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एक मौलवी साहब ने आर्यन खान को मदरसे न भेजने का 'खामियाजा' तो बता दिया, लेकिन...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 21 अक्टूबर, 2021 01:12 PM
  • 21 अक्टूबर, 2021 01:11 PM
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अभी तो सिर्फ ड्रग केस में अंदर हैं आर्यन खान. बरेलवी मसलक के उलमा को याद रखना चाहिए यदि मदसरसे में पढ़ता तो कट्टरपंथी भी बन सकता था आर्यन खान और तब शाहरुख कहीं ज्यादा बड़ी मुसीबत में होते.

गनीमत है कि शाहरुख के बड़े लड़के मिस्टर आर्यन खान मुंबई ड्रग केस में ड्रग्स लेने और उसे रखने के आरोप में नपे हैं. ज़रा सोचिए अगर उन्होंने लंबी दाढ़ी रख ली होती. ऊंचा पैजामा और लंबा कुर्ता पहन लिया होता. कट्टरपंथ वाले तब्लीगी वीडियो बना बनाकर इंस्टाग्राम और यूट्यूब को पाट दिया होता तो क्या होता? होता ये कि अब तक शाहरुख खान की लंका लग जाती. भागते मगर छिपने का ठीहा/ ठिकाना न मिलता. नहीं ये बातें रैंडम नहीं हैं. न ही किसी धर्म, जाति, व्यक्ति विशेष को टारगेट करते हुए सर्कास्टिक हुआ जा रहा है. ये बातें यूं ही नहीं आई हैं. वजह एक बरेलवी मौलाना बने हैं जिन्होंने शाहरुख और आर्यन को लेकर बड़ी ही अतरंगी बात की है. 

एक ऐसे समय में जब सेशंस कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद मुंबई ड्रग्स केस में जेल की चक्की पीसने को मजबूर आर्यन खान और उनकी परवरिश को लेकर शाहरुख खान पर समर्थकों से लेकर आलोचकों तक सबके अपने तर्क हों. बरेलवी मसलक के एक मौलाना ने मामले के मद्देनजर एक अजीब ओ गरीब थ्योरी पेश की है. बरेलवी उलमा ने कहा कि फिल्म अभिनेता शाहरूख खान यदि बेटे को मरदसा शिक्षा ग्रहण कराते तो शायद उन्हे आज यह दिन देखना नहीं पड़ता.

अगर बरेलवी मसलक के मौलाना की बात मानी होती तो आर्यन के चक्कार में डबल फंसते शाहरुख खान

आगे कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए ये बता देना बहुत जरूरी है कि तंजीम उलमा-ए- इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि शाहरुख खान ने यदि बेटे को कुछ दिन मदरसे में शिक्षा दिलाई होती तो इस्लाम के नियमों के बारे में पता होता. इस धर्म में किसी भी तरह का नशा करना प्रतिबंधित है.

मौलाना साहब इतने पर रुक जाते तो भी ठीक था मगर क्यों कि उन्हें अपनी करतूतों से लाइम लाइट हासिल करनी थी उन्होंने ये तक कह...

गनीमत है कि शाहरुख के बड़े लड़के मिस्टर आर्यन खान मुंबई ड्रग केस में ड्रग्स लेने और उसे रखने के आरोप में नपे हैं. ज़रा सोचिए अगर उन्होंने लंबी दाढ़ी रख ली होती. ऊंचा पैजामा और लंबा कुर्ता पहन लिया होता. कट्टरपंथ वाले तब्लीगी वीडियो बना बनाकर इंस्टाग्राम और यूट्यूब को पाट दिया होता तो क्या होता? होता ये कि अब तक शाहरुख खान की लंका लग जाती. भागते मगर छिपने का ठीहा/ ठिकाना न मिलता. नहीं ये बातें रैंडम नहीं हैं. न ही किसी धर्म, जाति, व्यक्ति विशेष को टारगेट करते हुए सर्कास्टिक हुआ जा रहा है. ये बातें यूं ही नहीं आई हैं. वजह एक बरेलवी मौलाना बने हैं जिन्होंने शाहरुख और आर्यन को लेकर बड़ी ही अतरंगी बात की है. 

एक ऐसे समय में जब सेशंस कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद मुंबई ड्रग्स केस में जेल की चक्की पीसने को मजबूर आर्यन खान और उनकी परवरिश को लेकर शाहरुख खान पर समर्थकों से लेकर आलोचकों तक सबके अपने तर्क हों. बरेलवी मसलक के एक मौलाना ने मामले के मद्देनजर एक अजीब ओ गरीब थ्योरी पेश की है. बरेलवी उलमा ने कहा कि फिल्म अभिनेता शाहरूख खान यदि बेटे को मरदसा शिक्षा ग्रहण कराते तो शायद उन्हे आज यह दिन देखना नहीं पड़ता.

अगर बरेलवी मसलक के मौलाना की बात मानी होती तो आर्यन के चक्कार में डबल फंसते शाहरुख खान

आगे कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए ये बता देना बहुत जरूरी है कि तंजीम उलमा-ए- इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि शाहरुख खान ने यदि बेटे को कुछ दिन मदरसे में शिक्षा दिलाई होती तो इस्लाम के नियमों के बारे में पता होता. इस धर्म में किसी भी तरह का नशा करना प्रतिबंधित है.

मौलाना साहब इतने पर रुक जाते तो भी ठीक था मगर क्यों कि उन्हें अपनी करतूतों से लाइम लाइट हासिल करनी थी उन्होंने ये तक कह दिया कि फिल्म इंडस्ट्री के की लोग इस्लाम के आदेशों से नावाकिफ हैं. इस्लाम में नशा करना हराम है.

अपनी बात को वजन देने के लिए मौलाना साहब ने मदरसों की आड़ ली और कहा कि यह बात मदरसे में पढ़ाई, समझाई भी जाती है. धर्म में यह भी कहा गया है कि अगर बच्चा गलत हरकतों में पड़ जाए तो मां-बाप उसे प्यार से समझाकर सही रास्ते पर लाने का प्रयास करें. मौलाना साहब ने किंग खान की टांग खींचते हुए ये भी कहा कि शाहरुख खान यदि मदरसे में कुछ पढ़े होते तो उन्हें इसका एहसास होता.

भले ही कुछ दिन ,मगर, धार्मिक शिक्षा भी ग्रहण करनी चहिए. शाहरुख खान को मदरसा न मिलता तो घर के पास किसी मस्जिद के इमाम से धार्मिक शिक्षा ले लेते. अपने बेटे को भी इस्लाम के नियमों से रूबरू करना चाहिए था.

हम बिल्कुल सहमत है मौलाना कि बात से. भेजना चाहिए था शाहरुख को आर्यन को मदरसे लेकिन अब हमारा भी एक छोटा सा सवाल है. मदरसे की हवा यदि आर्यन को लग जाती और वो कट्टरपंथी बन युवाओं को जिहाद का रास्ता अपनाने को कहते. कश्मीर की आजादी की बात करते, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते तो...

सही हुआ आर्यन ड्रग्स केस में अंदर है उपरोक्त मामले में अंदर होते तो रासुका, टाडा, पोटा भी लगता और कहीं गलती से उत्तर प्रदेश में होते तो चौराहे चौराहे पोस्टर पोस्टर लगकर संपत्ति भी कुर्क हो जाती. इसलिए मौलाना साहब से हम बस यही कहेंगे कि ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है बाकी उसकी लाठी में यूं भी किसी भी तरह की कोई आवाज नहीं होती. बच ही गए या ये कहें कि बचा लिए गए शाहरुख़ खान. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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