिखाया था जो भिंडी की भुजिया, सरसों वाली भिंडी, पूरा भिंडी, भिंडी का भरुआ और पता नहीं क्या-क्या बनाती थी. हाल में जब मैं JN में 24.7 में भिंडी मसाला खा रहा था तो वो मजा नहीं आया जो सरसो वाली भिंडी में आता था. मैने इस पर अपने एक मित्र से 20 मिनट तक गहन चर्चा की थी. कुल मिलाकर भिंडी को हमारे घर में वहीं दर्जा हासिल था तो कम्यूनिस्टों के घर में लेनिन या मार्क्स का होता है. भिंडी से मेरे प्यार को आप यूं समझिए कि नाश्ते में अगर कोई मुझे एक पूरा प्लेट भिंडी फ्राई करके खिला दे तो मैं उसके लिए व्यापम टाइप घोटाले का प्लान कर सकता हूं(हत्याओं का नहीं!).

मेरे हाईस्कूल में एक चौधरीजी शिक्षक थे जिन्हें आलू बहुत पसंद था. उस समय मुझे उन पर हंसी आती थी. चौधरीजी कहते थे कि आलू जब आयरलैंड से भारत आया तो भारत के ब्राह्मणों को शक हुआ था कि कहीं अंडा तो नहीं है! जबकि आयरलैंड में अगर आप एक प्लेट खाना मांगते तो आपको पूरा प्लेट आलू उबालकर दे देते! मैं समझता था कि ये पागलों की बाते हैं, अब लगता है कि चौधरीजी का आलू प्रेम कितना आध्यात्मिक रहा होगा.

हमारे गांव...

मेरा मानना है कि भिंडी दुनिया की सबसे बेहतरीन सब्जी है और जिसे भिंडी पसंद नहीं- वो ईश्वरीय कृपा से जरूर वंचित है. हाल में मैंने अपने दोस्तों से भिंडी के बारे में घंटा-घंटा भर बात की है और उनका कहना था कि इतनी हसीन सब्जी पर कुछ न कुछ जरूर लिखा जाना चाहिए. कई बार तो ऐसा हुआ कि किसी मित्र या सखी का हालचाल पूछने की वजाय मैंने SMS ठोक दिया-" आज भिंडी बनी है क्या?" वो समझ जाते हैं कि आज मैं प्रसन्न हूं!

भिंडी को राष्ट्रीय सब्जी घोषित कर देना चाहिए

भिंडी से प्यार करना मेरी दादी ने मुझे सिखाया था जो भिंडी की भुजिया, सरसों वाली भिंडी, पूरा भिंडी, भिंडी का भरुआ और पता नहीं क्या-क्या बनाती थी. हाल में जब मैं JN में 24.7 में भिंडी मसाला खा रहा था तो वो मजा नहीं आया जो सरसो वाली भिंडी में आता था. मैने इस पर अपने एक मित्र से 20 मिनट तक गहन चर्चा की थी. कुल मिलाकर भिंडी को हमारे घर में वहीं दर्जा हासिल था तो कम्यूनिस्टों के घर में लेनिन या मार्क्स का होता है. भिंडी से मेरे प्यार को आप यूं समझिए कि नाश्ते में अगर कोई मुझे एक पूरा प्लेट भिंडी फ्राई करके खिला दे तो मैं उसके लिए व्यापम टाइप घोटाले का प्लान कर सकता हूं(हत्याओं का नहीं!).

मेरे हाईस्कूल में एक चौधरीजी शिक्षक थे जिन्हें आलू बहुत पसंद था. उस समय मुझे उन पर हंसी आती थी. चौधरीजी कहते थे कि आलू जब आयरलैंड से भारत आया तो भारत के ब्राह्मणों को शक हुआ था कि कहीं अंडा तो नहीं है! जबकि आयरलैंड में अगर आप एक प्लेट खाना मांगते तो आपको पूरा प्लेट आलू उबालकर दे देते! मैं समझता था कि ये पागलों की बाते हैं, अब लगता है कि चौधरीजी का आलू प्रेम कितना आध्यात्मिक रहा होगा.

हमारे गांव में भिंडी को तरह-तरह के नाम से पुकारते थे. कोई उसे राम-तोरई कहता, तो कोई उसे रामझिमनी या रामझिंगुनी. मेरे नानीगांव में उसे कुछ और ही बोलते थे. गर्मी के महीने में हरी-हरी भिंडी आंखों को सुकून देती. भिंडी मुझे किसी सुकन्या के हरे दुपट्टे से कतई कम नहीं लगती. हमारे यहां गांव में 5 किलोमीटर दूर से सिर पर टोकड़ी लिए 'कुजरनी'(मुसलमानों की एक अ. पिछड़ी जाति जो सब्जी उगाने का काम करती थी/ है) तरकारी बेचने आती थी, तो हम उससे भिंडी के बारे में जरूर पूछते. कुजरनी मुस्कुरा देती. जब थोड़ा बड़ा हुआ तो गांव के हाट पर मैं सबसे पहले भिंडी ही खरीदता.

वैसे हमारे घर की 'बाड़ी'(घर के पास की जमीन या आज के जमाने में कैम्पस कहिए) में भी भिंडी के पौधे होते. मैं जब घर जाता हूं तो इस मौसम में मेरे लिए बिला-नागा भिंडी जरूर बनती है. मां को मालूम है कि मुझे भिंडी में कितना नमक पसंद है. मैं इस मौसम में मां से भिंडी के बारे में जरूर बात करता हूं. मैंने अपनी बहन से भी पूछा था कि क्या अमेरिका में भिंडी मिलती है? उसका जवाब सुनके संतोष हुआ. हो सकता है कि मैं कभी अमेरिका जाने पर भी विचार करुं. सोच रहा हूं कि प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख दूं कि भिंडी को राष्ट्रीय सब्जी घोषित कर दिया जाए. कुल मिलाकर मामला ये है कि भिंडी न होती, दुनिया जाने कैसी होती! गांधी न होते तो जाने किस राह आजादी मिलती! अब इतने लंबे पोस्ट से ये तो साबित हो ही गया होगा कि भिंडी दुनिया की सबसे बेहतरीन और खूबसूरत सब्जी है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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